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Akshaya Tritiya | अक्षय तृतीया (आखातीज) का महत्व

Importance Of Akshaya Tritiya in Hindi, Akshaya Tritya – All About in Hindi अक्षय का अर्थ है, कभी क्षय या खत्म न होने वाला, अक्षय तृतीया को किया गया दान, पुण्य, हवन, जप, तप कई गुणा बढ़कर मनुष्य को लाभ के रूप में प्राप्त होता हैं। Akshaya Tritya का दिन चल-अचल सम्पति खरीदने और मांगलिक कार्यो के लिए अति शुभ हैं।

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritya) वैशाख अथवा विशाख (अप्रैल से मई) के महीने के दौरान शुक्ल-पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है। सूर्य और चंद्रमा इस दिन पुरे वर्ष अवधि के दौरान अपनी चरम पर रहते हैं इस साल यह शुभ दिन 3 मई 2022 को है। अक्षय तृतीया को आखातीज (Akha Teej) के नाम से भी जाना जाता हैं।

Akshaya Tritiya is believed to bring good luck and success.

पौराणिक मान्यता के अनुसार चारो युगों सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग में से त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन हुई थी इसलिए इस तिथि को युग के आरम्भ की तिथि माना गया हैं। यह तिथि पूर्णता के साथ आती हैं। गणेश जी और वेदव्यास जी ने महाभारत लेखन की शुरुआत भी अक्षय तृतीया के दिन ही की थी। महाभारत में बताया गया है, कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा पांड्वो को अक्षय तृतीया के दिन एक अक्षय पात्र दिया गया था इसमें कभी अन्न और धन समाप्त नहीं होता था, इसी दिन स्वर्ग लोक से गंगा भू-लोक में अवतरित हुई थी इस दिन गंगा में स्नान करना पुण्यदायक माना जाता हैं। अक्षय तृतीया से बद्रीनाथ के पट खुलते हैं और बांके बिहारी मंदिर वर्न्दावन में चरण-विग्रह के दर्शन वर्ष में एक बार अक्षय तृतीया को ही होते हैं, इस दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्मदिन माना गया है।

अक्षय तृतीया के दिन ही श्री कृष्ण के परम मित्र सुदामा भगवान श्री कृष्ण से मिलने उनके महल गए थे और उनको वो सब बिन मांगे ही मिल गया था जिनकी की उनको आशा भी नहीं थी, भगवान तो उनके द्वारा लाये गए एक मुट्ठी चावल से ही धन्य हो गए थे।

इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने भरी सभा में चीर-हरण कर रहे दु:शासन से द्रौपदी की रक्षा की थी।

इसी दिन महाभारत का युद्ध भी समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।

पंचांग के मुताबिक यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है।

3 मई को यह शुभ दिन हैं।

सौभाग्यदायक पर्व

धर्म शास्त्रों में अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी बताया गया हैं, इसलिए इस दिन जिनका विवाह होता हैं उनका अखंड सौभाग्य रहता हैं, शीघ्र विवाह के लिए भी अक्षय तृतीया के दिन वर-कन्या द्वारा अनुष्ठान किया जाता हैं अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त एवम स्वयं सिद्ध मुहूर्त बताया गया हैं इसमें बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता हैं।

पितरों की शांति के लिए भी अक्षया तृतीया को बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए भी गरीबों को दान देना चाहिए। अक्षय तृतीया वाले दिन दिया गया दान पुण्य के रूप में(अक्षय लाभ) संचित रहता हैं इसलिए इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करना चाहिए।

स्वर्ण युग का आरम्भ

अक्षय तृतीया को स्वर्ण युग की आरम्भ तिथि भी माना गया हैं इस दिन खरीदे हुए और धारण किये हुए सोने और चांदी के गहने अखंड सौभाग्य का प्रतीक माने गए हैं,परन्तु इस बार lockdown की वजह से अक्षय तृतीया के दिन खरीददारी करना संभव नहीं है, इसलिए घर में रहकर ही गरीबों को आटा, चावल, दाल, फल, सब्जियां आदि दान करें, जिससे कि उनको इस आपद काल में कुछ सहायता मिले।

इन सारी चीजो और बातों के बीच एक चीज जो गलत हैं कि इस दिन गाँवों में लोग अपने बच्चो का बाल –विवाह करवाते हैं भारतीय सरकार: बाल विवाह अधिनियम, 1929 के अंतर्गत बाल विवाह करना/करवाना कानूनी अपराध है लेकिन फिर भी लोग ऐसी गलतियाँ करते हैं और इसके बहुत बुरे परिणाम उन बच्चो को भुगतने पड़ते हैं

इसलिए मेरा हाथ जोड़कर personal निवेदन हैं उन माता-पिताओ से, जो अपने बच्चो के साथ ऐसा करने की सोच रहे हैं Please उनसे उनका बचपन न छीने, उन्हें खेलने दे पढने दे और जब वो शादी के योग्य हो तभी उनकी शादी करें।

कोरोनावायरस के कारण होने वाले लॉकडाउन के कारण पूरे देश में लोग घरों में ही रहने के लिए मजबूर हैं। इस कारण देशभर में मंदिर भी प्रवेश प्रतिबंधित है। ऐसे में सभी को घर में रहकर ही विष्णु भगवान की आराधना पूजा करे। वैसी भी कहा गया है कि भगवान तो भाव के ही भूखें हैं।

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