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माता-पिता की अहमियत ~ Hindi Kahani

अमन एक मदमस्त लड़का जो हमेशा अपने आप में ही व्यस्त रहता है ना ही उसका मन घर के कामों में लगता और ना ही पढ़ाई में। इस बात से उसके पापा मम्मी बहुत परेशान थे लेकिन भला वे दोनों क्या करते क्योंकि यह उनकी इकलौती संतान थी और इस वजह से बहुत ज्यादा लाड प्यार की वजह से इस कदर बिगड़ता चला जा रहा था।

एक दिन अचानक मां ने कहा-

मां- बेटा आज मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है। तू एक काम कर आज कॉलेज मत जा और मेरे पास बैठ। मुझे अजीब अजीब सी घबराहट भी महसूस हो रही है।

अमन- नो वे माँम आज नहीं हो सकता। आज तो मैंने अपने दोस्तों के साथ मूवी जाने का प्लान बनाया है मैं उसे कैंसिल नहीं कर सकता।

मां- बेटा अगर एक दिन तू मूवी नहीं जाएगा तो क्या हो जाएगा? अच्छा एक काम कर, मुझे डॉक्टर के यहां ले चल चाहे तो उसके बाद तू मूवी देखने के लिए चले जाना।

अमन- आप क्या चाहती हैं? मैं अपने दोस्तों को इतना इंतजार करवाऊँ। मैं आपके लिए कैब बुक कर दूंगा और आप चले जाइएगा। कोई और दिन होता तो बात अलग थी लेकिन आज के दिन मैं आपके साथ नहीं रह सकता। ( गुस्से से)

ऐसा बोलकर अमन वहां से चला जाता है लेकिन मां के दिल में एक कसक रह जाती है, जो वह अपने बेटे से चाहती थी आज उसके बेटे ने वह करने से नकार दिया है।

ऐसे में वह मन ही मन सोचती है कि जब बेटा ऐसा कर रहा है, तो न जाने बहू आएगी तो वह कैसा करेगी? इस सोच के बीच में ही अमन के पिताजी आ जाते हैं और वह मां को दवाई देकर सोने के लिए बोलते हैं।

रात को लगभग 2:00 बजे मां की नींद खुलती है, तो वह देखती है कि अंधेरे में एक गाड़ी आकर रुकी है जिसमें से अमन निकल कर आ रहा है। इतनी रात को अमन घर आ रहा है यह देख कर मां को कुछ अजीब सा डर लगता है लेकिन फिर वह दरवाजा खोलकर जैसे ही बाहर की ओर जाती है,तो अमन को नशे में धुत पाती है और उसके मुंह से भी शराब की बदबू आ रही होती है।

मां- आज तूने शराब पी ली है?( गुस्से से)

अमन- अरे अब जाने भी दो, दोस्तों के कहने पर मैंने थोड़ी सी पी क्या ली आपने तो पहाड़ ही उठा लिया।

अमन के माता-पिता को यह समझने में देर नहीं लगी कि अब अमन गलत राह पर जा चुका है और उसे वापस लाना इतना आसान नहीं होगा लेकिन फिर भी वह लोग उसका मन बहलाने के लिए कभी घूमने जाने का प्लान बना लेते, तो कभी शॉपिंग पर जाने का लेकिन अमन का उनके साथ जाने का कोई मन नहीं होता बल्कि वह तो अपने किसी दोस्त को बुलाकर ही उनके साथ चला जाता।

1 दिन की बात है अमन की मौसी दिल्ली से उनसे मिलने आ रही थी। ऐसे में मौसी पहली बार ही उनके घर आ रही थी और उन्हें डर था कि कहीं वे रास्ता न भटक जाए।

मौसी- ( अमन की मां से) मैं पहली बार तुम लोग के यहां आ रही हूं। तुम एक काम करो एयरपोर्ट अमन को मुझे लेने भेज दो वरना कहीं मैं तुम्हारे शहर में भटक ना जाऊँ।( चिंतित होते हुए)

मां- हाँ हाँ, दीदी क्यों नहीं बिल्कुल अमन तुम्हें लेने आ जाएगा। तुम फिक्र मत करो बस उसका इंतजार करना, मैं उसे भेज दूंगी।

जिस दिन मौसी आने वाली थी उस दिन मां ने अमन को बोल दिया था कि मौसी की फ्लाइट दोपहर 12:00 बजे आ जाएगी तो तुम उन्हें जाकर ले आना। अमन ने उस समय तो यूं ही हां ले आऊंगा कह दिया लेकिन जब उन्हें लेने का समय आया तो वह भूल गया और अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने निकल गया।

मौसी को एयरपोर्ट पर खड़े-खड़े लगभग 2 घंटे हो गए लेकिन अमन वहां नहीं पहुंचा।

इस बात से वह परेशान होने लगी और अमन की मां को फोन लगा कर कहने लगी-

मौसी- अरे क्या बात है अमन नहीं आएगा क्या? अरे अगर ऐसा ही करना था तो पहले बता देती मैं उसे कहती ही नहीं मुझे लेने आए।

मां- यह आप क्या कह रही हैं दीदी? मैं अभी उसे फोन लगाकर डाटती हूं।

लगातार मां अमन को फोन लगाती है लेकिन वह तो अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने में व्यस्त है। उसे इस बात का ख्याल ही नहीं है कि कोई उसका इंतजार कर रहा है या उसकी कोई नैतिक जिम्मेदारी बनती है।

उसने कभी भी अपनी जिम्मेदारी ना ही माता-पिता के लिए दिखाई और ना ही अपने रिश्तेदारों के लिए। ऐसे में हर बार अमन के माता-पिता को शर्मिंदा होना पड़ता।

खैर किसी तरह मौसी जी घर पहुंच ही गई लेकिन वह बहुत गुस्से में थी क्योंकि उन्हें लगभग 3 से 4 घंटे का इंतजार करना पड़ा और अमन उन्हें लेने ही नहीं पहुंचा इस बात से अमन के पिताजी भी बहुत नाराज हुए लेकिन अमन को कोई भी फर्क नहीं पड़ा।

1 महीने के बाद अमन तेज बाइक चलाता हुआ कॉलेज से घर की तरफ आ रहा था और उसे इस बात की जल्दबाजी थी कि जल्द ही उसे दोस्तों से मिलने जाना है। एक ऐसा अंधा मोड़ आया जहां पर उसे यह समझ नहीं आया कि हॉर्न बजाते हुए आगे बढ़ना चाहिए और सामने से आते हुए ट्रक से उसका भयंकर एक्सीडेंट हो गया।

इकलौती संतान और लाड प्यार से पलने वाले बहुत शैतान और बावले होते है

माँ- क क क कौन बोल रहे हो बेटा?(डर से)

लड़का- आंटी मै अमन का दोस्त बोल रहा हूं। उसका बहुत जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया है। आप लोग जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल आ जाइए उसकी जान को खतरा है।

यह बात सुनते ही माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि आज उनके जीवन का सबसे दर्दनाक दिन था। बड़ी हिम्मत करके दोनों हॉस्पिटल पहुंचते हैं, जहां अमन को होश नहीं था लेकिन उसे बहुत ज्यादा चोट आई थी।

डॉक्टर का कहना था कि अगर 12 घंटे के अंदर होश नहीं आता है, तो वह अपनी जान से हाथ धो बैठेगा।

पापा- हे भगवान यह तूने क्या कर दिया? यह तो मेरे बुढ़ापे का सहारा है। अगर इसे कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा? ( रोते हुए)

लगभग 1 दिन के बाद अमन को होश आता है और एक हफ्ते में ही उसकी छुट्टी हो जाती है, जहां उसके दोनों पैरों में फ्रैक्चर रहता है और वह तो अपने बिस्तर पर ही लेटे रहता है। उसकी पूरी देखभाल उसकी मां करती साथ ही साथ बाहर का काम पिताजी निपटा लेते थे। डॉक्टर ने सख्त कहा था कि उसे ज्यादा से ज्यादा आराम करना है और बाइक चलाने के बारे में तो सोचना भी नहीं है।

अमन- मां मैं यहां लेटे लेटे थक गया हूँ। अब तो मैं कहीं आ जा भी नहीं सकता तो आप ही मेरे दोस्तों को यहां बुला लीजिए। वह लोग आएंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

मां- ठीक है बेटा मैं बुला देती हूं।

जैसे ही दोस्तों ने देखा कि अमन के घर से फोन आ रहा है तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। किसी को ऐसा लगा कि अमन को पैसे की जरूरत होगी इसलिए फोन लगा रहे हैं, तो किसी ने सोचा कि उसे कोई और सामान चाहिए होगा इसलिए बुला रहे हैं और इस प्रकार से सभी अलग-अलग बहाने बनाने लगे और कोई भी अमन से मिलने नहीं गया।

अमन- मैं समझ गया हूं कि मेरे दोस्तों को अब मेरी दोस्ती नहीं चाहिए क्योंकि उन्हें तो वह दोस्त चाहिए था जो उनके एक इशारे पर पैसे उड़ाता था और उनकी हर ख्वाहिशों को पूरा करता था। यहां तक कि मैंने तो उनके लिए हजारों रुपए उड़ा दिए और आज जब मुझे उनकी जरूरत पड़ रही है, तो मेरे पास कोई भी नहीं आना चाहता।

पिताजी- बेटा अब तू अपना दिल छोटा मत कर। हम हैं ना तेरे साथ हम ही तेरे दोस्त हैं और हम ही तेरे माता-पिता। तुझे जो भी कहना है, वह तु हमसे कह सकता है।( गंभीर होते हुए)

अमन- आज तक मैंने आप लोगों का दिल दुखाया है और कभी भी आप लोग के भावनाओं की कदर नहीं की है लेकिन मैं यह भूल गया था कि जब तक मैं अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखूँगा, तब तक ईश्वर भी मेरा ख्याल नहीं रखेंगे। मेरी गलती के लिए आप माफ कर दीजिए अब आप से बढ़कर मेरे लिए कोई नहीं।

मां- अरे अचानक मेरा बेटा बड़ा कैसे हो गया?

ऐसा बोलते ही माता-पिता और अमन की आंखों में आंसू आ जाते हैं, जहां माता-पिता यह सोच कर खुश होते हैं कि अब उनके बेटे को एक नई राह मिल गई और अब वह अपने जीवन में बदलाव ला सकता है तो वही अमन की आंखों में आंसू इसलिए थे कि इतने सालों उसने अपने भगवान रूपी माता-पिता को परेशान करके रखा है।

पूरी लगन से माता-पिता ने अमन की सेवा की और अब अमन पहले से काफी बेहतर है। उसने सोच रखा है कि कॉलेज खत्म होते ही वह नौकरी की तलाश करेगा और अपने माता-पिता को कोई काम नहीं करने देगा।

दोस्तों, बात तो बिल्कुल सही है। कई बार हम अपने माता-पिता का दिल दुखा देते हैं बिना यह परवाह किए कि उन्हें कैसा महसूस होता होगा? हमारे जीवन में चाहे जितने लोग या दोस्त आ जाएं लेकिन जो परवाह और प्यार हमारे माता पिता करते हैं, वह कोई और नहीं कर सकता इसलिए हमेशा अपने माता-पिता का ध्यान रखें और उन से प्यार करें।

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