Site icon AchhiBaatein.com

Smart Work और Hard Work में क्या फर्क है?

Hard work Vs Smart work in Hindi

पहले जब तकनीक से लोगों का दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था, उस ज़माने में लोगों को काम करने के दौरान ज़बरदस्त कठिनाईयों और दुश्वारियों का सामना रहा करता था।

यही वजह थी कि उस समय लोगों को अपने काम पूरे करने में अधिकांश समय या तो अपने खेतों में पसीना बहाना पड़ता था या फिर उन्हें किसी काम में बेहद मेहनत और परिश्रम का सामना करना पड़ता था। मतलब ये कि उस ज़माने में लोगों को हर हाल में अपार परिश्रम का परिचय देकर अपने काम को मुकम्मल करना होता था जो उनकी मजबूरी थी।

लेकिन धीरे धीरे दौर बदला और लोगों ने अपने शरीर से ज्यादा अपने दिमाग का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इंसान का दिमाग भी रहस्यमयी ढंग से काम करता है। इंसानी दिमाग के कार्य करने के तरीकों पर दुनिया के बहुत से वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी भी जब पड़ताल करते हैं तो आश्चर्य के समुद्र में विलीन होकर अपने दांतो तले उंगली दबा लेते हैं।

देखा जाए तो दो ऐसी चीजें हैं जिसकी कार्यशैली का थोड़ा ही ज्ञान मनुष्य को दिया गया है, पहला हमारा यह महाविशालकाय ब्रह्मांड और दूसरा इंसानी दिमाग!

क्या है स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क के बीच फर्क

स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क के बीच फर्क यह है कि जो भी काम हम दिमाग को इस्तेमाल में लाकर अपनी बुद्धि और विवेक से करते हैं, वह स्मार्ट वर्क कहलाता है और जो काम हम केवल अपने तन और परिश्रम के साथ अंजाम देते हैं, वह हार्ड वर्क कहलाता है।

इस आधुनिक युग में स्मार्ट वर्क को महत्व मात्र इसलिए दिया जाता है कि इसमें काम के शुरुआती चरणों में ही सिर्फ़ एक बार जोरदार मेहनत करनी पड़ती है। एक बार बुद्धि लगाने पर अगर रास्ते बन गए तो आने वाले दिनों में आदमी के लिए सरलता और आसानी के रास्ते खुल जाते हैं।

जबकि हार्ड वर्क में ऐसा नहीं होता है। आपने आज जितनी मेहनत और पसीना बहाया है, कल उसी मात्रा में या उससे ज्यादा या थोड़ी कम मात्रा में आपको पसीना बहाना ही पड़ेगा। आज तक जितने भी वैज्ञानिक आविष्कार हुए हैं, सब के सब स्मार्ट वर्क का हिस्सा हैं।

जैसे किसी आविष्कारक ने अतीत में एक गाड़ी का आविष्कार किया। जब तक उसने उस गाड़ी का आविष्कार नहीं किया था तो वह उसे बनाने का हर संभव प्रयास कर रहा था। वह दिन रात उसी आविष्कार के सपने देखता और उस सपने को साकार करने के लिए अपने तन, मन और धन के साथ निरंतर लगा रहता था।

उसके पास दूसरी किसी और चीज़ को सोचने या समझने का समय ही नहीं था। एक दिन लगे हाथों उसने गाड़ी का आविष्कार कर दिया और इस तरह उसका सपना साकार हो गया। उसकी इस मेहनत के बाद उसे सफर की कठिनाईयों से एक हद तक मुक्ति मिल गई और वह आवागमन के लिए साईकिल को त्याग कर गाड़ी से चलने लगा। उसे अब सफर की थकान से कोई लेना देना नहीं रहा।

सफर की इस थकान और परिश्रम से उसे काफी हद तक निजात मिल चुकी थी। उसकी दिमागी मेहनत रंग ले आई और उसने समाज के दूसरे लोगों के लिए भी जबरदस्त राहत की सुविधा उपलब्ध करा दी।

स्मार्ट और हार्ड वर्क में क्या खास है अन्तर

हमने आपको पहले ही इस बात से आगाह कर दिया है कि हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क के बीच स्पष्ट अंतर क्या हो सकता है?

लेकिन इसे पूरी तरह समझने के लिए हम इस सिलसिले में एक मिसाल पेश करना चाहेंगे।

जैसे किसी जंगल में किसी धोबी का एक गधा है जो दिन रात कड़ी मेहनत का प्रदर्शन करते हुए अपने मालिक के अधीन है। वह मालिक के आदेशानुसार बड़े-बड़े मेहनती काम करता है।

उसी जंगल में एक शेर भी है जो 20 घंटे सोता है लेकिन अपनी नीति के चलते वह 4 घंटे में ही शिकार करके अपनी दिनभर की खुराक और आजीविका का बंदोबस्त कर लेता है। बीस घंटे सोने के पश्चात भी वह जंगल का राजा है और समूचे जंगल में उसका वर्चस्व कायम है।

बीस घंटे तक पारिश्रमिक काम अंजाम देकर गधा फिर भी अपने मालिक का गुलाम है। तो आखिर इन दोनों की शख्सियत के बीच राजा और सेवक का फर्क कैसे आ गया, हालांकि मेहनत तो दोनों करते हैं? इस फर्क का कारण केवल योजनाबद्ध नीति (Strategy) है।

शेर हमेशा अपने शिकार के दौरान रणनीति का सहारा लेता है। जंगल में किसी हिरण के शिकार के समय वह केवल अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं करता बल्कि उस शिकार के पीछे उसका दिमाग भी बड़ी तेजी से काम कर रहा होता है।

वह एक स्ट्रेटजी के मुताबिक हिरण के झुण्ड में से एक शिकार चुन लेता है और उसके अलावा उसकी नज़र दूसरे किसी भी हिरण पर टिकी नहीं रहा करती। हालांकि हिरण तेज रफ्तारी या दौड़ के मामले में शेर से कहीं ज़्यादा होता है लेकिन अपने दिमाग का इस्तेमाल कर अपनी ताकत और क्षमता का सही ढंग से प्रयोग में लाता है और पहले अपने शिकार के पीछे लगातार भाग कर उसे बुरी तरह थकने पर मजबूर कर देता है।

फिर जब हिरण पूरी तरह थक जाता है तो शेर उसकी गर्दन पर आसानी के साथ अपने जबड़े या पंजे गड़ाकर उसे अपना शिकार बना लेता है। लेकिन गधे के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। हालांकि कुदरत ने दिमाग दोनों को प्रदान किया है लेकिन उसका सही इस्तेमाल शेर ही कर पाता है। गधे की दोलत्ती में ऐसी ताकत होती है कि वह किसी नवनिर्मित दीवार को तबाह कर सकती है।

इस उदाहरण का सारांश ये है कि सफलता या किसी मुश्किल काम को पूरा करने के लिए हमेशा दिमाग को इस्तेमाल में लाकर योजना बनानी पड़ती है और उस काम को चरणों में बांट कर आसान किया जाता है। अगर किसी काम के पीछे बुद्धि और योजना ना हो तो वह काम हमें कठिन नजर आता है।

हार्ड वर्क को स्मार्ट वर्क में कैसे बदलें

इस भौतिक संसार में अगर आपने कदम रख ही दिए हैं तो आपको हर हाल में किसी ना किसी काम को अंजाम तक पहुंचाना ही पड़ता है। काम के बिना किसी का गुजारा संभव नहीं है। आप भी देखते होंगे कि आपके आसपास के लोग चाहे वह जिस किसी क्षेत्र से संबंध रखते हो हर समय भागदौड़ और परिश्रम करते नजर आते हैं।

उनके चेहरों पर उनके काम का बोझ साफ नजर आता है। इस आधुनिक युग में तो किसी के पास किसी से मिलकर भेंट मुलाकात करने तक का समय नहीं रह गया है। समय काम और व्यस्तता के चलते तेजी से गुजर रहा है।

समय का हर व्यक्ति के पास अभाव है। हम समय और आयाम में रहकर ही कोई काम अंजाम देते हैं।

अगर हम अपने काम को आसान कर लें तो यही काम स्मार्ट वर्क में बदल जाता है। इस तरह, हम कम मेहनत में ज्यादा काम करने के काबिल हो सकते हैं। लेकिन हार्ड वर्क को स्मार्ट वर्क में बदलने का प्रयास आखिर सफल कैसे होगा?

आइए जानते हैं काम को आसान बनाने के तरीके क्या हैं

अपने मनपसंद काम को ही महत्व दें

अक्सर देखा जाता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति और जीवन की तंग राहों के मद्देनजर हम मजबूरन ऐसे काम चुन लेते हैं जिसमें हमारा जरा भी मन नहीं लगता। हम अपना संयम खो बैठते हैं और इंतजार नहीं कर पाते।

ऐसे आलम में मजबूरन हम किसी ऐसे क्षेत्र में चले जाते हैं जिसमें जाना हमारी हालत को तो सुधार देगा लेकिन उस काम में उसका मन किसी भी प्रकार लग नहीं पाता। जब भी आप ऐसे काम करते हैं जिसमें आपका मन ना लग रहा हो तो उसमें आपका दिमाग भी क्रियाशीलता या तेज़ी के साथ काम नहीं कर पाता और आप उस काम को आसान बनाने की योजना में भी नाकाम हो जाते हैं।

नतीजतन, उस काम में आपको दोहरी मेहनत का सामना होता है क्योंकि एक तरफ जहां आप उस काम के दौरान शारीरिक परिश्रम करते हैं तो दूसरी तरफ आपका मन उसमें ना लगने से की वजह से मानसिक तनाव होता है।

इस तरह, आपका दिमाग भी थकान से चूर चूर हो जाता है। इसलिए जब भी जीवन में कोई ऐसा पड़ाव आए जहां आपको दो क्षेत्रों में से किसी एक को चुनना हो तो अपने मनपसंद काम को ही महत्व देना सीखें और दूसरों की गुमराह करने वाली बातों में कभी ना आए। थोड़े सब्र और संयम को दर्शाकर आप अपने मनपसंद काम को हासिल कर सकते हैं।

टाइम टेबल के हिसाब से चलें

आधुनिक युग में किसी के पास भी समय नहीं रहा। हर कोई इस भागदौड़ भरी जिंदगी में इधर उधर बदहवास भटकता नजर आता है। यह तब होता है जब इंसान अपने किसी मुश्किल काम को तब करना आरंभ करता है जब समय उसके हाथ से निकल रहा होता है।

हममें से बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास दिन के शुरुआती चरणों में समय होता है तो वह वह उसे यूं ही बेकार के कामों में खपा कर बरबाद कर रहे होते हैं। जब समय निकलने लगता है तो कोई भी काम करना उनकी मजबूरी में शुमार हो जाता है।

क्योंकि उन्हें हर हाल में में अपने बचे खुचे समय (Deadline) में उस काम को पूरा करना ही होता है। इस तरह जब मजबूरी हाथ पकड़ लेती है तो वह अपने आप विवश और मजबूर हो जाते हैं। अपने चेहरे पर बदहवासी लिए उस काम को मजबूरन अंजाम देते हैं जिससे उनका काम जल्दबाजी में और ज़्यादा बिगड़ जाता है।

बुद्धिजीवियों के अनुसार यदि हम किसी मुश्किल काम को चरणों में बांट लें तो वह अपने आप सरल और आसान हो जाता है। मान लीजिए कि आपको किसी कंपनी ने लिखने के लिए पन्द्रह हजार शब्दों पर आधारित एक किताब दी है और उसको पूरा करने का समय 15 दिन निर्धारित किया है।

अब आप यह सोचकर कि अरे यार! 15 दिन बहुत होते हैं। चलो, इस काम को आराम से कर लेंगे। इस तरह आपने घूम फिर कर अपने दस दिन गुजार दिए। अब बचे खुचे दिन में वह काम आपको पहाड़ जैसा प्रतीत होगा। अगर समय रहते आपने हर रोज पंद्रह सौ शब्द लिख दिए होते तो वह काम आसान होकर मात्र दस दिनों में ही खत्म हो सकता था।

इसलिए कहा जाता है कि अगर किसी काम के पीछे योजना ना हो तो वह काम अपने आप कठिन हो जाता है।

अपने काम को समय दें

अपने काम को समय देने का एक फायदा यह है कि उस क्षेत्र से जुड़े काम में व्यक्ति महारत हासिल करके एक्सपर्ट बन जाता है। उसे उस काम का अनुभव हो जाता है और इसका फायदा उठाकर वह उसे आसानी के साथ अंजाम देने लगता है।

देसी भाषा में कहें तो उस क्षेत्र में उसका दिमाग खुल जाता है। इसके अलावा लोग उसके अनुभव के चलते उससे अपनी राय और मशवरे मांगने लगते हैं लेकिन इसके लिए आपको धीरज और संयम के साथ अपने काम से लम्बे समय तक जुड़े रहना पड़ता है।

लोगों से राय लेने में शर्माए नहीं

हार्ड वर्क को स्मार्ट वर्क में बदलने के लिए दिमाग की आवश्यकता होती है। एक व्यक्ति के पास एक ही दिमाग होता है जिसका इस्तेमाल करके वह अपने काम को आसान बना सकता है लेकिन किसी दुविधा या परेशानी में फंस जाने पर उसका दिमाग कभी कभार काम करना बंद कर देता है।

ऐसी स्थिति में अगर आप शर्मिंदा ना होकर लोगों से राय लेते रहें तो वह आपको जबरदस्त सलाह मशवरा दे सकते हैं। इस तरह आप अपने काम को अच्छे ढंग से अंजाम दे सकते हैं।

क्योंकि जो बात उनके मन में चल रही हो शायद वह आपके मन में चलने वाली बात से बेहतर हो और यह बिल्कुल संभव है।

अपने काम को अपडेट करते रहें

इस तेज रफ्तार जिंदगी में हर आदमी मानसिक तौर पर खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करता है। इस मजबूती के लिए वह अपने क्षेत्र से जुड़े काम में महारत प्राप्त करने के लिए खुद को अपडेट करता रहता है।

अगर उसने ऐसा नहीं किया तो फिर वह समाज के अन्य लोगों से काफी पीछे छूट जाता है। इसलिए अगर आपको अपनी सफलता को बरकरार रखना है तो आपको अपने काम में खुद को अपडेट करते रहना होगा।

दुखी और उदास मन से काम ना करें

जब आप दुखी होते हैं तो चिंता की वजह से मानसिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं जिसके चलते आपका दिमाग किसी स्वस्थ आदमी के मुकाबले शिथिल रूप से काम करता है।

इसलिए अपने काम में उत्साहित होकर जी जान से जुटे रहें और चिंता के दलदल से अपने कदम बाहर निकालने के लिए हरदम तैयार रहें क्योंकि चिंता करने से चतुराई घटती है और काम मुश्किल नजर आते हैं।

जब भी आपका मन दुखी या उदास हो तो काम को उसी दौरान छोड़ दें और थोड़ी देर के लिए अपने मन को शांत रखने के लिए बाहर चहलकदमी कर आएं। उस दौरान लोगों से हंसकर मिले और उनकी हालचाल तलब करें।

इस तरह आपका दिमाग फ्रेश हो जाएगा और आप जब वापस उस काम पर आएंगे तो एक नई ऊर्जा से उसी काम को आसानी के साथ पूरा कर सकते हैं को आपको मुश्किल नजर आ रहा था।

Exit mobile version