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ईश्वर या धन आप इनमें से किसको चुनना चाहेंगे?

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अगर यह बात लोगों के सामने रखी जाए कि उन्हें ईश्वर प्यारा है या फिर धन। तो उनमें से कुछ लोग ईश्वर को चुनेंगे और कुछ लोग धन, ऐसा ही होगा क्योंकि कुछ लोगों की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर ही सब कुछ है और कुछ लोगों के विचारों से धन से सब कुछ खरीदा जा सकता है।

धन उनके लिए सब कुछ है। जो लोग धन को चुनना चाहेंगे वे लोग धन को सब कुछ मानते है उन्हें लगता होगा धन से सारे सुख-दुख इस संसार में खरीदे जा सकते हैं। उन्हें धन में ही जीवन नजर आता होगा।

यह कहना गलत नहीं होगा कि धन से संसार में सुख नहीं खरीदे जाते हैं। वास्तविक जीवन में धन से लगभग सभी सुविधाएं खरीदी जा सकती है।

वह इंसान जिसके पास धन है वह अपनी आवश्यक चीजों को हासिल कर ही लेता है भले ही उसे उसकी आत्मा से कोई संतुष्टि ना हो। उसकी आत्मा दिन रात उसे कोई न कोई नई समस्या देती रहती है।

जो लोग ईश्वर पर आस्था रखते हैं और ईश्वर को चुनते हैं वे लोग अपने जीवन में मानसिक रूप से भले ही संतुष्ट रहते हैं परंतु शारीरिक रूप से उन्हें भी जीवन में अनेक कठिनाइयों या परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

वह अपनी आवश्यक चीजों को खरीद नहीं सकते परंतु फिर भी अपने मन से संतुष्ट हो जाते हैं, ईश्वर पर आस्था रखकर ।

जो लोग अपने जीवन में धन को चुनते हैं उनका वास्तविक जीवन कैसा होता है?

जो लोग अपने जीवन में धन को ही सर्वोपरि मान बैठते हैं और उसे ही अपने जीवन में एक अच्छे भविष्य के लिए चुनते हैं उन लोगों का जीवन भले ही दिखने में कितना ही आनंदमई क्यों ना हो, परंतु वे लोग अंदर से बहुत सारे दुखों को झेल रहे होते हैं।

जब भी उनके सामने दुखों का पहाड़ टूट जाएं वे उसे सहन नहीं कर पाते, भले ही वे लोग अपने पैसों के दम पर उसको थोड़ा कम कर पाते हैं,फिर भी उन्हें उस दुख का बहुत नुकसान झेलना पड़ता है ।

क्योंकि उनके पास ना ही आत्म बल होता है और न ही विश्वास। वे लोग छोटे-छोटे दुखों से ही चकनाचूर हो जाते हैं।

अर्थात वे लोग ना ही ईश्वर में आस्था रखते हैं और न ही खुद के कार्यों में विश्वास उन्हें सिर्फ धन कमाने से मतलब होता है। और वे अपने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दूसरों को भी कष्ट पहुंचाने से नहीं कतराते।

उन्हें सिर्फ उस धन को अपना बनाने से मतलब होता है ऐसे लोग धन कमाते वक्त अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते और कई बार देखा गया है कि ढेर सारा धन इकट्ठा कर लेने पर वही धन उसके विनाश का भी कारण बन जाता है।

ऐसे लोग अपने जीवन में धन को ही ईश्वर मानते हैं और इसी की सुबह शाम पूजा भी करते हैं।

परंतु देखा जाए तो धन सिर्फ एक वस्तु है जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं ।

जब कोई वस्तु हमें पसंद आ जाती है तो हम उस वस्तु को खरीद लेते हैं। परंतु उसका उपयोग हम अपने जीवन में सही प्रकार से करने में असमर्थ रह जाते हैं।

क्योंकि हम धन से बेमतलब की चीजों को अपने जीवन में एकत्रित करते रहते हैं इससे यह सभी वस्तुएं बाद में हमारे लिए नई-नई समस्याओं को खड़ी करती रहती हैं।

वे लोग जिनके पास धन नहीं है, एक जीवन जीते हैं। उन लोगों से ज्यादा खुश रहते हैं जिनके पास उनके सामने कई गुना ज्यादा धन होता है।

इसलिए हमें धन को अपने जीवन में सिर्फ एक आवश्यक वस्तु मानकर कमाने की सोचनी चाहिए क्योंकि अक्सर वे लोग ही बर्बाद हुए हैं जिनके पास ज्यादा धन होता है।

अधिक धन प्राप्ति की लालसा में ज्यादातर लोग अपने जीवन का आनंद नहीं ले पाते। वे ईश्वर की तुलना में धन को अधिक महत्व देते हैं और धन की ही पूजा करते हैं।

एक स्वभाविक सन्तुष्ट जीवन जीने के लिए हमें धन की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती, ना ही इसकी कमी से हमें कोई परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

इसलिए हमें एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए हमेशा ही ईश्वर पर आस्था रखनी चाहिए।

संक्षेप में कहें तो जो लोग अपने जीवन में धन को ही सब कुछ मानते हैं, धन को ही चुनते हैं उन लोगों का वास्तविक जीवन अत्यंत दुखों से भरा होता है।

इसलिए हमें धन के साथ साथ ईश्वर को भी मानना चाहिए क्योंकि ईश्वर की कृपा से एक मनुष्य अपनी सभी जरूरतों को पूरा तो कर ही सकता है इसके साथ साथ वह एक धार्मिक जीवन जीकर स्वयं को जान सकता है और इस संसार में जन्म लेने के अपने उद्देश्य को समझ सकता है।

जो लोग ईश्वर को चुनते हैं उनका जीवन?

जो लोग अपने जीवन में ईश्वर को चुनते हैं वे लोग अपने पल भर का जीवन भी सुख शांति के साथ जीते हैं। क्योंकि ईश्वर को चुनने वाले लोग हमेशा उस पर आस्था रखते हैं और उन्हें अपने काम पर विश्वास होता है, कि उनके कार्य को सफल होने में ईश्वर उनका साथ देगा।

ईश्वर पर भरोसा रखने वाले लोग जल्द से टूटते नहीं क्योंकि अगर वह किसी काम में फेल भी हो जाते हैं, उनके जीवन में कोई बड़ी मुसीबत आ जाती है तो वह जल्दी से घबराते नहीं क्योंकि वह जानते हैं कि जो हुआ वह अच्छा ही होगा।

ईश्वर जो भी करते हैं वह हमारी भलाई के लिए ही करते हैं। एक धार्मिक व्यक्ति को भली भांति यह ज्ञात होता है कि ईश्वर द्वारा किए गए फैसलों को मानना कठिन समय में मुश्किल जरूर होता है, परंतु समय गुजरने के बाद हमें इसका एहसास होता है।

ईश्वर पर विश्वास रखना, एक सरल और साधारण बात नहीं होती क्योंकि ईश्वर पर आस्था रखने वाले लोग कभी भी उन कार्यों को नहीं करते जिनसे अन्य लोगों को दुख पहुंचे और उनका जीवन उनके लिए कठिन होने लगे।

इसलिए ईश्वर में आस्था रखने वाले लोग सदैव ईमानदार और दयावान होते हैं। साथ ही वे लोग अपने कार्यों के साथ-साथ अन्य लोगों की सफलताओं में भी हिस्सेदार बनते हैं, सफलताओं के साथ-साथ उनके दुखों को दूर करने में भी उनका साथ देते हैं।

जो लोग ईश्वर पर आस्था रखते हैं उन्हें अपने जीवन का स्वाभाविक और सांसारिक दोनों प्रकार का ज्ञान होता है। ये कभी भी अन्य लोगों से घमंड नहीं करते, अपनी प्रत्येक छोटी से छोटी चीज से संतुष्ट रहते हैं।

उन्हें कभी भी दूसरे लोगों को देखकर उनकी जैसी वस्तुओं को हासिल करने में कोई आनंद नहीं रहता। इसलिए वे लोग सिर्फ उन वस्तुओं को हासिल करने के लिए आगे बढ़ते हैं जिन वस्तुओं की उन्हें आवश्यकता होती है और उन्हें आनंद मिल पाता है l

अगर कोई मुझसे पूछे कि आप धन या ईश्वर इनमें से क्या चुनेंगे?

सबसे पहले ईश्वर को ही चुनूंगा। जब मैं ईश्वर को चुनुंगा और उन पर आस्था रखूंगा तो मेरा आत्मविश्वास भी खुद के प्रति बढ़ने लगेगा, जिससे मै अपने जीवन में मौजूद सभी सुख सुविधाओं का आनंद उठा पाऊंगा।

क्योंकि जब हम ईश्वर के प्रति आस्था रखते हैं तो हमें किसी भी चीज की परेशानी नहीं होती अर्थात हमें इस जीवन के प्रत्येक पहलू का अनुभव प्राप्त हो जाता है,हमें जहां पर जिस चीज की जरूरत पड़ती है । उसे पाने के लिए आवश्यक कठिन परिश्रम का बोध हो जाता है।

इस कारण हमारा जीवन भी हमेशा व्यस्त रहता है और हम अपने जीवन को प्रगति की ओर ले चलते हैं।

ज्यादातर लोगों के पास धन तो होता है परंतु वे लोग ईश्वर में आस्था नहीं रखते, अपना एक जीवन यूं ही गुजार देते हैं। उन्हें जीवन का सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता ।

अर्थात वे लोग अपना जीवन जानवरों की तरह सिर्फ गुजार जाते हैं ना कि जीते हैं। अगर हमें एक वास्तविक जीवन जीना है तो सबसे पहले हमें ईश्वर के प्रति विश्वास और धैर्य होना चाहिए ।

तभी जाकर हम अपने जीवन में आवश्यक चीजों के लिए धन कमाने की महत्वता को समझ सकेंगे। बिना किसी को दुख दर्द दिए अपनी आवश्यकता के अनुसार धन कमा पाएंगे।

ईश्वर को चुनना ही एक महत्वपूर्ण कार्य होगा क्योकि जब भी ईश्वर हमारे साथ होते हैं तो हमें इस संसार के सभी सुख और दुखों का अनुभव मिल पाता है ।

इसीलिए अपने साधारण से जीवन में बहुत सारे लोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए ईश्वर को भी चुनते हैं। ईश्वर को वही लोग चुनते हैं,जिन्हें एक श्रेष्ठ और सुखी जीवन की चाहत होती है। वे लोग अच्छे कार्यों में अपना जीवन व्यतीत करते हैं,और संसार में प्रत्येक लोगों के सुख-दुख को समझ पाते हैं।

मेरा मानना यही है कि हमें धन कमाने से अधिक जरूरी है ईश्वर की शरण में जाना, क्योंकि प्रभु हमें सही राह पर चलने का मार्गदर्शन करते हैं। साथ ही वे हमें एक नेक इंसान बन कर दूसरों के लिए भी एक आदर्श जीवन स्थापित करने का मौका देते हैं।

कई बार देखा गया है कि धन अधिक मात्रा में आने की वजह से इंसान घमंडी हो जाता है और उस धन का दुरुपयोग करने लगता है लेकिन वही ईश्वर को भक्ति में लीन व्यक्ति ऐसा कभी नहीं कर सकता।

निष्कर्ष-

हमारे पास भले ही धन ना हो परंतु ईश्वर का साथ होना अति आवश्यक है क्योंकि ईश्वर ही इस संसार में सबसे बड़ा धनवान हैं और उसके होते हुए हमें कभी धन की कमी नहीं होती, अतः हमें सदैव ईश्वर या धन में से ईश्वर को ही चुनना चाहिए ।

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