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कोरियर ब्वॉय Courier Boy ~ हिन्दी कहानी

Short Story on Honesty in Hindi

छोटे से गांव का रहने वाला सोहन आंखों में नए सपने लिए हर रोज नई ऊंचाइयां छूने को बेकरार था लेकिन उसे उड़ान देने वाला ऐसा कोई भी नहीं था जिसकी बदौलत वह अपने सपनों को पूरा कर सके।

जब भी कोई शहर से आता तो वह उसके आगे पीछे घूमने लगता और शहर के बारे में सारी जानकारी लेने लगता जिससे उसकी मां उससे कहती- बेटा हम लोगों को उड़ान देने वाला कोई भी नहीं है। अगर तू कुछ अच्छा करना चाहता है, तो खुद के सपनों को पूरा रखने की हिम्मत रख।

सोहन मां की बातों को ठीक से समझ नहीं पाता क्योंकि अभी वह उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाया था लेकिन जैसे ही वह थोड़ा बड़ा हुआ तो अपने चाचा का सहारा लेते हुए वह शहर की ओर रवाना हो गया। शहर में चाचा चाची का व्यवहार उसके साथ बहुत अच्छा तो नहीं था लेकिन फिर भी दोनों ने उसे अपने घर में रखा था।

एक दिन

चाची- पढ़ाई लिखाई तो होती रहेगी जा जाकर सब्जियां ले आ।

सोहन मार्केट जाकर सब्जी ले आता है, जहां वह अपनी पसंद की सब्जी लेकर आता है जिसे दूसरे घर वाले बिल्कुल पसंद नहीं करते।

चाची- यह क्या सब्जी उठा लाया है? जानता नहीं है यहां यह सब कोई नहीं खाता।

सोहन – लेकिन चाची मैं जो सब्जी लाया हूं ना वह मुझे बहुत पसंद है।

चाची गुस्से में – अपनी पसंद तो तुम मुझे उस दिन बताना जब तुम खुद कमा कर अपनी कमाई मेरे हाथ में दोगे। अभी तो तुम्हें जो भी दिया जा रहा है उससे ही पेट भरना होगा।

सोहन को यह बात बुरी लगती क्योंकि उसने ऊंचे ख्वाब देख रखे थे हालांकि वह जानता था कि उन ख्वाबों को पूरा करना आसान नहीं होगा और यह सोचते हुए वह हर वह काम करता जो उसके चाचा चाची कहते है।

देखते ही देखते वह कॉलेज में आ गया और अब उसने खुद को सीमित कर रखा था ना ही किसी से ज्यादा बात करता और ना ही कहीं और जाता। एक दिन जब चाची के साथ काम से कहीं जा रहा था बस उसी समय उसे एक बोर्ड दिखाई देता है जिस पर लिखा होता है- कोरियर बॉय की आवश्यकता है।

सोहन ने मन ही मन सोचा कि चाचा चाची के यहां रहने से उसे खाना तो मिल जाता है लेकिन अपनी पसंद का नहीं। उसे कपड़े तो मिल जाते हैं लेकिन नए नहीं। ऐसे में उसे भी नौकरी की आवश्यकता है और वह दूसरे ही दिन उस जगह पर पहुंच जाता है जहां पर उसने बोर्ड देखा था।

मैनेजर – क्या तुम यह काम कर लोगे क्योंकि इसे करने के लिए सुबह से रात तक मेहनत करनी होगी और सैलरी ₹5000 होगी।

सोहन मन ही मन खुश हो जाता है क्योंकि ₹5000 भी उसके लिए इस वक्त बहुत ज्यादा है और सोहन उस नौकरी के लिए हां कर देता है। सोहन नौकरी करेगा यह बात सुनकर चाचा चाची खुश होते हैं कि अब सोहन के पैसे भी उनके हाथ में आएंगे।

सोहन पूरे मन से काम करता सुबह से शाम तक व्यस्त रहता। उसे इस काम में मजा भी आ रहा था क्योंकि भले ही यह काम छोटा था लेकिन इसके माध्यम से वह खुद को संतुष्ट कर पा रहा था कि आखिर उसने भी अपने जीवन में कुछ अच्छा किया है।

1 दिन सोहन को कुरियर देने के लिए दूर इलाके में जाना पड़ा, जहां वह अनजान था। खोजबीन करने के बाद आखिर उसे वह जगह मिली गई जहां उसे जाना था। तेज धूप में जाने की वजह से उसे प्यास लगने लगी और उसने पीने के लिए पानी मांगा तभी महिला ने कहा – बिल्कुल बेटा पानी पिलाना तो पुण्य का काम है।

तुम इतनी मेहनत कर रहे हो इतनी धूप में आना-जाना कर रहे हो प्यास तो लगेगी ही और प्यार के साथ उस महिला ने सोहन को पानी दिया।

सोहन वहां से चला जाता है लेकिन महिला के जवाब से उसे बड़ा आश्चर्य होता है कि आज के समय में भी लोग इस तरीके की बातें करते हैं। जहां उसके चाचा चाची ही उसके साथ ठीक से बात नहीं करते तो इस अनजान महिला ने उसके साथ इतने प्यार से बात की थी।

अपने काम को करते हुए 1 महीने हो गए थे और सोहन को उसके पहले महीने की सैलरी मिल गई थी। पहली सैलरी की खुशी इतनी ज्यादा थी कि वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर इस सैलरी के साथ क्या करें? इतने में ही चाची ने सारे पैसे झटक लिए और उसे मायूस होकर लौटना पड़ा।

मैनेजर सोहन के काम से बहुत खुश था क्योंकि सोहन ने कभी भी छुट्टी नही ली थी और अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ कर रहा था। सोहन ने कभी भी ज्यादा पैसे की मांग नहीं की और ना ही कोई बहाना बनाया।

चाहे जितने दूर भी कुरियर देना हो वह हमेशा समय पर पहुंच जाता था और कभी भी लोगों को निराश नहीं करता था। ऐसे में जल्द ही सोहन की सैलरी बढ़ जाती है और वह अपने चाचा चाची से तंग आकर एक दूसरे घर में रहने चला जाता है जहां पर वह अपनी मां को भी लेकर आता है क्योंकि अब मां गांव में अकेली हो गई थी।

1 दिन सोहन कुरियर देने के लिए रजत विहार पहुंचा लेकिन वहां पर उसे देखकर आश्चर्य हुआ क्योंकि वहां शिव मंदिर में एक महिला दिखाई दी यह वही महिला थी जिसने कभी सोहन को तेज धूप के बचाव से पानी पिलाया था। जब सोहन ने उनसे सारी बात पूछी तो पता चला कि उनके बेटे ने उन्हें घर से निकाल दिया है।

सोहन अभी छोटे से घर में ही रह रहा था लेकिन उस महिला को परेशानी में नहीं देख पा रहा था आखिर वह सोहन की मां की हम उम्र थी। ऐसे में सोहन उस महिला को घर लेकर आया जिससे उसकी मां खुश हो जाती है क्योंकि अब उनकी मां को भी सहेली मिल गई है।

कुछ दिनों बाद उस महिला को उनकी बेटी अपने घर के लिए लेकर जाती हैं जो शहर से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। ऐसे में उस महिला ने सोहन को सफल होने का आशीर्वाद दिया और खुशी-खुशी वहां से चली गई।

सोहन अपनी मां के साथ बहुत खुश था क्योंकि अब उसकी सैलरी बढ़ गई थी और लोगों के द्वारा उसके काम को पसंद किया जाने लगा था। एक बार की बात है जब बहुत तेज बारिश हो रही थी और किसी कस्टमर को अर्जेंट कोरियर देना था।

सोहन पूरी कोशिश में था कि वह जल्द से जल्द डिलीवरी दे दे। ऐसे में उसने अपने साइकल से ही बहुत कम समय में उस कस्टमर को डिलीवरी दी थी जिस वजह से कस्टमर ने खुश होकर उसे एक्स्ट्रा पैसे भी दिए थे लेकिन सोहन ने लेने से साफ इनकार कर दिया था।

इस घटना के 1 महीने बाद ही सोहन को एक ऐसी जगह कुरियर देने के लिए कहा गया था जो पॉश इलाके में स्थित था। जैसे ही वह कोरियर देने दे जाता है तो अचानक देखता है कि वहां एक महिला बेहोश पड़ी हुई है।

जल्दी से वह जाकर महिला को पानी पिलाता है और उसके फोन से लास्ट कॉलिंग नंबर पर कॉल कर देता है जिसके बाद कुछ ही देर में उस महिला का बेटा वहां पहुंच जाता है। जैसे ही वह बेटा वहां पहुंचता है तो सोहन उसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है। ऐसे में वह व्यक्ति भी सोहन को देखकर खुश होता है और कहता है- अरे तुम यहां ?

सोहन- हां सर मैं यहां कोरियर देने आया था लेकिन आप यहां कैसे?

दरअसल यह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सोहन के काम से खुश होकर उसे उसे एक्स्ट्रा पैसा देना चाहा था लेकिन सोहन ने लेने से मना कर दिया था। तभी वह व्यक्ति सोहन से कहते हैं- यह मेरी मां है।

यह अलग दूसरे फ्लैट में रहती हैं क्योंकि यह मेरे पिताजी ने खरीदा था और मैं अपने ऑफिस के फ्लैट में रहता हूं क्योंकि वहां से मेरा ऑफिस पास पड़ता है। वह तो अच्छा हुआ कि तुमने मुझे कॉल कर दिया वरना मुझे पता ही नहीं चलता।

तुम्हें बहुत ही होनहार लड़के हो और साथ ही साथ ईमानदार हो। अगर तुम चाहते तो मेरी मां को इस हालत में छोड़ कर चले जाते लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया क्योंकि तुम एक सच्चे इंसान हो।

सोहन- सर यह तो मेरी मां के दिए हुए संस्कार हैं।आपको पता है मैं एक बड़ा इंसान बनना चाहता था और इस वजह से मैंने इस छोटी सी नौकरी की है क्योंकि इस नौकरी की वजह से मुझे खुशी मिलती हैऔर मुझे विश्वास था कि 1 दिन में कोई अच्छी नौकरी जरूर हासिल कर पाऊंगा ।

वह व्यक्ति- अगर तुम बड़ा इंसान बनना चाहते हो तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा। मेरी कंपनी इन्फोटेक उसमें मैं तुम्हें नौकरी जरूर दूंगा।

सोहन- सर इन्फोटेक आपकी कंपनी है। वह तो बहुत बड़ी कंपनी है।

व्यक्ति- तुम यह सब छोड़ो दोस्त। तुम एक ईमानदार व्यक्ति हो और इसलिए हम अपनी कंपनी में तुम्हें रखना चाहते हैं क्योंकि हमें पता है कि तुम जैसे लोगों की बदौलत ही हम अपनी कंपनी को आगे ले जा सकते हैं।

सोहन इस बात से बहुत खुश होता है क्योंकि जिस नौकरी के लिए उसने सपने देखे थे आज वह सपना पूरा हो रहा था। आज वह इस कोरियर ब्वॉय की नौकरी से एक नए सफर पर आगे बढ़ रहा था।

जल्दी सोहन ने इन्फोटेक कंपनी ज्वाइन कर ली थी और इसके बाद ही उसने धीरे-धीरे आगे बढ़ना सीख लिया था। इस बात से सोहन की मां बहुत खुश थी और जो चाचा चाची उसे खास पसंद नहीं करते थे। उन्होंने भी आकर अपनी खुशी का इजहार किया था। इस बात से सोहन बहुत खुश था क्योंकि वह जानता था कि जो दिखता है वही बिकता है।

दोस्तों, अगर किसी भी काम को हम सच्ची लगन और ईमानदारी के साथ करते हैं तो उसका फल हमेशा अच्छा और सकारात्मक होता है। भले ही सोहन ने एक छोटी सी कोरियर बॉय की नौकरी कर ली थी उसके बावजूद भी उसने हमेशा हौसले के साथ काम किया था और उसकी ईमानदारी और सच्ची लगन की बदौलत ही उसने एक अच्छी नौकरी हासिल की थी।

अगर इंसान के अंदर जज्बा हो तो आसानी के साथ अपनी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। रास्ते में रुकावट जरूर आएंगे लेकिन सच्चा और ईमानदार इंसान उन रुकावट को भी आसानी के साथ पीछे कर सकता हैं।

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