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मेरी माँ, मेरी दुनिया ~ Hindi Kahani

Hindi Kahani, Meri Maa Meri Duniya

इसमें कोई शक नहीं है कि मेरी माँ मेरी दुनिया है। मेरी माँ इस दुनिया में सबसे अच्छी माँ हैं और मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ। उनकी जितनी भी तारीफ की जाए, उतनी कम है। गुण की बात की जाए तो माँ (Mother) हम सबके लिए एक मिसाल होती हैं

उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। माँ में अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं जैसे मजबूत, विनम्र, जिम्मेदार, प्यार करने वाली, ख्याल रखने वाली, देखभाल करने वाली, सहायक आदि।

किसी भी महिला के लिए मां की भूमिका निभाना आसान नहीं होता है। जिम्मेदारियाँ तो माँ की छाया होती हैं। भले ही दुनिया इधर से उधर जाए, लेकिन वह अपने कर्तव्य से कभी नहीं भागती। वह पूरे परिवार का प्रबंधन करती है और सभी की अपेक्षाओं को पूरा करती है।

सुबह से शाम तक काम करती है, फिर भी यह नहीं जान पाती कि दिन कब ढल गया। वह हमेशा अपने दुखों को सभी से छिपाती है और दूसरों के दुखों को दूर करती है। वह पूरे परिवार को एक डोर से बांधकर रखती है और एक वास्तविक और सुंदर घर बनाती है।

एक घर ईट, भसुआ, गिट्टी से नहीं बल्कि उसमें रहने वाले लोगों से बनता है।

इस संसार में “कोई भी माँ की तरह नहीं हो सकता”।

छोटी कहानी

एक मजेदार कहानी जो मुझे आज भी याद है मेरी माँ के संग, शेयर करना चाहता हूं आप सभी से। मेरा बारहवीं कक्षा का परिणाम निकला था और मेरा एक अच्छे कॉलेज में चयन भी हो गया था।

अब मुझे अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में पढ़ाई करने जाना था। तब सबसे बड़ी समस्या “भोजन” की थी। मुझे खाना बनाना नहीं आता था। बचपन से ही मुझे खाना बनाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। जब भी मां मुझे खाना बनाना सिखाती थी, मैं कुछ न कुछ बहाना बनाकर रसोई से भाग जाता तथा उनकी बात अनसुनी कर देता। आज वही बात मुझे खटक रही थी।

इस दौरान मेरी माँ ने मुझे स्वादिष्ट खाना बनाना सिखाया। जिसमें से एक थे “फ्राइड राइस“।

जिस तरीके से मेरी मां ने मुझे सिखाया, पहले ही दिन मैं फ्राइड राइस बनाना सीख गया। एक दिन मैंने पहली बार अपने परिवार के लिए स्वयं फ्राइड राइस बनाऐ। परन्तु अपनी माँ की तरह स्वादिष्ट तो नहीं थे, हाँ लेकिन खाने के लायक जरूर थे।

फिर लगभग 1 महीने की अवधि में मैंने फ्राइड राइस, मैंने दाल, चावल, रोटी, भारी नाश्ता आदि जैसी चीजें बनाना सीख लीं जिससे मेरी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो सकती थी। अब मैं किसी पर निर्भर नहीं रह सकता था।

उस दिन रविवार था। मेरी माँ और पिताजी दोनों घर पर ही थे। उस दिन मेरी माँ और मुझ में फ्राइड राइस बनाने की होड़ लग गई कि कौन बेहतरीन तरीके से फ्राइड राइस बना सकता है। मेरे पिता जज थे। सुबह के करीब 10:00 बज रहे थे। हम दोनों ने रसोई में करीब आधे घंटे के भीतर अपने-अपने फ्राइड राइस बना लिये।

हमने अपनी डिश पिताजी के सामने पेश की। पिताजी ही परिणाम घोषित करने वाले थे।

फ्राइड राइस का परिणाम

जब मेरे पिता ने माँ के हाथों से बने हुए फ्राइड राइस का स्वाद चखा, तो वे थोड़ा हँसे। फिर उन्होंने मेरे हाथ से बने फ्राइड राइस का स्वाद चखा और वह फिर से मुस्कुराये। हालाँकि मुझे पता था कि मैं अपनी माँ से खाना पकाने में नहीं जीत सकता, फिर भी आशा करते हुये मैं अपने पिता की ओर देख रहा था।

उसके बाद वह हुआ जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था।

मेरे पिता, न्यायाधीश ने कहा, “आज के विजेता हैं, अंकित साहू।” मैं थोड़ा खुश और हैरान था। कुछ देर तक मैं सोचता रहा कि पिताजी मेरे दिल रखने के लिए ऐसा कह रहे हैं, परन्तु उस दिन मैंने वास्तव में वह प्रतियोगिता जीत ली थी।

हुआ कुछ ऐसा था कि माँ ने बहुत ही स्वादिष्ट फ्राइड राइस बनाये थे लेकिन केवल एक चीज की कमी थी और वह था “नमक”। मेरी माँ फ्राइड राइस में नमक डालना भूल गई थी और मैंने सभी मिर्च, मसाले, पानी और नमक को एक समान तरीके से मिलाया था, जिससे मैंने यह प्रतियोगिता जीत ली थी।

उस दिन मैं बहुत खुश था, इनाम के तौर पर पिताजी ने मुझे एक बढ़िया सी घड़ी दी जो कि उनका आशीर्वाद था जो हमेशा मेरी कलाई पर रहता और उनकी याद दिलाता। वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था। उसे मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता।

तो क्या! कभी-कभी ऐसा होता है। कौन सी बड़ी बात है? आखिरकार, मेरी मां ने मुझे फ्राइड राइस बनाया सिखाया था। वह मेरे गुरु हैं और मैं उनसे कभी नहीं जीत सकता।

प्रतियोगिता में हार जीत तो चलती ही रहती है पर इसका मतलब यह नहीं कि हम एक दूसरे से बात करना छोड़ दें। हम रिश्तो की एक मजबूत डोर से बंधे हुए हैं और ऐसी छोटी-मोटी प्रतियोगिता हमारे रिश्ते में दरार नहीं डाल सकतीं।

इस घटना के बाद मैं समझ गया था कि जिस काम से मैं बचपन से लेकर आज तक भाग रहा था, वह आगे मेरी जिन्दगी में मेरी बहुत मदद करेगा।
महिला हो या पुरुष अपने जीवन में सब को खाना बनाना आना चाहिए। जो लोग ऐसा सोचते हैं कि खाना बनाना सिर्फ महिलाओं का काम है, वह लोग गलत है। खाना बनाने में कैसी शर्म? यदि हम खाना नहीं बनाएंगे तो क्या खाएंगे? कैसे जिएंगे? कैसे रहेंगे?

यह माँ के साथ मेरी सबसे मजेदार कहानी थी जो मैंने आप सभी के साथ शेयर की।

यह कहानी अंकित साहू द्वारा लिखी गई हैं। इन्हें हिंदी में कहानियां लिखना बहुत पसंद है। यह भी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं और अपनी मंजिल तय कर रहे हैं। उम्मीद करता हूं कि आप लोगों को यह कहानी पसंद आई होगी।

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