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“Think like a Monk” Summary in Hindi

Book Summary Of Think Like A Monk in Hindi

अगर आप अपना जीवन शांति पूर्वक जीना चाहते हैं, नेगेटिव विचारों और आदतों से छुटकारा पाना चाहते हैं पर अगर समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर आपके जीवन का लक्ष्य क्या है?

आप अपने जीवन के उद्देश्य को जानना चाहते हो, जीवन में अनेक परेशानियांँ आ रही हैं, जीवन को सुखी और Meaningful बनाना चाहते हो, अर्थात अपने जीवन की परेशानियों का समाधान चाहते हो तो इस बुक समरी को ज़रूर पढ़ें। तो Think like a monk नामक इस किताब की महत्वपूर्ण बातों को समरी के रूप में कई Steps, Points और Methods के द्वारा समझाया गया है।

“Think like a Monk” के लेखक जय शेट्टी ने अपने जीवन अनुभव से प्राप्त ज्ञान को इस किताब में मार्गदर्शन के रूप में लिखा है, जो मनुष्य को एक सफल और खुशहाल जीवन बनाने में सहायक हैं।

इस किताब में लेखक ने जीवन से जुड़ी बातों को अनेक रुप से समझाया है और कहा है कि सोच सन्यासी की तरह होनी चाहिए जिसके लिए यह ज़रूरी नहीं कि सन्यासी बना जाए, बस सन्यासी की तरह सोच कर सारी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

एक सन्यासी की सोच क्या होती है?

सन्यासी के हिसाब से इन बातों को समझा जा सकता है।

समस्या की जड़ पर फोकस करना चाहिए, जागरूक और सचेत रहना चाहिए, दूसरों की देखभाल करने वाली सोच होनी चाहिए, दयालु होना चाहिए, सहायता करने वाला बनना चाहिए, एक सन्यासी अनुशासन में रहता है उसकी सोच उत्साह से भरी होती है, वह दृढ़ संकल्प वाला होता है, लक्ष्य के प्रति धैर्य रखने वाला, अपने मिशन की सफलता पर दृष्टि रखने वाला संयमी होता है, सन्यासी की सोच खुद को नेगेटिव विचारों से दूर रखती है, आत्म नियंत्रण में महारत हासिल करते हैं ताकि वह सही निर्णय कर सके और अपनी परेशानी का सही समाधान ढूंँढ़ सकें।

इस किताब की बातों को तीन पॉइंट्स में बाँटा गया है जो जीवन के लिए बहुत यूज़फुल हैं।

Part One (Let Go)

Identity

हमारी पहचान क्या है जो हम सोचते हैं वह हम हैं? हम जिंदगी में क्या करना चाहते हैं? क्या हम अपनी वास्तविक पहचान जान पाते हैं? इस पार्ट में Self identity के बारे में बताया गया है।

क्या आप नौकरी से जुड़ी परेशानी से घिरे हैं? क्या आपको टेंशन ने घेरा हुआ है?
क्या आप अपने काम में असफल हैं?

जब हम छोटे थे तो ना तो कोई चिंता, परेशानी, टेंशन, डिप्रेशन था बस स्वच्छंद पंछी की तरह जीते थे, खुश रहते थे, खेलते कूदते एनर्जेटिक रहते थे। लेकिन जैसे जैसे बड़े होते गए स्थिति बदलने लगी, धूल भरी तस्वीरें सामने आने लगी। हम एंबिशियस होते गए, सोसाइटी में रहते हुए नेगेटिव सोच से घिर गए, बड़ी बड़ी आशाएंँ होने लगी, पैसे की चिंता सताने लगी, अपने अपीयरेंस के बारे में ज्यादा सोचने लगे।

यह सब चिंताएँ एक धूल की तरह है जो हमारे सामने जमती जाती हैं। पैसे, अपीयरेंस से खुशी नहीं मिलती। एक अमीर आदमी अगर रोगी है, उसका कोई परिवार नहीं है तो क्या वह खुश रह पाएगा, वहीं अगर एक गरीब व्यक्ति अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताता है, बीमार नहीं है वह अमीर व्यक्ति से ज्यादा खुश होगा।

लोग क्या कहेंगे अगर बिज़नेस असफल हो गया, नौकरी नहीं मिली इन सब का डर मन के मैल की तरह है जिसे साफ करना ज़रूरी है। जिस प्रकार आईने में धूल जमी हो तो चेहरा साफ नहीं दिखता उसी प्रकार अपनी इस धूल को हटाकर ही अपनी आइडेंटिटी जान पायेगें।

अपनी पहचान हो जाने पर कुछ चीजों को छोड़ना ही सुखी जीवन के लिए बेहतर है और कुछ चीजों को अपनाना अच्छा होता है। Higher values को अपनाना एक उद्देश्य और मीनिंगफुल लाइफ देते हैं वहीं लोअर वैल्यूज़ डिप्रेशन, Anxiety, Sadness देते हैं।

Lower Values

कुछ लोग सोचते हैं कि पैसे, बाहरी दिखावे, लोअर वैल्यूज़ जैसे लालच, जलन की भावना, Temper, कामुकता से खुशी पा लेंगे तो ये उनकी गलत सोच है।

लोग कितने घोटाले करते हैं, ज्यादा से ज्यादा पैसे बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन असलियत सामने आने पर बदनामी का सामना करना पड़ता है, पैसे भी डूब जाते हैं इसलिए लालच से दूर रहें।

दूसरों की तरक्की या किसी बात से जले नहीं वरना बीपी, हाई टेंशन, डिप्रेशन जैसी बीमारियों से घिर जाते हैं दूसरों की तरक्की या किसी अच्छी बात से प्रेरणा लें।

क्रोध हर परेशानी की जड़ है। लड़ झगड़ कर जीवन परेशान ही रहता है। भाई भाई एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। क्रोध से रिश्ते टूट जाते हैं, लड़ाई झगड़े कभी खुशी नहीं दे सकते।

काम की भावना से लोगों को खुद से दूर रखना चाहिए जिसकी वजह से नौकरी हो या बाहरी दुनिया सेक्सुअल हैरेसमेंट के कितने Cases आते हैं, यह चीजें इंसान का जीवन खराब कर देती हैं। अतः इसके बजाय व्यक्ति को अपना मन Spirituality में लगाना चाहिए।

एक सन्यासी की सोच मन को शांत करना सिखाती है। Lower values को छोड़ Higher values जैसे संतुष्टि, दयालुता को अपनाना सिखाती है इसलिए जीवन में Higher values अपनाऐं।

सन्यासी डर पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। इस संदर्भ में लेखक लिखते हैं कि डर को जीवन पर हावी नहीं होने दो।

Fear

लेखक लिखते हैं कि इंसान के मन में डर रहता है कि नौकरी चली जाएगी, बिज़नेस डूब जाएगा, रिश्तों में दरार पड़ जाएगी, एग्जाम में फेल हो जाएँगें। इन सब का कारण है Attachment है ये नहीं रहेगा तो डर नहीं रहेगा।

हर चीज़ से Detachment इंसान को निडर बनाते हैं। फिर न पैसे की चिंता, न जॉब की परेशानी, न एग्जाम का डर, न रिलेशन में असफलता का डर सताता है। एक सन्यासी की सोच मन को शांत, संतुष्ट रखती है जिससे वे निरोगी रहते हैं और लंबी आयु जीते हैं।

इसलिए अपने मन से डर को निकाल दें। जो भी होगा अच्छा ही होगा। मोह को छोड़ दें और सिर्फ अपना कर्म करें।

नेगेटिव विचारों को छोड़ दें!
Remove negativity

जहाँ देखो हर तरफ टीवी, सोशल मीडिया, फिल्में छाई हुई हैं और नेगेटिव विचार भी लोगों में बढ़ते जा रहे हैं। लोगों को गुस्सा जल्दी आता है और Rude behave करना, ज़ोर से बोलना आम हो गया है यह भी नेगेटिव हैं इससे दूर रहें।

‘Surrounds effects more’ जो आसपास होगा असर ज़रूर करेगा। जो जैसा करेगा वह वैसा भरेगा। Let go का मूल रूप यही है कि नेगेटिविटी को हमेशा के लिए खुद से दूर करें।

Self criticize या दूसरों को Criticize करना छोड़े। Negativity को दूर करने के लिए लेखक ने तीन Steps को महत्त्वपूर्ण बताया है

1) Sight

हमारे जीवन में सेंस ऑर्गन बहुत प्रभाव डालते हैं। हम क्या सोचते हैं, क्या देखते हैं, क्या महसूस करते हैं जैसे सुबह उठते ही टीवी, फेसबुक, Whatsapp देखना एक प्रकार की Negativity है, इसकी बजाए सुबह फूलों को देखें, उगते सूरज को निहारे, ईश्वर का नाम लें, अपने परिवार की प्यारी तस्वीरें, भगवान की फोटो को देखें और Positive महसूस करें।

2) Smell

जीवन में Smell का भी महत्वपूर्ण Role है। अच्छी खुशबू दिन तरोताज़ा कर देती है जैसे खुशबूदार फूलों की महक। अपना गार्डन बनाएंँ, घर का माहौल खुशबूदार रखें। बुरी Smell बीमार कर देती है। मन खराब महसूस करता है।

3) Sound

Sound का असर भी लोगों के जीवन को खुशहाल कर देता है। बच्चों की किलकारी हो या अपना मनपसंद संगीत मन प्रफुल्लित कर देते हैं। अच्छे संगीत को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें। माइंड को Peaceful बनाने के लिए Music बहुत अच्छी Therapy है।

नेगेटिव विचारों को हटाने के लिए इस बुक में लेखक ने तीन तरीके बतायें हैं Spot, Stop, Swap

हमारा दिमाग कुछ न कुछ सोचता रहता है अगर बार-बार दिमाग में एक ही विचार आयें, ज्यादा सोचने की आदत हो तो इन 3 स्टेप्स को अपनाना चाहिए।

1. Spot
Negativity को find करें।

दिमाग में कौन से नेगेटिव विचार आ रहें हैं उनकी पहचान करें।

2. Stop
नेगेटिव विचार की पहचान कर जड़ से खत्म करने की कोशिश करें और उस नेगेटिव विचार को ज्यादा बार मत सोचें, समस्या का समाधान करें।

3. Swap
नेगेटिव विचार को पॉजिटिव विचार में बदल दें। अतः नेगेटिव विचार को बदलने के लिए अच्छी पॉजिटिव हेल्प बुक पढ़े और पॉजिटिव फील करें।

जो हम चाहते हैं ज़रूरी नहीं हमें सब मिले, बहुत बार कितनी गलतियाँ होती हैं, दुनिया हमारे हिसाब से नहीं चलेगी। एक इंसान से गलती भी होगी, सुधार भी करेंगें, खुद को माफ करें और खुद से प्यार करें, अपने लिए दयालु बने, अच्छी अच्छी पुस्तके पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाएँ।

Part 2

Grow

किताब के इस पार्ट में नेगेटिविटी को दूर कर Self mentality और Spiritual growth को बढ़ाने के तरीके बताए गए हैं

1) Align with your passion
इंसान को वो चीज़े करनी चाहिए जिससे उसे खुशी मिले। आप खुद क्या चाहते हैं, और क्या सही है वह करें। दूसरों को देखने के बजाय खुद हम क्या करें जिससे खुशी मिले वह करें। कई पेरेंट्स अपने बच्चों की इच्छा के विरूद्ध सब्जेक्ट लेने को बोलते हैं जिसमें बच्चों को इंटरेस्ट नहीं होता जिससे बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है या चिड़चिड़ा हो जाता है।

बच्चों के Interest, Strength और काबिलियत देखकर ही बच्चे के लिए सब्जेक्ट Choose करना सही रहता है।

इसी तरह काम भी वही करें चाहे नौकरी हो या बिज़नेस जिससे खुशी मिले, Passion को Importance दें। पैसे कम – ज्यादा से Important है काम।

2) Good Intension
कोई भी काम करें तो वह अच्छी नियत के साथ करें। किसी के बारे में गलत करने की ना सोचें, किसी की हेल्प करें। बिना यह सोचे कि बदले में कुछ मिलेगा, हेल्प साफ दिल से करें, अच्छी नियत से करें, पुण्य मिलता है।

3) Routine power
जीवन में एक Routine तय करें और उसका उचित पालन करें, चाहे सुबह जल्दी उठना हो, एक्सरसाइज करना हो तो रोज़ टाइम से करें।

टाइम से खाना, पीना, लिखना, पढ़ना हो तो प्रॉपर फॉलो करें बदले नहीं। सन्यासी भी रूटीन फॉलो करते हैं Proper time से मेडिटेशन करते हैं इसलिए उनका जीवन खुशहाल होता है, मन शांत, संतुष्ट और खुश रहता है, दुखी नहीं होते खुश रहते हैं।

4) Plan day properly
काम करने से पहले Plan करें जिससे कंफ्यूज़न नहीं होगी, किसी भी जगह नोट कर लें जिससे आपको याद रहे। दिमाग में इतने विचार आते हैं कि कंफ्यूज़न हो जाती है। Proper planning और टाइम से काम करने पर मन अच्छा महसूस करेगा।

5) Unite with Time & Life
कुछ लोग सोचते हैं कि समय आने पर करेंगें जबकि ज़रूरी नहीं सबकुछ समय के अनुसार हो। एक सन्यासी जो सोचते हैं करते है खुश रहना है तो खुश रहते हैं खुशी के लिए गाड़ी बंगले आदि चीज़ों का इंतज़ार नहीं करते।

जीवन अच्छे से, खुशी से जियें बाकी चीज़ें वक्त के साथ हो जायेगी।

6) Apply positive thoughts
Positive विचार को अपनाएँ। सुबह अच्छी किताब पढ़े जिससे अच्छा फील करेंगें। अच्छा पढ़े, अच्छा सोचे, अच्छा महसूस करें।

Part 3

Give

किताब के इस पार्ट में हेल्प को सपोर्ट किया गया है ज़रुरी नहीं पैसे से ही हेल्प होती है और भी तरीके से सहायता की जा सकती है। जैसे  सहानुभूति, शाबाशी, सांत्वना, प्रशंसनीय भाव।

किसी को भी सहानुभूति की ज़रूरत है तो ज़रूर दें। किसी को नीचा दिखाना, कड़वा बोलना, डाँटना, कष्ट देना, दर्द देना, ईर्ष्या करना इन सब से दूर रहें, इसकी जगह Mudita (मन या आत्मा की वह अवस्था जिसमें दूसरे का सुख देखकर सुख होता हो) का Principle अपनाएँ, दूसरों की सहायता करें।

जिसे Sympathy चाहिए उसके साथ प्यार से व्यवहार करें, दूसरों के दर्द – कष्ट समझे, दूसरों के प्रति जलन भावना से Heart की बीमारी ही होती हैं।

Relationship

लेखक ने रिलेशनशिप के बारे में तीन बातों पर ज़ोर दिया है:

1. Presence
किसी को किसी भी प्रकार की सहायता की ज़रूरत हो तो तैयार रहें, उसकी निस्वार्थ भाव से सहायता करें।

2. Attention
दूसरों के दुख दर्द को सुने-समझे मज़ा न लें, हो सके तो उनके दुख दर्द दूर करने में सहायक बने क्योंकि कष्ट किसी को भी हो सकता है। जो जैसा करता है वैसा भरता है।

3. Intimacy
रिश्तों में विश्वास – प्यार में बैलेंस बनाए रखें। ऐसी बातें ना करें जिससे दिल को चोट पहुँचे, विश्वास न तोड़ें। जो पॉसिबल हो प्रॉमिस करें और निभाएँ वरना ना करें। सहायता के मामले में जो हो सके ज़रूर करें।

निष्कर्ष

तो दोस्तों इस बुक समरी में जीवन को खुशहाल बनाने और खुश रहने की बातों को अच्छे से बताया और समझाया गया है बस आपको उन बातों को जीवन में अपनाना है।

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