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Hindi Moral Story इस बार बड़ी तेज सर्दी पड़ने वाली हैं

शिक्षाप्रद कहानी (moral story in hindi), हिंदी कहानियाँ, Best Hindi Stories With Moral

एक गांव की बात हैं, गांव वालो ने अपना मुखिया, एक विदेश से पढ़े हुए नौजवान “महेन्द्र सिंह” को बना दिया, ताकि गांव में वह विकास की रफ़्तार तेज कर सके।

महेन्द्र भी अपने पुरे लगन, जोश और ज्ञान से लोगो की हर संभव मदद करता और गांव में कैसे विकास हो सकता हैं, उस बारें में लोगो को समझाता और लोग भी उसका साथ देते। बहुत कम समय में ही महेन्द्र ने गांव में काफी विकास करवा दिया, अब तो ऐसा हो गया कि लोगो सभी बातें महेन्द्र से पूछ-पूछ कर करते।

सर्दी का मौसम आने वाला था, गावं वाले सोचने लगे कि “कैसी सर्दी पड़ेगी इस बार? इतने में, एक ने कहाँ क्यों न मुखिया जी से पूछ लिया जाए?

वो सब मिलकर मुखिया जी, महेन्द्र सिंह के पास पहुचे और पुछा “इस बार ठण्ड कैसी पड़ेगी, जरा बताओ, ताकि हम उस हिसाब से जलाने के लिए लकड़ियाँ एकत्रित कर सके।

जब जैसा कि महेन्द्र विदेश में ही पढ़ा था और वही काफी दिनों नौकरी करके वापस आया था और नई पीढ़ी का भी था इसलिए उसे मौसम के पारंपरिक तरीके से पूर्ण अनजान था।

परन्तु वह मुखिया था और उसे अपने अज्ञानता जाहिर करने में बड़ी शर्म आई, कि इनको मना कैसे करूँ? इसी कशमकश में उसने एक पल के लिए सोचा और कह दिया, “इस बार ठण्ड पड़ेगी।”

गांव वाले महेन्द्र की बात बहुत मानते थे और जैसा कि गांव की तरक्की में महेन्द्र का बड़ा हाथ था, तो विश्वास न करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।

महेन्द्र की बात मानकर गांव वालो ने लकड़ियाँ जुटानी शुरू कर दी

इससे महेन्द्र को यह सब देख कर आत्मग्लानी होने लगी, वह सोचने लगा कि कहीं उसकी बात से गांव वाले परेशान तो नहीं हो जायेंगे, वह यही सोचने लगा कि कैसे भी करके मुझे सही जानकारी तो जुटानी ही पड़ेगी। इसलिए वह गांव के समीप शहर स्थित मौसम विभाग के दफ्तर पंहुचा और पुछा, “साहब, इस बार सर्दी के बारें में क्या पुर्वमानुमान हैं, मुझे बताइये”

मौसम विभाग के अफसर ने कहा, “अच्छी सर्दी पड़ने की संभावना हैं।”

मुखिया के सांस में सांस आई चलो अच्छा हैं, गलती से कहीं हुई बात ही सही हो गई, “उसने भगवान को धन्यवाद कहा और अपने गांव चल दिया

रास्ते में उसे अपने गांव के कुछ लोग मिले, तो उसने गांव वालो को फिर वही बात बता दी, तब वे और तेजी से लकड़ी इकठ्ठा करने लगे।
लेकिन जैसा कि सर्दी शुरू होने वाली थी, मुखिया ने सोचा, क्यों न एक बार और पूर्वानुमान की पुष्टि कर ली जाएँ।

उसने शहर जाकर एक बार फिर मौसम विभाग के कर्मचारी से पूछा, “इस बार सर्दी का मौसम कैसा रहेगा?”
कर्मचारी ने उत्तर दिया – “इस बार बड़ी तेज सर्दी पड़ने वाली हैं।”

मुखिया ने आसपास के वातावरण और आसमान की और देखते हुआ कहा जैसा कि आप भी जानते हैं कि सर्दी अभी शुरू हो जानी चाहिए थी, परन्तु अभी तक शुरू भी नहीं हुई हैं और अभी ठण्ड पड़ने के आसार तक दिखाई नहीं दे रहे हैं।
फिर भी आप कैसे बोल रहे हो कि इस बार बहुत भयंकर सर्दी पड़ने वाली हैं, आखिर आपको ऐसा क्यों लगता हैं?

मौसम विभाग के अफसर की बड़ा ही संजीदा जबाब दिया,

यह मेरी कल्पना हैं, हम लगातार देख रहे हैं कि इस बार आपके गांव में रहने वाले लोग पागलो की तरह से लकड़ियों को इकठ्ठा कर रहे हैं

महेन्द्र आश्चर्य से उसकी ओर देखता ही रह गया।

Moral of the Story : इसलिए दोस्तों गलत कल्पना मत कीजिए और ऐसे में जब काफी लोग आप पर निर्भर करते हैं ऐसे में तो कतई नहीं, क्या पता आपके एक फैसले से लोग कितने परेशान होंगे।

कल्पना करना अच्छा हैं और बिना कल्पना किये सफलता को प्राप्त करना तो दूर उसके बारें में सोचा तक नहीं जा सकता परन्तु यदि कोई समूह, आपके कल्पना पर कार्य करे तो कृपया उस कल्पना को अच्छी तरह से जान ले और उसके लाभ और हानि के बारें में भी अच्छी तरह से विचार कर ले।


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