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ना रखें किसी से बेवजह द्वेष, माफ करें और भूल जाएं

Forgive

बड़ा ही मुश्किल होता है उन्हें भूल पाना जो हमारी नजरों में चढ जाते हैं, नजरों में चढ़ने से आशय उस व्यक्ति से है जो हमारी नजरों में खटकता हैं और हमारे लिए नई नई समस्याएं लाता है।

परंतु संयोग से जिन्हें हम देखना नहीं चाहते वही सबसे पहले दिख जाते हैं यह देखकर हमें गुस्सा आने लगता है कि वही हमें रोज दिख जाता है जिससे हम बात तक नहीं करते।

अर्थात जिसके होने पर हम खुद को कमजोर महसूस करते हैं या सामने समस्याएं महसूस करते हैं।

कई बार जिंदगी में हमें कुछ ऐसे लोग मिल जाते हैं जो हमारी आदतों को सुधारने के लिए बार-बार उत्साहित करता है परंतु हमें उसकी प्रत्येक बात से गुस्सा आता है।

और बेवजह द्वेष करते हैं कि वे हमें बार-बार डांटते रहते हैं। कभी-कभी हमें गुस्सा उन लोगों से भी आता है जो लोग हर वक्त हमारी मजाक किया करते हैं और हमारी कमियों को बताते हैं।

परंतु हम यह भूल जाते हैं जब वह लोग हमें डांटते/ हमारा उपहास उड़ाते हैं तो हमें अपनी गलतियां पता चलती है और जीवन में कुछ अच्छे कार्यों को सीखने का मौका मिल पाता है।

पर हम अपनी जिद पर खड़े होते हैं और बेवजह हम किसी को अपनी नजरों में दोषी ठहराते हैं, उस व्यक्ति के प्रति गुस्सा जाहिर करते हैं।

वहां पर हम नहीं समझते कि उसने हमारी गलती को दिखाकर हमें सुधारने का मौका दिया। जिस कारण आने वाले वक्त में हम अपने कार्यों को और भी बेहतर कर सकेंगे।

कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोई गलती से हमें थोड़ी सी समस्या या परेशानी में डालता है, तो हम बहुत लंबे समय तक उस व्यक्ति को अपनी नजरों में रखकर खुद का वक्त बर्बाद करते हैं।

हमें अन्य लोगों को उनकी गलतियों को देखकर माफ कर देना चाहिए। क्योंकि हमें एक ही जीवन मिला है यहां हर कोई इंसान गलती करता है, वह गलती तब तक करता रहता है जब तक उसे सुधारने का मौका नहीं मिलता।

इसलिए हमें भी दूसरों को उनकी गलतियां सुधारने का मौका देना चाहिए जो गलतियां करते हैं।

जब हम किसी इंसान को माफ करते हैं तो हमारे मन में अच्छी भावनाएं आती होती हैं और हम उस व्यक्ति के साथ एक अच्छा संबंध बनाते हैं।

यदि हम उस व्यक्ति को कभी माफ (FORGIVE) नहीं करते जो हमारे लिए समस्याएं खड़ी करता है तो हम बेमतलब उस व्यक्ति को अपनी नजरों में द्वेष समझकर खुद के लिए उससे भी ज्यादा समस्याएं खड़ी कर लेते हैं।

क्योंकि हम एक अच्छा जीवन तभी जीते हैं जब हम ज्यादा से ज्यादा लोगों की भावनाओं को समझ कर उनके भावनाओं के प्रति वैसा ही व्यवहार करते हैं,प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यवहार से खुश रखते हैं।

इसलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को उनकी छोटी मोटी गलतियों पर माफ करते हुए उनके साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे हमें भी बहुत सारे फायदे होते हैं,और वे लोग जिन्हें हम माफ करते हैं हमारी समस्याओं में हिस्सेदार बन कर उन्हें कम कर पाते हैं।

मालिक और नौकर : Hindi Kahani

हम आज आपको ऐसी ही कहानी बताएंगे जिसमें एक मालिक अपने नौकर को हमेशा ही नजरअंदाज करके उसकी गलतियों को माफ करता रहता है और स्वयं अपने जीवन में उन्नति के साथ आगे बढ़ता है।

कहानी शुरू होती है एक नौकर और मालिक से इन दोनों के बीच इतना वक्त गुजर चुका होता है कि यह नौकर और मालिक के साथ-साथ अच्छे मित्र भी बन चुके होते हैं।

मालिक एक गाड़ी चलाता है और लोगों के द्वारा दिए गए आदेशों का पालन कर उनकी जरूरत का सामान उनके घर तक पहुंचाता है।

जब यह मालिक अपना संघर्षपूर्ण जीवन शुरु करता है, तो यह उस वक्त अकेले ही अपनी गाड़ी का काम शुरू करता है।

जब वक्त के साथ इस मालिक का व्यवसाय बढ़ता जाता है, इसे अब एक व्यक्ति की जरूरत पड़ती है।

जो व्यक्ति गाड़ी में सामान चढ़ाने और उतारने जैसे कामों में उसकी सहायता कर सकें।

जब यह व्यक्ति अपनी जान पहचान के लोगों से जरूरत के लिए एक व्यक्ति की बात करता है।

तो इसे कुछ दिनों बाद इसके दोस्तों द्वारा एक व्यक्ति को काम पर रखने के लिए कहा जाता है।

यह मालिक उस व्यक्ति को अपने जरूरत के काम करने के लिए नौकर के रूप में रख लेता है।

अब यहां से यह व्यक्ति मालिक बन चुका होता है, क्योंकि अब उसके आदेश मानने वाला व्यक्ति भी उसके साथ काम करता है।

इस गाड़ी के मालिक को अपने जीवन में अभी बहुत आगे जाना है वह यही सोच कर लगातार अपने व्यवसाय में उन्नति करता जाता है।

इसलिए वह अपने नौकर के साथ अच्छा व्यवहार करता रहता है। कई बार उसका नौकर गाड़ी में सामान चढ़ाते, उतारते वक्त अपने मालिक को बहुत सारा नुकसान करता है।

परंतु उसके मालिक को उसकी कामों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि मालिक हर बार अपने उस नौकर को नजर अंदाज करके खुश रहता है।

और यही सोचता है कि इसे किस प्रकार से आगे के कार्यों में सहमत होने के लिए मजबूर किया जाए।

क्योंकि अगर मालिक अपने नौकर को छोटे-मोटे कार्यों में डांटता रहता, तो एक न एक दिन जरूर ऐसा भी होता जिस दिन नौकर अपने मालिक द्वारा कही जाने वाली उन बातों को सहन नहीं कर पाता।

इसलिए अनुभव होने के कारण मालिक अपने नौकर की छोटी मोटी गलतियों को सहन करता रहता है, अपने नौकर से कभी द्वेष की भावना रखता है।

मालिक का मानना होता है अगर शायद ही यह व्यक्ति मेरे काम में इतनी सहायता नहीं करता तो,आज ना ही मेरे पास इतना सारा पैसा होता और ना ही कोई मेरी मदद करता।

हालांकि नौकर अपनी तरफ से मालिक को संतुष्ट करने का पूरा प्रयास करता और ऐसे काम कभी भी नहीं करता जिसके कारण वह मालिक की नज़रों में गिर जाए।

धीरे-धीरे वक्त के साथ मालिक भी अपने नौकर को माफ करने की आदत बना लेता है, नौकर भी अपने मालिक को हमेशा खुश रखने की आदतों से मजबूर हो जाता है।

वह कभी भी अपने मन के कार्यों को नहीं करता हमेशा मालिक को ही अपना सबकुछ मान कर उसकी मर्जी के कार्यों को करता है।

ऐसे ही मालिक और नौकर की भी एक अच्छी दोस्ती हो जाती है। मालिक और नौकर के बीच भले ही मालिक और नौकर का ही रिश्ता रहता है, परंतु उनके दिलों के बीच एक अच्छी दोस्ती का संबंध बन जाता है।

नौकर भी अपने मालिक को हमेशा दोस्त के समान मानकर उसकी खुशियों के प्रति उत्साहित रहता है। अब नौकर अपने मालिक को हमेशा संतुष्ट करने की ही सोचता रहता है।

और संतुष्ट करने के लिए प्रत्येक कार्यों को खुद की जिम्मेदारी समझकर वक्त पर पूरा कर लेता है मालिक को भी इतनी आदत हो जाती है कि वह अपने नौकर द्वारा किये जाने वाली छोटी-छोटी गलतियों को भूल जाता है।

खुद भी खुशी के साथ अपने नौकर के साथ रहता है।

यहीं से मालिक को अपने जीवन के सारे अनुभवों का ज्ञान हो जाता है, अब वह इतना अमीर हो चुका होता है।

जिसका कारण सिर्फ उसका वह दोस्त होता है। जिसके साथ उसने आज तक नौकर के साथ साथ दोस्ती का भी संबंध रखा।

वक्त गुजरने के साथ साथ वह मालिक अपने उस नौकर को भी अन्य गाड़ी दिला कर उसे भी खुद का मालिक बना देता है ,क्योंकि उसके पास इतना धन हो चुका है जितने धन कि उसे जरूरत ही नहीं होती।

इसलिए जब भी कोई व्यक्ति लोगों की छोटी-छोटी गलतियों को माफ करते हुए आगे बढ़ता है, वह अवश्य ही अपनी मंजिल तक पहुंचने में किसी भी समस्या का सामना नहीं करता।

उसे ईश्वर द्वारा हमेशा ही सफलता के मार्गो पर चलने के लिए उत्साहित किया जाता है,वह उन लोगों को हमेशा खुद पर विश्वास रखने के लिए उत्साहित करता रहता है जो हमेशा दूसरों को माफ करते हैं।

वह व्यक्ति जो हर किसी को प्रतिदिन माफ करता है और उनके दोषो को बिना किसी बाधा के स्वीकार कर लेता है वह एक कदम सफलता की ओर हर वक्त बढ़ता है।

इस जीवन में सफलता का मूल मंत्र लोगों के साथ अच्छा संबंध बनाना ही है। अतः हमें दूसरों की गलतियों को दिल एवम दिमाग में रखने कि बजाय उन्हें नजरअंदाज कर जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।

उनकी गलतियों से खुद अपने भविष्य में कुछ ऐसे अनुभवों को अपनाना चाहिए जिसके कारण उनके साथ साथ आने वाले वक्त में हम गलतियां ना कर पाए।

किसी अन्य की गलतियों को ढूंढने से पहले हमें खुद की गलतियां देखनी चाहिए और उनमें सुधार करने की सोचनी चाहिए।क्योंकि दूसरे लोगों को गलत ठहराने से हम खुद दोषी होते हैं।

क्योंकि हम लोगों में ही उनसे कहीं ज्यादा कमियां होती हैं जिस कारण हम उन्हें माफ नहीं नही कर पाते।

सीख-

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि अगर किसी को भी अपने जीवन में सफल होना है तो हमें पहले अन्य लोगों की गलतियां देखने से पहले अपनी गलतियों को ढूंढना चाहिए और उन गलतियों को सुधारना चाहिए जिसके कारण हम सफलता से बाधित होते हैं।

और यह सोचते हुए अन्य लोगों की गलतियों को माफ करना चाहिए कि मनुष्य जीवन में गलतियां होना सामान्य है। क्योंकि यदि हम दूसरों को माफ नहीं करेंगे तो भला ईश्वर हमें हमारी गलतियों के लिए माफ कैसे करेंगे।

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