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तलाक और शालिनी की ख़ुशी

Breakup या Divorce के बाद न हों उदास, शुरू करें नई पारी

पिछले 2 सालों से शालिनी बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हैं क्योंकि जब वह मुक्ति पाना चाहती हैं तब वह न जाने किस नए घेरे में गिरती जा रही हैं। ऐसे में वह रोज अकेलापन महसूस करने लगती और कभी कभी अकेले में आंसू बहाना भी उसे सही लगता था।

दरअसल शालिनी पिछले 4 सालों से अपने पति तरुण से अलग रहने लगी हैं। रोज-रोज की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के बाद उसने आखिरकार यह फैसला ले ही लिया था, जब उसे जिंदगी को एक नए सिरे से जीना था लेकिन इस जिंदगी को जीना इतना भी आसान नहीं था क्योंकि पल-पल रास्ते में उसे कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

1 दिन शालिनी की प्रिय सहेली सुमेधा उसके पास आती हैं और उसका हालचाल जानना चाहती हैं लेकिन शालिनी उससे छुपाती हैं और सुमेधा से कहती हैं- अरे मेरी छोड़ो अपनी बता मैंने सुना हैं कि तूने अब एक स्कूल में नौकरी शुरू कर दी हैं।

सुमेधा समझ चुकी थी कि शालिनी उसकी बातों को टालना चाह रही हैं और इस वजह से उसने शालिनी को चुपके से अपने पास बिठाया और उसने आखिरकार शालिनी से पूछ लिया- ऐसा लगता हैं कि तूने रात रोते हुए गुजारी हैं।

शालिनी चुपचाप वहां से उठ जाती हैं लेकिन सुमेधा उसे बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ने वाली थी और आखिरकार शालिनी ने रोते हुए उसे बता ही दिया- मेरे पति तरुण ने तलाक का नोटिस भेज दिया हैं आखिर हम 4 साल से अलग रह रहे थे उसका जिम्मेदार उन्होंने मुझे ही बताया हैं।

सुमेधा शालिनी के आंसू पोछती हैं और शालिनी को गले लगाते हुए कहती हैं- जो हुआ अच्छा ही हुआ अब तू आराम से रह सकती हैं। इतने दिनों से दुख खेल रही थी और अब जाकर तुझे चैन मिला हैं।

इतने में ही शालिनी का 4 साल का बेटा रोता हुआ वहां आता हैं और रोते हुए कहता हैं- मम्मी सुनील मुझे चिढा़ रहा हैं क्योंकि मेरे पापा मेरे साथ नहीं रहते।

सुमेधा उस नन्हे से बच्चे को अपने पास बुलाती हैं और कहती हैं- बेटा तुम चिंता क्यों करते हो पापा नहीं हैं तो मम्मी हैं ना तुम्हारे साथ और वह तो तुम्हारे साथ खेलती भी हैं जबकि सुनील के पापा उसके साथ नहीं खेलते हैं।

नन्हा बच्चा- हां मौसी आप बिल्कुल सही कहती हैं। मैं यही जाकर सुनील को बताता हूं।

शालिनी- तू प्यारे से बच्चे को बहला सकती हैं लेकिन मेरे मन का क्या?

सुमेधा बात को बदलते हुए- यह सब छोड़ो पहले यह बता तूने सब्जी क्या बनाई हैं?

सुमेधा, शालिनी की बचपन की दोस्त थी और यही वजह थी कि वह अपने दोस्त को बहुत अच्छे से पहचान पाती थी। जब से शालिनी के पति ने तलाक का नोटिस भेजा हैं तब से काफी दुखी रहती हैं लेकिन सुमेधा इस बात को समझ चुकी थी कि वह आदमी शालिनी के लायक ही नहीं हैं।

जिसने शादी के 6 महीने बाद ही अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया था आखिर उसके लिए शालिनी अपने आंसुओं को क्यों बहाए??

सुमेधा हमेशा शालिनी और उसके बच्चे का ध्यान रखती और कहीं ना कहीं घुमाने ले जाती जिससे उसका मन अच्छा हो जाए। 1 दिन शालिनी अचानक किसी काम से रिक्शे पर बैठ रही थी उसी समय वर्मा आंटी पीछे से आवाज देते हुए कहती हैं- अरे ओ शालिनी सुना हैं तेरा तलाक होने वाला हैं।

वैसे भी तेरे पति की तेरी नजरों में कोई इज्जत ही नहीं तभी तो तू इतने सालों से अपने मायके में ही बैठी हुई हैं और अब तो तेरा बेटा भी बड़ा हो रहा हैं।

शालिनी को समझ नहीं पा रही थी कि आखिर वह किस प्रकार से अपना जवाब दें और बार-बार अपने आंसू बहा रही थी क्योंकि यह वही लोग थे जिन्होंने कभी उसे बेटी का दर्जा दिया था लेकिन आज जब उसके ऊपर बुरे हालातों में अपना घेरा कर रखा हैं उस समय इन सभी लोगों ने उसका साथ छोड़ दिया था।

जब भी सुमेधा उससे कहीं जाने के लिए कहती हैं, तो वह मना कर देती। इस पर सुमेधा चुपचाप अपने घर चली जाती आखिर वह अपनी सहेली को परेशान नहीं करना चाहती थी।

एक दिन जब सुमेधा उसे कुछ समझा रही थी तो अचानक शालिनी को गुस्सा आ जाता हैं और वह गुस्से से उसे चुप रहने के लिए कहती हैं। ऐसे में सुमेधा चुपचाप वहां से चली गई और फिर उसने तीन से चार दिनों तक उसे फोन नहीं किया हालांकि इस बात का शालिनी को बुरा बाद में लगा लेकिन फिर भी वह सुमेधा से नाराज थी क्योंकि वह शालिनी की बातों को समझ नहीं पा रही थी ऐसा शालिनी को लग रहा था।

शालिनी मन ही मन गुस्से में- सुमेधा जब देखो मुझे समझाते ही रहती हैं अरे मैं कोई बच्ची थोड़ी हूं अब बड़ी हो चुकी हूं और एक बच्चे की मां हूँ।

मेरी जिंदगी के फैसले मैं हीं ले सकती हूं और वह हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए कहती हैं लेकिन यह नहीं जानती कि मुझे कितना दर्द होता हैं जब लोग मुझे ताने मारते हैं। मुझे ही पता हैं कि इस समय में किस दौर और किस पीड़ा से गुजर रही हूं.

ऐसे दिन आगे बढ़ रहे थे और अब सुमेधा ने भी सोच लिया था कि वह अपनी प्यारी सहेली को ज्यादा परेशान नहीं करेगी क्योंकि शायद अब शालिनी सुमेधा की वजह से परेशान रहने लगी थी।

एक दिन शालिनी जब किसी काम से मार्केट जाती हैं और अचानक सड़क क्रॉस करने लगती हैं उसी समय उसे एक अपाहिज दिखाई देता हैं जिसके दोनों पैर नहीं होते हैं और वह व्हील चेयर में बैठकर गुब्बारे बेच रहा होता हैं। कई बार लोग उसे डांट देते थे तो कई बार गुब्बारे बेचकर खुश हो जाता था।

यह देखकर शालिनी को अच्छा लगता हैं और उसे एहसास होता हैं कि इस व्यक्ति के तो दोनों पैर नहीं हैं उसके बावजूद भी वह बहुत खुश हैं लेकिन अगर मैं अपनी तरफ देखूँ , तो मैं तो बिल्कुल सही सलामत हूं फिर भी मैं आगे नहीं बढ़ना चाहती हूं। इसमें तो पूरा कसूर मेरा ही हैं जिसकी वजह से मेरा बच्चा भी परेशान हो जाएगा।

सबसे पहले शालिनी अपने घर जाती हैं और खुशी-खुशी तलाक के पेपर पर साइन करते हुए सुमेधा के पास आती हैं और उससे कहती हैं- अगर किसी स्कूल में टीचर की नौकरी हो तो मुझे जरूर बताना क्योंकि मैं भी अब एक नौकरी करना चाहती हूं ताकि अपने बच्चे के लिए सुखी जीवन दे सकूँ।

शालिनी की यह बात सुनकर सुमेधा आश्चर्य से भर जाती हैं, ऐसे में शालिनी उससे कहती हैं- तूने तो न जाने मुझे कितनी बार समझाने की कोशिश की लेकिन मैं ही अपने अतीत में उलझती चली गई।और मेरा अतीत मुझे ऐसे जकड़ लिया था कि मैं उसके चुंगल से खुद को आजाद ही नहीं कर पा रही थी और इस दलदल में फंसती ही जा रही थी।

अगर उस इंसान को मेरी कोई कदर नहीं, ऐसे में मैं अकेली उसके लिए आंसू क्यों बहाऊँ? कब तक मैं उसके लिए रोती,बिलखती आखिर उसे मेरे आंसुओं का कोई कद्र नहीं था। मेरे साथ मेरा बच्चा हैं और उसकी जिम्मेदारी मेरी हैं उस इंसान के लिए मेरे जीवन में कोई जगह नहीं हैं।

सुमेधा- तेरी इस बात से मैं बहुत खुश हूं आखिर तू अपने जीवन में अब अपनी खुशियों को हासिल करेगी। और हम सब यही चाहते हैं कि तुम अपने आप को एक अलग मुकाम पर लेकर जाओ. खुद को अलग तरह से तैयार करो. जीवन एक जंग हैं, इसके लिए हमेशा लड़ो।

हम अपना जीवन किस प्रकार से जीना चाहते हैं यह सिर्फ हम डिसाइड कर सकते हैं। जीवन में संघर्ष हम सभी के होता हैं लेकिन अगर हम आंख बंद कर के फैसले लेते हैं, तो हमारा जीवन खराब हो जाता हैं और अगर हम खुशी-खुशी फैसले लें तो जरूर हमारा जीवन सफल हो जाएगा। ऐसे में तुम आगे बढ़ने की सोचो हम तुम्हारे साथ हैं। ( हंसते हुए)

अब दोनों सहेलियां खुशी खुशी गले मिल जाती हैं और शालिनी अब जीवन के असली महत्व को समझ चुकी थी। इस बात से सुमेधा बहुत खुश थी। बहुत ही जल्द शालिनी को भी एक अच्छे स्कूल में नौकरी मिल जाती हैं जहां वह अपने बेटे को पढ़ाती हैं और खुद भी आत्मनिर्भर हो जाती हैं।

दोस्तों, आज के समय में खुद को हमेशा खुश रखना चाहिए क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि आने वाला समय आपके लिए कैसा समय लेकर आएगा?

हमारे जीवन में कई सारी परेशानी होती हैं लेकिन उन लोगों को कभी दूसरा मौका नहीं देना चाहिए जिन्होंने कभी हमारे त्याग, समर्पण और प्यार को ना समझा हो। ऐसे में बेहतरी इसी मैं हैं कि खुद को बेहतर बनाते हुए आगे बढ़ा जाए और खुशी-खुशी जीवन जीया जाए. जीवन में कई सारे मोड़ आते जाते रहते हैं। कब किसी के साथ क्या हो सकता हैं?

हर कोई इस बात से अनजान होता हैं. इसलिए कहा जाता हैं कि अच्छे वक़्त में किया गया नेकी बुरे वक़्त लौट कर फिर से काम आता हैं. इसलिए जीवन में हर समय खुले विचारों का होना चाहिए. हर दूसरे लोगों के प्रति भी सहानूभूति की भावना रखना बहुत जरूरी हैं. तब जीवन को एक अलग तरह से जिया जा सकता हैं. एक अलग तरह से सजाया जा सकता हैं।

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