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लिखने वाले अपनी तकदीर टूटी हुई कलम से भी लिख देते हैं

Hindi Kahani on Luck and Hardwork

Hindi Kahani on Luck, Luck and Hard work story in Hindi

दुनिया में अधिकांश लोग अपनी किस्मत पर ही सब कुछ छोड़ देते हैं, उनका मानना है कि तकदीर लिखना ऊपर वाले का काम है और हमारा काम सिर्फ उसके द्वारा बताए गए कर्मों को करना है।

ऐसे लोग किस्मत के भरोसे ही अपनी जिंदगी जीते हैं पर अफ़सोस जीवन में परिस्तिथियाँ सदैव एक जैसी नहीं होती है और न ही हर कोई किस्मत का धनी होता है। पर कुछ लोग होते हैं जिनका भाग्य भले कमजोर हो परन्तु अपने सकरात्मक सोच और मेहनत से वे अपनी किस्मत को ही बदल कर रख देते हैं।

इसलिए देखा जाए तो किस्मत के भरोसे जीवन जीने वाले लोगों का मंजिल तक पहुंचने का सफर बहुत लंबा होता है। लेकिन जो लोग अपनी तकदीर खुद निर्धारित करते हैं वे निरंतर मेहनत करते रहते हैं जिस कारण उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने का सफर बहुत छोटा महसूस होता है।

कई लोगों को लगता है कि खुद की तकदीर लिखना एक साधारण से मनुष्य के बस की बात नहीं है परंतु ऐसा भी नहीं है। अगर ठान लिया जाए तो तकदीर और किस्मत दोनों इंसान अपने हाथों से खुद लिख सकता है।

खुद की तकदीर खुद अपने हाथों से लिखने के लिए मात्र एक विश्वास और कठिन परीक्षम की आवश्यकता होती है। हम इस कहानी में आपको उस नौजवान के बारे में बताएंगे जिसने अपनी तकदीर, विश्वास और कठिन परीक्षम के बलबूते पर लिखी।

एक गांव में एक बहुत गरीब किसान रहता था, कहे तो वह सिर्फ नाम का किसान था। क्योंकि उसके खेतों में बहुत कम अनाज होता था. जिससे उसके परिवार का गुजारा भी कभी-कभी मुश्किल से हो पाता था। उस किसान के तीन बच्चे थे जिसमें 2 लड़कियाँ तथा एक लड़का था।

किसान दिन-रात अपने खेतों में मेहनत करता था तब जाकर बड़ी मुश्किल से वह अपने परिवार का गुजारा कर पाता। किसान के पास पैसों की इतनी कमी थी कि वह ढंग से अपने बच्चों को भी स्कूल नहीं पढ़ा सकता था।

किसान का बेटा अपने परिवार की ऐसी स्थिति देखकर कभी कभी गंभीर सोच विचारों में पड़ जाता था।

एक बार किसान रोज की तरह अपने खेतों में गया था उसकी फसल पककर तैयार होने लग गई थी किसान को कुछ दिनों का और इंतजार था ताकि उसकी फसल पूरी पक जाए और वह उसे काट कर घर ले जाए।

किसान घर को जाने के लिए तैयार हुआ ही था कि अचानक उसके खेत के एक सिरे से आग की लपटें उठने लगी। और किसान के देखते- देखते सारे का सारा खेत भस्म हो गया।

किसान के खेत में आग लगने के कारण उसके हालात पहले से भी बदतर हो गए और वह कहीं का नहीं रहा क्योंकि एकमात्र वह खेत ही था, जिसके कारण किसान अपने परिवार का पालन पोषण करता था।

किसान का बेटा पढ़ने में बचपन से ही अच्छा था, और वह बड़ा होकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहता था परंतु उसके पिता के हालात इतने बुरे थे कि वे उसे एक अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते। हालाँकि किसान के बेटे को इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ रहा है या प्राइवेट स्कूल में।

किसान के बेटे का लक्ष्य पुलिस ऑफिसर बनना था इसलिए वह जानता था अपने लक्ष्य को पाने के लिए उसे अभी से अच्छी पढ़ाई की जरूरत है ।

किसान का बेटा समझदार था इसलिए वह अपने घर वालों से भी यह नहीं कह सकता था कि वह मुझे एक अच्छे स्कूल में पढ़ायें, वह सोचता था कि ऐसा कहने से उसके माता-पिता और भी परेशान हो जाएंगे इसलिए किसान के बेटे ने अपनी पढ़ाई की जिम्मेदारी खुद उठाने की ठानी ली।

जब से किसान के खेत में आग लगी तब से किसान परेशान रहने लगा था। वह छोटे-मोटे कामों को करके अपने परिवार की आय चलाता था। लेकिन किसान का बेटा अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता था, इसलिए उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अखबार बेचने का फैसला लिया किसान का बेटा रोज सुबह 4:00 बजे उठकर अखबार की दुकान में जाता और घर- घर अखबार पहुंचाता था।

किसान का बेटा मात्र 12 साल का था और वह 8 वीं क्लास में पढ़ता था इतनी छोटी उम्र में वह अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अखबार बेचने का काम कर रहा था।

उसे देख कर लोगों को लगता था अपने पिता की तरह ही यह बच्चा भी गरीबी का जीवन व्यतीत करेगा, लेकिन उस बच्चे को अपनी मेहनत पर गर्व और विश्वास था।

12 साल का लड़का सिर्फ अपने लक्ष्य के लिए ही नहीं बल्कि अपने पिता को सहारा देने के लिए भी यह कार्य कर रहा था। उसके पास अखबार बेचने से जो भी पैसे आते थे वह उसे अपनी पढ़ाई तथा अपने पिताजी को घर के खर्चे के लिए दिया करता था।

किसान को भी अपने बेटे की मेहनत पर गर्व था और किसान भी खुद फिर से पैसे कमाने की सोचने लगा और वह फिर से अपने खेतों में अनाज उगाने की क्षमता रख पाया।

अब किसान फिर से अपने खेतों में अनाज उगाने लगा और अपने परिवार का खर्चा चलाने लायक हो गया अब उसके बेटे के पास जो भी अखबार बेचने से पैसे आते थे वह उन्हें सिर्फ अपनी पढ़ाई में खर्च करता, अब उसने अपनी कोचिंग क्लास भी ज्वाइन कर ली थी।

किसान का वह छोटा सा बच्चा अखबार बेचते बेचते अब बड़ा हो गया था और अब 12वीं क्लास में पढने वाला यह छात्र पहले से बहुत ज्यादा होशियार हो चुका था क्योंकि वह स्कूल की पढ़ाई के साथ- साथ कोचिंग भी जाता था

और कुछ बचे हुए पैसों से अपने घर का खर्चा भी चला लिया करता था जिस कारण वह और उसका परिवार पहले से ज्यादा खुश रहने लगा।

अब उसे 12वीं में इंटर की परीक्षा पास करने के लिए बहुत ज्यादा पढ़ाई करने की जरूरत थी जिस कारण उसका सलेक्शन एक पुलिस वाले के रूप में हो सके।

वह लड़का सुबह 4:00 बजे उठकर सबके घर में अखबार पहुंचाता था फिर पढाई करता, और अन्य जरूरी कार्यों को करके स्कूल के लिए तैयार होकर फिर स्कूल को चला जाता।

स्कूल से 2:00 बजे आकर वह अपनी कोचिंग क्लास चला जाता फिर शाम को वापस घर लौट आता। इस प्रकार उसे पढ़ाई के लिए बहुत कम वक्त मिल पाता था। फिर भी दिमाग में पुलिस ऑफिसर का लक्ष्य लिए वह दिन रात अपनी मंजिल पर पहुंचने की तैयारी करता रहता।

ऐसे ही मेहनत करते हुए उस बच्चे ने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे अंको से उत्तीर्ण कर ली और अब वह अपनी मंजिल से कुछ ही दूरी पर खड़ा था उसे बस आने वाली पुलिस की भर्ती का इंतजार था।

अब वह लड़का अपने विद्यालय की पढ़ाई पूरी कर चुका था। यूं ही दिन बीतते जा रहे थे और पुलिस की भर्ती का नामो निशान नहीं था। किसान का वह लड़का बहुत परेशान सा दिखने लगा जिसने उम्र भर सिर्फ पुलिस की वर्दी पहनने का सपना देखा था।

1 दिन किसान का लड़का रोज की तरह अखबार बेचने निकला और वह अखबार पढ़ते-पढ़ते जा रहा था तो उसने अखबार मैं लिखा हुआ देखा कि अगले ही महीने उसके राज्य में पुलिस की भर्ती आयोजित होने वाली है इसे पढ़कर वह लड़का इतना खुश हुआ और जल्दी अखबार बांटकर अपने घर वापस आया और अपने माता पिता को बताया कि अगले ही महीने उसकी पुलिस की भर्ती आने वाली है।

अब उस लड़के ने अपनी तैयारी दोगुनी स्पीड से करना शुरू कर दी। बहुत जल्द पुलिस की भर्ती का दिन भी आ गया। भर्ती में सभी शारीरिक तथा लिखित परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के पश्चात वह लड़का पुलिस की वर्दी पहनने योग्य बन जाता है।

बच्चे पर उसके मां-बाप को बड़ा ही गर्व होता है और उसके सभी साथियों को उसकी मेहनत पर नाज होता है। इस तरह साधारण से परिवार में जी रहे बच्चे ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के सहारे अपनी जीवन की लकीरें खुद अपने हाथों से तय की और न जाने इस बच्चे ने कितनी परेशानियों का सामना किया फिर भी अंत में उसका विश्वास ही जीता।

सीख- हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर इंसान को खुद के कार्यों पर विश्वास हो तो वह दुनिया की हर एक मंजिल को पा सकता है चाहे वह कुछ भी क्यों ना हो।

यह भी सच है कि हमारी हाथ में दिखने वाली लकीरें हमारी तकदीर से संबंधित नहीं होती। बहुत सारे लोग हाथ की रेखाओं को देखकर उन्हें ही अपनी जीवन की लकीरें समझ बैठते हैं और अपने लक्ष्यों से बाधित हो जाते हैं।

परंतु यह सच है कि हमारी हाथ में दिखने वाली रेखाएं हमारी तकदीर को निर्धारित नहीं करती। हमारे जीवन की लकीरें हमारा विश्वास ही होता है जिससे हम अपनी तकदीर निर्धारित करते हैं।

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