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खेल खेल में पढ़ना सीखेगा बच्चा अपनाएं ये 5 तरीके

5 तरीकों से करें बच्चे की मदद

क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई करना भी सीख सकते हैं।

दरअसल ऐसे विचार बहुत कम लोगों के मन आते होंगे कि बच्चे खेल-खेल में भी पढ़ाई नहीं कर सकते लेकिन अगर ऐसा हुआ तो क्या आप जानते हैं उन्हें परिक्षा के समय तनाव का सामना भी नहीं करना पड़ेगा?

ज्यादातर लोगों का मानना यही होगा कि यदि बच्चे को खेलने में पढ़ाई करने के लिए मौके दिए जाएं तो वह सिर्फ खेलने में ही रह जाएगा।

परंतु नहीं आप ऐसे बहुत सारे तरीके अपना सकते हैं और अपने बच्चों के साथ उपयोग में भी ला सकते हैं इसके कारण आपके बच्चे खेल खेल में ही पढ़ाई में भी आनंदित महसूस करेंगे और उन्हें कभी यह एहसास भी नहीं हो पाएगा कि आपके बच्चे किस प्रकार खेलते खेलते पढ़ाई को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना चुके हैं या बना रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें आधुनिक समय में ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ यही ट्रिक अपनाते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई को बिना बोझ समझे ही आसानी से अपने जीवन में उतार सकते हैं और उन्हें किसी भी समस्या का सामना न करना पढ़ें। आइए जानते है

आखिर पढने-लिखने में बच्चों का मन क्यों नहीं लगता?

इस बात का सीधा सा उत्तर देना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि हर बच्चे की रूचि अलग अलग होती है। लेकिन सबसे सामान्य जवाब यह है कि अक्सर बच्चे पढ़ाई को एक काम की तरह समझते हैं और यह काम जब वे दैनिक रूप से करने की सोचते हैं तो उन्हें यह बहुत बोरिंग लगता है।

अब हम आपको यहां कुछ ऐसे ही कारण बताएंगे जिसके कारण आपको यह समझने में आसानी होगी कि आखिर एक बच्चे का मन पढ़ाई में क्यों नहीं लगता।

1. पढ़ाई को बोझ समझना

ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई (Study) को बोझ समझते हैं जिस कारण उनका मन पढ़ने के लिए बिल्कुल भी नहीं करता। वे लोग अन्दर से, पढ़ाई से घृणा करने लगते हैं उनका मन ठान लेता है कि उन्हें पढाई नही करनी है।

इसीलिए उनका मन हमेशा पढ़ाई से दूर रहने के लिए प्रसन्न रहता है और जब उनके सामने पढ़ाई की बात की जाती है उनका मन अचानक इतना दुखी हो जाता है कि वे लोग वहीं पर अपना दुख जाहिर कर देते हैं और उनके चेहरे पर साफ देखा जाता है कि वे लोग पढ़ाई से दुखी हैं।

इस कारण जब बच्चों का मन पढ़ाई करने से विचलित हो जाता है तो उन्हें पढ़ाई बोझ लगने लगती हैं।

2. मोबाइल फोन का प्रयोग करना

इस समय बच्चे ज्यादा मोबाइल फोन का उपयोग करके उनमें कुछ ऐसे गेम खेलने लगते हैं जिनकी उन्हें लत लग जाती हैं,उन लोगों को वह गेम ही पसंद आने लगता है और साथ ही उनका मन पढ़ाई से दूर चला जाता है।

जिस कारण वे अपना अधिक से अधिक समय उस गेम को खेलने में लगा देते हैं और पढ़ाई के लिए उनके पास बिल्कुल भी वक्त नहीं मिलता,जो वक्त मिलता है वह वक्त उनकी पढ़ाई के लिए कम पड़ जाता है इसलिए उनका मन कम समय में बड़ी-बड़ी किताबों को पढ़ने के लिए तैयार नहीं होता, वे लोग पढ़ाई करने से डर जाते हैं।

कई बार पेरेंट्स भी अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कहते हैं तो बच्चे पढ़ाई की जगह ऑनलाइन वीडियोस और गेम खेल लिया करते हैं इसी कारण वे लंबे समय तक अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते और एग्जाम के वक्त बहुत कम समय के लिए वे लोग पढ़ाई करते हैं जिस कारण उन्हें तैयारी का पूरा मौका नहीं मिलता।

3. शिक्षकों से या अनुभवी लोगों से पढ़ाई के प्रति राय न लेना

आजकल के बच्चे अपने टीचरों से कभी भी अच्छी पढ़ाई व समझदारी के लिए कोई राय नहीं लेते जिस कारण पढ़ाई के अच्छे तरीके व नियमों को नहीं अपना पाते और उन्हें पढ़ाई एक बोझ के समान लगती है l

ज्यादातर बच्चे उस वक्त किताब खोलते हैं जब उनके माता-पिता उन्हें पढ़ने के लिए डांटते हैं तो बच्चे के दिमाग में उस वक्त ऐसी हल चल चली रहती है कि यह किताब तो खोल लेता है परंतु उसे समझ कुछ भी नहीं आता।

4. पढ़ाई के लिए सही वक्त को न चुन पाना

यदि हम अपने जीवन में पढ़ाई के लिए एक सही वक्त चुने तो अवश्य ही हम पढ़ाई करने में सक्षम हो सकते हैं परंतु बच्चे पढ़ाई के लिए सही वक्त न चुन पाने के कारण अपने मन को इस प्रकार ढाल लेते हैं कि उनका मन कभी तैयार ही नहीं होता कि उन्हें पढ़ना है,पढ़कर कुछ करना है।

हर कोई बच्चा हमेशा यही सोचता है कि उन्हें पढ़ लिखकर कुछ बनना है परंतु उनके मन में यह विचार नहीं आता कि ऐसा कौन सा समय है जिस समय मुझे पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आती।

बहुत सारे बच्चे अपने जीवन में सही वक्त का निर्णय भी नहीं ले पाते, हजारों वर्षों से कहा गया है कि सुबह का समय पढ़ाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

हालांकि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में आज कहीं बच्चे मानते हैं कि रात्रि के समय जब सब सोए रहते हैं तब उन्हें शांति अनुभव होती है।

5. घर की जिम्मेदारियों को बोझ समझना

ज्यादातर बच्चे घर की जिम्मेदारियों को बोझ समझकर खुद की पढ़ाई के लिए वक्त नहीं निकाल पाते वे लोग जिम्मेदारियों में ज्यादा ध्यान देते हैं इस कारण पढ़ाई में उनका मन कभी लगता ही नहीं।

यदि आपके बच्चे भी पढ़ाई में मन नहीं लगाते तो आप इन पांच उपायों को अपनाकर अपने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर देंगे तो आइए जानते हैं आखिर ये 5 तरीके कौन से हैं।

बच्चे को खेल-खेल में पढ़ाने के 5 तरीके

1. बच्चों की आदत बना देना

यदि आप अपने बच्चों की पढ़ाई करने के लिए रोजाना कुछ आदतें बनाते हैं तो उनकी आदते उनके लिए पढ़ाई को काफी आसान बना सकती हैं।

क्योंकि आदत होती है ऐसी चीज है जिनकी लोगों को लत लग जाती है। कई बार आदतों की वजह से ही इंसान किसी अन्य जरूरी कार्य पर भी ध्यान नहीं देता वह उसी काम को पूरा करता है जिसकी उसे आदत हो।

इसलिए पढ़ाई की यह आदत बचपन से ही माता-पिता लगाएं तो बच्चे के लिए उसे अपनाना बेहद आसान हो जाएगा। हालांकि आप रोजाना तीन 4 घंटे पढ़ाई के लिए कहने की बजाय महज आधे घंटे से इसकी शुरूआत कर सकते हैं।

2. रोमांचक तरीके से पढ़ाना

रोमांच तरीके से पढ़ाने का मतलब यह है कि हमें अपने बच्चों को पढ़ाते वक्त कभी भी डराना नहीं चाहिए भले ही वह पढ़ने में कितनी ही गलती क्यों ना कर दे, हमें फिर भी हंसते-हंसते अपने बच्चों को उस सही चीज को सिखाने की प्रत्येक कोशिश करनी चाहिए।

ताकि उनके मन में थोड़ा भी भय ना रहें और वे बड़ी ही आसानी से अपने जीवन में उन चीजों को सीख पाए जिनकी जरूरत उन्हें अपने जीवन में पढ़ाई को आसान करने के लिए हो सके।

जब भी बच्चे रोमांच तरीके से किसी चीज को देखते हैं या उसका उपयोग करते हैं तो अवश्य ही उस चीज को अपनी गहराइयों से समझ पाते हैं और उनका उपयोग अपने जीवन में आसानी से कर सकते हैं।

3. पढ़ाई के बाद बच्चों को उनकी पसंद की चीज दिलाना

यदि हम अपने बच्चों को इस बात के लिए उतावला करें कि हम उन्हें पढ़ने के पश्चात उनकी पसंद की चीज दिलाएंगे या फिर कुछ खिलाएंगे तो बच्चे खुद ही इस कदर अपनी पढ़ाई करने लगते हैं जैसे कि वे कभी करने के लिए उतावले होते ही नहीं।

इसीलिए हमें अपने बच्चों को इस बात का लालच दिलाना चाहिए कि हम उन्हें उनकी पढ़ाई पूरी होने के पश्चात या कुछ नया सीखने के बाद उनकी पसंद की चीज उनके लिए लाएंगे।

इस प्रकार हमारे बच्चे हमेशा पढ़ाई को खेल-खेल में पढ़ाई करते है और उन्हें हमेशा पढ़ाई करते वक्त या उससे पहले इस बात का ध्यान आता है कि उन्हें पढ़ाई मन लगा कर करनी है तभी वे लोग अपनी पसंद की चीज को प्राप्त कर पाएंगे।

4. बच्चों के लिए अच्छे लक्ष्य बनाना

यदि हम अपने बच्चों को कुछ अच्छे लक्ष्यों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करते हैं तो वे लोग जरूरी अपनी पढ़ाई के लिए इतने रोमांचित हो जाते हैं कि उन्हें पढ़ाई कभी बोझ लगती ही नहीं।

जैसे हमें अपने बच्चों को अच्छे लक्ष्यों के साथ अच्छे मोटिवेशनल कहानियां सुनानी चाहिए कि सफल व्यक्तियों ने अपने जीवन में सारी सफलताएं प्राप्त की उन्हें कभी भी किसी बात का दुख नहीं हुआ और उन्होंने अपने सारे शौक पूरे किए।

तो इस प्रकार हमारे बच्चे अपने शौको को पूरे करने के लिए भी मन लगाकर पढ़ाई करते हैं और उस पढ़ाई को वह हमेशा खेल-खेल में ही करते-करते अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।

वहीं अगर बच्चे काफी छोटे हैं तो आप उन्हें कह सकते हैं कि यदि आप अच्छे से पढ़ाई करेंगे और अच्छे मार्क्स आएंगे तो आपको एक नई साइकिल या कोई गिफ्ट मिलेगा। जिससे बच्चे उस वस्तु को अपना लक्ष्य समझ कर भी पढ़ाई करना शुरू कर देंगे।

5. पढ़ाई करते वक्त बच्चों को उदाहरण देना

यदि हम अपने बच्चों को पढ़ाई करते वक्त बीच में कुछ रेस्ट के साथ नए-नए उदाहरण देते रहे हैं तो उन लोगों को अपनी पढ़ाई में बहुत ही रोमांच व आनंद आने लगता है।

क्योंकि अक्सर किताबों में लिखी गई कई चीजें बच्चों को सीधा समझ में नहीं आती लेकिन अगर उसी चीज को उदाहरण के साथ सहज भाषा में समझाया जाए तो बच्चों के लिए चीजें समझना आसान हो जाता है और वह बात दिमाग में लंबे समय तक बैठ जाती है।

इस प्रकार उन्हें अपनी पढ़ाई कतई भी बोझ नहीं लगती, वे लोग खेल-खेल में ही पढ़ने के लिए तैयार रहते हैं इसीलिए हमें अपने बच्चों को पढ़ाई करते वक्त कुछ अच्छे उदाहरण भी देने जरूरी है ताकि वे मन लगाकर अपनी पढ़ाई कर सकें।

तो साथियों यह सब बातें अपनाते हुए अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए तैयार करना चाहिए।

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