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Do the Work Book Summary in Hindi (पुस्तक सारांश)

Do The Work Book Summary in Hindi

Do the Work (Overcome Resistance and Get Out of Your Own Way) by Steven Pressfield Summary in Hindi

क्या आप को कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आपको अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना है लेकिन आप अपने आलस की वजह से अपने काम पूरे नहीं कर पा रहे है ? जब जब आप उस काम को टालते हैं तब आप के मन से ही आवाज आती हैं कि आपको कुछ करना चाहिए।

लेकिन फिर भी आप अपने काम नहीं कर पाते हैं। यह चीज बहुत ही ज्यादा Frustrating होती है। आप भी इस बात को Definitely मानते होंगे। लेकिन अब आपको और फ्रस्ट्रेट होने की जरूरत नहीं क्योंकि इस Book Summary में बताई गई बातों को फॉलो करने के बाद आप अपनी लाइफ में सक्सेसफुल हो सकते हैं।

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप अपने काम के लिए बहुत सारी प्लानिंग करते हैं लेकिन दूसरे ही दिन आप सब भूल जाते हैं। होता ही होगा, अगर आपका जवाब हां है तो ये Summary आपको प्लानिंग छोड़कर एक्शन लेना सिखाएंगी।

ऐसे आईडिया जो आपके दिमाग में घूम रहे हैं यह बुक आपको एक्शन लेने में हेल्प करेंगी। इतना ही नहीं यह बुक समरी आपको खुद को Inspire करके अपने गोल्स को Achieve करना सिखाएगी।

यह किताब स्टूडेंट, राइटरस, यंगस्टर्स, सभी को पढनी चाहिए। ऐसा इंसान जो अपनी जिंदगी में मोटिवेशन की तलाश कर रहा है वह भी इस बुक को पढ़कर खुद को मोटिवेट कर सकता हैं।

Introduction

हम चाहे जो काम करें, काम करने के दौरान हमें दुश्मन तो जरूर मिलेंगे। यह दुश्मन और कोई नहीं बल्कि Destruction, रिजेक्शन, Insult जैसे पावर होते हैं और यही चीज हमारे Goals को पूरा होने से रोकती है।

हमारै यह दुश्मन हमेशा बाहर से ही नहीं आते बल्कि कई बार यह हमारे अंदर ही होते हैं। हमारा सबसे बड़ा दुश्मन तो हमारे अंदर ही है। क्या आपको पता है हमारे सबसे बड़े दुश्मन का नाम क्या है ?

हमारे अंदर के इस दुश्मन का नाम Resistance है। ये रेजिस्टेंस कुछ और नहीं बल्कि हमारे अंदर का डर, शक और इनसिक्योरिटी है। हमारे अंदर एक ऐसी भावना है जो हर वक्त हमें यह कहती रहती है कि हमें यह काम नहीं करना चाहिए या हमसे यह काम नहीं होगा!

रेजिस्टेंस नाम की यह बीमारी अच्छे अच्छे लोगों के सपने को खा जाती हैं। लेकिन इस बीमारी के साथ-साथ डिस्ट्रक्शन जैसे दूसरे बीमारियों को भगाने का तरीका भी लेखक ने अपनी किताब में बताया है।

लेकिन इस Summary को हम आगे बढ़ाएं इससे पहले हम आपको यह कहना चाहेंगे कि सबसे पहले आप यह सोचिए कि आपके इस दुनिया में आने का मकसद क्या है? या यूं कहें कि आपका उद्देश्य क्या है?

जब तक आप यह नहीं समझ लेते कि आप इस दुनिया में क्यों आए हैं? और आप इस दुनिया को क्या देना चाहते हैं? तब तक आप अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे।

हो सकता है कि आप अपने हालात या फिर परेशानियों की वजह से अपने गोल्स पर Give Up कर चुके हो। लेकिन यह किताब आपको सिखाएंगी कि आपको अपना सपना कैसे पूरा करना है बल्कि यह आपको कभी हार ना मानने के लिए मोटिवेट करेगी।

Start before you’re ready

क्या आप यह जानते हैं Leonardo da Vinci ने अपना मास्टर पीस “The last supper” सिर्फ तीन मेन थीम के साथ शुरू किया था।

लियोनार्डो द विंची ने जब पेंटिंग बनानी शुरू की थी तब उस पेंटिंग की सबसे पहली Theme एक टेबल थी जो पूरे कैंपस में फैली हुई थी।

और दूसरी थीम था जीजस की तस्वीर जिसे लियोनार्डो द विंची ने पेंटिंग के बीचो बीच बनाया था। और तीसरा थीम थी जीसस के स्टूडेंट जिसे लियोनार्डो द विंची ने जीसस के अगल-बगल बनाया था।

लियोनार्डों ने शुरुआत में बस यह तीन चीजें बनाई थी और उसके बाद उन्होंने बाद में बाकी सारी चीजें डाल दी। तो आप सोचिए अगर लियोनार्डों ने इस तस्वीर को बनाना शुरू नहीं किया होता तो क्या वो इस तस्वीर को कभी बना पाते हैं?

तो इसका जवाब है बिल्कुल नहीं क्योंकि कोई भी मास्टर पीस तभी बनती है जब हम उस मास्टरपीस को बनाने की शुरुआत करते हैं। चाहे उसके लिए आप को शुरुआत में कुछ कठिन स्टेप्स लेना क्यों ना पड़े।

जो लोग अपनी लाइफ में सक्सेसफुल होते हैं वह लोग किसी भी चीज के शुरू करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं हैं बल्कि अपना काम शुरू कर देते हैं। और वह एक्शन लेना तब तक वह नहीं करते हैं जब तक उनका काम पूरा ना हो जाए।

क्योंकि यह लोग अच्छी तरह समझते हैं कि जो मैजिक आप अपने काम में चाहते हैं वह आपको बाहर से नहीं मिलने वाला बल्कि यह मैजिक आपके अंदर है और वह मैजिक तभी आपके काम में दिखाई देगा जब आप अपने काम को करना शुरू करेंगे और उसके लिए रिक्वायर्ड एक्शन लेंगे।

इसीलिए बस अपने काम को शुरू कर दो और फिर देखो कि चीजें कैसे अपने आप खुद ही चली जाएंगी।

लियोनार्डो द विंची ये चीज अच्छी तरह समझते थे इसीलिए उन्होंने बिना ज्यादा सोचे समझे अपना मास्टर पीस बनाना शुरू किया पहले तो उन्हे यह पता भी नहीं था कि यह उनकी मास्टरपीस होगी लेकिन फिर बनाते बनाते उनकी पेंटिंग एक मास्टर पीस बन गई।

इसीलिए लेखक कहते हैं कि – Stop thinking Stop preparing Just start doing

यानी बेकार में सोचना छोड़ दो ज्यादा तैयारी करना छोड़ दो बस अपने काम को किसी भी तरह से शुरू कर दो।

आपको इस बात को जितना जल्दी हो समझ लेना चाहिए कि रिसोर्स की कमी है यह कोई प्रॉब्लम नहीं है। आप में वह स्किल नहीं है यह भी कोई प्रॉब्लम नहीं है या प्रोजेक्ट बहुत मुश्किल है यह भी कोई प्रॉब्लम नहीं है बल्कि आप के काम शुरू न करने की सोच आप की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है।

और इस प्रॉब्लम को रेजिस्टेंस कहते हैं। रजिस्टेंस के वजह से ही हम कभी भी काम को शुरू नहीं कर पाते हैं। यह रेजिस्टेंस हमें याद दिलाती है कि हमें काम क्यों नहीं शुरू करना चाहिए?

यह रजिस्टेंस हमें दुनिया भर के बहाने याद दिलाती हैं यह आवाज किसी की भी हो सकती हैं। यह आवाज आपके दादा-दादी की हो सकते हैं या फिर आपकी फैमिली, रिश्तेदारों की भी हो सकती हैं। इसीलिए इस आवाज से हमेशा बचने की कोशिश कीजिए।

हम सभी का एक कंफर्ट जोन होता हैं। यह कंफर्ट जोन हमें हर तरह के दुख दर्द से बचाता है। साथ ही साथ यह कंफर्ट जोन हमें नई चीज Try करने से रोकता हैं।

तो क्या आप हमेशा के लिए इसी सेफ जोन में रहना चाहते हैं? आपको क्या लगता है इस कंफर्ट जोन में रहने के बाद आप एक सक्सेसफुल इंसान बन सकते हैं?

नहीं ना क्योंकि कंफर्ट जोन में बैठे-बैठे आप कभी भी ग्रो नहीं कर सकते हैं इसीलिए आपको अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना होगा। क्योंकि हिस्ट्री इस बात की सुबूत है कि जब भी लोगों ने अपने कंफर्ट जोन को छोड़ा है उन्होंने कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी काम ही किया है इसलिए जितना जल्दी हो सके आपको अपना कंफर्ट जोन छोड़ देना चाहिए।

जब हम किसी काम को शुरू करते हैं तब हमें यह पता नहीं होता है कि हमें काम को कैसे शुरू करना है। लेकिन जब हम काम को शुरू कर देते हैं तब हमें धीरे-धीरे आइडिया जाने लगते हैं कई बार होता है कि क्लाइमेक्स लिखने के बाद राइटर पूरी स्क्रिप्ट लिखता है।

ज्यादातर राइटर, बिजनेस ओनर, ऑथर लास्ट से ही चीजों को शुरू करते हैं। वह हमेशा यही सोचते हैं कि उनका गोल क्या है और अपने गोल के बारे में जानने के बाद वह पीछे पीछे लिखना शुरु कर देते हैं। ऐसे ही आप भी अपने गोल के बारे में जानकर अपना काम शुरू कर सकते हैं।

The universe is not in different

फिजिक्स में हम सभी ने न्यूटन के थर्ड लॉ के बारे में पढ़ा है जो यह कहता है कि जो फोर्स आप किसी चीज पर लगाते हैं उसके Equal या फिर Opposite में रिएक्शन होती है।

जब आप अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने का सोचते हैं चाहे आप ब्लॉग बनाने के बारे में सोचें या फिर आप अपने प्रोडक्ट बनाने के बारे में सोच रहे हो या फिर आप अपनी किताब लिखने की ही क्यों ना सोच रहे हो। आपका चाहे जो भी प्लान हो यूनिवर्स आपको आपके प्लान के Equal या फिर अपॉजिट रिएक्शन देती हैं।

पहले चैप्टर में हमने आपको रेजिस्टेंस यानी कि यूनिवर्स के अपॉजिट रिएक्शन के बारे में बताया था और इस चैप्टर में हम आपको यूनिवर्स के इक्वल रिएक्शन यानी के असिस्टेंट के बारे में बताएंगे।

जब आप किसी काम को करने के बारे में सोचते हैं। तो जिस इंटरेस्ट के साथ, लगन के साथ आप काम को शुरू करते हैं तो यह चीज एक टूल के तरह काम करने लगती है।

यह एक बहुत ही पावरफुल टूल है और यह पावरफुल टूल के वजह से बार-बार यूनिवर्स आपको आपके गोल के तरफ अट्रैक्ट करती हैं।

जैसे अगर आप एक गाना लिख रहे होते हैं तो पहले आप गाने की कुछ लाइन लिखना शुरू कीजिए और फिर आपकी लाइन कब बड़ी हो जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा।

मान लीजिए आप कोई बुक लिखना चाहते हैं तो आप बुक लिखना शुरु कर देता है फिर आप धीरे-धीरे बुक लिखते चले जाते हैं और यह बुक कब एक बड़ी Novel बन जाती हैं आपको पता ही नहीं चलता।

आपके दिल में हिम्मत और हौसले लेकर जब आप काम को शुरू करते हैं तब आप ये आपके काम की पहचान बन जाती हैं क्योंकि तब यूनिवर्स आप की ताकत बन जाती हैं और आपको क्रिएटिवली काम करने में हेल्प करती हैं।

असिस्टेंस ऐसी फोर्स है जो आपकी क्रिएटिविटी को बहुत हद तक बढ़ा देते हैं। यह आपको अपने सपने पूरे करने में हेल्प करेंगी। मोटिवेशन की कमी एनवायरनमेंट के वजह से नहीं होती और ना ही हमारे आसपास के लोगों के वजह से होती है। बल्कि यह सब Resistance के वजह से होती हैं।

चाहे आप किसी शांत जगह पर ही क्यों ना चले जाए लेकिन अगर आपके मन में रजिस्टेंस घूम रही होगी तो आप वहां भी कुछ नहीं कर पाएंगे इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि आप इस रजिस्टेंस नाम की बीमारी को जड़ से हटा दें।

रजिस्टेंस कई बार हमारे सामने ऐसे आता है कि हम समझ ही नहीं पाते कि यह रजिस्टेंस है बल्कि हम इसे अपने मन की आवाज समझ लेते हैं लेकिन आपको यह समझना होगा कि आपकी असली आईडेंटिटी नहीं बल्कि रजिस्टेंस है और इसे आप को समझाना होगा।

अगर रजिस्टेंस एक बड़ा सा ड्रैगन है तो आपको एक सोल्जर की तरह लड़ाई लड़नी होगी और उसे हराना होगा।

Killer instinct

मान लीजिए आपने बचपन से ही एक Novel लिखने का सपना देखा है। जो आज आपने पूरा कर लिया जब आप अपना Novel लिख कर कंप्लीट कर लेंगे तब आप ईमेल लिखकर आप अपने नोवल को एजेंट को भेजने की तैयारी करेंगे।

हालांकि यह बात अलग है कि आपने नोबल लिखने के बाद उसे पैक नहीं किया है क्योंकि आपके अंदर डर है कि एजेंट को आपकी नोवेल पसंद आएगी कि नहीं।

डर आपके दिल और दिमाग पर हावी हो जाता है और आपको हर तरह के एक्शन लेने से रोकता है। आपने बचपन से ही नोवल लिखने का सपना देखा था और जब आप नोवल लिखकर उसे डिस्पैच कर देंगे तब जाकर आपका सपना पूरा होगा।

यह जो डर होता है ना उसे ही किलर इंस्टिंक्ट का नाम दिया गया है और जब तक आप इस इंस्टिंक्ट को हरा नहीं देते तब तक आप अपना सपना पूरा नहीं कर सकते हैं।

हर कोई अपने लाइफ में सक्सेसफुल होना चाहता है और कई बार सक्सेसफुल होने की ये चाहत उनकी सबसे बड़ी डर बन जाती हैं। सक्सेस का डर बहुत ही शातिर शिकारी होता है यह लोगों पर अटैक तो करता है लेकिन लोगों को यह समझ नहीं आता और रेजिस्टेंस के पीछे की असली वजह यही सक्सेस का डर है!

इसीलिए अगर आप अपनी जिंदगी में सफल बनना चाहते हैं तो आपको इस डर से लड़ना होगा और इस डर के ऊपर उठकर आपको एक्शन लेना होगा तभी आप अपने सपनों को पूरा कर पाएंगे।

निष्कर्ष

इस किताब की समरी को पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए क्या एक्शन लेना है?

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