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जब रास्तों पर चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है

Hindi Kahani Raddi wala ladka Kabadi

Hindi Kahani रद्दीवाला लड़का, कबाड़ी वाला लड़का Story in Hindi

कुछ लोगों में पढ़ाई करने का नशा इतना ज्यादा होता है कि वे पढ़ाई करने के लिए हर हद पार कर देते हैं। हमारी इस कहानी का मुख्य नायक भी पढ़ाई के प्रति इसी तरह की दीवानगी रखता है। हमारे नायक का नाम रामू है। रामू एक गरीब परिवार का लड़का है। उसके पिता रिक्शा चलाते थे।

रामू के पिता रिक्शा चला कर अपने परिवार का पेट पालते थे। घर की आर्थिक स्थिति बेहतर न होने की वजह से रामू को भी बचपन से ही पिता का हाथ बटाने के लिए काम करना पड़ता था।

लेकिन रामू जब भी बच्चों को स्कूल जाते हुए देखता था, उसका भी स्कूल जाने का और पढ़ने का बहुत मन करता था। लेकिन अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहा था।

रामू रोज सुबह घर घर जाकर न्यूज़ पेपर देता था और फिर दिन में वो रद्दी वाले का काम करता था।

इस कार्य को करने के पीछे विशेष कारण यह था कि रद्दी में उसे कई सारे किताबे और कॉपियां मिलती है।‌ रामू दिल लगा कर काम करता था और काम करने के बाद वो रद्दी में मिली किताबों को पढ़ता था।

शुरुआत में तो उससे बहुत परेशानी होती थी लेकिन लगातार कोशिश करने के कारण उसे समझ में आने लगा था।

रद्दी में रामू को छोटी कक्षा से बड़ी कक्षा तक हर तरह की किताबे मिलती थी। रामू अपने पसंद के सभी किताबों को पढ़ता था। चाहे वह बड़ी कक्षा की हो या फिर छोटी कक्षा की जितना उसे समझ में आता वह हर वो किताबें पढ़ता था।‌

रद्दी वाले का काम करते-करते‌ कई साल बीत गए अब रामू 18 साल का हो गया है।

इस तरह से रद्दी वाले का काम करते हुए और रद्दी में मिली किताबों का अध्यनन करते हुए रामू काफी कुछ सीख गया था। एक दिन जब रामू रद्दी के काम से एक फ्लैट में गया था। तब फ्लैट की मालकिन ने रामू को कई सारी किताबें रद्दी में दी।

इनमें से कुछ किताबें महान लोगों की आत्मकथा थी तो कुछ किताबें‌ विकिपीडिया थे।

उन सभी किताबों में एक किताब एक IAS के बारे में था। उस किताब को देखते ही रामू के आंखों में चमक आ गई। रामू बहुत खुश हो गया था यह सोच कर कि उसे किताब पढ़ने को मिलेगी।

जब रामू फ्लैट की मालकिन के साथ रद्दी का मोल भाव कर रहा था। तब उसी समय फ्लैट का मालिक वहां आया और जब उसने रद्दी में IAS वाले किताब को देखा तो उसने उस किताब को उठा लिया और फिर उन्होंने रामू से कहा कि हमें यह किताब नहीं बेचनी है।

लेकिन उनकी इस बात को सुनकर रामू अचानक मायूस सा होगा क्योंकि उससे वह किताब पढ़नी थी।

रामू ने फ्लैट के मालिक से कहा कि आप कुछ रुपए ज्यादा ले लीजिए। लेकिन इस किताब को बेच दीजिए। फ्लैट के मालिक ने रामू को साफ साफ मना कर दिया कि वह किताब नहीं बेचेंगे।

रामू ने फ़्लैट के मालिक से पुस्तक लेने के लिए खूब प्रार्थना की, किताब को चाहने के प्रयास में उसने मालिक से इंग्लिश के शब्दों में भी पुस्तक लेने के लिए रिक्वेस्ट की और रामू के मुंह से इंग्लिश के वाक्यों को सुनकर फ्लैट का मालिक काफी हैरान हो गए।

और फिर हैरानी से रामू की तरफ देखते हुए उससे पूछने लगे कि तुम्हें इंग्लिश बोलना कैसे आता है? तुम कितने पढ़े लिखे हो?

फ्लैट के मालिक के सवालों को सुनकर रामू ने जवाब देते हुए कहा कि सर मैंने स्कूल से पढ़ाई नहीं की है बल्कि इसी रद्दी से पढ़ाई की है। यह रद्दी ही मेरा स्कूल, मेरा टीचर हैं। मैंने जो कुछ भी सीखा है वह इसी रद्दी से सीखा है।

मैं दिन भर रद्दी का काम करता हूं और फिर रात में मुझे रद्दी में जो किताब मिलती है उसे पढ़ता हूं। रामू के इन बातों को सुनकर फ्लैट मालिक रामू से काफी ज्यादा इंप्रेस हो गए।

उन्होंने रामू से कहा कि देखो रामू मैं अब भी यह किताब नहीं बेचुंगा। लेकिन हां मैं यह किताब तुम्हें पढ़ने के लिए जरूर दे सकता हूं। तुम इस किताब को पढ़कर मुझे वापस दे देना। मैं तुम्हें यह किताब 2 दिन के लिए दे सकता हूं बोलो तुम्हें मंजूर है या नहीं।

फ्लैट के मालिक की बात सुनकर काफी खुश हो गया और कहने लगा कि 2 दिन मेरे लिए बहुत है। मैं इस किताब को पढ़ कर आपको वापस कर दूंगा। रामू ने ठीक वैसा ही किया रामू ने 2 दिन के भीतर वह पूरी किताब पर डाली और फिर उस किताब को फ्लैट के मालिक को लौटा दिया।

रामू की ईमानदारी को देख कर फ्लैट के मालिक ने उसे कहा कि रामू तुमने कभी बिजनेस की किताबें पढ़ी है। रामू कहने लगा कि नहीं सर मैंने नहीं पढ़ी है। फिर फ्लैट के मालिक ने रामू को कुछ बिजनेस और लॉ की किताबे निकाल कर दी।

इन किताबों में बिजनेस के बेसिक फाउंडेशन से लेकर बड़ी बड़ी साड़ी चीज बनाने के बारे में हर तरह की जानकारी दी हुई थी।

फ्लैट के मालिक ने रामू को यह किताबें कुछ दिन के लिए ही दी थी। रामू ने इन किताबों को भी कुछ ही समय में पढ़ डाला। इन किताबों को पढ़ने के बाद अब रामू को बिजनेस और कानून से जुड़ी अच्छी खासी जानकारी मिल गई थी।

इन किताबों को पढ़ने के बाद जब रामू किताब को वापस करने के लिए मालिक के पास गया तो उसने पुछा सर आपके पास Startup से जुड़ी कोई किताब है। तो फ्लैट के मालिक ने उनसे कहा कि हां मेरे पास Startup से जुड़ी हुई कई सारी किताबें हैं।

फ्लैट के मालिक ने फिर उन किताबों को रामू को दे दिया। रामू इन किताबों को पाकर बहुत ज्यादा खुश हो गया था। वह इतना खुश हो गया था कि उसने एक हफ्ते में आधी से ज्यादा किताब पढ़ डाली।

इन किताबों को पढ़ने से रामू के दिमाग में बहुत अच्छे आइडियाज आये। उसने सोचा कि क्यों न इस आइडिया पर काम किया जाए।

रामू सोच रहा था कि अगर ये आइडिया काम करेगा तो बहुत अच्छा अगर नहीं भी करता है तो कोई बात नहीं लेकिन यह तसल्ली तो रहेगी कि मैंने कोशिश की।

रामू ने बचपन से ही रद्दी का काम किया था और वह जानता था कि रद्दी के काम में कितना पैसा होता है। इसलिए उसने सोचा कि क्यों न अपना रद्दी का बिजनेस शुरू किया जाए।

और अपने काम को अब बड़े स्टोर पर ले जाया जाए। रामू को अपने इस आईडिया पर पूरा भरोसा था। उसने यह निश्चय कर लिया था कि वो इस आईडिया पर जरूर काम करेगा। रामू ने अपना आइडिया फ्लैट के मालिक को बताया। क्योंकि वह जानता था कि फ्लैट का मालिक एक बहुत अच्छा आदमी है।

रामू के आइडिया को सुनकर फ्लैट के मालिक ने कहा कि यह आईडिया बहुत अच्छा है तुम्हें इस पर जरूर काम करना चाहिए। स्टार्टअप के लिए पैसा जुगाड़ने मैं फ्लैट के मालिक ने रामू का बड़ा सहयोग दिया। उनका साथ पाकर रामू बहुत ज्यादा खुश हो गया और ज्यादा मेहनत व लगन के साथ अपने स्टार्टअप के काम में लग गया।

1 महीने के अंदर उसका स्टार्टअप चालू हो गया था। स्टार्टअप के चालू होने के बाद भी रामू रुका नहीं बल्कि लगातार मेहनत करता रहा।

रद्दी से प्राप्त की गई पुस्तकों से और बचपन से बड़े होने तक, जीवन में हासिल हुए ज्ञान और अनुभव ने रामू को काफी अच्छा बिजनेसमैन बना दिया था। ‌

स्टार्टअप शुरू होने के 6 महीने के अंदर रामू पूरे देश का सबसे बड़ा रद्दी का व्यापारी बन गया। इस तरह पढ़ाई करने की चाहत ने रामू को बहुत बड़ा आदमी बना दिया।

Moral – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो समझें आप सही रास्ते पर है! रामू‌ ने कभी भी बड़ा या अमीर बनने के बारे में कभी नहीं सोचा उसने सिर्फ पढ़ने की इच्छा जताई और सिर्फ पढ़ाई की।

और अपने पढ़ाई के दम पर वह एक दिन बहुत बड़ा आदमी बन गया। ऐसा ही हम सब को भी करना चाहिए। तभी हम अपनी जिंदगी में अच्छे मुकाम को हासिल कर पाएंगे।

लेखक के शब्द

दुनिया में हर कोई अपनी जिंदगी में तरक्की पाना चाहता है और नौजवान लोगों का तो कहना ही क्या! वे तो हर समय अपने जीवन में बस तरक्की और कामयाब होने के बारे में ही सोचते रहते हैं। सभी लोग कुछ ना कुछ करके बस जल्द से जल्द कामयाब होना चाहते हैं।

पर अधिकतर लोग मंजिल को पाने के रास्ते के बारे में नहीं बल्कि सिर्फ मंजिल के बारे में ही सोचते हैं। जिससे जब वह कुछ शुरू करते हैं तो बीच में ही अपना काम छोड़ देते हैं।

क्योंकि ऐसे लोग सिर्फ मंजिल को ध्यान में रखकर ही कोई काम करते हैं। लेकिन जब काम करते समय मेहनत और समय ज्यादा लगने लगता है। तब अपने काम को पूरा नहीं कर पाते और अपने मार्ग से भटक जाते हैं।

परन्तु इस तरह की सोच से कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता क्योंकि सफलता तभी प्राप्त की जा सकती है। जब लोगों का ध्यान मंजिल पर नहीं बल्कि रास्ते पर हो।

इसलिए मेरी इस कहानी से आप देख पाएंगे कि अगर किसी व्यक्ति का ध्यान उसके मंजिल को पाने के रास्ते में हो तो लाख मुश्किलों के बाद भी मंजिल मिल ही जाती है।

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