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चाणक्य नीति Chapter 2 In Hindi

Chanakya Niti In Hindi : Chapter 2

Chanakya Niti in Hindi  Chapter 2, Chanakya Success Tips 

“चाणक्य” प्रतीक हैं भारत की रचनात्मक बुद्धि के। उनकी नीतियां (Chanakya Niti) सामान्य व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक मानी गई हैं। चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है।  वे ही प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कि भारतीय राजनीति में कूटनीतिक जोड़-तोड़, दांव-पेंचों की शतरंजी चालों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।

चाणक्य नीति : Chapter 2

स्त्रियां स्वभाव से ही झूठ बोलने वाली, अत्यंत साहसी, छली-कपटी, धोखा देने वाली, मूर्खतापूर्ण बाते करने वाली, अत्यन्त लोभी, अपवित्र और दया–माया से रहित होती हैं।
चाणक्य ने स्त्रियों के सम्बन्ध में जो बात कही है वो आवश्यक नहीं सब स्त्रियों में हो और संभवतः चाणक्य की यह भावना भी नहीं रही होगी, परन्तु बात बहुमत की हैं।

Untruthfulness, rashness, guile, stupidity, avarice, uncleanliness and cruelty are a woman’s seven natural flaws.

खाने पीने के पदार्थो का सुलभ होना और खाने-पीने की सामर्थ्य होना, भोग-विलास की शक्ति के साथ-साथ उसकी तृप्ति के लिए सुन्दर स्त्री का मिलना और धन-सम्पति के होने पर उसके उपभोग के साथ दान आदि की प्रवृति होना, ये बातें पूर्वजन्म के संयोग के कारण ही होती हैं।

To have ability for eating when dishes are ready at hand, to be robust and virile in the company of one’s religiously wedded wife, and to have a mind for making charity when one is prosperous are the fruits of no ordinary austerities.

जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो और स्त्री पति के अनुकूल आचरण करने वाली हो, पतिव्रता हो और जिसको प्राप्त धन से ही संतोष हो, ऐसे व्यक्ति के लिए स्वर्ग इसी धरती पर हैं।

He whose son is obedient to him, whose wife’s conduct is in accordance with his wishes, and who is content with his riches, has his heaven here on earth.

यदि पुत्र हो तो पिता का भक्त हो अथार्त माता-पिता के दुखों को दूर करने में जो सहायक होता है, वही पुत्र कहलाने का अधिकारी होता हैं इसी प्रकार संतान का भरण-पोषण करने वाला, उनके सुख-दुःख का ध्यान रखने वाला व्यक्ति ही सच्चे अर्थो में पिता कहला सकता हैं। विश्वास करने योग्य व्यक्ति को ही अच्छा मित्र कहा गया है और अपने पति को सुख देने वाली स्त्री को ही सच्चे अर्थो में पत्नी माना गया हैं।

They alone are sons who are devoted to their father. He is a father who supports his sons. He is a friend in whom we can confide, and she only is a wife in whose company the husband feels contented and peaceful.

पीठ पीछे रहकर दुसरे की बुराई करना अथवा किसी व्यक्ति के कार्यो में हानि का प्रयत्न करना और उसके मुख पर अथवा उसके सामने मीठी-मीठी बाते करना, बहुत अनुपयुक्त हैं ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए।

Avoid him who talks sweetly before you but tries to ruin you behind your back, for he is like a pitcher of poison with milk on top.

निकृष्ट मित्र पर विश्वास करने की बात तो दूर, अच्छे मित्र के सम्बन्ध में भी चाणक्य का कहना हैं की उस पर भी पूरा विश्वास न किया जाए, क्योकि उससे इस बात की आशंका बनी रहती हैं की किसी बात पर क्रुद्ध हो जाने पर वह सारे भेद प्रकट न कर दे।

Do not put your trust in a bad companion not even trust an ordinary friend, for if he should get angry with you, he may bring all your secrets to light.

यदि किसी कार्य के सम्बन्ध में कोई योजना बनाई हो तो उसे वाणी से प्रकट नहीं करना चाहिए अथार्त उसे कार्यरूप में परिणत करने तक गुप्त मात्र के समान सुरक्षित रखना चाहिए।

Do not reveal what you have thought upon doing, but by wise counsel keep it secret, being determined to carry it into execution.

अनेक अनर्थो की जड़ होने के कारण मुर्खता बहुत कष्ट देने वाली हैं। इसी प्रकार यौवन भी कष्टकर होता हैं, परन्तु दूसरे व्यक्ति के घर में किसी विवशता के कारण रहना सर्वाधिक कष्टकर कार्य हैं।

Foolishness is indeed painful, and verily so is youth, but more painful by far than either is being obliged in another person’s house.

यह नहीं कहा जा सकता हैं कि प्रत्येक पर्वत पर मणि-माणिक्य की प्राप्त होंगे, इसी प्रकार प्रत्येक हाथी के मस्तक से मुक्ता–मणि नहीं प्राप्त होती। संसार में मनुष्यों की कमी न होने पर भी अच्छे पुरुष सब जगह नहीं मिलते। इसी प्रकार चन्दन के कुछ वन तो हैं, परन्तु सभी वनों में चन्दन के वृक्ष उपलब्ध नहीं होते।

There does not exist a pearl in every mountain, not a pearl in the head of every elephant; neither are the sadhus to be found everywhere, nor sandal trees in every forest.

बुद्दिमान व्यक्तियों को चाहिए की वे अपने पुत्रो को चरित्र निर्माण करने वाले कार्यो में लगाएं, क्योकि नीति को समझने वाले, श्रदालु तथा शील सवभाव वाले व्यक्ति ही विश्व में पूज्य समझे जाते हैं।

Wise men should always bring up their sons in various moral ways, for children who have knowledge of niti-sastra and are well behaved become a glory to their family.

ऐसे माता-पिता को बेटे का शत्रु ही माना जाता हैं, जो उसे शिक्षित नहीं करते। अशिक्षित पुत्र अथवा व्यक्ति बुद्धिमान व्यक्तियों की सभा में उसी प्रकार शोभित नहीं होता जिस प्रकार हंसो के झुण्ड में बगुला अच्छा नहीं लगता। जो माता-पिता अपनी संतान को सुशिक्षित नहीं करतें, वे बच्चे के शुभचिन्तक अथवा मित्र नहीं कहे जा सकते, एक प्रकार से वे उसके शत्रु ही होते हैं।

Those parents who do not educate their sons are their enemies; for as is a crane among swans, so are ignorant sons in a public assembly.

चाणक्य का कहना है कि लाड-प्यार से पुत्र और शिष्य में दोष उत्पन्न हो जाते हैं और ताड़ना से उनमे से गुणों का विकास होता हैं उनका कहना हैं की इसलिए पुत्र और शिष्य को लाड-प्यार करने की अपेक्षा ताड़ना करनी चाहिए।

Many a bad habit is developed through over indulgence, and many a good one by chastisement, therefore beat your son as well as your pupil; never indulge them.

व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ न कुछ स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। आचर्य का कहना हैं की मनुष्य को चाहिए के वह प्रतिदिन शास्त्र कम-से-कम एक श्लोक पढ़े व उसका अर्थ समझे यदि उसके पास समय नहीं हैं तो पूरा श्लोक न पढ़कर आधा अथवा आधे से आधे श्लोक का ही अध्यन करके अपने दिन को सार्थक बनाये, जो व्यक्ति दिन-भर में किसी शास्त्र अथवा उत्तम पुस्तक का एक अक्षर भी नहीं पढता उस व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि उसके जीवन का वह दिन निरर्थक हो गया। इसके अतिरिक्त आचार्य के अनुसार दिन को सार्थक करने का दूसरा उपाय दान करना हैं।

Let not a single day pass without your learning a verse, half a verse, or a fourth of it, or even one letter of it; nor without attending to charity, study and other pious activity.

संसार में कुछ दुःख ऐसे हैं जिन्हें मुनष्य अपने जीवन में सरलतापूर्वक न भुला पता हैं और न उन्हें सहन कर सकता हैं ये दुःख हैं – अपनी पत्नी से अलग होना, अपने परिवार वालें और सम्बन्धियों से अपमानित होना, क़र्ज़ का न चूका पाना, दुष्ट स्वामी की नौकरी करना तथा दरिद्र बन कर मूर्खो के समाज में रहना।

Separation from the wife, disgrace from one’s own people, and an enemy saved in battle, service to a wicked king, poverty, and a mismanaged assembly: these six kinds of evils, if afflicting a person, burn him even without fire.

तेज बहाव वाली नदी के किनारे के वृक्ष, दुसरे के घर में रहने वाली स्त्री तथा मंत्री से रहित राजा शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।

Trees on a riverbank, a woman in another man’s house, and kings without counselors go without doubt to swift destruction.

प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बल के कारण ही जीवित रहता हैं। उसे किसी न किसी शक्ति को आवश्कता होती हैं ब्राह्मण की शक्ति उसकी विधा हैं, राजा की शक्ति उसकी सेना हैं, वैश्य की शक्ति उसका धन हैं और शूद्र की शक्ति उसके द्वारा किया जाने वाला सेवाकार्य हैं।
विधा से रहित ब्राह्मण, सैन्यबल से रहित राजा, धन से रहित व्यापारी और सेवाकर्म से रहित शूद्र का कोई महत्व नहीं।

A Brahmin’s strength is in his learning, a king’s strength is in his army, a vaishya’s strength is in his wealth and a shudra’s strength is in his attitude of service.

जिस प्रकार वेश्या अपने प्रेमी के निर्धन हो जाने पर उसे त्याग देती हैं, उससे मुहँ मोड़ लेती है और पराजित व अपमानित राजा को प्रजा छोड़ देती हैं तथा जिस प्रकार सूखे हुए पेड़ को छोड़ कर पक्षी उड़ जाते हैं, उसी प्रकार अतिथि को चाहिए कि भोजन करने के बाद गृहस्थी के घर को त्याग दे।

The prostitute has to forsake a man who has no money, the subject a king that cannot defend him, the birds a tree that bears no fruit and the guests a house after they have finished their meals.

जिस प्रकार दक्षिणा प्राप्त करने के बाद पुरोहित यजमान के घर से चला जाता हैं, जिस प्रकार विधा समाप्त करने के बाद शिष्य अपने गुरु से विदाई ले लेता हैं, उसी प्रकार वन के जल जाने पर उस जंगल को छोड़ कर पक्षी –पशु किसी दुसरे जंगल की राह लेते हैं।

Brahmins quit their patrons after receiving alms from them, scholars leave their teachers after receiving education from them, and animals desert a forest that has been burnt down.

दुराचारी, दुष्ट स्वभाव वाला, बिना किसी कारण के दुसरो को हानि पहुचने वाला तथा दुष्ट व्यक्ति से मित्र रखने वाला श्रेष्ठ पुरुष भी शीघ्र ही नष्ट हो जाता हैं।

He who befriends a man whose conduct is vicious, whose vision impure, and who is notoriously crooked, is rapidly ruined.

समान गुण, कर्म, स्वभाव और आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति से ही प्रेम-सम्बन्ध ठीक रहता हैं, इसी प्रकार सेवा अथवा नौकरी आदि करने हो तो सरकारी नौकरी ही करनी चाहिए, लोक –व्यहार में निपुण व्यक्ति ही समाज में श्रद्धा प्राप्त करता हैं इसी प्रकार रूपवती स्त्री की शोभा अपने घर में ही होती हैं।

Friendship between equal’s flourishes, service under a king is respectable, it is good to be business-minded in public dealings, and a handsome lady is safe in her own home.

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