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हिंदी कहानियाँ 8 Mins Read

हिंदी मीडियम “रितिका” की कहानी

Mahesh YadavBy Mahesh YadavNo Comments8 Mins Read
Challenges & Solutions for Hindi Medium Students
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आज रितिका बहुत परेशान थी उसके घर की स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी और वह अपने घर वालों के लिए कुछ अच्छा काम करना चाहती थी। साथ ही साथ अपने पापा की मदद करना चाहती थी, जो पिछले कुछ सालों से मंदी से जूझ रहे थे।

घर में छोटी बहन थी, जो घर का काम किया करती थी और वह पढ़ाई करने में ज्यादा रुचि नहीं लेती थी। जब रितिका छोटी सी थी तभी उसकी मां का देहांत हो गया था और इस वजह से वह हमेशा अकेलापन महसूस किया करती थी।

रितिका एक हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ी लिखी लड़की थी हालांकि वह अपनी पढ़ाई में अच्छी थी लेकिन जब वह अपने सुरक्षित माहौल से बाहर निकलती है, तो उसे थोड़ा असहज महसूस होता है क्योंकि अब चारों ओर का माहौल इंग्लिश मीडियम हो चुका था।

पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने टीचिंग की नौकरी कर ली थी जिसमें उसे बहुत ही अच्छा महसूस होता था और उसकी खुशी में उसकी सहेली रानी ने साथ दिया था।

रानी- अरे मैं तो जानती ही थी कि तू अच्छे स्कूल में टीचर बन सकती है, अरे तेरे अंदर काबिलियत ज्यादा है।

रितिका [ हंसते हुए]- तू तो फालतू में मेरी तारीफ कर दिया करती है। बात तो यह है कि आज का समय बहुत ही ज्यादा कंपटीशन वाला है, जहां हमें अंग्रेजी आना बहुत जरूरी है लेकिन हम हिंदी मीडियम के होते हैं और इसी वजह से ही हम पीछे रह जाते हैं।

रानी- अब तू ज्यादा चिंता मत कर और ज्यादा से ज्यादा ध्यान अपने काम पर ही लगा जितने ज्यादा काम करेगी, तुझे अच्छा महसूस होगा।

एक रानी ही थी जो हमेशा रितिका का साथ दिया करती थी चाहे रितिका जितनी भी ज्यादा दुखी क्यों ना हो लेकिन रानी से बात करके उसे बहुत ही अच्छा महसूस होता था।

जल्द ही देश में वायरस की लहर आ गई और इस वजह से कई सारे टीचर को उनकी जॉब से हटा दिया गया था और इसकी मार रितिका को भी झेलनी पड़ी थी। अब तो उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करें?

कहीं भी उसे नौकरी नहीं मिल रही थी और अपने पापा की देखभाल भी सही तरीके से नहीं कर पा रही थी। जो भी पैसे उसके पास होते थे वह सारे खर्च हो जाते थे और अपने लिए कभी कुछ कर ही नहीं पा रही थी। ऐसे मैं रानी ने उसकी भरपूर मदद की थी जिसे रितिका कभी भी नहीं भूल पाएगी।

लगभग 1 साल तक घर में रहने के बाद रितिका को एक नया मौका मिला कि एक बार फिर से एक नए स्कूल में जाकर अप्लाई कर सके और अपना जीवन आगे हंसी-खुशी बढ़ा सकें। वह एक बहुत अच्छी टीचर थी और यही वजह थी कि बच्चे और पैरेट हमेशा उससे बहुत प्यार से बात किया करते थे।

आज रितिका के लिए एक नया दिन था, जब वह किसी दूसरे स्कूल में अप्लाई करने जा रही थी। आज उसका इंटरव्यू भी होने वाला था। अपने चारों तरफ का माहौल देखकर वह डरी सहमी सी बैठी हुई थी कि तभी रिसेप्शनिस्ट ने आकर कहा- NEXT IS YOUR TURN.

रितिका- [ मन ही मन ] यहां तो सभी लोग अंग्रेजी में ही बात कर रहे हैं। ऐसे में हिंदी मीडियम टीचर को कौन अपने स्कूल में लेगा?

वह ऐसा सोच ही रही थी और इतने में ही उसका नंबर आ जाता है और वह अंदर चली जाती है इंटरव्यू में उससे कई प्रकार के सवाल किए जाते हैं जिनका अटक अटक कर जवाब देती है। वह जानती है कि उससे सही तरीके से इंटरव्यू नहीं हो पा रहा है क्योंकि वह अंग्रेजी सही तरीके से नहीं बोल पा रही है।

प्रिंसिपल- You may go now, you are not suitable for our school. Its beyond your limits.

रितिका- सॉरी सर

रितिका इस बात को समझ चुकी थी कि उससे कोई भारी चूक हो चुकी है और अब घर आकर रोने लगी क्योंकि यह स्कूल उस शहर का सबसे बड़ा स्कूल था और जहां जॉब करना उसके लिए सपने की बात थी।

रानी- तू हिम्मत क्यों हारती है? अगर तुझमें काबिलियत है, तो तू जरूर एक दिन खुद को सही साबित कर सकेगी और एक बात समझ ले कि हिंदी मीडियम में पढ़ने वाला भी अच्छी नौकरी खोज सकता है बस तुझे जरूरत है, तो थोड़े से अभ्यास करने की जरुरत हैं, बाकी तुझ में हर काबिलियत है।

रितिका- [चुप होते हुए] मैं मेहनत करूंगी ताकि उस स्कूल में मुझे नौकरी प्राप्त हो सके।

रानी- वेरी गुड यही तो मैं सुनना चाहती थी।

अब रितिका जी तोड़ मेहनत करती है, तरह-तरह की किताबों का अध्ययन करती है और साथ ही साथ इंग्लिश पेपर पढ़ती है ताकि उसकी इंग्लिश पहले से कहीं बेहतर हो सके और अब उसे किसी के सामने नीचे ना देखना पड़े।

इस बीच रितिका ने अपना ध्यान दूसरी जगह लगा लिया ताकि वह पुराने दिन को याद करके दुखी ना हो सके। अगले साल फिर से उसी बड़े स्कूल में नई वैकेंसी निकाली गई जिसमें अब कंपटीशन काफी हद तक बढ़ चुका था लेकिन रितिका ने भी ठान लिया था कि वह भी अब वह नौकरी हासिल करके रहेगी।

अगले हफ्ते फिर से रितिका का उसी स्कूल में इंटरव्यू होना था और अब इस बार वह पहले से कहीं ज्यादा कॉन्फिडेंट नज़र आ रही थी साथ ही साथ पुराने दिनों को भूल कर एक नई शुरुआत करना चाहती थी ताकि अपने परिवार को सहारा दिया जा सके। इस बार भी उसका इंटरव्यू वही प्रिंसिपल ले रहे थे जिन्होंने पिछली बार लिया था—

प्रिंसिपल सवाल पूछे जा रहे थे और रितिका जवाब दिए जा रही थी। प्रिंसिपल ने देखा कि रितिका का बैकग्राउंड हिंदी मीडियम का है तो उन्होंने कहा-  Oh are you from Hindi medium ?

रितिका- Sorry sir, why you said oh? Hindi is our mother tongue. We should respect our beautiful language with heart.

प्रिंसिपल को रितिका की बात बहुत अच्छी लगी और इस बार रितिका का इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ, जहां उसने सिर्फ इंग्लिश में ही इंटरव्यू दिया और खुद को सही साबित किया। उस स्कूल में रितिका को जॉब मिल गई और इसकी खुशी वह अपनी सहेली रानी के साथ बांटने गई।

रानी- देख मैं ना कहती थी एक न एक दिन नौकरी जरूर मिल जाएगी और वह भी उसी स्कूल में। आज तेरी मेहनत की वजह से मुझे वह मंजिल प्राप्त हुई हैं।

रितिका- और इसमें तेरा सबसे बड़ा हाथ है क्योंकि अगर तूने मुझे नहीं समझाया होता तो शायद मैं हिम्मत हार चुकी होती।

आज दोनों सहेलियां बहुत खुश थी क्योंकि कई दिनों बाद दोनों ने राहत की सांस ली थी। आज स्कूल में कार्य करते हुए लगभग 10 वर्ष हो चुके थे और अब रितिका प्रिंसिपल के पोस्ट पर आ चुकी थी। आज वह दिन था, जब वह दूसरे कैंडिडेट का इंटरव्यू ले रही थी।

अपने केबिन से ही वह बाहर की ओर देख रही थी जहां एक लगभग 25 से 30 वर्ष की आयु का युवक मोहन पसीने से तरबतर नजर आ रहा था और वह कुछ परेशान भी दिख रहा था। जब रितिका ने उसका रिज्यूम देखा तो उसमें हिंदी मीडियम लिखा हुआ था।

रितिका ने उसे अंदर बुलाया और उससे इंटरव्यू लेने की बात की, तब वह कुछ डरते हुए रितिका से कहने लगा-

मुझे माफ कर दीजिए मैम मुझे अंग्रेजी बोलना अच्छे से नहीं आता लेकिन मुझे इस नौकरी की बहुत जरूरत है क्योंकि मुझे अपनी मां का इलाज करवाना है और यहां इंटरव्यू देने के पहले मुझसे कई लोगों ने कहा है कि मैं हिंदी मीडियम का हूं, इस वजह से मुझे नौकरी नहीं मिल सकती।

रितिका- और आपको क्या लगता है?

मोहन- मुझे ऐसा लगता है कि अगर मेरे अंदर काबिलियत है, तो मुझे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता है।

रितिका- बस इसी सोच के साथ आगे बढ़ते जाइए, मैं उम्मीद करती हूं कि आपको सफलता जरूर हासिल होगी।

रितिका के इन शब्दों से मोहन को एक ताकत मिलती है और अब वह इंटरव्यू के लिए तैयार हो जाता है। इस बार मोहन का इंटरव्यू बहुत अच्छा होता है और उसे स्कूल में नौकरी भी मिल जाती है जिसका आभार व्यक्त करने वह रितिका के पास जाता है।

मोहन- थैंक यू मैम। आपकी वजह से ही मुझे यह नौकरी मिल पाई है अगर मैं हिम्मत हार जाता तो निश्चित रूप से ही यह नौकरी नहीं मिल पाती।

रितिका- यह सब आपकी मेहनत का ही नतीजा है लेकिन एक बात आप हमेशा याद रखिए कि हमेशा अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए चाहे वह कोई भी जगह क्यों ना हो?

अंग्रेजी हम सभी को आना जरूरी है लेकिन हिंदी भाषा का महत्व उससे कहीं ऊपर है क्योंकि हम सभी हिंदी भाषी देश के नागरिक हैं।

मोहन रितिका की बात से सिर हिलाता है और खुशी-खुशी अपने घर चला जाता है।

दोस्तों, यह बात हम सभी पर भी लागू होती है, जहां हम ज्यादा से ज्यादा अंग्रेजी का उपयोग करते हैं और हिंदी भाषा को भूलते चले जा रहे हैं। हमें हर स्थिति में अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए और उसके महत्व को बनाए रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस भाषा के महत्व को समझ सके।

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Mahesh Yadav
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Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

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