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इटालियन खोजकर्ता और नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस का जीवन परिचय

कोलंबस का असली नाम क्रिस्टोफर कोलंबस है लेकिन लोग उन्हें कोलंबस के नाम से ही जानते हैं। कोलंबस एक महान भ्रमणकर्ता और खोजकर्ता थे। बहुत से लोग कोलंबस को समुंद्री नाविक और लुटेरा के नाम से भी पुकारते हैं क्योंकि कोलंबस अक्सर समुंद्र में ही घूमते रहते थे।

वैसे तो क्रिस्टोफर कोलंबस भारत की खोज में निकले रहे लेकिन भारत को खोजते खोजते वो अमेरिका पहुंच गए थे। अमेरिका पहुंचने के बाद कोलंबस अमेरिका को ही भारत समझ रहे थे इसीलिए उन्होंने अमेरिका का नाम इंडीज रखा था।

लेकिन बाद में उन्हें यह ज्ञात हुआ कि जिस द्वीप की उन्होंने खोज की है वो भारत नहीं बल्कि अमेरिका है। इस तरह अमेरिका की खोज करके कोलंबस अमेरिका की खोज कर्ता बन गए थे। क्रिस्टोफर कोलंबस के बारे में विस्तार से जानने के लिए उनके इस जीवनी को पूरा पढ़ें।

क्रिस्टोफर कोलंबस जीवनी

क्रिस्टोफर कोलंबस की समुद्री यात्रा के कारण ही यूरोप के देशों को पहली बार यह जानकारी हुई थी कि यूरोप के देशों के अलावा भी दुनिया में अन्य कई देश है। हालांकि चौंकने वाली बात है कि क्रिस्टोफर कोलंबस की जिंदगी का मुख्य लक्ष्य भारत की खोज करना था।

दुर्भाग्यवश यह इच्छा आखिरी समय तक पूरी नहीं हो पाई, परंतु फिर भी क्रिस्टोफर कोलंबस ने कई देशों की खोज की। इसने ही शक्तिशाली राज्य अमेरिका की खोज की थी‌।

क्रिस्टोफर कोलंबस का व्यक्तिगत परिचय

पूरा नाम क्रिस्टोफर कोलम्बस
जन्म 1451
जन्म तारीख 31 अक्टूबर
जन्म स्थान गेनोआ, इटली
पिता डोमेनिको कोलंबो
माता Susanna Fontanarossa
पेशा खोजकर्ता
मशहूर अमेरिकी द्धीपों की खोज
मृत्यु 1506
मृत्यु तारीख 20 मई
भाई बार्टोलोमो, गियोवन्नी पेलेग्रिनो, जियाकोमो
बहन बियानचिनेटा
पत्नी फिलीपा मोनिज़ पेरेस्ट्रेलो
धर्म ईसाई

क्रिस्टोफर कोलंबस का प्रारंभिक जीवन

साल 1451 में महान खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस का जन्म इटली के जिनोआ शहर में हुआ था। यह जिस खानदान में पैदा हुए थे, वह जुलाहा का काम करता था।

क्रिस्टोफर कोलंबस के कुल तीन भाई थे और उनकी एक बहन भी थी। जब क्रिस्टोफर कोलंबस पैदा होने के बाद थोड़े बड़े हुए, तो यह अपने पिताजी के व्यापार में उनकी सहायता करने लगे परंतु क्रिस्टोफर कोलंबस के मन में पहले से ही समुद्री यात्रा करने का और नई खोज करने का विचार आने लगा था।

इसीलिए उन्होंने धीरे-धीरे नौकायान की इंफॉर्मेशन प्राप्त करना चालू कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि क्रिस्टोफर कोलंबस को लेटिन भाषा की भी काफी अच्छी जानकारी थी और नौकायान की जानकारी होने के कारण उन्हें एक बार समुद्री जहाज के साथ बिजनेस के लिए जाने का मौका भी प्राप्त हुआ‌।

अपनी इस बिजनेस यात्रा में क्रिस्टोफर कोलंबस को इंग्लैंड, आयरलैंड, आइसलैंड से लेकर अफ्रीका के पश्चिमी छोर तक घूमने का मौका मिला।

क्रिस्टोफर कोलंबस के टाइम में जो यूरोपियन बिजनेसमैन थे, वह बड़ी संख्या में अपने माल को एशिया के अन्य देशों के साथ-साथ हमारे भारत देश में भी बेचने का काम करते थे, जिसके लिए वह अपना माल भरकर जमीनी रास्ते के द्वारा भारत आते थे और जब वह अपना माल बेच कर वापस अपने देश जाते थे, तब वह भारत से बड़ी मात्रा में मसाले लेकर जाते थे।

परंतु यह बिजनेस तब बहुत ही ज्यादा प्रभावित होने लगा, जब साल 1453 में तुरकानी ने कांस्टेंट नेपाल पर विजय प्राप्त कर ली और उन्होंने इस रास्ते को पूरी तरह से यूरोपियन व्यापारियों के लिए ब्लॉक कर दिया, जिसके कारण यूरोपियन व्यापारियों को धंधा करने में बहुत ही ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ा, जिसके कारण धीरे-धीरे उनका बिजनेस डाउन होने लगा।

इस प्रकार यूरोपियन व्यापारियों को भारत के अलावा दूसरे देशों में अपना सामान बेचने के लिए एक नए रास्ते की खोज करने की आवश्यकता पड़ी। जिसके लिए काफी प्रयास किए गए।

इस प्रकार क्रिस्टोफर कोलंबस के मन में समुद्र के रास्ते से भारत और एशिया के अन्य देशों में व्यापार करने के लिए नया रास्ता खोजने का विचार आया, परंतु उन्हें इस बात की कोई भी इंफॉर्मेशन नहीं थी कि यूरोपियन देशों से भारत और दूसरे देशों की दूरी कितने हजार किलोमीटर की है।

क्रिस्टोफर कोलंबस की भारत खोजने की इच्छा

जब क्रिस्टोफर कोलंबस के मन में समुद्री रास्ते के द्वारा भारत और अन्य एशियाई देशों के बीच संपर्क बनाने का विचार आया तो उसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस राजा जॉन द्वितीय के पास गए जो कि पुर्तगाल के राजा थे और कोलंबस ने उनके सामने भारत की खोज करने की इच्छा प्रकट की परंतु पुर्तगाल के राजा ने इसके लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया, जिसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस स्पेन चले गए।

क्रिस्टोफर कोलंबस की पहली समुद्री यात्रा

स्पेन देश चले जाने के बाद साल 1492 में स्पेन के पालोस पोर्ट से क्रिस्टोफर कोलंबस ने 3 अगस्त को अपनी पहली समुद्री यात्रा को स्टार्ट किया। कोलंबस जिस दिन अपनी समुद्री यात्रा आरम्भ करने वाले थे वह दिन Spain के लिए बहुत ही खास था, क्योंकि उस दिन स्पेन में एक ऐसे अभियान की शुरुआत होने जा रही थी, जो अगर कामयाब हो जाता, तो स्पेन देश को काफी फायदा होता है।

स्पेन के बंदरगाह से जो जहाज निकले थे, उनका नाम सांता मारिया, नीना और पेंटा था।

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समुद्री यात्रा प्रारंभ होने के बाद यात्रा में जो भी घटना घटित हो रही थी, उन सभी घटनाओं की जानकारी क्रिस्टोफर कोलंबस एक बुक में लिखते जा रहे थे। क्रिस्टोफर कोलंबस अपने जहाज के साथ 6 सितंबर को अफ्रीका के पास के केनेर द्वीप पर पहुंचे।

जहां पर वह 1 महीने तक रुके और इसके कारण धीरे-धीरे उनकी खाद्य सामग्री खत्म होने लगी इसलिए क्रिस्टोफर कोलंबस अपने साथियों का मनोबल बढ़ाने के लिए लगातार यात्रा कर रहे थे। काफी लंबी यात्रा करने के बाद 10 अक्टूबर को जब क्रिस्टोफर कोलंबस को एक चिड़िया उड़ती हुई दिखाई दी तब क्रिस्टोफर कोलंबस को लगा कि गल्फ की खाड़ी आ चुकी है।

इसके बाद विदिशा में पक्षी उड़ रहे थे क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपने जहाज को उसी दिशा में घुमा दिया और फिर 2 दिन का सफर करने के बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को साल 1492 में 12 अक्टूबर को धरती का किनारा दिखाई दिया और इस प्रकार वह धरती के किनारे पर पहुंच गए। जिस समय क्रिस्टोफर कोलंबस ने धरती पर पैर रखा, तो उन्हें ऐसा लगा कि वह भारत देश पहुंच गए हैं, परंतु वह भारत देश नहीं था बल्कि वह अमेरिकी कैरेबी द्धीप था।

भारत ना पहुंचने पर निराश नहीं हुए

भारत ना पहुंचने की दशा में भी क्रिस्टोफर कोलंबस निराश नहीं हुए और उन्होंने फिर से अपने खोजी अभियान को चालू रखा है, जिसके बाद उन्होंने कुछ और कैरिबियाई द्धीपों की खोज की‌, जिसमें हिस्पानिओला (सैंट डोमिनगो), जुआना (क्यूबा) आदि शामिल थे।

अपने द्वारा खोजे गए इन सभी द्धीप को क्रिस्टोफर कोलंबस ने इंडीज का नाम दिया। उन द्धीप में उस समय आदिवासी रहते थे, जिनके पास अपार धन दौलत थी। इसलिए क्रिस्टोफर कोलंबस ने चालाकी दिखाते हुए अपनी टीम के 90 साथियों में से तकरीबन 40 साथियों को वहीं पर छोड़ दिया और वह वापस स्पेन चला गया।

कोलंबस को ढूंढे हुए प्रदेशों का बनाया गया गर्वनर

स्पेन की वापसी यात्रा को क्रिस्टोफर कोलंबस ने कुछ ही दिनों में तय कर लिया और वह साल 1493 में 15 मार्च को वापस स्पेन देश पहुंच गया, जहां पर स्पेन के राजा के द्वारा क्रिस्टोफर कोलंबस का भव्य स्वागत किया गया और क्रिस्टोफर कोलंबस ने जिन जगहों की खोज की थी, उन सभी जगहों का गवर्नर क्रिस्टोफर कोलंबस को बनाया गया।

इसके बाद भी क्रिस्टोफर कोलंबस ने साल 1506 तक अपनी मौत के पहले भी तकरीबन तीन बार अपने साथियों के साथ अमेरिकी दीपों की समुद्री यात्रा की और हर बार वह अपनी समुद्री यात्रा से काफी मात्रा में धन दौलत लूट करके स्पेन देश वापस लौटता था।

क्रिस्टोफर कोलंबस को गवर्नर पद से हटाना

कई दस्तावेजों में यह बात भी सामने आई है कि जो धन दौलत क्रिस्टोफर कोलंबस लूटकर स्पेन देश लाता था, उसमें वह काफी बड़ी मात्रा में घोटाला करता था, जिसके कारण उसकी काली करतूतों का पता लगने पर स्पेन के राजा ने क्रिस्टोफर कोलंबस को गवर्नर के पद से हटवा दिया।

क्रिस्टोफर कोलंबस की टोटल समुद्री यात्राएं

क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपनी जिंदगी में टोटल 4 बार अमेरिकी दीपों की यात्रा की थी, जिसमें उसने अपनी पहली यात्रा साल 1492 में, अपनी दूसरी यात्रा साल 1493 में 13 दिसंबर को, अपनी तीसरी यात्रा साल 1498 में 30 मई को और अपनी चौथी और आखिरी यात्रा साल 1502 में 11 मई को उसने की थी।

अपनी इन चारों यात्राओं के दरमियां क्रिस्टोफर कोलंबस ने नई जगह की खोज की थी और काफी ज्यादा मात्रा में धन संपदा लूटकर वह स्पेन देश ले गया।

क्रिस्टोफर कोलंबस की मृत्यु

क्रिस्टोफर कोलंबस अपनी लाइफ के आखिरी टाइम में एक भयंकर बीमारी से परेशान हो गए थे और इसी बीमारी के चलते साल 1506 में 20 मई को क्रिस्टोफर कोलंबस की सांसे हमेशा के लिए थम गई और उन्होंने इस धरती को अलविदा कह दिया‌।

क्रिस्टोफर कोलंबस के बारे में एक बात यह भी है कि क्रिस्टोफर कोलंबस को अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक यह बात नहीं पता चल पाई थी कि उन्होंने जिस जगह की खोज की थी, वह भारतीय जगह नहीं बल्कि अमेरिकी द्वीप थे।

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