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पुनर्जन्म पर शोध और अज्ञानी मनुष्य

Reincarnation, also known as rebirth or transmigration

भले ही समय बदल चुका हो लेकिन आज भी मनुष्य पुनर्जन्म (Reincarnation) पर शोध करने के लिए व्याकुल है उसके सामने अनेक ऐसी घटनाएं देखने व सुनने को मिलती हैं जिसके कारण वह इन बातों से असमंजस में पड़ जाता है कि आखिर मनुष्य पुनर्जन्म लेता भी है या फिर नहीं?

हालांकि हम यह दावे से कह सकते हैं कि कुछ ऐसी घटनाओं को पढ़ने और सुनने के बाद आज लोगों को इस बात पर यकीन हो चुका है कि मनुष्य पुनर्जन्म भी ले सकता है और अपने अगले जन्म में किए गए आधे अधूरे कार्यों को वह अपने इस जन्म में पूरा करने के लिए व्याकुल रहता है।

आज वैज्ञानिक तौर तरीकों से भी बहुत सारी ऐसी शोध की गई है जिसके कारण लोगों को इस बात पर यकीन होने लगा है कि एक मनुष्य वास्तव में पुनर्जन्म (Rebirth or Transmigration) ले सकता है तो आइए हम आपके साथ ऐसे ही कुछ उदाहरणों को पेश करते हैं जिनके कारण यह बात शत प्रतिशत सही साबित हो सकती है कि लोग वास्तव में पुनर्जन्म लेते हैं।

क्योंकि यह सत्य है कि जिस प्रकार हम पुराने वस्त्रों को बदलकर नए वस्त्रों को पहनते हैं वैसे ही हमारी आत्माएं भी एक शरीर को त्यागकर नए शरीर को गृहण करती हैं।

इस कारण हमारी आत्माएं हमेशा अमर रहती हैं परंतु हमारे शरीर बदलते रहते हैं।

आइए ऐसे ही कुछ उदाहरणों के बारे में आज हम पढ़ते हैं जिनके कारण मनुष्य पुनर्जन्म पर यकीन करने लगता है और उसे उन बातों का एहसास भी स्वयं होता है।

पंच तत्वों का स्थूल शरीर और मन

सबसे पहले लोगों को इस बात पर यकीन होता है कि उनका शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है जिसमें जल, वायु, धरती ,अग्नि व आकाश शामिल हैं।

यह बात हर कोई साधारण तौर पर भी जानता है कि हमारा शरीर जिन पांच तत्वों से मिलकर बना है एक दिन हमें उन्ही पांच तत्वों में विलीन हो जाना है।

पर चूंकि हमारी आत्मा हमेशा अमर रहती हैं इसीलिए वह जरूर किसी अन्य प्राणी के रूप इस पृथ्वी पर जरूर अवतार लेती होगी।

क्योंकि आत्मा को न तो अस्त्र से ना ही किसी शस्त्र से मारा जा सकता है। हमारी मृत्यु के बाद भी हमारी आत्मा जीवित रहती है, हालांकि मृत्यु के कुछ क्षण पश्चात यह भटकती रहती है।

परंतु एक निश्चित अवधि के बाद आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। लेकिन मनुष्य का अगला जन्म किस रूप में होगा यह उसके वर्तमान जन्मों के कर्मों पर ही निर्भर करता है।

पुनर्जन्म और ज्योतिष

ज्योतिषियों के अनुसार वे हमें हमारे अगले जन्म के बारे में बता सकते हैं कि हमने अपने अगले जन्म के कार्यों में किस कोटि का जीवन यापन किया और कितने वक्त के बाद हमने उस जीवन का त्याग किया।

यही सभी बातें एक ज्योतिष हमारी हाथ की रेखाओं को देख कर और अपनी ज्ञान कि शक्ति से हमारे पिछले जीवन का वर्णन हमारे सामने कर देता है।

ज्योतिष का मानना होता है यदि हम अपने इस जीवन में दुखों का भोग कर रहे हैं तो जरूर हमने अपने अगले जन्म में कुछ बुरे कर्मों के साथ लोगों को दुख दर्द दिए होंगे।

परंतु यदि हम इस जन्म में सुख, वैभवशाली जीवन जी रहे हैं तो हमने अपने अगले जन्म में जरूर अच्छे कर्म किए होंगे जिसका फल आज हम भोग रहे है।

लोगों को ज्योतिषियों की बात पर भी यकीन होता है कि वे लोग हमारे वर्तमान जीवन को किस प्रकार हमारे पिछ्ले जीवन के कर्मों के साथ जोड़कर उसका वर्णन कर देते हैं।

मनोवैज्ञानिक और पुनर्जन्म

मनोवैज्ञानिकों का मानना भी यही है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने पुराने जीवन से संबंध रखता है। पिछले जन्म में मनुष्य के जीवन में कुछ विशेष घटित हुआ हो तो कई बार अगले जन्म में भी बीती पुरानी यादें उसके सामने आने लगती है।

पुनर्जन्म और स्वप्न

भले ही हमारा शरीर बदल जाता हो परंतु आत्मा कभी नहीं बदलती इसीलिए हमारी आत्मा वहीं रहने के कारण हमारे मस्तिक पर हमारी पुरानी वे सभी यादें मौजूद रहती हैं।

यह हमें कभी स्वप्न के रूप में तो कभी वास्तविक जीवन में महसूस होने लगती हैं कई बार हमारे साथ ऐसे घटनाएं भी होती हैं कि हम उस स्थान पर कभी जाते ही नहीं और वह हमें सपनों में दिखने लग जाता है।

कई बार हमारे वास्तविक जीवन में भी जहां हम पहली बार जाते हैं वहां जाने से हमें कुछ ऐसा महसूस होता है कि हम यहां पहले भी कभी आ चुके हैं भले ही हम वहां पहली बार जा रहे हैं।

यही कारण है कि हमें कभी अनजान व्यक्ति को भी जाना पहचाना सा महसूस करना पड़ता है।

पुनर्जन्म और पशु-पक्षी

जब भी कोई पशु हमें बिना मतलब मारने आता है तो लोगों का मानना होता है कि जरूर उस पशु का हमारे जीवन से अगले कर्मों का रिश्ता रहा होगा तभी वह हमें मारना चाहता है अर्थात हमारे अगले जन्मों का बदला वह हमसे ले रहा है।

माना जाता है कि सांप को अपने सात जन्मों की यादें याद रहती है और ऊंट को अपने 3 जन्मों की सारी यादें याद रहती हैं।

सांप हमें सिर्फ तब काटते हैं जब हमारे द्वारा दो गलतियां उसके साथ की जाती हैं पहली गलती जब हम उसके ऊपर पैर रख देते हैं अथवा जब उसे अपनी जान का भय रहता है।

दूसरी गलती जब सांप और हमारा अगले जन्म का कुछ नाता रहा हो। इन दो परिस्थितियों में एक साथ हमारे साथ एक सर्प खिलवाड़ करता है।

जन्म चक्र

पुराण की मान्यताओं के अनुसार मनुष्य सर्वप्रथम मनुष्य योनि धारण नहीं करता बल्कि वह पहले जीव जंतु छोटे-मोटे कीड़े मकोड़ों की योनि धारण करता है। फिर बाद में वह अपने अच्छे कर्मों के बलबूते वह मनुष्य योनि धारण करने में सफल रहता है।

यदि वह मनुष्य होने के बाद अच्छे कर्म करता है तो वह अवश्य ही देवी-देवताओं की योनि प्राप्त कर लेता है, यदि व्यक्ति मानव योनि में बुरे कर्म करता है तो वह फिर से पशु पक्षियों का रूप धारण करने में सफल हो जाता है या वह फिर कीड़े मकोड़ों की योनि धारण कर लेता है।

कर्म

यदि मनुष्य अपने जीवन में कुछ अच्छे या बुरे कर्म करता है और वह अपने एक जन्म में उन सभी कर्मों का फल नहीं भोग पाता तो अवश्य ही अगले जन्म में वह अपने उन कर्मों को पूरा करने के लिए जन्म लेता होगा।

क्योंकि मान्यता है अपने सभी जन्मों का हिसाब पूरा करने हेतु मिलने वाला जीवन ही पुनर्जन्म होता है। इसीलिए अच्छे कर्मों के बलबूते लोगों का पुनर्जन्म अच्छी योनि के रूप में होता है तथा बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरी योनि अर्थात कीट पतंगों के रूप में ही जन्म मिलता है l

यह सभी कारण लोगों के पुनर्जन्म पर शोध बताते हैं और उस बात का सही प्रमाण भी देते हैं कि इस संसार में लोगों का पुनर्जन्म भी होता होगा। परंतु उसके बाद भी कुछ अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में इन बातों पर यकीन नहीं करते और ना ही उन्हें इन बातों को वास्तविक साबित करने के लिए दिए उदाहरणों पर यकीन होता है l

इस अवधारणा को लोगों के सामने पेश किए जाने के बाद भी उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं होता कि मानव का पुनर्जन्म भी होता है वे लोग इस बात पर कतई भी यकीन नहीं करते और अपने उन बुरे कर्मों को करने के लिए मजबूर हो जाते हैं जो उन्हें अगले जन्म मे भोगने पढ़ते हैं ।

मूर्खता की बात यह है कि लोगों को वास्तविकता पता होने के बाद ही वे लोग अच्छे कर्म करना ही नहीं चाहते और ना ही अपने अच्छे कर्मों के बलबूते वे लोग अगले जन्म में अच्छी यानि धारण करने की कोशिश करते हैं l

मनुष्य की मूर्खता यहां पर देखी जाती है कि वह अपने वर्तमान जीवन में सिर्फ सुख सुविधाएं व आनंदमय जीवन जीना चाहता है और आने वाले अगले जन्म में उसे कोई भी बात की चिंता नहीं होती इसी कारण वह अपने अगले जन्म में हजारों परेशानियों का सामना करके एक बद्तर जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हो जाता है ।

आज प्रत्येक मनुष्य को इस बात का ज्ञान होने के कारण भी वह स्वयं को अज्ञानी साबित करता है और प्रत्येक प्राणी के साथ ऐसी हरकतें व कार्य करता है जिसके कारण वह अगले जन्म में इस प्राणी का सारा बदला लेने के लिए तैयार रहता हो ।

कई लोगों के व्यवहार को देखकर यह स्पस्ट होता है कि वह अगले जन्म में अच्छी योनि धारण नहीं कर पाएगा ।

इसलिए हमें अपनी सच्चाई को मानते हुए प्रत्येक कर्म को इस प्रकार करना चाहिए कि उससे किसी भी प्राणी को दुख ना पहुंच सके और हम अपने अगले जन्म में भी एक अच्छी योनि प्राप्त करके पिछले जन्म में लिए अच्छे कर्मों को साबित कर सकें।

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