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प्रेम पर कुछ कविताएँ | Love Poetry In Hindi

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जब ये आंखें किसी अनजान से
पहली दफा टकराई थी

कुछ मौसम ने छेड़ा था
कुछ धरती ने ली अंगड़ाई थी।

मेरी उससे पहली मुलाकात
मिनटों की थी
पर मुझे ऐसा लगा जैसे
मैं उसे बरसों से जानती हो
मुझे कुछ भी पसंद नहीं था
जो जैसा था
मैं उसी में खुश रह लेती थी,
लेकिन उस बन्दे ने तो जीने का नया अंदाज दे दिया
वो अक्सर कहता
इस कलर का ड्रेस तुझ पे सूट करता है
तुम्हारे कानों में झुमके अच्छे नहीं लगते
तुम गोलगप्पा मत खाया करो
और चश्मा क्यों पहनती हो,
इसे निकाल दो ना
तुम बिना चश्मे में और खूबसूरत लगती हो।

मैं मान गई उसकी
बातें
और रहने लगी
उसके पसंद मुताबिक

माना, वो मुझसे दूर है,
तो क्या
आज भी मेरे जेहन में
ख्याल उसका है
अक्सर तन्हाई में उसकी
यादें काट खाने को दौड़ती है

ये उसकी प्यार की गहराई
का ही असर है
जो आज तक उसके सिवा
किसी और को दिल के आस पास फटकने ना दिया
कईयों ने कोशिश की
इस दिल पे काबिज होने की
मगर मैंने जिसपर उसका हक है
वो हक आज-तक किसी को ना दिया।

एक बार धरती घूमना भूल सकती है,
लेकिन एक दिन भी मैं उसे याद ना करूं
ये मुमकिन नहीं।

~ राजकुमार यादव

Pyar Bhari Kavita

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अच्छा एक बात कहूं
तुम इतनी प्यारी हो कि

जी करता है कि तुझे ही हमेशा निहारता रहूं
तुम्हारे बालों को
ऐसे ही सुलझाता रहूं

तुमसे बात कर के मेरा दिन शुरू होता है
तुम से बात कर के ही दिन ख़तम होता है।
ख्याल तुम्हारे हमेशा साथ रहता है
एहसास तुम्हारा हमेशा पास रहता है।

तुमको मैं तुझसे
यूं चुरा लूं
तुम खुद में खुद को ढूंढ़ती रह जाओ
और खुद मेरे एहसास में खो जाओ

तुमको मैं ऐसे
छेड़ू कि तुम
गुस्सा हो कर भी मेरे गले से लग जाओ
और प्यार से मेरे गाल पे थप्पड़ लगा दो

सच्ची!
तुम्हारी आंखें इतनी शरारती है कि
मेरी ओर देखती भी नहीं और घायल कर जाती है
आंखों से जादू कर के मुझे पागल कर जाती है।

ए सुन ना
जब तुमसे दिल की बातें करता हूं
दिल मेरा बाग बाग हो जाता है
मन तितलियों की तरह हवा में
पंख फैलाए उड़ने लगता है।

~ राजकुमार यादव

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