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डर(FEAR) को जीतने का एक ही तरीका है, इसे खत्म कर दो

डर(Fear) को जीतने का एक ही तरीका है, इसे खत्म कर दो। Dar ko kaise daraye, dar ko dur karne ke upay Hindi mein

हर इंसान के अन्दर किसी ना किसी बात को लेकर डर जरुर होता है। यह मन की एक ऐसी भावना होती है, जिससे इंसान दूर भागना चाहता है। डर केवल इंसानों में ही नहीं बल्कि इस धरती के हर जीवित प्राणी में होता है। अगर कोई व्यक्ति कहता है कि उसे किसी चीज से डर नहीं लगता, तो वह झूठ बोल रहा है।

हमारे समाज ने, हमारे माता – पिता ने और हमारे आस पास के लोगों ने हमें डर के दायरे में बांध दिया है।

हम सब ने अपना एक Comfort Zone बना लिया है और इसमें काम करने पर हमें डर नहीं लगता है। लेकिन जैसे ही हम इसके बाहर की सोचते है हम घबरा जाते है, हमें डर लगने लगता है।

जैसे, अपने दोस्तो से बात करने पर हमें किसी प्रकार का कोई डर नहीं लगता है लेकिन अगर स्टेज पर बोलना पड़े, तो हमे डर लगता है कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए और सबके सामने मेरा मज़ाक ना बन जाए।

हमे इससे भागने की बजाए, इसका सामना करना चाहिए। इस दुनिया में काफी ऐसे लोग है, जिन्होंने कुछ तरीको को अपनाकर अपने डर पर विजय पाई है और अपनी मनपसंद जिंदगी जी रहे है। हमें भी इन तरीको को अपनाकर अपने डर को खतम करना होगा तभी हम आगे बढ़ सकते है।

आज इस पोस्ट में हम डर से सम्बन्धित चर्चा करेंगे और अपने डर को दुर भगाने के कुछ असरदार तरीको के बारे में जानेंगे। तो आइए जानते है कि,

  1. डर को समझना।
  2. डर का सामना करना।
  3. एक्सरसाइज़ करना।
  4. बाहर घूमने जाना।
  5. मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाना।

Face the FEAR

डर क्या होता है?

डर हमारे मन का ही एक विचार होता है और इसका होना स्वाभाविक है। जिस प्रकार हमारे मन में खुशी, दुख और अनेकों प्रकार के भावनात्मक विचार आते है, डर भी उनमें से एक है। यह एक नकारात्मक ऊर्जा होती है, जो हमे कुछ नया करने और सीखने से रोकती है।

जब हमारे सामने कोई ऐसी परिस्थिति आ खड़ी होती है, जिसका हमने पहले कभी अनुभव नहीं किया हो या फिर जब हमे किसी खतरे का आभास होता है, तो उस समय मन में पैदा होने वाले भाव को ही डर कहा जाता है।

डर किन कारणों से उत्पन्न होता है ?

शोधकर्ताओं की माने तो डर हमारे मस्तिष्क में उपस्थित तंत्रिकाओं के केंद्र, जो एक बादामी संरचना के रूप में होती है, जिसे अमायगडेला कहा जाता है, में एक Code के रूप में विकसित होता है। इसका सम्बद्ध हमारे आचरण और भावनाओं से जुड़ा होता है।

डर का विकास हमारे दिमाग में बचपन से ही कर दिया जाता है। ये मत करो, यहां मत जाओ, इससे ये हो जाएगा और भूत प्रेत से जुड़ी झूठी कहानियां सुनाकर हमारे अंदर डर को उत्पन्न किया गया है। जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं होता है

ज्ञानता के अभाव में भी डर मन में विकसित हो सकता है। किसी घटना या औरो से सुनी बातो पर यकीन कर हम उसे सच मन लेते है जिससे उस चीज के प्रति डर उत्पन्न हो जाता है।

यदि हम किसी काम की शुरुआत करें, तो हमे डर होता है कि ये काम कहीं बिगड़ ना जाए और यदि किसी गलती के कारण वह काम बिगड़ भी जाता है तो उसके प्रति हमारे मन में डर बैठ जाता है।

जब हमारे पास कोई चीज नहीं होती है तो उसके अभाव का डर और यदि वही चीज हमे मिल जाती है, तो उसके खोने का डर हमारे मन में पैदा हो ही जाता है और वह चीज कुछ भी ही सकती है। जैसे, स्वास्थ्य, पैसा, कोई अपना, खुशी, इत्यादि को पाने और खोने का डर रहता है।

डर कितने प्रकार के होते है ?

वास्तविक और काल्पनिक डर, डर के ही प्रकार होते है। जब हमे किसी चीज का ज्ञान होता है, तो उस चीज का डर वास्तविक डर कहलाता है और जब हमे कोई ऐसा डर हो, जो भी सकता है और नहीं भी तो, ऐसे डर को काल्पनिक डर कहा जाता है

जैसे, आग में हाथ डालना एक वास्तविक डर है, क्योंकि हम जानते है कि आग हमारे हाथ को जला सकती है। हमे इस डर का पता होता है इसलिए यह इतना खतरनाक नहीं है।

लेकिन काल्पनिक डर, जैसे – कहीं मै एग्जाम में फैल ना हो जाऊ, लोग मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे, अंधेरे में जाने पर मेरे साथ क्या होगा इत्यादि डर काल्पनिक डर होते है। इनका होना या ना होना निश्चित नहीं है

यहां हमने कुछ ही उदाहरण बताए है, इससे भी अधिक डर हम अपने जीवन में महसूस करते है।

डर जब हमारे मन में काफी समय तक बना रहता है तो इसे Phobia कहा जाता है। यह डर का सबसे ख़तरनाक लेवल होता है। Phobia अलग अलग प्रकार के होते है। जैसे –

1. सोमनीपोफोबिया (सोने का डर)

कुछ लोगो में सोने का डर होता है। जब भी वह सोने जाते है, तो उन्हें लगता है कि अब वह फिर से नही उठेंगे। यह एक अजीब तरह का डर होता है, कई कई बार तो उन्हें नींद भी नहीं आती है। इस डर को सोमनिपोफोबिया कहते है।

2. मायसोफॉबिया :

कुछ लोगो में कीटाणुओं के प्रति डर होता है। उन्हें कुछ खाने, पीने आदि चीजों को छूने से भी डर लगता है। हाल ही में इस डर को आपने महसूस भी किया होगा, जब लोग कॉरोना के कारण होने वाले संक्रमण से डरे हुए थे, लोगो से मिलने जुलने से भी हमे डर लग रहा था। इसी डर को मायासोफॉबिया कहते है।

3. नेकटोफोबिया :

जिन लोगो को अंधेरे से डर लगता है। अंधेरे में जाने से भी उन्हें घबराहट होती है, वह लोग नेकटो फोबिया के शिकार होते है।

4. नोमोफोबिया : मोबाइल नेटवर्क खोने का डर

आपने देखा होगा ज्यादातर लोग अपने फोन को लेकर सीरियस होते है। जब कही दूसरी जगहों पर जाते है, जहा उन्हें अपने फोन में नेटवर्क नहीं मिलता है, तो वह घबरा जाते है, उन्हें बैचेनी होने लगती है। डर के इस प्रकार को नोमोफोबिया कहा जाता है।

डर को दूर कैसे करे ?

अब तक हमने देखा डर क्या होता है ?, डर किन किन कारणों से उत्पन्न होता है ? और डर कितने प्रकार के होते है ? अब हम उन तरीको के बारे में बात करेंगे, जिनको आजमाकर आप अपने डर को पूरी तरह खत्म कर पाएंगे।

1. डर को समझना

बिना डर को समझे, आप अपने डर से नहीं जीत सकते। आपको डर को नहीं, डर के कारण को खतम करना है, डर अपने आप खतम हो जाएगा। अपने डर को बाहर निकालने के लिए आपको इसे समझना होगा। आप अपने आप से पूछे की मुझे किस बात का डर है ? मैं किन चीजों से डरता हू ? मेरे डर का कारण क्या है ?

जब आप दिमाग से कुछ सवाल करते है, तो वह जवाब ढूंढने लगता है। अब जो भी कमियां आपके सामने निकल कर आए, उन्हें एक कागज पर लिख ले और धीरे धीरे एक के बाद एक कमी को दूर करते रहे। इससे आप में आत्मविश्वास बढ़ेगा।

डर को धीरे धीरे खतम किया जा सकता है, इसको एकदम से खतम करना बेवकूफी होगी।

जैसे, अगर आपको तैरना नहीं आता है और आप सीधे समुंदर में चले जाए तो क्या होगा ? आप अपने डर को नहीं, अपने जीवन को खतम कर लेंगे। ऐसा बिल्कुल ना करे। इसके लिए आपको पहले से तैरना सीखना पड़ेगा और इस डर को पहले से ही खतम कर लेना होगा, इसी को समझदारी कहा जाता है।

2. डर का सामना करना

डर आपके बाहर नहीं है, यह आपके अंदर ही है। यह आपको जीवन में आगे बढ़ने से रोकता है। इसका सामना करने के लिए आपको इसके विपरित कार्य करने आवश्यकता है।

अगर आपको अंधेरे से डर लगता है तो आपको अंधेरे में जाकर डर को Observed करना होगा कि डर कैसा होता है। वहीं खड़े रहकर डर का सामना करना है तभी आप इसे जीत पाएंगे। रोशनी में खड़े रहकर आप अंधेरे के बारे में सोचेंगे तो आप अपने डर को और बढ़ा रहे है। अगर आप यही सोचते रहे कि नहीं! मुझे तो डर लगता है, तो ज़िन्दगी भर यह डर आपके मन में ही रहेगा।

आपको रिस्क लेना ही होगा, बिना रिस्क लिए कोई आगे नहीं बढ़ पाया है। अगर आप रिस्क लेने में अच्छे है तो अपने डर पर भी जीत पा लेंगे।

3. एक्सरसाइज़ करना

एक्सरसाइज़ करना स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा होता है। इससे दिमाग शांत होता है और भावनात्मक विचार पैदा करता है। जिससे डर काफी हद तक कम हो जाता है। एक्सरसाइज़ करने से आप लोगो के बीच स्वस्थ और फिट दिखते है, जिससे आपका Confidence भी बढ़ता है।

एक्सरसाइज़ में आप Running कर सकते है, Stretching कर सकते है या फिर आप घर पर रहकर 20 से 30 मिनट योगा या मेडिटेशन कर सकते है। योग डर को भागने का महत्वपूर्ण तरीका है।

4. बाहर घूमने फिरने जाए

जिस इंसान में डर होता है, वह ज्यादा समय अकेला ही रहता है। चिंता उसे अन्दर ही अन्दर खाए जाती है। सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वहीं डर डिप्रेशन का रूप ले सकता है।

अपने अंदर बसे इस डर को बाहर निकालने के लिए आपको कहीं शांत और अच्छी जगहों पर जाना चाहिए। इससे मन शांत होगा और विचार आने कम हो जाएंगे। शांत जगहों पर व्यक्ति का दिमाग अच्छा फील करता है और पॉजिटिव एनर्जी उत्पन्न करता है। आपको रोज़ 30 मिनट शांत वातावरण में बैठे रहना है और बस अपने आस पास हो रही एक्टिविटी को देखना है।
कुछ दिन बाद आप पाएंगे कि आपका डर धीरे धीरे कम हो रहा है।

5. मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाना

जब आप Mentally Strong होते है तो डर आप पर ज्यादा हावी नहीं होता है और आप इससे आसानी से बाहर आ जाते है।
मानसिक रूप से मजबूत होने का मतलब है जो जैसा है आप उसे वैसे ही देख रहे हो। कोई भी डर जैसी परिस्थिति आने पर आप खुद को संभाल पाए, अपने दिमाग में चल रहे विचारो से परिचित हो।

Mentally Strong बनने के लिए आपको रोज एक्सरसाइज़ करनी पड़ेगी, बुरी आदतों को छोड़ना होगा, शराब और सिगरेट से दूर रहना पड़ेगा, रोज़ किताब पढ़नी होगी और खुद के प्रति पॉजिटिव विचार रखने होंगे। जब ऐसा करेंगे तो कुछ दिन मन आपको रोकेगा, क्योंकि आप इसके विपरित काम कर रहे हो। लेकिन आपको ऐसा करते रहना है और एक दिन आप अपने डर पर जीत प्राप्त कर लेंगे।

डरे नहीं बल्कि डर को डराएं और याद रखे डर के आगे जीत हैं।

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