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हिंदी कहानियाँ 9 Mins Read

दोस्ती हैं सबसे ऊपर ~ True Friends

Mahesh YadavBy Mahesh YadavNo Comments9 Mins Read
Pakki dosti ki kahani
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शिवानी एक औसत कद काठी की लड़की जिसे हमेशा दोस्ती करना अच्छा लगता था और वह जहां भी जाती थी उसके दो चार दोस्त बन ही जाते थे।

कभी भी वह किसी दोस्त को अपने घर नहीं ला पाती क्योंकि हमेशा उसकी मां जात पात, धर्म में भरोसा करती और इस वजह से शिवानी अपने कई सारे दोस्तों को घर बुलाने में असमर्थ होती थी। एक दिन शिवानी की दोस्त मधु जो उसके साथ ही पढ़ती थी उसे अपने बर्थडे पार्टी में बुलाती है।

मधु- शिवानी तुम मेरे बर्थडे पार्टी में जरूर आना, मैंने वहां पर और दोस्तों (Friends) को बुलाया है और सभी आने वाले हैं।

शिवानी- अरे वाह अगर सभी आने वाले हैं, तो मैं भी जरूर आऊंगी। [ खुश होते हुए]

मधु- ओके शिवानी मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।

शिवानी उस दिन बहुत खुश थी क्योंकि काफी दिनों बाद किसी सहेली की बर्थडे पार्टी में जाने वाली थी। घर आकर उसने खाना खाया और अपने कमरे में अलमारी खोलकर सारे कपड़ों को यहां-वहां बिखेर दिया।

मां- तुमने फिर से अलमारी के कपड़ों को बिखेर दिया है? [ गुस्सा करते हुए]

शिवानी- अरे मा मेरी सहेली मधु की बर्थडे पार्टी है और मुझे वहां जाना है। मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि कौन सी ड्रेस पहन लू?

मां- मधु वहीं न जो नीचे जात की है। उसके यहां तुझे जाने की क्या जरूरत है? अगर तुझे पार्टी करना है, तो घर में ही करो कहीं जाने की जरूरत नहीं है।

शिवानी- लेकिन मां वहां मेरी सभी सहेलियां आने वाली हैं और अगर मैं नहीं गई तो उन सब को भी बुरा लगेगा।

मां- अगले सप्ताह से तुम्हारे वीकली टेस्ट शुरू हो रहे हैं उस की तैयारी करना शुरू कर दो और वैसे भी स्कूल में तुम अपनी सहेलियों से तो मिलती ही हो। किसी के घर जाने की कोई जरूरत नहीं है।

शिवानी रोने लगती है लेकिन मां को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें जात-पात में ज्यादा दिलचस्पी होती है। इस बात को एक महीना गुजर जाता है तभी शिवानी की क्लास में एक नई लड़की एडमिशन लेती है जिसका नाम होता है मरियम।

मरियम एक बहुत ही सीधी साधी लड़की है और हमेशा सबकी मदद करती हैं जिससे बहुत ही जल्द शिवानी की दोस्ती मरियम से हो जाती है।

एक दिन शिवानी, मरियम को अपने घर बुलाती है लेकिन वह जानती है कि उसके क्रिश्चियन होने पर मां को एतराज हो सकता है इसीलिए वह मरियम का नाम अपनी मां को नहीं बताती और उसे अपने घर बुला लेती है।

मां- अरे वाह तुम्हारी सहेली तो बहुत सुंदर है।

मरियम- थैंक यू आंटी जी

मां- कितने अच्छे संस्कार है इस बच्ची के। किसी अच्छे खानदान की लगती है लेकिन मैंने तो इसका नाम ही नहीं पूछा?

तभी लपक कर शिवानी आगे आ जाती है और मां को उसका नाम नहीं पूछने देती है मरियम थोड़े ही देर में वहां पर शिवानी के साथ खेल कर अपने घर चली जाती है।

उसके जाने के बाद मां, शिवानी को बताती है कि उसे मरियम बहुत अच्छी लगी और शिवानी को इसी प्रकार की सहेलियां बनानी चाहिए जिससे कि उसे भी कुछ सीखने को मिले।

मां की इस बात पर शिवानी चुपचाप हंसने लगती है लेकिन वह एक राज जो मां से छुपाए रहती है वह उन्हें नहीं बताती और धीरे-धीरे मरियम का शिवानी के घर आना-जाना बना रहता है कभी होमवर्क के बहाने, कभी मिलने के बहाने और कभी मार्केट जाने के बहाने।

हालांकि दोनों का घर बहुत पास नहीं था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थी और एक दूसरे का हमेशा ख्याल रखती थी।मरियम की मां शिवानी के साथ अच्छा व्यवहार करती थी।

1 दिन शिवानी की मां अपनी कार से मार्केट की तरफ जा रही थी कि अचानक उनकी कार खराब हो जाती है, जहां पर उनकी कार खराब होती है वहीं पर एक चर्च होता है और जहां से मरियम बाहर आ रही होती है तभी शिवानी की मां की नजर मरियम की तरफ जाती है और वह आश्चर्यचकित होकर मरियम को ही देखने लगती है।

घर आने पर शिवानी की मां बहुत गुस्सा करती है कि आखिर शिवानी ने क्यों छुपाया की मरियम एक क्रिश्चियन लड़की है।

शिवानी- मां वह मेरी अच्छी दोस्त है और इससे क्या फर्क पड़ता है कि वह किसी भी धर्म या जाति की हो दोस्ती में दिल मिलने चाहिए ना की जाति या धर्म।

मां- मुझे ज्यादा उपदेश देने की जरूरत नहीं है। आज के बाद उनके घर नहीं जाओगी और उससे दोस्ती भी नहीं रखोगी।

शिवानी रोते हुए- लेकिन मां?

मां- मेरी बात तुम्हारे समझ में नहीं आ रही लगता है तुम्हारी शिकायत तुम्हारे पापा से करनी होगी क्योंकि अब तो हमारी बात समझती नहीं हो।

शिवानी रोते रोते ही सो जाती है, लेकिन उसे समझ में नहीं आता कि मां के अंदर ऐसे विचारों को कैसे खत्म करें क्योंकि ऐसे विचार समाज के लिए घातक होते हैं जो इंसान को आगे बढ़ने से रोकते हैं।

कुछ दिनों के बाद अचानक शिवानी की मां की तबीयत बिगड़ जाती है और उन्हें ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ने लगती है। मां का ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव है और जिसे सब तरफ ढूंढने के बाद भी वह ब्लड ग्रुप मिल नहीं पाता इस वजह से शिवानी और उसके पापा बहुत ही परेशान हो जाते हैं क्योंकि डॉक्टरों ने कह दिया है कि अगर इस ब्लड ग्रुप का इंतजाम जल्द से जल्द नहीं किया गया, तो परेशानी बढ़ सकती है।

फिर क्या था जैसे ही यह बात मरियम को पता चलती है, तो वह अपनी मां से जाकर कहती है- मम्मी आज परीक्षा की घड़ी आ गई है जब हमें जात पात को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है और सच्चा कार्य करना है।

मरियम की मां- यह तुम क्या बोली जा रही हो मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा?

मरियम- शिवानी की मां को ओ निगेटिव ब्लड की जरूरत है और मुझे पता है यह ब्लड ग्रुप आपका है। अगर आप उन्हें ब्लड दे देंगी तो उनकी स्थिति में सुधार हो सकता है।

Blood donation for friends story in Hindi

मरियम की मां- बेटा ऐसे समय में हमें मदद करनी होगी ताकि शिवानी की मम्मी जल्दी से जल्दी ठीक हो सके।

दोनों मां बेटी हॉस्पिटल जाती है और कुछ ही देर में शिवानी की मां को भी ब्लड देने के बाद होश आ जाता है जिसे देखकर शिवानी भी रोने लग जाती है। 1 हफ्ते के बाद जब शिवानी की मां घर आ जाती है, तब उन्हें इस बात का पता चलता है कि ब्लड देने वाला कोई और नहीं बल्कि मरियम की मा ही थी।

जब मरियम अपनी मम्मी के साथ शिवानी की मम्मी को देखने आती है, ऐसे में शिवानी की मम्मी रोने लग जाती हैं और मरियम की मां के सामने हाथ जोड़ते हुए कहती हैं- आप मुझे माफ कर दीजिए। मैंने आपके और मरियम के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और हमेशा जाति धर्म के इस मामलों में उलझी रही।

मरियम की मां- अरे इसमें माफी मांगने की कोई बात नहीं है।

मरियम- आंटी शिवानी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है ऐसे में मेरा भी तो फर्ज बनता है कि मुसीबत में मैं उसका साथ दूं। हम बहुत खुश हैं कि हमारी इस पहल से अब आप स्वस्थ हैं और आपको किसी भी तरह की समस्या नहीं है।

शिवानी की मां- मैंने हमेशा शिवानी के साथ सही नहीं किया और उसके दोस्तों के साथ ही भेदभाव किया मैं यह भूल चुकी थी कि दोस्ती में कभी भेदभाव नहीं होता बल्कि दोस्ती दिल से की जाती है दिमाग से नहीं।

शिवानी- आपकी बातें सुनकर आज मन बहुत खुश हो गया मां।

उसके बाद से शिवानी और मरियम की दोस्ती और भी गहरी हो जाती है, जहां दोनों अब एक दूसरे के घर आना जाना हमेशा करती और किसी भी प्रकार की रोक टोक के बिना।

Final word

इस दुनिया में हमें जितने भी रिश्ते मिले है, सारे रिश्ते को हमने किसी का भी चुनाव भी किया है। सारे रिश्ते जनम से ही मिल जाते है।लेकिन दोस्ती का जो रिश्ता होता है, उसी रिश्तों को हम चुनते है।

मां बाप के बाद जो सबसे ख़ास रिश्ता होता है, वह दोस्ती का रिश्ता होता है। ज़िन्दगी में माता पिता और दोस्त हो, तब जाकर ज़िन्दगी मुकम्मल बन जाती है। क्योंकि हम अपने सारी बातें माता पिता से शेयर करते है और जो बातें बच जाती है, उसे अपने दोस्तों से शेयर करते है।

और दोस्ती का कोई जात पात नहीं होता है। ये सब रंग है, जो चढ़ जाता है। इस दुनिया में सच्चे दोस्त मिलना बहुत ही खुशकिस्मती का बात है।
यह कहानी हमको सिखाती है कि दोस्ती और प्यार जो होता है, जरुरी तो नहीं कि सिर्फ अपने जात में हो ?

शिवानी की मम्मी लाख उसे मना करती है, लेकिन शिवानी सबको साइड में कर के दोस्त बनाती है और मरियम भी अपने दोस्त की मदद करने में कभी पीछे हटती है और मदद करती है।

एक तरह से देखे, तो दोस्ती का रिश्ता बहुत मासूम सा होता है और सबके दिल के करीब होता है। हम सब अपने बच्चे के दोस्त और स्कूल वाले दोस्त किसी को भूल नहीं पाते हैं। लाइफ में आगे बढ़ जाने के बाद भी हमको सारे दोस्त याद आते है।

इसलिए शिवानी की मम्मी जैसी मानसिकता वाले जितने भी लोग वह सिर्फ अपने मानसिकता को समझें, उसमे परिवर्तन लाते है और अपने बच्चे के मन में जात पात का जहर ना डालें। उनको स्वतंत्र रूप से अपनी मर्जी से जीने दें, उनको खुद को अपने जैसा बनने दें।

हर व्यक्ति अपने स्तर पर Unique है।वह चाह कर भी किसी के जैसा नहीं बन सकता है। जब भी बनेगा, वह अपने जैसा ही बनेगा। ब्रह्मांड सबको अलग वातावरण में तैयार करता है। इस लिए थोड़े से आध्यात्मिकता को भी समझना चाहिए और बच्चों को नए प्रयोग और नए तरह से जीवन जीने के तरीके खोजने के लिए प्रेरित करने चाहिए।

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Mahesh Yadav
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Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

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