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कन्फ्यूशियस की जीवनी Confucius Biography & Quotes

CONFUCIUS MOTIVATIONAL HINDI QUOTES

कन्फ़्यूशियस दार्शनिक का उदय 5वी सदी ईसा पूर्व में माना जाता है जो कि चीन में हुआ था। इस समय भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध धर्म के नए-नए संबंध और विचारों को जन्म दे रहे थे।

इसी समय चीन में भी एक महान महात्मा का जन्म हुआ जिसका नाम कन्फ्यूशियस था। उस समय झोउ राजवंश का बसंत तथा शरद काल जारी था। बढ़ते समय के साथ चीन में झोउ राजवंश की शक्ति कमजोर पड़ने के कारण अन्य बहुत सारे राज्य का निर्माण हो गया।

पर यह राज्य हमेशा आपस में लड़ते ही रहते थे, जिसे आगे चलकर झगड़ते राज्यों का काल भी कहा जाने लगा था और इन सब झगड़ों से चीन की प्रजा को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में चीन के सभी झगड़ा वासियों को धर्म और नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए कन्फ्यूशियस का उदय हुआ।

कन्फ्यूशियस का जीवन परिचय

नाम कन्फ्यूशियस दार्शनिक
जन्म 28 सितंबर 551 ईशा पूर्व
विवाह 16 की उम्र में
बच्चे दो
माता यान जहेनग्जाई
पिता शू-लियांग-हाई
राष्ट्रीयता चीन

कन्फ्यूशियस का जन्म 551 ईसा पूर्व में 28 सितंबर को हुआ था, इनके पिता सैन्य सेवा में किसी उच्च पोस्ट पर कार्यरत थे। ऐसा कहा जाता है कि कन्फ्यूशियस की जन्म कथा भी किसी रोचक कहानी से कम नहीं है।

उनके पिता की बहुत सारी पुत्रियां ही थी कोई पुत्र नहीं था। अंततः उन्होंने 70 साल की आयु में अब दूसरी शादी करने का निश्चय किया। जिसके बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। प्राचीन काल के अन्य कई महापुरुषों की तरह इनकी जन्म कथा के बारे में भी कई तरह की बातें प्रचलित है।

ऐसा कहा जाता है कि इनकी जन्म हेतु इनकी युवा मा ने भगवान को प्रसन्न करने हेतु अनुष्ठान, पूजा पाठ किया और उन्होंने भगवान से वरदान प्राप्त किया था कि उनका होने वाला पुत्र बहुत ही बड़ा ज्ञानी होगा।

इसके बाद जब कन्फ्यूशियस महज 3 साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया और। बाल्यकाल में ही कन्फ्यूशियस के सामने आर्थिक संकट आ चुकी थी, कन्फ्यूशियस पढ़ना चाहते थे और उन्हें घर चलाने के लिए काम करना ही पड़ता था।

कन्फ्यूशियस का विवाह और बच्चे

ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ 16 साल की उम्र में है कन्फ्यूशियस का विवाह हो गया और इसके बाद उनकी दो पुत्रियां और एक पुत्र हुआ। हालाकी अब उनके पास किसी प्रकार का कोई संकट नहीं था।

उन्हें अपने बुद्धिमानी और तेज दिमाग की वजह से विवाह के कुछ समय बाद ही एक सरकारी पद मिल गया। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर गई।

कन्फ्यूशियस एक अध्यापक के रूप में

कन्फ्यूशियस के बारे में यह भी कहा जाता है कि महज 22 साल की उम्र में उन्होंने अपनी एक शिक्षण संस्था की स्थापना कर ली। और अध्यापक के साथ-साथ उपदेशक का कार्य आरंभ कर दिया। अपने छात्रों को वह सदाचार की भावना और राज्य शासन की सिद्धांतों को सिखाते थें।

उन्हें कुशल अध्यापक तथा प्रशासक और उपदेशक के रूप में होने प्रसिद्धि मिलने लगी थी और ऐसे समय ही वे अपने मतवाद का प्रचार भी करने लगे, और एक जन नायक के रूप में उन्होंने विशाल ख्याति प्राप्त की।

उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव उस समय आया जब 517 ईसा पूर्व लो राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले दो बालक उनके शिष्य के रूप में मिले। इन्हीं दो बालकों के साथ कन्फ्यूशियस ने राजधानी तक की यात्रा की और वहां की राज्य पुस्तकालय में ऐतिहासिक अनुसंधान भी किया और इसके साथ संगीत की शिक्षा प्राप्त किया।

संगीत उनका प्रिय विषय था। वह संगीत सीखने में काफी रूचि रखते थे। इस चीज का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव भी पड़ा। मधुर संगीत में कन्फ्यूशियस इस कदर लीन हो जाते थे कि वह भोजन का स्वाद तक को भूल जाते थें।

कन्फ्यूशियस एक शासक के रूप में

कन्फ्यूशियस ने राज्य पर शासन की जो योजना बना रखी थी उसमें भी संगीत का समावेश था। 52 वर्ष की उम्र में वह ‘यंग टू नगर’ पद पर नियुक्त किए गए। और इस पद पर आसीन रहते हुए उन्होंने जो कुछ भी कर दिखाया वह सभी के लिए विस्मानजनक साबित हुआ। और अति शीघ्र ही उनके पदों में वृद्धि हुई, और उन्हें राज्य के उच्चतम पदों पर प्रतिष्ठित किया गया।

अपनी अद्भुत प्रतिभा और उन दो शिष्यों की बदौलत कन्फ्यूशियस ने शासन नीति में कई चमत्कार कर दिखाएं। एक कुशल शासक के तौर पर उन्होंने अपनी शासन व्यवस्था बनाई और उनके शासनकाल में राज्य में सभी जगह न्याय का शासन था।

कन्फ्यूशियस की शासन नीति में सुधार आधुनिक काल के लिए एक उपयोगी सुधार था। उनमें कुछ बदलाव तो आज की सामाजिक रूढ़ीवादियों से भी कहीं आगे की थी।

अपने शासनकाल में कन्फ्यूशियस ने न सिर्फ दरिद्र के लिए बल्कि वृद्धों के लिए भी पृथक भोजन की समुचित व्यवस्थाएं की। अपने शासनकाल में कल्पेश देश में हर वस्तु का मूल्य निर्धारित कर दिया और राज्य के विकास हेतु राज्य से प्राप्त राजस्व का ही उपयोग किया।

कन्फ्यूशियस के शासनकाल में राज्य विकास के दौर से गुजरा। यातायात के साधनों में उन्नति, सड़कों और पुल निर्माण, टूटे-फूटे सड़कों की मरम्मत, इसके साथ ही पहाड़ों में भरे पड़े लुटेरों को भी कन्फ्यूशियस ने अपने शासनकाल में समाप्त कर दिया।

समानता का जो अधिकार था उसे भी नियंत्रण मुक्त कर दिया, इससे आम जनों को अत्याचार से मुक्ति मिल गई। न्याय की दृष्टि से सभी को सामान्य समझा गया।

कन्फ्यूशियस का ऐसे निष्पक्ष शासन जनता के दिलों को अति भाया। कन्फ्यूशियस की शासन नीति राज्य भर में लोकप्रिय हो गई।

कन्फ्यूशियस के सभी वर्गों को सामान में नजर से देखने की नीति से समाज के धनिक वर्गों को चिढ होने लगी। कन्फ्यूशियस अपने शासन नीति को लेकर बड़े सख्त थें। उनकी शासन नीति में विघ्न डालने वाला चाहे कोई भी हो, कितना भी धनी एक परिवार हो, कितना भी महान हो, कन्फ्यूशियस उसे सजा देने में जरा भी पीछे नहीं हटते थे।

कन्फ्यूशियस एक प्रशासक के पद पर सिर्फ 3 साल तक ही रहे। इसके बाद वह अपने जीवन में एक राज्य से दूसरे राज्यों तक सिर्फ घूमते ही रहे उन्हें आशा थी कि ऐसा कोई ना कोई राज्य मिल ही जाएगा जो उनके ऊपर अपने राज्य के सारा भार सौंप कर उस राज्य को एक आदर्श और महान राज्य में परिवर्तित करने का आदेश देगा।

कई राज्यों में घूमने के पश्चात भी कन्फ्यूशियस की यह आशा पूर्ण नहीं हो पाई।

कन्फ्यूशियस की मृत्यु

अपने जीवन के आखिरी समय में कन्फ्यूशियस को कठिनाई भरे समय से गुजरना पड़ा और वो कई राज्यों में घूमते रहते थे।

वे लोगों के लिए सदाचार और कदाचार की भावना से रखते थे और इस तरह उनके जीवन का अत्यधिक भाग अध्ययन और चिंतन में ही व्यतीत हुआ। समय के साथ-साथ उनके शिष्यों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती गई वे जहां भी जाते कुछ कुछ शिष्य उनके साथ ही रहते। उनके शिष्य उनके मुंह से निकले एक-एक शब्द को मूल्यवान समझते हुए संग्रहित कर लेते थे।

अपने जीवन के अंतिम समय भी उन्होंने अपने शिष्यों को पढ़ाने और सिखाने में ही व्यतीत किया। इसी समय कन्फ्यूशियस ने अपने जीवन से संबंधित एक मात्र पुस्तक की रचना रचना कि जो पूर्ण रूप से उनके मौलिक के कृतियों से परिपूर्ण था।

इस पुस्तक का नाम उन्होंने “चन चीउ किंग” रखा था। जिसका अर्थ ‘बसंत तथा पतझड़’ था यह 240 वर्षों की ऐतिहासिक कथा का संग्रह था।

जीवन के आखिरी समय में उनकी पत्नी का देहांत भी हों गया। इसके कुछ ही दिन बाद उनके पुत्र का भी निधन हो गया। लेकिन इस संकट में भी वह धैर्य बनाए हुए थे। आखिर में 18 अप्रैल 479 ईसा पूर्व उनके धैर्य का अंत हुआ और इस तरह कन्फ्यूशियस हमारे बीच नहीं रहे उन्होंने हमेशा हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया।

कन्फ्यूशियस तो चले गए परंतु उनके द्वारा बनाया गया शास्त्र और धर्म उपदेश हमारे बीच आज भी अमर है।

उनकी मृत्यु के 200 वर्षों के बाद भी चीनी सुधारवादी सम्राट ने अपनी ताकत के बल पर उन सभी प्रभावों को जो कन्फ्यूशियस द्वारा बनाए गए थे, उन्हें मिटाने का प्रयत्न किया और कन्फ्यूशियस की सारी रचनाओं को जला दिया और उन सभी विद्वानों को मार डाला जो कन्फ्यूशियस के विचारों से प्रभावित होकर उनके सिद्धांतों को मानते थे। इतना सब कुछ करने के बाद भी वह सफल नहीं हो सका।

कन्फ्यूशियस के विचार (Confucius Quotes & Thoughts in Hindi)

  1. एक परिपूर्ण मनुष्य के जीवन का लक्ष्य कभी भी इंद्रिय तृप्ति प्रदान करना नहीं होगा।
  2. एक सदाचार व्यक्ति कभी भी व्यक्तिगत सुख और आराम की इच्छा नहीं कर सकता।
  3. एक सदाचार व्यक्ति खुद को दोषों से मुक्त करेगा और वह इसी प्रकार अपने जीवन का अनुशासित करके रखेगा। सच्चे अर्थ में इसे ही ज्ञानी कहा जाता है
  4. एक सच्चा मनुष्य पर जब कोई ध्यान नहीं देता है और इस क्षण में भी वह क्रोधित ना हो तो यह समझ लेना चाहिए कि उसने सच्ची मनुष्यता प्राप्त कर ली है।
  5. निश्छल तथा दृढ़ आत्मविश्वास मनुष्यत्व लाभ के दो सोपान हैं।
  6. एक सच्चा मनुष्य अपने अंदर त्रुटि और दोष नजर आने पर तुरंत उसका त्याग कर देता है।
  7. बुरा व्यक्ति वही है जो सत्य को जानते हुए भी सावधानी नहीं बरतता हैं। यदि अगर सच्चे मनुष्य बनना चाहते हैं तो बुराई का त्याग करना ही पड़ेगा।
  8. श्रेष्ठ मनुष्य वही होता है जो क्षण भर के लिए भी धर्म विरोधी ना हो और घोर विपत्ति में भी सही आचरण करें।
  9. श्रेष्ठ व्यक्ति कभी भी अपने पथ से विचलित नहीं होगा वह हमेशा मितभाषी और कर्मशील बनने की इच्छा करेगा।
  10. मनुष्य जब मात्रा और संतुलन खो देता है तो मनुष्य का जीवन सामंजस्यहीन बन कर रहा जाता है।
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