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हर एक इंसान की एक अहमियत होती हैं

Inspirational Stories On Values

Moral values Hindi story, हर एक इंसान की अहमियत होती है यह बात हर कोई जानता ही होगा क्योंकि खुद की अहमियत पहचानने में किसी को किसी बात का संदेह नहीं होता।

परंतु फिर भी कई लोग खुद की कीमत नहीं पहचान पाते और वे लोग ताउम्र बिना अपनी कीमत पहचाने ही एक साधारण सा जीवन यापन करने के लिए विवश रहते हैं, यह अच्छी बात नहीं है कि लोगों को खुद की कीमत पता नहीं और वे बिना अपने जीवन का महत्व समझे ही अपना जीवन यापन कर जाए।

इस संसार में उस प्रत्येक चीज की कीमत है जो भगवान ने बनाई हो भले ही वह इंसान हो या फिर कोई जानवर, भगवान ने हर चीज की अहमियत समझते हुए उसे इस पृथ्वी में भेजा होगा।

परंतु इंसान अगर खुद की अहमियत ना समझे तो यह सबसे बड़ी नासमझी होगी।

हालांकि यह जरूरी नहीं एक इंसान की अहमियत हर कोई समझे, क्योंकि वे लोग जो सदैव अपने कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं, जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाते और उन्हें प्रत्येक क्षण किसी न किसी व्यक्ति की सहायता की जरूरत होती है।

हमें फैसले लेने से पहले खुद की अहमियत जाननी चाहिए कि हम किस के लिए कितनी अहम भूमिका निभाते हैं? और कितने लोग हमारे व्यवहार व हमारे कार्यों से संतुष्ट होते हैं?

हम कहानी के आधार पर उदाहरण देते हुए आपको बताएंगे की एक इंसान की अपने जीवन में कितनी अहमियत है और वह उसे कब समझ आती है। तो आइए शुरू करते हैं।

एक समय की बात है एक व्यक्ति जो साधारण परिवार से संबंध रखता था वह एक IT कंपनी में एक गार्ड के पद पर कार्यरत था, गार्ड होने के नाते इसके ऊपर कंपनी की जिम्मेदारियां थी। क्योंकि वह कंपनी की देखभाल के साथ-साथ Tea- बॉय का काम भी करता था।

चूंकि उस सॉफ्टवेयर कंपनी में बहुत बड़े-बड़े इंजीनियर भी थे इसलिए जाहिर सी बात है उनका वेतन उस नौकर के वेतन के सामने कई गुना ज्यादा था ।

पर इस व्यक्ति को कभी भी खुद की अहमियत उस कंपनी के लिए कुछ विशेष महसूस नहीं हो पाती। वह खुद को एक नौकर समझता और हमेशा अपने काम को ईमानदारी से किया करता था।

गार्ड जब भी अपनी कंपनी वालों को खुश नहीं रख पाता यानी कुछ गलती कर देता, कुछ काम देरी से करता तो बहुत ही डांट खाता।

और काम के चक्कर में यह व्यक्ति अपने घर की जिम्मेदारियों को भी कई बार नजरअंदाज कर देता। वह असमय घर आता, भोजन करता और थकान के कारण भरपूर नींद लेता और फिर वापस अपने काम पर चला जाता।

एक दिन वह नौकर अपने घर में बच्चों की तबीयत खराब होने के कारण कुछ देरी के कारण अपने कार्य क्षेत्र में पहुंचता है। तो उसे मैनेजर द्वारा इतनी डांट पड़ती है कि वह उसे सह नहीं पाता परंतु फिर भी उसके इंजीनियर उससे डांटना नहीं छोड़ते और देर तक बातें उस बेचारे को सुनाते रहते हैं।

1 दिन उस नौकर के साथ ऐसी घटना होती है, कि वह कंपनी के बाहर टी- शॉप से अपनी कंपनी के इंजीनियरों के लिए टी लाता है, तो गलती से उसकी सभी चाय की गिलास नीचे गिर जाती हैं ।

इस कारण वह वक्त पर अपने इंजीनियरों को चाय नहीं दे पाता, इंजीनियरों को वक्त पर चाय न मिलने के कारण वे लोग अपने नौकर के हालातों और समस्याओं को नहीं देखते बल्कि उसके ऊपर ताबड़तोड़ बातें बरसा देते है।

ऐसी बहुत सारी घटनाएं इस नौकर के साथ होती रहती है परंतु इसके कठिन हालात इसे कभी भी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करते।

वह जानता है यदि वह व्यक्ति अपनी कंपनी से इस नौकरी को छोड़ कर चला जाएगा तो इसके परिवार का गुजारा होना मुश्किल हो सकता है।

उसको अन्य कंपनियों का ना ही काम आता और ना ही अनुभव रहा इसलिए वह सारी बातों को सहते हुए अपने कार्यों को नियमित करता रहता और हर डांट को वह मजाक के तौर पर सहन कर लेता।

वह अपनी कंपनी के इंजीनियर को खुश रखता परंतु कुछ गलतियों के कारण उसका विश्वास टूट जाता।

कर्मचारी कभी भी उस नौकर के हालातों को नहीं समझते और ना ही उसकी मजबूरियां समझते।

नौकर उम्र में उन प्रत्येक इंजीनियरों से बड़ा होने के कारण उनके प्रति सम्मान बनाए रखता।

पर चूंकि कंपनी के कर्मचारियों को लगता है कि वे लोग उस नौकर से बड़ा काम कर रहे हैं इसलिए उनका हक यह होता है कि वे लोग उसे डांट पीट सकें।

एक दिन जब फिर नौकर बेचारे के घर में समस्याएं चल रही थी तो वह अपनी कंपनी के कार्यों को ज्यादा अहमियत नही दे पाया।

यहां से कंपनी के इंजीनियर नौकर के प्रति दुर्व्यवहार करना प्रारंभ कर देते है, अब प्रत्येक इंजीनियर की नजरों में वह नौकर हमेशा के लिए दुष्ट बन चुका था।

और कर्मचारियों ने उस नौकर को हटाने का प्रस्ताव रखा गया।

यहां तक सब ठीक था परंतु जब यह बात उस नौकर को पता चली तो वह अत्यधिक दुखी हुआ और उसे कुछ भी समझ नहीं आया, कि वह अब अपने परिवार का गुजारा किस तरह करेगा।

यहां से उसके जीवन में एक नया पड़ाव शुरू हुआ। उस व्यक्ति के पास अनुभव और जुनून होने के कारण उसने उनके निर्णय को सही ठहराया और खुद वहां से हटने के लिए राजी हो गया।

नौकर के जाने के बाद अगले दिन जब सभी कंपनी के कर्मचारी ऑफिस आए तो वह उस नजारे को देखकर हैरान रह गए।

दरअसल अगले दिन कर्मचारी अपने ऑफिस में तो गए परंतु ना ही उन्हें सुबह की चाय मिली ना उनके टेबल साफ थे, न पीने का पानी था और शाम को भी वे सभी लोग बिना चाय पिए अपने घरों को निकल पड़ें।

महज एक दिन बिना नौकर के गुजारने पर उन इंजीनियरों को अनुभव हुआ कि वह नौकर उनके लिए जरूरी था।

तब जाकर उन सभी लोगों को अहसास हुआ कि उस व्यक्ति की इनके जीवन में कितनी अहमियत थी और उन सब ने फिर अपने जीवन में उस व्यक्ति की अहमियत को समझा भले ही वह व्यक्ति उनके लिए एक नौकर है परंतु वास्तव में वह किसी अजूबे से कम नहीं था।

उसके होते हुए उन लोगों को कभी भी किसी चीज की परेशानी नहीं हुई और ना ही उन लोगों ने किसी चीज की कमी का एहसास अपने जीवन में उस नौकर के होते हुए किया।

यहां से इन लोगों को अपने जीवन में कुछ अनुभव मिल पाए और समझ आया कि जीवन में हर किसी की अहमियत होती है इसीलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान देना चाहिए भले ही वह हमसे कितना ही छोटा या बड़ा क्यों ना हो या फिर वह हमसे कितनी ही कम तनख्वाह क्यों ना ले रहा हो।

परंतु उसकी अहमियत हमारे लिए किसी एक इंसान से कम नहीं होती और फिर सबने निर्णय लिया कि हम उस व्यक्ति से माफी माँग कर फिर से उसे नौकरी में रखेंगे

विचार~

हमें इस बात से यह समझना चाहिए कि हमारे जीवन में भले ही कोई हमारे काम ना आए या फिर हम से छोटा हो परंतु उसकी कीमत एक व्यक्ति के बराबर होती है इसीलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को इज्जत देनी चाहिए और सम्मान पूर्वक व्यहार करना चाहिए भले ही हमारे लिए किसी की अहमियत कम हो परंतु उसकी अहमियत किसी इंसान के लिए या उसके परिवार के लिए हमसे ज्यादा होगी।

तो दोस्तों यह मात्र एक कहानी थी यही नहीं हमारे जीवन में कई बार हम जाने अनजाने में अपने करीबियों या हम से प्रेम करने वालों का दिल दुखा देते हैं। जिनके जाने के बाद हमें बेहद पछतावा होता है।

और हम फिर चाह कर भी उस व्यक्ति से नहीं मिल पाते क्योंकि कहा जाता है किसी वस्तु को वापस प्राप्त किया जा सकता है लेकिन एक बार इंसान दूर चला जाए तो उससे मिलना मुमकिन नहीं हो सकता तो इस एकमात्र मिले जीवन में किसी का दिल ना दुखे इसके लिए जरूरी है कि हम सभी एक दूसरे के साथ प्रेम – विन्रम व्यवहार करें

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उनकी उम्र, उनके कार्य करने का पद और उनकी जाति क्या है? क्योंकि इंसानियत होने का यही परिचय है कि आप दूसरे इंसान की कीमत को जानें।

जो इंसान दौलत शोहरत के बल पर दूसरे को तोलता है, वह सदैव इस माया जाल में फंसा रहता है और उसे कभी भी जीवन का वास्तविक बोध नहीं हो पाता।

आज भले ही समय बदल चुका है, और पैसे के आधार पर ही व्यक्ति का स्थान देखा जाता है। लेकिन हमारे मानवीय गुण, नैतिक मूल्य कभी भी यह इजाजत नहीं देते कि हम किसी इंसान को धन के लालच में नीचा दिखाकर उसे ऊपर उठाएं।

हमें आशा है इस लेख को पढ़ने के बाद आप जीवन में आए प्रत्येक जीव की अहमियत को समझेंगे और उसके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे। ताकि आपके पास भी लौट के वहीं आ सके जो आप सामने वाले को दे रहे हैं।

लेख पसंद आया हो तो साझा करना बिल्कुल ना भूलें।

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