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एक चींटी का जीवन हमें क्या सिखाता है?

चींटिया कभी रुकती नहीं आप उसका रास्ता रोकेंगे तो वे अपना दुसरा रास्ता बना लेंगी।

Learning from Ant, जीवन जीने और अपने कार्य के प्रति समर्पण, काम पूरा करने का ढंग एक चींटी(छोटा सा जीव) से बढ़कर और कोई नहीं सीखा सकता।

कार्य को वक़्त के साथ पूर्ण करना, टीम वर्क और टाइम मैनेजमेंट से लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना, और प्रयास करना, यह सब गुण हमें अपने जीवन में भी इस्तेमाल करना चाहिए।

चींटियां हमेशा बहादुर होती है यह कहना मुश्किल होगा कि कोई एक चींटी बहादुर होती है। बल्कि झुंड में उपस्थित प्रत्येक चींटी बहादुर होती है। इसलिए अपने झुंड के सदस्यों की रक्षा करने के लिए प्रत्येक चींटी अपनी जान गवाने तक तैयार रहती हैं।

जब चीटियां आपस में लड़ती हैं तो वे अपनी आखिरी सांस तक उस जंग में हार नहीं मानती, जब कोई एक चींटी मरती है तब ही यह जंग खत्म हो पाती है।

अर्थात चीटियां अपने प्रत्येक कार्य को ईमानदारी के साथ पूरा करती हैं भले ही वह जंग ही क्यों ना हो।

चीटियां जब भी अपने मार्ग में चलती हैं, वे जिस मार्ग से गुजरती है वे उस मार्ग में गंध छोड़कर आगे बढ़ती रहती हैं इस कारण पीछे से आने वाली अन्य चीटियां उस गंध को सूंघकर उस रास्ते में आगे बढ़ते जाते हैं।

जब भी उन्हें अपनी ओर आ रहे खतरे का संकेत मिलता है तो वे तुरन्त ही एक अलग प्रकार की गंध छोड़ते हैं। इस कारण उस मार्ग से आने वाली प्रत्येक चींटी वहां से दूर चली जाती है।

चीटियां इतनी बहादुर होती है कि वे जब भी पानी में बहने लगती है, सभी चीटियां मिलकर एक जाल बना देती हैं और सब एक साथ बहने लगती है इसी प्रकार प्रत्येक चींटी की जान बच जाती है।

चीटियां अपने कार्यों को अलग-अलग प्रकार बांट कर रखती हैं प्रत्येक चींटी अपने कार्य को बड़ी ही इमानदारी और सावधानीपूर्वक करती है क्योंकि वे अपने कार्यों के फलस्वरूप किसी अन्य चींटी को नुकसान नहीं पहुंचाती।

जहां भी चीटियों को पुल बनाने की जरूरत पड़ती है वे एक दूसरे के पैरों को बहूत ही मजबूती के साथ कसकर पकड़ लेती हैं। इस प्रकार अन्य चीटियां उनके ऊपर से गुजर कर अपने मार्ग पर चलती रहती हैं।

जो बड़ी चीटियां होती हैं उन्हें रानी चीटियां कहा जाता है। वे अपने घरों में रहकर अंडे देती हैं और उनकी परवरिश करती है जबकि अन्य चीटियां घरों में रहने वाली रानी चीटियों के लिए भी भोजन की व्यवस्था करके लाते हैं।

अन्य चीटियों के लिए घरों में उपस्थित रानीयों के लिए भोजन लाने में बहुत ही आसानी होती है क्योंकि चीटियों के पास दो पेट होते हैं जिसमें से एक पेट तो उनका स्वयं के लिए होता है, दूसरा पेट अन्य चीटियों के लिए भोजन लाने में काम आता है।

इस प्रकार चीटियां बड़ी आसानी से अपने घरों में उपस्थित अन्य चीटियों के लिए भोजन ला पाती हैं।

ऐसे ही बहुत सारे कारण हैं जिसके कारण चीटियां अपनी बहादुरी का प्रदर्शन कर पाती हैं।

हम आज आपको एक ऐसी बहादुर चींटी की कहानी बताएंगे जो अपनी निडरता और सूझबूझ से खुद की जान बचा पाती है

एक समय की बात है बहुत सारी चीटियां जिन्होंने अपने लिए एक बड़ा सा मिट्टी का टीला बना रखा था,उसमें एक साथ अपने झुंड के साथ रहती थी। एक दिन सुबह के वक्त सभी चीटियॉ टीले में थी।

तो अचानक मौसम बहुत ज्यादा खराब होने लगा और आसमान में घने बादल छा गए लेकिन उन्हें फिर भी अपने पेट भरने के लिए बाहर आना ही था।

मौसम का यह हाल देखकर चीटियों के मुखिया ने यह ठान ही लिया की उन्हें अपने पेट भरने के लिए बाहर जाना ही पड़ेगा। अतः वे सभी भोजन की तलाश में टीले से बाहर निकल आते हैं।

बाहर बहुत अधिक बारिश भी होने लगी इस कारण बारिश का पानी टिले के अन्दर घुसने लगा। बारिश का पानी बुंद बुंद करके चीटियों के टिले के अंदर जाने लगा।पानी के बहाव के कारण मिट्टी का टीला ऊपर से धीरे-धीरे गलने लगा।

जिसे देखकर सभी चीटियां पानी को देखकर भयभीत होने लगी।

उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वे किस प्रकार अपनी और अपने झुंड की जान बचा पाएंगे। एक बड़ी चींटी बाहर आती है, उसे समझ आ जाता है कि अगर यूं ही टीले के अंदर पानी आता रहेगा तो सब उस पानी में डूब जाएंगे।

वह अपने टीले के दरवाजे से बाहर की तरफ देखती है। उसे टीले के बाहर भी पानी का बहाव देखते है। परंतु उन्हें यकीन नहीं होता कि वे टिले से बाहर आकर किसी ने किसी प्रकार अपनी जान बचा ही लेंगे।

वह चीटी अपने साथ वाली सभी चीटियों को एक-एक करके बाहर आने के लिए बोलती है परंतु अन्य सभी चीटियां अपनी मेहनत से बनाए गये मिट्टी के टिले से बाहर आने के लिए तैयार नहीं होते।

बड़ी चींटी उन्हें समझाती है परंतु वे फिर भी नहीं समझ पाती और मिट्टी के टीले से बाहर नहीं आती। इस प्रकार मिट्टी के टीले के अंदर वर्षा का पानी जमा हो जाता है। उसके अंदर उपस्थित सभी चीटियां एक-एक करके पानी में डूब जाती हैं।

वह बहादुर चींटी जिसने सब को बाहर आने के लिए बोला वह अपने किले के ऊपर तूफान द्वारा टूटकर आयी एक पत्ती के ऊपर बैठ जाती है।

वह पत्ता उसे पानी के ऊपर तैरते हुए किनारे पर ले जाता है जब पत्ता तैरते हुए चीटी को किनारे पर लाता है, इतने समय में ही बारिश बंद हो जाती है। और तब तक उस टीले के अंदर उपस्थित सारी चीटियां अपनी जान खो बैठते हैं l

इस प्रकार इस बहादुर चींटी की जान बच जाती है और अन्य सभी चीटियां पानी में डूबकर मर जाती हैं।

सीख –

एक छोटी सी चींटी की यह कहानी हमें संदेश देती है कि हमें कभी भी आखिरी मौके तक हार नहीं माननी चाहिए। क्योंकि सफलता हमेशा संघर्ष के बाद ही मिलती है जिस प्रकार यहां एक चींटी को संघर्ष के बाद उसका नया जीवन प्राप्त होता है।

चींटी की इमानदारी (कहानी -2)

हर किसी को पता है कि चींटी का जीवन बेहद छोटा है परंतु उसकी इमानदारी, परिश्रम और विश्वास की कोई सीमा ही नहीं है।

चींटी दिखने में जितनी छोटी सी होती है उसका विश्वास उससे कई गुना बड़ा होता है उसके परिश्रम करने की क्षमता इस दुनिया में बड़े बड़े जीव जंतुओं को सीख दे जाती है।

यही वजह है कि वह जीव- जंतुओं में से सबसे बुद्धिमान होती है।उसकी बुद्धिमता के कारण ही भगवान ने उसे कुछ ऐसी शक्तियां भी दे रखी है जिसके बल पर वह अपने बुरे वक्त पर उनका इस्तेमाल करके अपनी जान बचाने में सक्षम रहती है।

आपको इस कहानी के माध्यम से एक चींटी की इमानदारी के बारे में बताएंगे। साथ ही चींटी के कठिन परिश्रम को देखकर हर कोई अपने जीवन में भी परिश्रम करने की चाह जताता है।

एक छोटी सी चींटी जो अपने झुंड में रहा करती थी। वह हमेशा अपने झुंड के बडे सदस्यों के साथ भोजन की तलाश के लिए निकलती और हमेशा उन्हीं के साथ में वही भोजन खाती जो भोजन अन्य सदस्य खाया करते थे।

यह नन्ही-सी चींटी हमेशा अपने साथ-साथ अन्य चींटियों का भी पेट भरने में सहायता करती है। क्योंकि नन्ही सी चींटी का पेट बहुत जल्दी ही भर जाया करता इस कारण फिर वह अन्य चीटियों के लिए भोजन ढूंढने में जुट जाती।

झुंड में उपस्थित अन्य सभी चीटियां पहले खुद का पेट भरती फिर जाकर अन्य चीटियों के लिए भोजन खोजने निकलती।

परंतु यह छोटी-सी चींटी समय के साथ बहुत ईमानदार भी होने लगी यह पहले अन्य चीटियों के लिए भोजन ढूंढती फिर जाकर अपना पेट भरती।

झुंड में उपस्थित अन्य सभी चीटियां भी नन्हीं सी चींटी को देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो जाते हैं और झुंड में अन्य चीटियां आपस में बातें करती कि यह नन्हीं सी चींटी हमारे झुंड में इतनी समझदार कैसे है? परंतु उसकी ईमानदारी की बात किसी को भी समझ नहीं आती।

1 दिन जब सभी चीटियां भोजन की तलाश में अपने घरों से निकली ही थी कि अचानक मौसम खराब होने लगा इस कारण अब उन्हें पानी के बहाव में बह जाने का डर स्ताने लगा।

उनमें से किसी भी चींटी का पेट नहीं भर पाया और न ही वे घरों में रहने वाली अन्य चीटियों के लिए भोजन ले जा सके।

खराब मौसम के कारण उन्हें वापस बहुत ही जल्दी खाना लेकर अपने घरों में पहुंचना था। घरों में रहने वाली उन सारी चीटियों के लिए भी भोजन का प्रबंध करना था।

अत्यधिक मौसम खराब होने के कारण जल्द बारिश होना प्रारंभ हो गई और वे सभी चीटियां थोड़े से भोजन को लेकर अपने घरों की ओर वापस जल्दी ही निकल पड़ी।

जब यह सभी चीटियां अपने घर पहुंचते हैं तो वहां रानी चीटियां बहुत ही भूखी प्यासी होती हैं। जिस कारण वे इन अन्य चीटियों से भोजन की मांग करती है।

परंतु सारी चीटियां हाथ पर हाथ रखकर उनकी बात सुनती रहती हैं और उनमें से कोई भी इसका कारण बताने में सक्षम नहीं थी। क्योंकि वे सभी चीटियां खुद ही भरपेट भोजन के बिना वापस घरों की तरफ लौट आई थी।

परंतु एक नन्हीं सी चींटी एक कोने में खड़ी होकर यह सब देखती रही।

वहां मौजूद किसी ने भी अपना भोजन उन भुखी रानी चीटियों को नहीं दिया परंतु यह नन्हीं सी चींटी की इमानदारी की कोई सीमा नहीं रही।

ईमानदारी के साथ एक कदम आगे बढ़ती हुई वह अपने द्वारा लाए गए उस भोजन को उन सभी भूखी चीटियों को बांट देती है, जो घरों की रखवाली कर रही थी।

इस प्रकार यह नन्हीं सी चींटी भले ही उन सब की भूख नहीं मिटा पाई लेकिन अपनी ईमानदारी को दिखाकर हर किसी के मन में ईमानदार बनने की जिज्ञासा जगा गई।

सीख-

हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपने छोटे से जीवन में हमेशा ही ईमानदार रहना चाहिए क्योंकि ईमानदारी ही एक ऐसी चीज है जिसके बल पर हम अच्छे बुरे लोगों एवं समाज के अन्य लोगों के समक्ष बेहतरीन उदाहरण पेश कर सकते हैं।

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