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क्या आत्महत्या से समाधान संभव है?

Suicide is the second leading cause of death for children

इस संसार को एक मात्र मानव योनि ही समझ सकती है, यहां आनंद है, ऐश्वर्य है सुख भी है दुख भी हैं।

पर लोग क्या समझ कर इस दुनिया से अपना मुंह मोड़ लेते हैं? और न जाने लोग क्यों बहुत जल्द ही इस दुनिया को छोड़ने के लिए अपने आप को मजबूर कर देते हैं?

क्या उन्हें सिर्फ अपनी परेशानियां नजर आती होंगी? उन्हें दूसरों के जीवन में संघर्ष का बोध नहीं होता होगा?

शायद हां, क्योंकि प्रथ्वी पर मानव ही ऐसा प्राणी है जो अपने दुखों एवम दूसरों के सुखों के कारण तनाव में आ जाता है और उसे कुछ भी समझ नहीं आता। अंत में वह यही फैसला अपनाता है कि अगर उसे सभी दुखों से छुटकारा पाना है तो आत्महत्या(suicide) उसका आखिरी समाधान है, कुछ लोग इसे “खुदखुशी” भी कहते हैं।

परन्तु असल में समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम परेशानियों से हारकर आत्महत्या करने की सोचते हैं। एक आत्महत्या करने वाला व्यक्ति शायद ही खुद के द्वारा लिए गए इस निर्णय का परिणाम क्षण भर के लिए भी सोचता होगा।

एक आत्महत्या करने वाला इंसान खुद तो सदा के लिए चैन की नींद सो जाता है (ऐसा वह सोचता हैं, परन्तु किसी भी धर्म में इसे शांति और अच्छा रास्ता नहीं बताया गया हैं, हिन्दू धर्म के अनुसार तो ऐसे व्यक्ति की आत्मा धरती पर ही भटकती रहती हैं, जब तक की उसके म्रत्यु का निर्धारित समय नहीं आता)? परंतु इस भयानक कदम की वजह से उसके परिवार, उसके परिजन की आंखें खुली की खुली रह जाती है।

इस संसार में आने के बाद व्यक्ति प्रेम एवं मोह के धागे से बंधा होता हैं। मां बाप अपने बच्चों को बड़ी उम्मीदों के साथ पाला करते हैं, उनके लिए उनके बच्चों से बढ़कर और कुछ हो ही नहीं सकता।

इसीलिए कहा जाता है जब भी किसी को समस्या से तनाव उत्पन्न होता है उन्हें सबसे पहले अपनी समस्या अपने माता पिता को बतानी चाहिए अपने करीब दोस्तों और उन लोगों के साथ साझा करनी चाहिए जो आपको इस मानसिक स्थिति से उबरने में मदद करें।

क्योंकि प्रत्येक समस्या केवल क्षण भर के लिए होती हैं समस्याओं के बीतने के बाद हम अपने साधारण से व्यक्तित्व में वापस आ जाते हैं इसीलिए हम जब भी परेशान होते हैं तो हमें कुछ समय के लिए खुद को रिलैक्स करते हुए अपने दोस्तों के साथ चला जाना चाहिए या अपने माता-पिता के साथ तकलीफें सांझा करनी चाहिए।

आत्महत्या की मुख्य वजह

आज के नौजवानों में डिप्रेशन का मुख्य कारण उनकी स्कूली शिक्षा है क्योंकि उन्हें स्कूल में यही पढ़ाया जाता है कि कैसे अच्छे अंक लाये जा सकते हैं

उनके साथ कभी भी इन बातों पर विचार किया ही नहीं जाता कि कैसे अपने तनावग्रस्त शरीर को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है|

गला काट प्रतियोगिता के इस माहौल में आंकड़ों के अनुसार प्रति 1000 में से 10 छात्रों का जीवन पढ़ाई के चलते तनावग्रस्त है।

वे हमेशा अपने स्कूल में अध्यापकों द्वारा बताई गई बातों को गौर करते हैं कि हमें अच्छे अंक लाने हैं तभी हम कुछ कर सकते हैं I

लेकिन सिर्फ अच्छे अंक लाने से ही सब कुछ नहीं होता अच्छे अंकों के साथ साथ हम एक अच्छा सुखद जीवन जीना भूल जाते हैं।

और यह तभी पाया जा सकता है जब हम अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे और बुरे विचारों से हमेशा दूर रहेगे ।

आज के समाज में किताबी ज्ञान तो हर किसी के पास होता है परंतु जीवन में उपयोग होने वाला सामाजिक ज्ञान बहुत कम ही लोगों के पास होता है।

हालांकि सिर्फ शिक्षा को जिम्मेदार ठहराया जा सकता क्योंकि आत्महत्या की घटनाएं युवाओं से लेकर अधेड़ उम्र के लोगों यहां तक कि बुजुर्गों में भी पाई जाती है।

लोगों के बीच तनाव की मुख्य वजह कैरियर की टेंशन होना, रिश्ते में दूरियां, लोगों का भय, पैसे की कमी, ब्लैक मेलिंग इत्यादि कोई भी कारण हो सकता है।

प्रायः ऐसी घटनाएं भी देखने को मिलती हैं जहां लोग अपने कैरियर में तरक्की करते हैं, धन अर्जित करते हैं पर फिर भी वह दुखी होकर आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि जीवन में आप चाहे कितनी ही उपलब्धियां हासिल क्यों ना कर ले आप तनाव से बच नहीं सकते।

और इंसान तनाव को हैंडल न कर पाने और सही माइंडसेट की कमी के चलते आत्महत्या कर लेते हैं

न जाने लोगों के जीवन में इतनी बड़ी समस्याएं क्या होती होंगी? जिसके कारण वे अपने जीवन की सभी समस्याओं को ही खत्म कर देना चाहते हैं और आत्महत्या जैसे बड़े फैसले ले लेतें हैं।

या उन लोगों को यह ज्ञान होता ही नहीं होगा कि आत्महत्या करने के बाद भी बहुत सारे दुख व परेशानियां हमारे साथ रहती हैं।

क्या है इससे बचने के उपाय?

मरने से पहले तो हम अपनी समस्याओं को अपने दोस्तों और घरवालों के सामने बोल सकते हैं, परंतु मरने के बाद ना ही हम अपनी समस्याओं को बोल सकते हैं और ना ही कोई उन्हें सुन सकता है।

अतः हमें ऐसी बुरी घटनाओं को अंजाम देने से बचने के लिए पहले स्वयं समझदार बनना चाहिए परंतु कभी ऐसी स्थिति बन भी जाती है तो हमें अपना कुछ वक्त निकालकर अपने घरवालों और दोस्तों को देना चाहिए।

अगर हम उनसे अपनी पर्सनल बातें भी शेयर करें तो यह भी हित में होगा क्योंकि वे हमारे अपने पहले से ही हमारे अच्छे जीवन की कामना करते हैं तो जब हम उन्हें अपनी समस्या बताएंगे तो वह जरूर कोई ना कोई हल निकालेंगे।

इस दौर में ज्यादातर लोग अपने मोबाइल में हमेशा इसी प्रकार की घटनाओं को देखते हैं, क्योंकि नकारात्मक चीजें हमारे दिमाग में गहरा असर डालती हैं, अतः ऐसे वीडियो बहुत जल्दी वायरल भी हो जाते हैं ।

इन वीडियोस से प्रेरित होकर नौजवान युवक और युवतियां थोड़ी सी भी उलझन में फंसते हैं तो बहुत बड़े फैसले अपना लेते हैं और आत्महत्या जैसे विचार उनके दिमाग में आने लगते हैं, उन्हे यही लगता है कि हम आत्महत्या करने के बाद सभी समस्याओं से निजात पा लेंगे।

पर ऐसा नहीं है क्योंकि नियति कहती है मनुष्य के भाग्य में जो भी लिखा है वह होकर रहेगा। यदि परेशानियां लिखी होंगी तो उन्हें उसका सामना करना ही पड़ेगा चाहे वह अपने जीवन में कोई भी रास्ता अपनाएं।

जो लोग आत्महत्या करने के बाद परेशानियों से छुटकारा पाने की सोचते हैं उनके मरने के बाद फिर भी भगवान उनसे उनके अधूरे कर्मों को पूरे करवाता हैं।

इसलिए हमें अपना जीवन बहुत ही बहुमूल्य समझ कर यापन करना चाहिए और प्रत्येक परेशानियों का सामना करना चाहिए क्योंकि ऊपर वाला जब हमें परेशानियां देता है तो वह उनका हल भी पहले से हमारे पास ही रखता है।

भला परेशानियां किसके जीवन में नहीं होती? बिना परेशानियों के जीवन भी क्या कोई जीवन होता है?

जिसके जीवन में परेशानियां नहीं होती वह एक साधारण सा जीवन जीता है और बहुत जल्द ही भगवान उसे उसके उस जीवन को त्याग करवा देते हैं ।

परेशानियां हमारे जीवन में हमें मजबूत इंसान, बहादुर बनने के लिए आती है। इसलिए जो लोग जिंदगी से हार जाते हैं और डरपोक एवम कायर होते हैं वे ही ऐसा निर्णय लेते है।

जो लोग आज तक अपना जीवन जी चुके हैं अगर उनसे पूछा जाए कि आपने अपना जीवन कैसे जिया तो वे अपनी अनगिनत परेशानियों को आपके समक्ष रखेंगे? दरअसल इस संसार में मानव की उत्पत्ति से ही परेशानियां चली आ रही हैं।

जो परेशानियों का सामना कर के पार चला जाता है उसे अवश्य ही अपने अच्छे कर्मों का फल मिलता है।

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लोग आत्महत्या करने की ठान लेते हैं परंतु किसी की बातों में आकर या जीवन का महत्व समझ कर इस बड़े कदम से पीछे हट जाते हैं,वे लोग ही अक्सर जीवन में बड़ी-बड़ी ऊंचाइयों को हासिल कर पाते हैं।

क्योंकि वह अपने वास्तविक जीवन को समझ कर आत्महत्या जैसे बड़े फैसलों को मात दे जाते हैं

ज्यादातर आत्महत्या जैसे विचार मन में तब उठते हैं जब हम खुद को अकेले महसूस करते हैं और हमारी बातों को समझने वाला कोई नहीं होता इसलिए हमें अपनी वे बातें जो हमें परेशान करती हैं उन्हें अपने माता-पिता को बताना चाहिए और माता-पिता ही ऐसे इंसान होते हैं जो हमारी प्रत्येक समस्या को पल भर में समझ कर हमारे साथ खड़े हो जाते हैं

हमें हमेशा ही अपने माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कारों को अपनाना चाहिए क्योंकि माता पिता ही हमें जीवन रूपी प्रारंभिक शिक्षा देते हैं यही शिक्षा उम्र भर हमारी काम आती है।

हमें स्कूली शिक्षा में सिर्फ अंकों के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि हमें एक अच्छे जीवन का मार्गदर्शन करना चाहिए।

समस्या चाहे कितनी बड़ी क्यों न हो उसका सामना करना चाहिए क्योंकि समस्या वही होती है जिसका हल होता है इसीलिए जब भी हमारे सामने कोई नई समस्या खड़ी होती है हमें इसके समाधान पर गौर करना चाहिए ना कि अपना ध्यान उस समस्या पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

सीख

प्रत्येक समस्या एक निश्चित समय के लिए होती है इसीलिए हमें छोटी-मोटी समस्याओं से बड़े फैसले कभी भी नहीं लेने चाहिए।
समस्याएं एक निश्चित समय के लिए होती हैं परंतु हमारा जीवन उन समस्याओं से बहुत अधिक महत्वपूर्ण और ज्यादा समय के लिए होता है l

जो लोग आत्महत्या जैसी घटनाओं के शिकार बनने की सोचते हैं, उन्हें समझाते हुए एक मानव जीवन की कीमत बतानी चाहिए कि मानव जीवन अमूल्य धरोहर है मानव जीवन बार-बार किसी को नहीं मिल पाता। तो वे लोग मानव जीवन से क्यों मुंह मोड़ना चाहते हैं?

न ही आत्महत्या करने के बाद हमारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं बल्कि इससे हमारे और हमारे अपनों के जीवन की समस्याएं और बढ़ जाती है।

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