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मूर्ख है वह व्यक्ति जो अपने पिता की तुलना पैसों से करता हैं

Fatherhood & the importance of Father in our life

ज़िन्दगी में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके कर्ज़ को आप चाहें जो कर लें कभी चुका नहीं सकते। जब भी ऐसे एहसान करने वाले लोगों की बात आए तो हमें अपने पिता (Father) का सबसे पहले ज़िक्र करना चाहिए जिसकी बदौलत ही आपने इस दुनिया में कदम रखा और जिनके एहसानों तले दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति दबा हुआ है, चाहे वह सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए आसमान की बुलंदियों तक क्यों न पहुंच जाए।

पिता की मिसाल घर के आंगन में लगे उस वृक्ष के समान है जिसकी मौजूदगी से कुछ भी नहीं तो हमें घना साया ज़रूर नसीब होता है। एक पिता हमेशा ही अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सकारात्मक विचार रखता है। उसे अपने बच्चे के भविष्य की हर हाल में परवाह होती है।

दुनिया में कोई भी इंसान आपकी सफलता या अनोखी योग्यता पर ईर्ष्या या जलन रख सकता है लेकिन पिता ही वह शख्सियत होती है जो आपकी कामयाबी पर अंदर से सुख, शांति और सुकून महसूस करता है और अपने दिल में यह आशा रखता है कि आप जिंदगी की तंग से तंग राहों में भी सफलता के मार्ग तलाश कर लें

उसका सम्मान सीधे तौर पर आपके सम्मान से जुड़ा होता है। वह कभी नहीं चाहता कि उसकी संतान परिस्थितियों की विडम्बना और हालात के विपरीत धारे के सामने घुटने टेक दे और उनसे जंग हारकर निराशा और जुगुप्सा के अंधेरी में भटकती रहे। वह हमेशा आपके भले के बारे में ही सोचता रहता है।

भला सोचे भी क्यों ना? वह व्यक्ति जिसने आपको बचपन में चलना फिरना और बोलना सिखाया, आपकी हर मर्ज़ी के आगे अपनी मर्ज़ी को कुर्बान कर दिया, आपकी खुशी और जीवन को सुलभ बनाने की जुगत में इधर उधर की ठोकरें खाईं, अपने रोज़गार पर इस बात को जेहन में रखकर ही मेहनत की कि मेरा बेटा बड़ा होकर इस पूंजी और मीरास को अपने हाथों से संभालेगा और मेरे नाम को मेरे मरने के बाद भी रौशन रखेगा।

भला ऐसा व्यक्ति कभी आपके बारे में कोई बुरा विचार रख सकता है क्या?

1. अपने पिता का मूल्यांकन पैसों से कभी ना करें

एक पिता Father अपने पुत्र के बचपन को संवारने और उसे एक नेक और काबिल इंसान बनाने की चिंताओं में लीन रहा करता है। वह अपने बच्चों को पौष्टिक आहार, बेहतर जीवन शैली और उसके शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास के लिए हर समय तत्पर और तैयार रहता है।

वह यह नहीं देखता कि जीवन में उसके हालात कैसे हैं बल्कि वह अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए और उनके हालात को बेहतर बनाने के लिए दिन रात एक कर देता है। उसकी जिंदगी का मकसद बस यही होता है कि वह किसी तरह अपने बच्चों को अपने पांव पर खड़ा कर दें और इस प्रकार एक आदर्श पिता का रूप धारण कर ले।

अब जिस व्यक्ति की सोच ऐसी हो तो उसके सम्मान और प्रतिष्ठा को दौलत के तराजू पर तोलना मूर्खता ही होगी क्योंकि यह बात याद रखनी चाहिए हर चीज पैसे से जुड़ी नहीं होती बल्कि ये जीवन को अच्छी तरीके से गुजारने का एक साधन मात्र है।

इसलिए पिता के रिश्ते को पैसों के बंधन में बांधने वाले कभी अपने पिता को वह इज्जत और सम्मान नहीं दे पाते जिसका वह सही मायनों में हकदार है। एक पिता घर के आंगन का वह घना वृक्ष है जिसकी छाया पारिवारिक रिश्तों में पनप रही मतभेद और कलह की धूप को आंगन में तक पहुंचने नहीं देती।

वह अपने परिवार के सुख चैन के लिए जिन्दगी में जिन कुर्बानियों का सामना करता है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इसलिए केवल पैसों को तरजीह या महत्व देकर अपने पिता के अहसानों को भूल जाने वाले लोग कभी सफलता के मार्ग पर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाते और बहुत जल्द अपने पिता के मार्गदर्शन से महरूम होकर सफलता से कोसों दूर हो जाते हैं क्योंकि जीवन में एक पिता की हैसियत सिर्फ किसी परिवार के स्वामी की ही नहीं बल्कि उस गाइड की है जिसने जिंदगी को बड़े करीब से देखा परखा है और वह नहीं चाहता कि उसके अनुभवों का फायदा उसकी संतान को ना पहुंचे।

उसने जिंदगी की बारीकियों को परखा है और जब वह अपनी किसी संतान को गलत दिशा में आगे बढ़ता देखता है तो वह तुरंत खतरों को भांप लेता है। उसे चिन्ता होने लगती है कि उसका बेटा कहीं किसी गलत आदत या संगत में पड़कर अपने भविष्य को अंधकारमय न बना ले

2. पिता की हैसियत को पहचानिए

दुनिया में एक पिता ही वह अकेली हस्ती है जो अपनी औलाद के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने को हर पल तैयार रहती है। आपका करीबी से करीबी मित्र भी आपके लिए वह बलिदान नहीं दे सकता जो एक पिता आपके लिए कुर्बान कर सकते हैं।

इस लिहाज से देखा जाए तो पिता दुनिया का सबसे बेहतरीन दोस्त है जो आपके साए के साथ चलकर हमेशा आपको उपदेश या नसीहत करता रहता है। एक ऐसा दोस्त जो आपकी बुरी आदतों का हरदम आभास कराता है और बदले में आपसे कुछ मांगता भी नहीं।

उसकी तो बस यह मंशा होती है कि किसी तरह आप अपने पैरों पर मजबूती के साथ खड़े हो जाएं और आत्मनिर्भर बनकर अपने भविष्य को उज्जवल बना सकें। वह आपको जिंदगी में कुछ ऐसा पाठ पढ़ा देता है जो दुनिया के किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में आप चाह कर भी हासिल नहीं कर सकते।

एक पिता अपने बच्चों की परवरिश में अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। लेकिन कैसी अजीब और अफसोसनाक बात है कि यही पिता जो अपने बच्चों को उंगलियाँ पकड़ कर चलना सिखाते हैं, वृद्ध होने पर कुछ लोग उसके बुढ़ापे की लाठी तक नहीं बन पाते और वह अपने बूढ़े बाप को जिसने अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य का कभी ख्वाब देखा था और उस सपने को साकार करने के लिए जबरदस्त मेहनत और संघर्ष किया था एक दिन उसकी औलाद ही उसे अकेलेपन का शिकार बना देती हैं।

वह अपने बूढ़े और बीमार बाप का ढंग से इलाज तक नहीं करते। यह लोग एहसान फरामोश (एहसान न मानने वालों में से होते हैं। ऐसे लोगों पर से लोगों का विश्वास उठ जाता है और वे अक्सर ये ताना भी देते हैं कि जो आदमी अपने बाप का नहीं हुआ वह किसी और का क्या होगा?

जो लोग अपने पिता के सारे एहसान भुला देते हैं उन्हें शायद अब अपने और अपने बच्चों की चिन्ता घेरने लगती है। ऐसे लोग ये नहीं समझते कि जो बड़ा गुनाह वे आज अंजाम दे रहे हैं उसका भविष्य में कितना खतरनाक परिणाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है।

यह एक सामाजिक तथ्य है कि जो व्यक्ति अपने पिता के मार्गदर्शन और उनकी बात एवं आदेशों को ठुकराता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता। अगर किसी तरह सफल हो भी जाए तो उसकी कामयाबी ज्यादा देर तक नहीं टिकती।

दुनिया में कुछ ऐसे महापाप हैं जिनकी सजा ईश्वर इंसान को इसी भौतिक संसार में ही दे देता है जिसमें से एक वह शख्स भी है जो अपने माता पिता की अवहेलना या नाफरमानी करता है।

3. ज़िन्दगी संवारने के लिए दिया साथ

सिर्फ बचपन ही नहीं बल्कि बचपन के बाद जवानी और उसके बाद के चरणों में भी एक पिता अपने पुत्र का साथ नहीं छोड़ना चाहता और उसके भविष्य को संवारने में लीन रहता है। वह सुबह उठकर जब अपनी संतान का चेहरा देखता है तो उसे वह अंदरूनी सुकून मयस्सर होता है जिसका अंदाजा दुनिया का कोई भी व्यक्ति पिता बनने के बाद ही लगा सकता है।

एक पिता अनुशासन के साथ घर परिवार की तमाम जिम्मेदारियों के बोझ को अपने कंधों पर उठाता है। सुबह से लेकर शाम तक वह अपने बच्चों के भविष्य निर्माण को लक्ष्य बनाकर जी-तोड़ मेहनत करता है और अपने पसीने की गाढ़ी कमाई को अपने परिजनों की खुशियों पर न्यौछावर कर देता है।

अब इससे बड़ी कुर्बानी कोई आपके लिए क्या दे सकता है? वह छोटी छोटी बातों को भी अपने बच्चो को गंभीरता से समझाते हैं ताकि किसी तरह वे अपनी तयशुदा मंजिल (Set Target) तक पहुंच जाएं। वे अपने बच्चो को रास्तों की उन कठिनाइयों के बारे में भी कुछ ऐसे ज्ञान और मार्गदर्शन देते हैं जिसे कभी कभार दुनिया के बड़े बड़े दार्शनिक और बुद्धिजीवी भी आपको नहीं दे सकते।

वृद्धावस्था में बेहद कमज़ोर हो जाने के बावजूद एक पिता अपने बेटे को जीवन के उन अनुभवों के बारे में बताता रहता है जिससे उसकी आंख की पट्टी खुलती है और वह समाज को खुली आंखों से देखने के काबिल हो जाता है।

4. गलती में करते हैं सुधार

जब भी आप कोई छोटी या बड़ी गलती करते हैं या किसी गलत रास्ते पर जाने का प्रयास करते हैं तो जिन्दगी को बेहद क़रीब से परखने के कारण उसके बुरे नतीजों का आभास आपके पिता को पहले से ही होने लगता है। वह आपको आपकी गलती पर रोकते टोकते हैं और दोबारा कभी उस राह पर न चलने का उपदेश देते हैं।

यह सुनकर हम में से बहुत से लोग उनके उपदेशों का गलत मतलब निकाल कर उनसे नाराज या फिर मुंह फेर लेते हैं जबकि वास्तविक पहलुओं का हमें कोई अंदाजा भी नहीं होता। पिता का महत्व वही लोग समझ सकते हैं जिनके पिता अब इस संसार में नहीं रहे। दरअसल सच्चाई यह है इस दुनिया में कोई भी आपको आपके पिता से बेहतर प्यार और खुशियां नहीं दे सकता।

अब इतने सारे एहसानों के बावजूद अगर कोई व्यक्ति अपने पिता की तुलना मात्र पैसों से ही करने लगे तो शायद उससे बड़ा एहसान फरामोश इस संसार में दूसरा कोई और शख्स नहीं हो सकता।

बड़े-बड़े बुद्धिजीवी और आर्थिक सफलता को भोगने वाले व्यक्ति भी जब अपने पिता का नाम सुनते हैं तो उनके सम्मान में अपना सर झुका लेते हैं क्योंकि वे यह समझते हैं कि उन्हें जिंदगी में आज जो कुछ भी मुकाम, मर्तबा, रुतबा, शोहरत और सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है, उसमें उनके पिता का सबसे जबरदस्त योगदान रहा है जिनके बिना वे कामयाबी की सीढ़ी नहीं चढ़ पाते।

वास्तव में एक पिता का सम्मान उन्हीं लोगों के दिल में हो सकता है जिनकी सोच ऊंची और विचारधारा बिल्कुल अलग हो। क्या ये सफल व्यक्ति अपने पिता की तुलना या उनका सम्मान केवल पैसों की बिना पर करते हैं? नहीं!

क्योंकि उनका बचपन तो अक्सर निर्धनता में गुजरा लेकिन वे अपने पिता के कठोर परिश्रम और उनके पुरुषार्थ बलिदान को हमेशा याद रखते हैं। इसलिए कहा जाता है कि मूर्ख है वह व्यक्ति जो अपने पिता का सम्मान तभी करने को तैयार होता है जब वह उसके पास धन दौलत का अंबार देखता है और दौलत के तराजू में ही अपने पिता को तौलता रहता है।

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