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एक महान दार्शनिक प्लेटो का जीवन परिचय

Plato Philosopher Biography in Hindi

प्लेटो एक महान दार्शनिक थे उनके बारे में हर व्यक्ति जानता है। महान यूनानी दार्शनिक प्लेटो सुकरात के शिष्य और अरस्तु के गुरु थे। प्लेटो सहित उनके गुरु और शिष्य ने मिलकर यूनानी दर्शन को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाया है। प्लेटो को अफ़लातून के नाम से भी जाना जाता है।

सुव्यवस्थित धर्म की स्थापना करने वाले प्लेटो ही थे। प्लेटो ने अपने जीवनकाल में कई सारे ऐसे तथ्य और विचार रखें जिससे लोगों का नजरिया बदला। इस महान दार्शनिक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए उनकी जीवनी को पूरा पढ़ें।

प्लेटो की जीवनी

ग्रीस के एथेंस शहर में पैदा हुए प्लेटो का नाम सुनते ही हमारे सामने एक ऐसे व्यक्ति की छवि आ जाती है, जो ज्ञान से भरा हुआ है। प्लेटो एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने इस दुनिया को बिल्कुल नए और बेहद अद्भुत विचार दिए थे, जिन्हें आज तक परिभाषित किया जा रहा है।

प्लेटो ने मॉडर्न वर्ल्ड को ऐसा बहुत कुछ दिया जो विचार और दर्शन की फील्ड में एक नए आयाम को उत्पन्न करता है। दुनिया को समझने का नया नजरिया देने का काम प्लेटो ने ही किया था, जिस पर चलकर के दुनिया ने आधुनिकता के नए दौर में एंट्री की।

प्लेटो का व्यक्तिगत परिचय

पूरा नाम प्लेटो
जन्म 428/429 या 423/424 ईसा पूर्व
जन्म स्थान एथेंस, ग्रीस
उल्लेखनीय कार्य द रिपब्लिक, एपोलॉजी, फेदो, गणराज्य, तिमाइअस
निधन 348/347 ईसा पूर्व
मृत्यु स्थान एथेंस, ग्रीस

प्लेटो का प्रारंभिक जीवन

429 ईसा पूर्व में 31 मई को ग्रीस के महान दार्शनिक प्लेटो का जन्म ग्रीस देश के एथेंस शहर में हुआ होगा, क्योंकि प्लेटो की जन्म डेट के बारे में कोई भी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। प्लेटो के पिता का नाम अरिस्टन था, जो कि ग्रीस देश के राजघराने से संबंध रखते थे, वहीं इनकी माता का नाम पिरिकश्योनी था।

प्लेटो की माताजी का संबंध ग्रीस देश के मुख्य साहित्यकार सोलन और उनकी फैमिली से था। आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि प्लेटो की फैमिली भी ग्रीस की एक समृद्ध फैमिली मानी जाती थी।

प्लेटो का जन्म जिस खानदान में हुआ था वह अमीर था, इसीलिए इनका पालन-पोषण बड़े ही प्यार से किया गया और इन्हें किसी भी प्रकार की तकलीफ बचपन में इनके माता-पिता ने नहीं होने दी।

प्लेटो शारीरिक तौर पर बहुत ही सुंदर थे और यह अच्छी पर्सनालिटी के मालिक भी थे। उन्हें बचपन से ही साहित्य को पढ़ने में बहुत ही ज्यादा इंटरेस्ट था। जिस समय प्लेटो का जन्म हुआ था, उस टाइम को ग्रीस का स्वर्ण काल कहा जाता है, क्योंकि प्लेटों के जन्म के समय में ग्रीस में साहित्य और कला का डेवलपमेंट काफी तेजी से हो रहा था।

प्लेटो के काल के दरमियान ग्रीस में कई महान साहित्य की रचना हुई थी और दुनिया भर से तमाम साहित्यकार हर साल ग्रीस में साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के लिए भी आते थे।

प्लेटो का सोक्रेटस से परिचय

प्लेटो के गुरु का नाम सोक्रेटस था। प्लेटो की जिंदगी पर अत्यधिक गहरा प्रभाव जिस व्यक्ति का पडा था, वह प्लेटो के गुरु सोक्रेटस ही थे।

उन्होंने प्लेटो को जो रास्ता दिखाया था, उसी रास्ते पर चलकर के प्लेटो ने विद्या हासिल की और उसी विद्या के बल पर पर प्लेटो ने उस दर्शन को पैदा किया, जिसे आज तक परिभाषित किया जा रहा है।

जिंदगी के शुरुआती दिनों में प्लेटो का परिचय सोक्रेटस से हुआ था इसलिए आगे चलकर के सोक्रेटस को ही प्लेटो ने अपना गुरु मान लिया।

जिसके कारण धीरे-धीरे प्लेटो की जिंदगी में काफी ज्यादा बदलाव आने लगा और प्लेटो की जिंदगी एक दिन पूरी तरह से चेंज हो गई।सोक्रेटस के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर ही प्लेटो के महान दार्शनिक बनने की यात्रा प्रारंभ हुई।

अपने गुरु सोक्रेटस के प्रति प्लेटो की श्रद्धा कितनी ज्यादा थी, इस बात की जानकारी प्लेटों के द्वारा दिए गए कथन के द्वारा होती है, जो इस प्रकार था।

“ईश्वर का धन्यवाद है कि मेरा जन्म एक ग्रीक के रूप में हुआ, बर्बर के रूप में नही, मुक्त पुरूष के रूप में, क्रीत दास के रूप में नहीं, पुरूष के रूप में, स्त्री के रूप में नही, किन्तु सब से बढ़ कर धन्यवाद इस लिए कि मेरा जन्म साक्रेटिस के युग में हुआ है।”

प्लेटो पर सोक्रेटस का प्रभाव

जब प्लेटों 28 साल की उम्र के पास पहुंचे तो 28 साल की उम्र में ही प्लेटो के गुरु सोक्रेटस का निधन हो गया। गुरु के निधन हो जाने के कारण प्लेटों पर उनकी मौत का काफी गहरा इफेक्ट पड़ा और अज्ञात कारणों से प्लेटो के मन में गणतंत्र तथा सामान्य लोगों के खिलाफ बहुत ही ज्यादा घृणा और अश्रद्धा पैदा हो गई, जिसके बाद प्लेटो ने मन ही मन यह डिसीजन लिया कि वह गणतंत्र का नाश करके उसकी जगह पर ज्ञानी और श्रेष्ठ लोगों का पता लगाएंगे।

अपने गुरु की जान की रक्षा करने के लिए प्लेटो ने जो प्रयास किए थे, उसके कारण ग्रीस के जो पॉलिटिकल नेता थे, उन्हें प्लेटो के ऊपर शक हो गया था। इस बात की जानकारी प्लेटो के दोस्तों ने प्लेटो को दी और उन्होंने प्लेटो से यह आग्रह किया कि एथेंस शहर में रहना उसके लिए ठीक नहीं है, इसलिए उसे एथेंस शहर को छोड़ देना चाहिए, जिसके बाद प्लेटो ने अपने दोस्तों की बात को मान लिया और ईसा पूर्व 399 में प्लेटो ने एथेंस शहर को छोड़ दिया।

प्लेटो की यात्रायें

जब प्लेटो ने एथेंस शहर छोड़ा, तब उसके बाद वह सबसे पहले मिस्र पहुंचा। जिस समय प्लेटो ने मिस्र में अपने कदम रखे, उस समय मिस्र को बहुत ही सभ्यता वाला और प्रगतिशील देश समझा जाता था, क्योंकि उस टाइम पुरोहित वर्ग के हाथों में मिस्र देश के शासन की कमान थी।

मिस्त्र के बाद प्लेटो सिसली गए और उसके बाद उन्होंने इटली में अपने कदम रखें, जहां पर उन्होंने कुछ टाइम के लिए पाइथागोरस के द्वारा बनाए गए एक संप्रदाय को ज्वाइन कर लिया। इस संप्रदाय में शामिल होने के बाद प्लेटो कि इस अवधारणा को और भी ज्यादा बल मिला, जिसमें वह यह मानते थे कि समाज में बुद्धिमान लोगों का भी एक ऐसा वर्ग होना चाहिए, जो सादा जीवन जीते हो और जिनके विचार काफी उच्च हो, साथ ही वह अन्य लोगों को भी सादा जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकें।

प्लेटो ने लगातार 12 सालों तक विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया और इस दरमियान उन्हें जिस जगह पर जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ था, वह उसे ग्रहण करता था। प्लेटो हर जगह पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही जाता था और ज्ञान प्राप्त करता था।

ऐसा भी कहा जाता है कि आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्लेटो इंडिया भी आया था, जहां पर उसने गंगा के किनारे रहने वाले साधुओं के साथ रहकर साधना भी पूरी की थी।

प्लेटो का साहित्य सृजन

विभिन्न देशों का भ्रमण करने के बाद ईसा पूर्व 387 में प्लेटो वापस एथेंस शहर में लौट आए। इस टाइम तक उनकी कुल उम्र 40 साल तक हो चुकी थी।

दुनिया के विभिन्न देशों में घूमने के कारण और अलग-अलग जातियों के सम्पर्क में आने के कारण प्लेटों के ज्ञान में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी थी और इस प्रकार वह एक कवि और दार्शनिक बन चुके थे।

जिस प्रकार प्लेटो ने दर्शन के गुप्त तत्व की व्याख्या की, इस प्रकार शायद ही पहले किसी ने की होगी और यही कारण है कि प्लेटो ने जो भी लेख लिखे थे, उन्हें सामान्य इंसान आसानी से नहीं समझ पाता था।

प्लेटो ने अपने लेख में काव्य, विज्ञान, दर्शन और कला को इस प्रकार से मिक्स किया कि यह कहना ही कठिन हो जाता था कि लेखक कविता की शैली में बोल रहे हैं या फिर लेख की शैली में बोल रहे हैं।

प्लेटो के द्वारा लिखा गया सबसे सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ “द रिपब्लिक” है, जिसे आज भी कई लोग समझ ही नहीं पाते हैं। प्लेटो के द्वारा लिखी गई पुस्तक में धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान, राजनीति, शिक्षण शास्त्र, कला सब कुछ सम्मिलित था।

इस प्रकार इसे एक संपूर्ण पुस्तक भी कह सकते हैं। इतना ही नहीं इस किताब के अंदर साम्यवाद, समाजवाद, नारियों के अधिकार, संतति निरोध जैसे सब्जेक्ट भी शामिल है।

कई लोग तो ऐसे हैं जिन्हें यह पता ही नहीं है कि यह सब होता क्या है, इसलिए प्लेटो के द्वारा लिखी गई किताबों को वही पढ सकता है, जो ज्ञानी हो।

प्लेटो की मृत्यु

प्लेटो की मौत को लेकर के कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ संदर्भों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि प्लेटो की मृत्यु 81 साल की उम्र में उसी दिन हुई थी, जिस दिन प्लेटो का जन्म इस धरती पर हुआ था, वहीं कुछ संदर्भों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि प्लेटो की मृत्यु तब हुई जब उनकी उम्र 82 साल या फिर 84 साल हुई होगी।

इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि प्लेटो जब एक शादी में दावत खाने के लिए गए थे तब उनकी मृत्यु हुई थी, वहीं जब एक लड़की बांसुरी बजा रही थी, तब बांसुरी की धुन को सुनते हुए प्लेटो ने इस धरती पर आखिरी सांसे ली थी।

प्लेटो की मृत्यु का कारण जो भी हो परंतु यह बात तो तय है कि प्लेटो ने काफी लंबा जीवन जिया था और अपने देश यूनान की सेवा की थी।

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