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Ramkrishna Paramhans Quotes in Hindi ~ रामकृष्ण परमहंस के प्रेरक वचन

Famous Ramkrishna Paramhans Spiritual Quotes in Hindi
रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचार (अनमोल वचन) Quotes in Hindi – Worth Read The Great Quotes & Thoughts of Ram Krishana Paramhans (He is teacher or Guru of Swami Vivekanand)

रामकृष्ण परमहंस जी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे, उनके विचार बहुत ही नेक और प्रभावशाली थे। स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया को रामकृष्ण जी के विचारों से अवगत कराया, रामकृष्ण जी ने सभी धर्मो एक ही बताया

सभी धर्म एक ही है और सबका भगवान एक ही हैं चाहें कोई हिन्दू हो या मुस्लिम या हो सिख-ईसाई

Ramkrishna Paramhans (रामकृष्ण परमहंस) : संक्षिप्त जीवन परिचय

रामकृष्ण परमहंस जी का जन्म 18 फरवरी 1836 में हुआ था। उनके बचपन का नाम गदाधर था, वे एक ब्राह्मण परिवार से सम्बध रखते थे और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। रामकृष्ण परमहंस जी धर्म में बहुत विश्वास रखते थे, वे काली माता के बहुत बड़े भक्त थे और उन्होंने अपने आपको को काली माता को सौप दिया था।

रामकृष्ण जी के विचार अपने पिताजी से मिलते थे, उनके पिताजी बहुत ही समझदार और सहनशील व्यक्ति थे। रामकृष्ण परमहंस जी ने सभी गुण अपने पिताजी से ही प्राप्त किये थे। रामकृष्ण परमहंस जी को बहुत ज्यादा आध्यात्मिक ज्ञान था, रामकृष्ण परमहंस जी का मानना था कि सभी धर्म एक ही है इन्ही विचारों से उनका नाम और अधिक बड़ा गया और लोग उनको अपना गुरु मानने लगे थे।
रामकृष्ण परमहंस जी को कंठ की बीमारी होने के कारण 15 अगस्त 1886 को उन्होंने अपने शरीर को छोड़ दिया और मृत्यु को प्राप्त हो गये थे।

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रामकृष्ण परमहंस की अद्भुद कहानी

रामकृष्ण जी अपने घर से दूर एक भजन संध्या के लिए एक गाँव जा रहे थे गांव दूर था, कंजूस प्रवृत्ति के होने के कारण रामकृष्ण जी बैलगाडी में बैठकर जा रहे थे तब रामकृष्ण परमहंस को ज्यादा लोग नहीं जानते थे बस इतना ही जानते थे कि वह काली मंदिर के पुजारी हैं।

गाड़ी वाला रामकृष्ण से हंसी-मजाक किएं जा रहा था, रामकृष्ण के मन मे एक विचार आया क्यों ना श्रीकृष्ण चरित सुनता हूँ, गावं भी बहुत दूर है, गाड़ी वाले का मन भी कथा सुनने मे लीन हो गया, गाड़ी वाले को कथा सुनने में बहुत आनदं आया।

जब बैलों की गति धीरे-धीरे कम होने लगी तब गाड़ी वाले ने देखा कि बैलों ने अपनी गति धीरे कर ली है तब उसको ग़ुस्सा आया और वह बैलों को ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगा जैसे ही गाड़ी वाले ने एक बैल की पीठ पर ज़ोर-ज़ोर से डंडे मारे, रामकृष्ण परमहंस जी अचानक अपनी जगह से नीचे गिर गये और ज़ोर-ज़ोर से दर्द से कराहने लगे, गाड़ीवाला परमहंस की ऐसी हालत देखकर घबरा गया और आश्चर्य मे पड़ गया।

उसने गाडी रोकी और वह भागता-भागता हुआ रामकृष्ण जी के पास पंहुचा और उनकी तरफ ध्यान से देखने लगा तो उनकी आंखे-आंखे फटी रह गई जो डंडे गाड़ीवाले ने बैलों को मारें थे, वैसे निशान रामकृष्ण परमहंस जी की पीठ पर थे।

गाड़ीवाले की नज़र रामकृष्णजी पर पड़ी और उन्होंने देखा कि रामकृष्ण जी बैलों को देखे जा रहे थे सभी को अपना ही रूप मानने की बातें गाड़ी वाले ने कई बार सुनी जरुर थी पर ऐसा होता भी है उसने पहली पर देखा था और यह सब देखकर वह बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ।

Ramakrishna Paramhansa Quotes in Hindi / रामकृष्ण परमहंस के अनमोल सुविचार

भगवान को सभी पथो और माध्यमों के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, सभी धर्म सच्चे और सही हैं। महत्वपूर्ण बात यह यह कि आप उस तक पहुँच पाते हैं या नहीं। आप वहां तक जानें के लिए कोई भी रास्ता अपना सकते हैं रास्ता महत्व नहीं रखता।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान हर जगह है और कण-कण में हैं, लेकिन वह एक आदमी में ही सबसे अधिक प्रकट होते है, इस स्थिति में भगवान के रूप में आदमी की सेवा ही भगवान की सबसे अच्छी पूजा है।
– Ramakrishna Paramhansa

यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनो, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान सभी पुरुषों में है, लेकिन सभी पुरुषों में भगवान नहीं हैं, इसीलिए हम पीड़ित हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

सत्य बताते समय बहुत ही एक्राग और नम्र होना चाहिए क्योकि सत्य के माध्यम से ही भगवान का अहसास किया जा सकता हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

अगर तुम पूर्व की ओर जाना चाहते हो तो पश्चिम की ओर मत जाओ।
– Ramakrishna Paramhansa

जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

प्यार के माध्यम से त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

बंधन तो का मन है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान के अनेको नाम हैं और उनको अनेक तरीको से प्राप्त किया जा सकता हैं, आप उसको किस नाम से पुकारते हैं और किस तरह से उनकी पूजा करते हैं यह matter नहीं करता बल्कि महत्व्य्पूर्ण यह हैं कि आप उसको अपने अन्दर कितना महसूस करते हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

पवित्र पुस्तकों में बहुत सारी अच्छी बातें पढ़ी जा सकती हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसे पुस्तक होगी जिसे पड़कर धर्म को बनाया जा सकता हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

जिस प्रकार किरायेदार घर उपयोग करने के लिए उसका किराया देता हैं उसी प्रकार रोग के रूप में आत्मा, शरीर को प्राप्त करने के लिए टैक्स अथवा किराया देती हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

संसार के चारो कोनो में यात्रा कीजियें, लेकिन फिर भी आपको कहीं भी कुछ भी नहीं मिलेगा। जो आप प्राप्त करना चाहते हैं वह तो यही आपके अन्दर विराजमान हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

धर्म पर बात करना बहुत ही आसान है, लेकिन इसको आचरण में लाना उतना ही मुश्किल हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान की भक्ति या प्रेम के बिना किया गए कार्य को पूर्ण नहीं किया जा सकता।
– Ramakrishna Paramhansa

बिना सत्य बोले तो भगवान को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, क्योकि सत्य ही भगवान हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

दुनिया वास्तव में सत्य और विश्वास एक मिश्रण है। विश्वास बनाने वाली चीज त्यागें और सच्चाई ग्रहण करें।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान की तरफ विशुद्ध प्रेम बेहद जरूरी बात है और बाकी सब असत्य और काल्पनिक है।
– Ramakrishna Paramhansa

तुम रात में आकाश में बहुत सारे तारें देख सकते हो, लेकिन सूर्य उदय के बाद नहीं देख सकते, लेकिन ऐसा तो नहीं हैं कि सूर्य उदय के बाद अथार्थ दिन में आकाश में तारें नहीं होते। इसी प्रकार आप यदि अपनी अज्ञानता के कारण भगवान को प्राप्त नहीं कर सके, तो इसका मतलब यह तो नहीं कि भगवान हैं ही नहीं।
– Ramakrishna Paramhansa

जिस व्यक्ति में ये तीनो चीजे हैं, वो कभी भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता या भगवान की दृष्टि उस पर नहीं पड़ सकती। ये तीन हैं लज्जा, घृणा और भय।
– Ramakrishna Paramhansa

शुद्ध ज्ञान और शुद्ध प्रेम एक ही चीज हैं। ज्ञान और प्रेम से जिस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता हैं वो एक ही हैं और इसमें भी प्रेम वाला रास्ता ज्यादा आसान है।
– Ramakrishna Paramhansa

मैं आपको एक सत्य बताता हूँ आप इस दुनिया में हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं हैं परन्तु आपको अपना ध्यान भगवान की ओर लगाना चाहिए नहीं तो आप सफल नहीं हो पाओगे। एक हाथ से अपने कर्तव्य का निर्वाह करों और दुसरे हाथ से भगवान की भक्ति करते रहो, जब आपकी ड्यूटी ख़तम हो जाएगी तो आप अपने दोनों हाथों से भगवान की भक्ति कर पाओगे।
– Ramakrishna Paramhansa

उसके(भगवान के) अनुग्रह की हवा दिन और रात आपके सिर के ऊपर बह रही है। अपनी नाव(मन) के पाल खोलो, यदि आप जीवन रूपी सागर के माध्यम से तेजी से प्रगति करना चाहते हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

मनुष्य को लगातार भगवान का नाम दोहराते रहना चाहिए। भगवान का नाम कलियुग में अत्यधिक प्रभावी है। योग इस उम्र में संभव नहीं है क्योकि अब मनुष्य का जीवन केवल भोजन पर निर्भर करता है । भगवान के नाम को दोहराते समय अपने हाथ ताली बजातें रहो इससे आपके पापों का पंछी उड़ जाएगा।
– Ramakrishna Paramhansa

वह मनुष्य व्यर्थ ही पैदा होता है, जो बहुत ही कठिनाईयों से प्राप्त होने वाले मनुष्य जन्म को यूँ ही गवां देता हैं और अपने पुरे जीवन में भगवान का अहसास करने की कोशिश ही नहीं करता है।
– Ramakrishna Paramhansa

जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

संसार के विषयों पर ज्ञान, सामान्य रूप से मनुष्य को जिद्दी बना देता हैं, ज्ञान का अभिमान एक बंधन हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

जिस मनुष्य ने ईश्वर का साक्षात्कार किया हो वो कभी दूसरे के प्रति क्रूर नही बन सकता, ऐसी क्रूरता होना, ये उसकी प्रकृति के विरुद्ध की बात है। ऐसे इंसान कभी भी ग़लत कदम नहीं उठाते और उनके मन में ग़लत विचार नहीं आते।
– Ramakrishna Paramhansa

ज्ञान का जब उदय होता हैं तब इंसान बाहर की दृष्टि से तो जैसा हैं वैसा ही रहता हैं, लेकिन जगत के प्रति उसका समग्र द्रष्टिकोण बदल जाता हैं जैसा पारसमणि के स्पर्श से लोहे की तलवार स्वर्ण में परिवर्तित हो जाती हैं, उसका आकर तो पहले की तरह ही रहता हैं परन्तु अब उसमें मारने वाली शक्ति नहीं रहती और नरम भी हो जाती हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता।
– Ramakrishna Paramhansa

नाव जल में रहे, लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार साधक जग में रहे, लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

जब हवा चलने लगे तो पंखा चलाना छोड़ देना चाहिए, पर जब ईश्वर की कृपा दृष्टि होने लगे, तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

यदि तुम ईश्वर की दी हुई शक्तियो का सदुपयोग नहीं करोगे तो वह अधिक नहीं देगा। इसलिए प्रयत्न आवश्यक है ईश-कृपा के योग्य बनने के लिए भी पुरुषार्थ चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

राजहंस दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है दूसरे पक्षी ऐसा नहीं कर सकते। इसी प्रकार साधारण पुरुष मोह-माया के जाल में फंसकर परमात्मा को नहीं देख सकता। केवल परमहंस जैसा मनुष्य ही माया को छोड़कर परमात्मा के दर्शन पाकर देवी सुख का अनुभव करते हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

कर्म के लिए भक्ति का आधार होना आवश्यक है।
– Ramakrishna Paramhansa

पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है। अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है।
– Ramakrishna Paramhansa

जब तक इच्छा लेशमात्र भी विद्यमान है जब तक ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते, अतएव स्वविवेक द्वारा अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो।
– Ramakrishna Paramhansa

एकमात्र ईश्वर ही विश्व का पथ प्रदर्शक और गुरु है।
– Ramakrishna Paramhansa

जिसने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर लिया, उस पर काम और लोभ का विष नहीं चढ़ता।
– Ramakrishna Paramhansa

क्या तुम्हे मालूम है कि सात्विक प्रकृति का मनुष्य कैसे ध्यान करता है वह आधी रात को अपने बिस्तर में ध्यान करता है, जिससे लोग उसे देख ना सके।
– Ramakrishna Paramhansa

जीवन का ध्येय केवल धन अर्जित करना नहीं होना चाहिए, बल्कि भगवान की सेवा होनी चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

बंधन और मुक्ति केवल अकेले मन के विचार हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

बिना किसी स्वार्थ के काम करने वाले आदमी, वास्तव में खुद के लिए हमेशा अच्छा करता है।
– Ramakrishna Paramhansa

नि:स्वार्थ काम के माध्यम से परमेश्वर के प्रति प्रेम, दिल में बढ़ता है।
– Ramakrishna Paramhansa

एक आदमी एक दीपक की रोशनी से भी भागवत पढ़ सकता है, और एक ओर बहुत प्रकाश में भी कोई जालसाजी कर सकता हैं इन सबसे दीपक अप्रभावित रहता है। सूरज दुष्ट और गुणी व्यक्ति के लिए प्रकाश में कोई अंतर नहीं लाता और दोनों पर समान प्रकाश डालता है।
– Ramakrishna Paramhansa

सामान्य व्यक्ति धर्म के बारें में हजारों बुराइया करता हैं, लेकिन धर्म को प्राप्त करने का प्रयास बिल्कुल नहीं करता। जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जोकि धर्म का काफी ज्ञान रखता हैं और उसका आचरण भी धर्मअनुसार ही होता हैं और वह कम ही बोलता हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

तुम प्रकाश अथवा रौशनी की प्राप्ति तब ही कर सकते हो जब तुम उसकी तलाश में हो और ये तलाश बिल्कुल वैसी ही होनी चाहिए, जैसे की बालों में आग लगे हुआ व्यक्ति तालाब की तलाश में होता हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

एक सांसारिक आदमी जो कि ईमानदारी से भगवान के प्रति समर्पित नहीं है, को अपने जीवन में कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
– Ramakrishna Paramhansa

भगवान से प्रार्थना करो कि धन, नाम, आराम जैसी अस्थायी चीजो के प्रति लगाव दिन-दिन अपने आप कम होता चला जाएँ।
– Ramakrishna Paramhansa

कस्तूरी मृग उस गंध के स्रोत को पूरी दुनिया भर में खोजता है, जोकि स्वयं उसमें से आती हैं।
– Ramakrishna Paramhansa

अपने विचारों में ईमानदार रहें। समझदार बने, अपने विचारों के अनुसार कार्य करें, आप निश्चित रूप से सफल होंगे। एक ईमानदार और सरल हृदय के साथ प्रार्थना करो और आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी।
– Ramakrishna Paramhansa

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