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नई राह

Insaniyat Ki Kahani, Short Story on Humanity

आज अर्चना नए घर की तलाश में है जहां भी जाती लोग उसके अकेलेपन का राज पूछते। इस सवाल से वह बचना चाहती थी लेकिन वह एक खुद्दार और ईमानदार लड़की थी। कभी-कभी तो उसे लगता कि वह झूठ बोल दे लेकिन आखिर वो झूठ कितने दिन तक बोलती क्योंकि उसकी जिंदगी का राज किसी को बताना नहीं चाहती थी जिसके बारे में उसे सोचना भी गवारा नहीं था।

अब अर्चना को दूसरे शहर मैं नौकरी मिल गई थी और वह यह सोच कर आगे बढ़ रही थी कि कहीं ना कहीं उसके साथ भी अच्छा जरूर होगा।

अर्चना आज भी एक नए घर की तलाश में निकल पड़ी थी जहां उसे एक घर के बाहर ही बोर्ड दिखाई दिया जिसमें किराए पर कमरे देने की बात की गई थी। अर्चना ने हिम्मत करके दरवाजा खटखटाया तो एक आदमी ने दरवाजा खोला- कहिए मैडम क्या काम है?

अर्चना- जी मैंने आपके घर के बाहर बोर्ड देखा है कि आप कमरा किराए पर देना चाहते हैं। मेरी अभी अभी इसी शहर में नौकरी लगी है और मुझे कमरे की तलाश है।

उसी समय पीछे से मकान मालिक की पत्नी कमला आकर आँख दिखाते हुए कहती है- तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं?

अर्चना शांत मन से- मैं अकेले ही हूँ।

कमला- क्या मतलब है तुम्हारा मां-बाप, पति, बच्चे कोई तो होंगे ना?

अर्चना- जी नही मैं बिल्कुल अकेली हूं। दरअसल मैं एक तलाकशुदा हूं और अब इस शहर में नौकरी करने आई हूं।

कमला- नहीं नहीं ऐसी औरतों के लिए हमारे यहां कोई कमरा नहीं है, जिनका ना कोई आगे है ना पीछे। कल को अगर मुंह काला भी कर दिया तो सारे लोग तो हमें ही दोष देंगे ना।

अर्चना- जी माफ कीजिए ऐसी छोटी सोच वालों के यहां मुझे कमरा नहीं चाहिए। मैंने सोचा था आप भी एक महिला है और इसीलिए मेरी समस्या समझ सकेंगी लेकिन यह मेरी ही गलती थी कि मैंने आपसे उम्मीद रखी। (गुस्से से)

और अर्चना वहां से अपना बैग उठाकर चली जाती है अर्चना ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उसे ऐसा भी दिन देखना होगा क्योंकि पहले ही उसने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया और ना ही किसी का बुरा किया।

लेकिन वह कहते हैं ना भलाई के लिए बुराई से लड़ना ही पड़ता है। लगभग 4 दिनों की दौड़ भाग के बाद अर्चना को एक बुजुर्ग दंपत्ति के यहां कमरा मिल ही गया था। बुजुर्ग दंपत्ति के बेटे बहू ने उन्हें छोड़कर विदेश जाने का फैसला कर लिया था और अर्चना को भी माता-पिता जैसा प्यार मिल रहा था। बुजुर्ग आंटी अंकल भी अर्चना को प्यार देने से नहीं चूकते क्योंकि उन्हें अपनी बेटी की तरह लगती थी।

बुजुर्ग आंटी- बेटी अर्चना यह देखो मैंने आज दही बड़े बनाए हैं और थोड़े तुम्हारे लिए भी ले आई हूं। उम्मीद करती हूं तुम्हें पसंद आएंगे।

अर्चना- अरे आंटी आपने इतनी मेहनत क्यों करी मुझे बता देती तो मैं आपकी मदद कर देती।( प्यार से)

बुजुर्ग आंटी- ले लो बेटा तुम्हें देखकर मुझे अपने बच्चों की याद आ जाती है और फिर मैं तुम्हारे लिए ही यह सब बना देती हूं।

बुजुर्ग अंकल- ले लो बेटा तुम्हारी आंटी ने इसे बड़ी मेहनत से बनाया है। तुम ही तो कह रही थी कि तुम्हें दही बड़े पसंद है।

अर्चना- जी हां मेरी माँ मेरे लिए इसी प्रकार से दही बड़े बनाया करती थी।

अर्चना उनसे दही बड़े ले लेती है और प्यार से टेस्ट करते हुए कहती है- वाह! इतना टेस्टी तो मेरी मां भी नहीं बना पाती थी।

और तभी सब जोर-जोर से हंसने लगते हैं तभी उसे याद आता है कि उसे अपने काम पर जाने में देरी हो रही है और वह थैंक यू बोल कर वहां से निकल जाती है।

जीवन में कभी-कभी ऐसे मोड़ भी आते हैं जिनके बारे में आपने कल्पना नहीं किया होता लेकिन फिर भी आपको आगे बढ़ना पड़ता है सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए। यही सोचकर अर्चना अपने जीवन में आगे बढ़ रही थी।

आज वह कमला बहुत परेशान थी, जो कभी अर्चना को कमरा देने से मना कर रही थी। दरअसल उनके पति का बिज़नेस डूब चुका था और अब नया बिजनेस शुरू करने के लिए लोन लेना चाह रहे थे लेकिन बार-बार हर जगह से धक्के खाने के बाद उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?

सब जगह से हिम्मत हार कर दोनों पति पत्नी उस बैंक की तरफ गए जहां उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें लोन मिल जाएगा क्योंकि बाकी जगह लोन मिलने में असफलता ही मिली थी। अंदर जाते ही उन्होंने मैनेजर से मिलने की गुजारिश की- प्लीज हमें अंदर जाने दीजिए दरअसल हमें बहुत जरूरी काम है।(तनाव में )

चपरासी- अरे अरे आप ऐसे ही नहीं जा सकते हमें अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है, नहीं तो मैं अंदर से पूछ कर आता हूं।

कमला का पति- हां हां आप पूछ कर आइए।

चपरासी का इशारा मिलते ही दोनों पति-पत्नी दौड़ते हुए मैनेजर के केबिन में चले जाते हैं, जहां वह देखते ही दंग रह जाते हैं कि जिस अर्चना को वे लोग घर देने से मना कर रहे थे आज वह इस बैंक की मैनेजर है। अर्चना भी दोनों को देखकर समझ जाती है कि आज मुसीबत उनके ऊपर आई है।

अर्चना- अरे आप दोनों यहां कैसे?

कमला- हमें नहीं मालूम था कि आप बैंक के मैनेजर हैं वरना हम आपको कमरा दे देते।

अर्चना- अगर आप मेरे ओहदे को देखते हुए कमरा देते तब तो मुझे वह कमरा बिल्कुल नहीं चाहिए। खैर यह बताइए आप लोग यहां कैसे?

कमला- दरअसल हमें अपना बिजनेस शुरू करने के लिए लोन चाहिए। आज हमारा समय बहुत खराब है क्योंकि कुछ गलतियों की वजह से आज हम इस कगार पर आकर खड़े हो चुके हैं।

अर्चना ने सारी बात को सुनते हुए उन्हें लोन दिलाने में मदद की और उनसे यह वादा भी किया कि जब भी उन्हें जरूरत हो वह लोग उस से मदद ले सकते हैं।

उसकी ऐसी बातों से कमला को आंसू आ जाते हैं और वह रोते हुए कहती है- हमें माफ कर दीजिए जब आपको हमारी जरूरत थी तब हमने आपको निकाल दिया लेकिन आज आपने इंसानियत का सच्चा परिचय दिया। मुझे बहुत अफसोस है कि मैंने आपके साथ गलत व्यवहार किया।

अर्चना- आपने जो भी किया वह गलत किया लेकिन मुझे आज कोई अफसोस नहीं क्योंकि अगर आप ने उस दिन मुझे कमरा देने से मना नहीं किया होता, तो मुझे इतने अच्छे अंकल आंटी नहीं मिलते जो बिल्कुल मेरे माता-पिता की तरह है और इस अनजान शहर में मुझे कोई अपना मिल गया।

आगे अर्चना कहती है- औरत का अकेला होना कोई बुरी बात नहीं है कोई भी औरत इतनी अकेले कभी नहीं होती कि वह अपनी जिंदगी को खुद आगे ना बढ़ा सके।

कभी भी किसी की सच्चाई जाने बिना गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि आने वाला समय आपके लिए कितना अच्छा है और कितना बुरा? मेरी बात याद रखिएगा और आज के बाद कभी भी किसी का दिल ना दुखाएगा।

कमला और उसके पति अपनी कही हुई बातों के लिए अफसोस करते हुए वहां से चले जाते हैं और तभी बुजुर्ग आंटी का फोन अर्चना के पास आ जाता है- बेटा आज मैं खाने में वेजिटेबल पुलाव बना रही हूं तुम्हें पसंद है ना।

अर्चना खुश होते हुए- जी हां आंटी आप जो बनाएंगी मुझे सब पसंद है।

आज अर्चना अपनी पिछली जिंदगी को भुलाकर एक नई राह को निकल चुकी थी और अब अर्चना ने खुद को ही इस नई राह में आगे बढ़ने के लिए मुबारकबाद भी दे दी थी।

Final word:
जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते रहेंगे,कई बार कितनी जगहों से हमें निराशा भी हाथ लगेगा. लेकिन सारे परेशानियों और मुसीबतों में भी यह जरूरी होता है कि हार जाने के बाद भी हम खुद से हार ना माने।

कोई जरूरी नहीं है कि आपके साथ रह कोई एक जैसा ही सलूक करें, हर कोई आपके अनुसार ही व्यवहार करे। हम इंसानों की फितरत है कि हम हर जगह, हर किसी में अपनी छवि और अपनापन ढूंढ़ते रहते है, लेकिन ऐसा कभी संभव ही नहीं है।

इसलिए लाइफ में जितने भी कठिनाइयां आ रही है, उनका सामना करे, उनको समझे और उनसे निपटने की कोशिश करे, आप जरूर एक बेहतर परिणाम मिलेगा।

और कई बार जीवन में कुछ गलत इसलिए होता है क्योंकि उस गलत के बाद काफी कुछ अच्छा भी हो जाता है।
बरसात होने के बाद आसमान अकसर साफ हो जाता है, अर्चना को शुरू शुरु में जितनी रूम खोजने में दिक्कत हुआ, बाद में उसको उतना ही बेहतरीन घर भी मिला।

एक और सीख जो यह कहानी सिखाती है कि कभी भी किसी को पूर्वाग्रह के आधार पर जज नहीं करना चाहिए।
क्योंकि सामने वाला किस हालात से गुजर रहा है, इसका हमें थोड़ा भी अंदाजा नहीं रहता है, इसलिए सामने वाले के हालात का, सामने वाले के समस्या का मजाक उड़ाने के बदले उसके प्रति सहानुभूत होना काफी जरूरी होता है।

जीवन में सबका समय हर समय एक जैसा नहीं होता है,समय बदलता रहता है।
कभी भी किसी से कुछ भी जरूरत पड़ सकती है, इसलिए हर किसी के भावनाओं का सम्मान करना, उसकी कद्र करना हम सबकी जिम्मेवारी है।

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