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शादीशुदा ज़िन्दगी को बेहतर कैसे बनाया जा सकता हैं?

दुनिया के किसी भी रिश्ते में अगर सच्चाई और मिठास हो तो वो हमारे भीतर खुशनुमा एहसास लेकर आते हैं। रिश्तों से इंसानों का जीवन सुखमय और समृद्ध हो जाता है। इन्हीं रिश्तों की डोर कमज़ोर पड़ जाए तो यही दुनिया उसके लिए किसी कैदखाने से कम नहीं लगती।

दुनिया में बहुत से रिश्ते होते हैं लेकिन उन्हीं में से कुछ ऐसे खास, अनोखे और अटूट होते हैं जिनसे अलग होकर इंसान जिंदगी भर के लिए बिखर सकता है। इन्हीं खूबसूरत रिश्तों में एक शुमार किया जाने वाला पति और पत्नी का रिश्ता भी है जिसमें दो अजनबी शादी के बन्धन में बंधकर दो जिस्म और एक जान का रूप धारण कर लेते हैं और यहीं से उनके जिंदगी की एक नई शुरुआत होती है।

शुरुआत अगर अच्छी है तो उनकी पूरी जिंदगी अमन, शांति और सुकून के माहौल में गुजरती है लेकिन अगर शादीशुदा लोगों के रिश्तो में खटास आ जाए तो उनकी जिंदगी में दिन का चैन और रात की नींद उड़ जाती है।

शादीशुदा जोड़े का रिश्ता काफी नाजुक रिश्ता स्वीकार किया जाता है। इस रिश्ते की नजाकत और संवेदनशीलता को जिस किसी ने समझ लिया उसकी जिंदगी सुख, शांति और समृद्धि से लैस हो सकती है। आइए! जानते हैं कि शादीशुदा जिंदगी को किस तरह बेहतर और खुशनुमा बनाया जा सकता है

एक दूसरे को जानें और समझें

secret to a long, happy marriage

शादीशुदा जीवन के लिए हर औरत और मर्द के लिए एक दूसरे को समझ कर दया, प्रेम, सद्भाव और सौहार्द के साथ एकजुटता दर्शानी ज़रूरी होती है। इसके बिना आप सौहार्द और खुशियों से भरी जिंदगी की कभी कल्पना भी नहीं कर सकते।

हर मर्द या औरत जो शादी के बंधन में बंध चुके हैं, ज्यादातर समय एक दूसरे के आसपास ही गुज़ारा करते हैं। ऐसे में अगर दोनों के बीच आपसी तालमेल और पारस्परिक सहयोग की भावना नहीं रहेगी तो जिंदगी की गाड़ी खुशियों की पटरी से उतर कर गमों के गहरे गड्ढे में कभी भी उतर सकती है।

इसलिए रिश्तों को मज़बूत रखने के इस मामले में हमें बेहद गंभीर और संवेदनशील रहने की ज़रूरत है। गौरतलब हो कि शादी के बिना औरत और मर्द की ज़िन्दगी अधूरी होती है।

जब दो लोग शादी के पवित्र बन्धन में बंध जाते हैं तो वो मुकम्मल हो जाते हैं। दरअसल, शादी भावनात्मक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ज़रूरत है जिससे पीछा छुड़ाना मुश्किल है। आप अपने पति या पत्नी के साथ पैदा नहीं हुए थे।

इसलिए शादी के बाद नव विवाहित जोड़ों को एक दूसरे के विचार और मानसिकता को समझने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि दोनों एक अलग परिवार से सम्बन्ध रखते हैं जहां का चाल चलन और रीति रिवाज से लेकर सोच तक का फर्क होता है।

इस फर्क को जितना जल्द हो सके मिटा देना ही किसी जोड़े के खुशहाल भविष्य के लिए बेहतर साबित होता है। यह अंतर तभी मिट सकता है, जब आप एक दूसरे को शालीनता और गंभीरता से समझने की कोशिश करेंगे।

गलतफहमी से रहें कोसों दूर

दुनिया के किसी भी रिश्ते में गलतफहमीयों का जहर एक अगर एक बार घुल जाए तो वह उन रिश्तों की जान लेने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता। ये एक ऐसा जहर है जो आमतौर पर दुनिया के किसी भी रिश्ते को तबाह कर देने की ताकत रखता है।

इसलिए शादी के रिश्ते के बाद जब आप यह महसूस करने लगें कि इस रिश्ते में अब गलतफहमियों का जहर घुलने लगा है तो सबसे पहले मामले का संज्ञान लें और एक दूसरे से बातचीत कर समस्या के समाधान का कोई बेहतर विकल्प तलाश करें।

बातचीत से ही गलतफहमी और शक शुबहे को दूर किया जा सकता है। बातचीत से तो हमने दो कट्टर विरोधी और दुश्मन देशों के राजनेताओं को हाथ मिलाकर गले लगते देखा है।

अपने पार्टनर से हर छोटे और बडे़ विषय पर खुल कर बात करें और बातचीत के माध्यम से समझौतों के रास्ते तलाश करें। निश्चित रुप से बातचीत के माध्यम से आपके लिए कोई न कोई बेहतर रास्ता जरूर निकल आएगा।

क्षमता हो तो दहेज को रोकें या आसान करें

वैसे तो दहेज प्रथा की शुरुआत भारतीय लड़कियों को आत्मनिर्भर और आर्थिक तौर पर आजाद करने की नियत से हुई थी। हमारे बुजुर्गों ने अच्छे नतीजों को सोचकर ही इस प्रथा की शुरुआत की थी। लेकिन दिन गुजरते गए और यह प्रथा भारत में एक गंभीर समस्या बन कर अब बड़ी लानत का रूप धर चुकी है।

इस लानत के चलते कितने ही महिलाएं सफेदपोश हो गईं, उनके घर उजड़ गए और उनकी जान तक के लाले पड़ गए। बहुत से लोग दहेज कम मिलने पर अपनी गरीब पत्नियों को शारीरिक शोषण और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाने लगे।

अगर आपकी भी मानसिकता कुछ इसी तरह की है तो उसे फौरन बदलने का प्रयास करें क्योंकि धन या वैभव जीवन की दैनिक जरूरतों को पूरा करने का एक माध्यम मात्र हैं और इस धन से जिंदगी की वास्तविक खुशियों को कभी खरीदा नहीं जा सकता।

याद रहे कि आप किसी को मानसिक या शारीरिक तौर पर तंग या परेशान करके सुख के भोगी नहीं बन सकते। इसलिए दहेज के मामले में अपने पार्टनर के साथ नर्म और कोमल रवैया अख्तियार करें और उसके प्रति आभार व्यक्त करते रहें कि उसने आपकी जिंदगी को मुकम्मल करने में आपका भरपूर सहयोग किया है।

आप उसके बिना अधूरे थे और इस तरह उसके आगमन से आपका जीवन एक नई धारा की ओर मुड़ गया। अगर यह बात समझ लें तो जिंदगी में चैन और सुकून की राह निकल सकती है।

गलतियों को नजर अंदाज़ करें

इंसान अपनी ज़िंदगी के हर मोड़ पर जाने अंजाने कोई न कोई गलती या गुनाह कर बैठता है। अपनी प्रवृत्ति और फितरत के चलते वह जीवन के अक्सर पड़ावों पर फिसल जाता है। इस प्रवृत्ति को जिसने समझ लिया, वह लोगों की गलतियों को दिल में लेकर बैठता नहीं बल्कि शालीनता के साथ इंसानों की फितरत को समझता है और उन्हें दिल की गहराइयों से उनकी गलती पर माफ कर दिया करता है।

इंसान होने के वास्ते आपके लाइफ पार्टनर से भी कोई न कोई गलती या चूक से कोई बरताव ऐसा हो जाता होगा जिससे आपके दिल में मैल बैठ गई हो लेकिन जो लोग दिल की गंदगी को माफी रूपी डिटर्जेंट से धुलने का हुनर रखते हैं, उनकी जिन्दगी में खुशियां कभी खतम नहीं होतीं और उनके आंगन में खुशियों का आगमन लगातार जारी रहता है।

जीवन के हर मोड़ पर सुख की अनुभूति होती है। जब आप अपने पार्टनर की गलती को नज़र अंदाज़ करते हैं और इस आदत को अपनी फितरत बना लेते हैं तो सामने खड़ा शख्स भी आपके साथ कुछ भी गलत करने से पहले बार बार सोचने पर मजबूर हो जाता है।

उसे यह बात अच्छी नहीं लगती कि आपके नर्म रवैये पर भी वह अपनी ज़िद और अकड़ जारी रखे। इस तरह आपका व्यवहार और किरदार पति पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सौहार्द की नींव को और ज़्यादा मज़बूत करता है।

अगर आप किसी को उसकी गलत हरक़त पर माफ कर दें तो सामने वाला शख्स भी एक दिन जरूर शर्मिंदा होकर गलतियां दोहराने से बाज़ आ सकता है। याद रहे कि आप एक इंसान हैं और मानवीय फितरत के चलते आपसे भी गलती हो सकती है।

अगर क्षमता हो तो आप अपनी पत्नी से दहेज से संबंधित कोई बातचीत ना करें। हां! आप उसके प्रति आभार जरूर व्यक्त कर सकते हैं कि उसके आपके घर आने से भावनात्मक और सामाजिक रुप से आपका जीवन संपूर्ण हो गया है।

रिश्ते के पेड़ को क्रोध के दीमक से बचाएं

जिंदगी में बहुत से रिश्ते तो गुस्से की आग में ही जलकर खाक हो जाते हैं। गुस्से की मिसाल उस दीमक से कम नहीं है जो रिश्ते के हरे भरे, मजबूत और छायादार वृक्ष की जड़ों को खोखला कर देते हैं।

मनुष्य को यह बात याद रखनी चाहिए कि उसकी रचना तो बेशक खनखनाती मिट्टी से हुई है लेकिन उस पर आग से बना एक सजीव भी सवार है जो हर पल उसके गुस्से की आग को भड़का कर उसे तबाही और बरबादी के द्वार तक पहुंचाने की फिराक में रहता है…और आध्यात्मिक संसार में उस सजीव को शैतान या राक्षस कहा गया जो निरंतर अपनी चालों और रणनीतियों से इंसान को गुमराह करने में व्यस्त नजर आता है।

इसलिए शादी शुदा जीवन में अगर गुस्से की आग पर लगातार पानी पड़ता रहे तो रिश्ते अपने आप गहरे और मजबूत हो जाते हैं।

ईश्वर के प्रति भी व्यक्त करें आभार, रहें शुक्रगुजार

ईश्वर की इस विशालकाय और विस्तृत कायनात में हमारी ये खूबसूरत जमीन भी शामिल है। उसने ब्रह्माण्ड की हर वस्तु के जोड़े पैदा किए हैं। यहां तक कि कायनात के सबसे सूक्ष्म कण यानी एटम्स के लिए भी उसने जोड़े बनाए हैं जो आपस में आकर्षित होकर पूरी कायनात को एक दूसरे से जोड़े हुए हैं।

अगर यह आकर्षण खतम हो जाए तो ब्रह्माण्ड की हर चीज बिखर कर तबाह हो जाएगी और हमारा अस्तित्व पूरी तरह ध्वस्त और बरबाद हो जाएगा। इसी के साथ जीवन के सभी सकारात्मक पहलू भी महाप्रलय की भेंट चढ़ जाएंगे।

उसने हम इंसानों के लिए स्त्री और पुरुष के रुप में भी जोड़े बनाए हैं और उनके बीच आकर्षण और उनके दिलों को अगाढ़ प्रेम और मुहब्बतों से भर दिया ताकि वे एक खुशहाल जीवन की ओर आगे बढ़ सकें और इस बीच उन्हेंं अकेलेपन या सूनेपन का एहसास तक ना हो।

इसलिए इस ईश्वरीय उपहार पर हमें दिल की गहराइयों से उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए और इस तोहफे को समेट कर उसे सुरक्षित रखने की कोशिश करनी चाहिए।

यह देखा गया है कि ईश्वरीय वरदान या किसी नेमत और उपहार की जिस किसी ने नाकद्री या अवहेलना की तो बहुत जल्द उसका यह तोहफा या नेमत उसके हाथों से छीन लिया जाता है।

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