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Hindi Kavita (हिंदी कवितायेँ) Poem on patience

प्रेरक हिंदी कविता, Best Hindi Poem on motivation

कभी बरखा, कभी पानी
कभी बाढ़ मिले तो
कभी जलता कोई मरुस्थल
कभी सुखाड़ मिले तो
रुक जाना नहीं मेरे मितवा
आसमान का सीना टूट जाएगा
हिमालय बौना पड़ जाएगा
चलते चलते रहना तुम चलते जाना
मिलेगी मंजिल तुझे बढ़ते जाना
रुक जाना नहीं मेरे मितवा

पछतावा को छोड़ दे जो बीत गया सो बीत गया
हारा है तो हार कर मत बैठ, हारने वाले भी जीत गया
तू क्या है, सोच रहा
क्यूं खुद को है रोक रहा
तू ज्वालामुखी बनके फटेगा
धरती कांपेगी थर थर
होश उड़ जायेंगे सबके
तेरा हौसला देख देख कर
रुक जाना नहीं मेरे मितवा

समंदर में बनके सुनामी जब तू अवतार लेगा
सारी दुनिया झूक जाएगी सब कुछ उखाड़ देगा
आना है तुझको खुद का किशन बन के
अर्जुन तू ही हो, तू ही राम इस रावण के
मिट जाएगी हस्ती उसकी जो तुझसे टकराएगा
जो तुझसे टकराएगा वी चूर चूर हो जाएगा
रुक जाना नहीं मेरे मितवा

ना बात है किसी सीता की, ना किसी द्रौपदी की इज्जत पे आई,
हर कोई तुझको नकारे है, तू कुछ कर दिखा मेरे भाई
शूरवीर हो, सूरमा हो, भीम हो, शक्तिमान हो,
दिखला को सबको तुम किस की संतान हो।
विजय है तेरे हिस्से में, तेरी जीत पक्की है,
अपने आप पर निष्ठा रख, तेरी निष्ठा सच्ची है।
रुक जाना नहीं मेरे मितवा।

Hindi Kavita

The best poem in Hindi on patience

आसमान को छत कर के
हवा को यूं ओढ़ लूं
नदियां के बहाव को
आज नया मोड़ दूं
अपनी खामियां के खिलाफ
हाथ में डंडा ले लूं
रीति रिवाजों से पंगा ले लूं
सारे समाजों से पंगा ले लूं
तेरे खुदगर्जी से
अपने मर्जी से पंगा ले लूं
इस कानून से
अपने खून से पंगा ले लूं
ले लूं पंगा मैं ईश्वर से के होने से
ले लूं पंगा हंसने से ,रोने से
ले लूं पंगा डर से, हार से
ले लूं पंगा हां से, इनकार से
ले लूं पंगा इन सवालों से
ले लूं पंगा जमाने वालों से
आज मेरी शब्द शब्द में पंगा पंगा
आज मेरी नब्ज नब्ज में पंगा पंगा
मेरी धमनियों में, शिराओं में जुनून की गंगा
फेफड़ों की कोशिकाओं में
हृदय की कुपिकाओं में
एक हलचल है, कुछ दंगा दंगा
आज ले लूं पंगा पंगा

 

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