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अकबर-बीरबल के कुछ रोचक और मजेदार किस्से

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अकबर और बीरबल के किस्से तो आप सभी ने सुने ही होंगे, बीरबल की हाज़िरजबाबी का अकबर कायल था। अकबर कई बार बहुत ही उलटे-उलटे और अजीब से सवाल पूछ लेता था, लेकिन बीरबल अपनी बुद्दिमता से सबके जबाब दे देता था।

बीरबल के पास हर किसी सवाल का जबाब था

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अकबर विनोदप्रिय था और उसके दरबार में हंसी-मजाक चलता रहता था, अकबर जैसे सवाल पूछता था उसे उसी ढ़ंग में बीरबल जबाब दे देता था, ऐसी ही कुछ रोचक अकबर-बीरबल से जुडी सवालो वाली कहानियां मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आपके पसंद आएगी।

अकबर के चार सवाल

एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में कहा कि क्या कोई मेरे चार सवाल के जबाब देने में सक्षम हैं?
मेरे सवाल हैं –

  1. जो यहां हो, वहां नहीं।
  2. जो वहां हो, यहां नहीं।
  3. जो यहां भी नहीं, वहां भी नहीं।
  4. और जो यहां भी हैं, वहां भी हैं।

इन सभी बातों में छिपे भेद को बताओ?

सभी दरबारी एक दुसरे का मुहं देखने लगे तभी बीरबल ने कहा, हुजुर कल तक का समय दें, “मैं आपके चारो सवालो का प्रमाण के साथ जबाब दूंगा“।

बादशाह अकबर ने सहमति दे दी। अगले दिन बीरबल दरबार में वेश्या, साधु, भिखारी और सेठ को लेकर उपस्थित हुआ और बादशाह से कहा- यह हैं आपके चारो सवालों का जबाब…

यह वेश्या हैं जो यहाँ सुखी हैं, दौलत की इसके पास कोई कमी नहीं हैं किन्तु पापी जीवन के कारण नरक भोगेगी अतः यह वहां सुखी नहीं हैं यानि यहाँ हैं वहां नहीं।

यह साधु हैं हुजुर, जो कठिन साधना कर रहा हैं अथार्थ यह साधु वहां तो हैं किन्तु यहाँ नहीं हैं।

अब इस भिखारी की बात करते हैं, यह भिखारी भीख मांग कर अपना जीवन-व्यापन करता हैं, न यह मेहनत मजदूरी करता हैं और न ही भगवान का नाम लेता हैं। न यह यहाँ सुखी हैं और न ही वहां सुखी रहेगा, इसलिए न यहाँ हैं और न ही वहां हैं।

और हुजुर यह हैं सेठ, खूब धन दौलत कमाता हैं, साथ ही जन-कल्याण के कार्य भी करता हैं। दया धर्म की भावना इसमें कूट-कूट कर भरी हुई हैं। यह सेठ यहाँ भी सुखी हैं और यक़ीनन स्वर्ग प्राप्त करके वहां भी सुखी रहेगा अथार्थ यहाँ भी हैं और वहां भी।

बीरबल ने अपनी बात पूरी की, तो बादशाह अकबर ने बीरबर की तारीफों के पुल बांध दियें।

 

जल्दी बुलाकर लाओ

सुबह का समय था अकबर ने अपने सेवक को आवाज लगाई और कहा –
जाओ जल्दी बुलाकर लाओ

सेवक आज्ञा पाकर चल तो दिया परन्तु अचानक उसे याद आया कि बुलाना किसको हैं, यह तो उसने पूछा ही नहीं और न ही बादशाह ने किसी का नाम लिया था परन्तु अब काफी देर हो चुकी थी और इतनी हिम्मत भी न थी कि बादशाह से यह पूछ सके कि बुलाना किसको हैं। अब करें तो क्या करें, आज्ञा का पालन करना हैं लेकिन आज्ञा क्या हैं यह मालूम नहीं। तभी उसको याद आया कि बीरबल ही इस असमंजस से बाहर निकाल सकता हैं।

वह सेवक बीरबल के पास गया और सारी बात बताई और कहा अब आप ही बताइए मैं किसे बुलाऊ?

बीरबल ने पूछा -” जहाँपनाह उस समय क्या कर रहें थे”

“हुजुर, जहाँपनाह उस समय नहाने की तैयारी कर रहे थे”- सेवक ने जबाब दिया।

“ठीक हैं तो नाई को जहाँपनाह के पास भेज दो” – बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा।

सेवक ने वैसा ही किया और अकबर के पास नाई को भेज दिया।

अकबर बहुत खुश हुआ और सेवक से पूछा तुमको कैसे पता चला कि मुझे नाई की जरुरत थी तुम तो मुझसे पूछ कर भी नहीं गए थे। सेवक ने बता दिया कि उसने बीरबल की मदद ली थी। बीरबल की चतुराई पर अकबर मुस्करा दियें।

दोस्तों, आशा हैं आपको ये मज़ेदार कहानी काफी पसंद आई होगी।

Note: सावधानी बरतने के बावजूद यदि ऊपर दिए गए किसी भी वाक्य में आपको कोई त्रुटि मिले तो कृपया क्षमा करें और comments के माध्यम से अवगत कराएं।

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