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जीवनी 8 Mins Read

दुनिया की एक मशहूर एथलीट PT Usha Biography

Mahesh YadavBy Mahesh YadavUpdated:Oct 3, 20211 Comment8 Mins Read
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खेल की दुनिया में पीटी उषा एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं, पूरी दुनिया में अपने कैरियर में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की वजह से महान महिला एथलीट्स की सूची में पीटी उषा का स्थान शीर्ष पर आता है और हमेशा बरकरार रहेगा।

कहते हैं अगर व्यक्ति में कुछ करने का जुनून हो तो फिर आर्थिक समस्याएं जीवन में बाधा नहीं बन पाती। पीटी ऊषा भी ऐसे ही सफल उदाहरण में से कौन है। पीटी ऊषा क्यों इतनी प्रसिद्ध हैं? और उनके जीवन की उपलब्धियां सभी आप इस लेख को पढ़कर पीटी उषा की जीवनी में जानेंगे।

तो अगर आप भी पीटी ऊषा के प्रशंसक हैं या उनके बारे में करीब से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको अंत तक अवश्य पढ़ना चाहिए।

P. T. Usha व्यक्तिगत परिचय

पूरा नामपिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा
अन्य नामपय्योली एक्सप्रेस, गोल्डन गर्ल
जन्म27 जून, 1964
जन्म स्थानपय्योली, कोज्हिकोड़े, केरल
माता-पिताटी वी लक्ष्मी – इ पी एम् पैतल
हाईट5 फीट 7 इंच
धर्महिन्दू
पतिवी श्रीनिवासन
बेटाउज्जवल
प्रोफेशनट्रैक एवं फील्ड एथलीट

पीटी उषा का जन्म और परिवार

PT उषा का जन्म देश के केरल राज्य में पैतल और टीवी लक्ष्मी जी के घर पर वर्ष 1964 में 27 जून के दिन हुआ था। पीटी उषा का गांव केरल राज्य में ही पड़ता है और उनके गांव का नाम पय्योली है, जोकि कोजीकोड जिला में पड़ता है‌।

उषा के माता पिता बचपन से ही अपनी बिटिया को बेहद प्रेम करते थे। पीटी उषा के पिताजी केरल राज्य में कपड़ा बेचने का काम करते थे अर्थात वह कपड़े के व्यापारी थे, वहीं इनकी माता जी घर का काम करती थी। उषा का पूर नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा था।

पीटी उषा का बचपन

जब पीटी उषा छोटी थी, तो बचपन में इन्हें हेल्थ से संबंधित विभिन्न प्रकार की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता था, परंतु जब इन्होंने स्पोर्ट्स एक्टिविटी में भाग लेना चालू किया, तो धीरे-धीरे इनकी हालत में सुधार होने लगा और बाद में यह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो गई।

खेलकूद में रुचि

बाल्यकाल से ही PT उषा की रुचि खेलकूद में रही, जब सातवीं कक्षा में पीटी उषा पढ़ाई करती थी, तब उसी क्लास के ही एक टीचर के कहने पर पीटी उषा ने अपनी क्लास की चैंपियन छात्रा के साथ रेस लगाई, जिसमें पीटी उषा ने चैंपियन छात्रों को हराकर उस रेस में विजय प्राप्त की।

इसके बाद पीटी उषा के मन में स्पोर्ट्स के प्रति और भी ज्यादा इंटरेस्ट बढ़ गया।

पीटी उषा की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट

जब केरल गवर्नमेंट ने साल 1976 में केरल राज्य में महिलाओं के लिए स्पेशल स्पोर्ट सेंटर को शुरू किया, तो उस टाइम अपने जिले को प्रेजेंट करने का डिसीजन पीटी उषा ने लिया था।

जब पीटी उषा सिर्फ 12 साल की उम्र की थी, तब पीटी उषा ने नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में विजय प्राप्त की थी, जिसके बाद उन्हें काफी ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई थी।

पीटी उषा का घरेलू और इंटरनेशनल कैरियर

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने स्पोर्ट्स कैरियर की शुरुवात पीटी उषा ने साल 1980 में सिर्फ 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के कराची शहर में आयोजित हुए “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” में हिस्सा लेकर की थी।

पीटी उषा ने इस आयोजन में टोटल 4 गोल्ड मेडल जीते थे और देश का नाम ऊंचा किया था। इसके बाद पीटी उषा ने साल 1982 में वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने एक सिल्वर मेडल जीता था और एक गोल्ड मैडल जीतने में सफलता प्राप्त की थी।

साल 1982 में ही 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में पीटी उषा ने 2 सिल्वर मेडल जीते थे। यह सिल्वर मेडल पीटी उषा ने दिल्ली एशियन गेम्स में जीता था।

PT Usha Queen of track and field

टूर्नामेंट में लगातार भाग लेने के कारण पीटी उषा की परफॉर्मेंस मे लगातार सुधार हो रहा था। साल 1983 में पीटी उषा कुवैत गई थी, जहां पर उन्होंने एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल प्राप्त करने में सफलता हासिल की थी और एक नया कीर्तिमान बनाया था।

इसके बाद साल 1984 में लॉस एंजिलिस में आयोजित हुए ओलंपिक में पीटी उषा ने चौथा स्थान प्राप्त किया था। इसके साथ ही उस ओलंपिक के फाइनल राउंड में पीटी उषा पहली ऐसी भारतीय महिला थी, जो वहां तक पहुंची थी‌। हालांकि वह फाइनल राउंड जीत नहीं पाई और उसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप का आयोजन जकार्ता में साल 1985 में हुआ था, उसमें पीटी उषा को एक ब्रोंज मेडल और 5 गोल्ड मेडल जीतने में सफलता हासिल हुई थी।

इसके बाद सियोल में साल 1986 में सिओल में 10वे एशियन गेम्स में भी पीटी उषा ने टोटल चार रेस में विजय प्राप्त की थी और गोल्ड मेडल को प्राप्त करके इंडिया का नाम रोशन किया था।

इसके बाद साल 1989 में देश की राजधानी में एशियन ट्रेड फेडरेशन मीट का आयोजन हुआ था, जिसमें पीटी उषा ने भाग लिया था और इसमें भी उन्हें टोटल 4 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ था।

साल 1990 में आयोजित हुए बीजिंग एशियन गेम्स में भी पीटी उषा ने हिस्सा लिया था और 3 सिल्वर मेडल अपने नाम किए थे। इसके बाद पीटी उषा ने साल 1991 में शादी कर ली। इनके पति का नाम श्रीनिवासन है, शादी होने के बाद पीटी उषा ने एक बेटे को भी जन्म दिया था।

शादी होने के पश्चात और बेटे को जन्म देने के पश्चात पीटी उषा ने जापान के फुकूओका में साल 1998 में आयोजित हुए एशियन ट्रेड फेडरेशन मीट में हिस्सा लिया। इसमें 200 मीटर और 400 मीटर की रेस में पीटी उषा ने ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की।

पीटी उषा ने साल 2000 में एथलेटिक्स से संन्यास की घोषणा कर दी थी।

आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि, टोटल 101 पदक पीटी उषा ने इंटरनेशनल लेवल पर हासिल किए थे और कुल पीटी उषा ने 1000 से भी ज्यादा ट्रॉफी और पदक नेशनल और स्टेट लेवल पर हासिल किए थे।

आज के समय में पीटी उषा अपने खुद के स्पोर्ट्स एकेडमी चलाती हैं जहां पर वह एथलीट बनने की इच्छा रखने वाले लड़के और लड़कियों को ट्रेनिंग देने का काम करती हैं जिसमें उनके साथ टिंटू लुक्का भी शामिल है, जिन्होंने 800 मीटर की रेस को साल 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक में वुमन सेमीफाइनल में क्वालिफाइड किया था।

पीटी उषा के प्रसिद्ध नाम

पीटी उषा अपने नाम के अलावा पायोली एक्सप्रेस, उड़न परी और स्वर्ण परी जैसे नामों से भी जानी जाती थी।

पीटी उषा ने Sports की हिस्ट्री में अपने नाम को सुनहरे शब्दों में दर्ज कराया है। ऐसी कई महिला खिलाड़ी हैं,जो पीटी उषा को अपना आदर्श मानती है और पीटी उषा की तरह खेलों में अपना नाम रोशन करना चाहती है।

पीटी उषा को प्राप्त अवार्ड

  • देश के पद्मश्री पुरस्कार से साल 1984 में पीटी उषा को सम्मानित किया गया था।
  • साल 1984 में ही इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा पीटी उषा को सम्मानित करने के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।
  • पीटी उषा को इसके अलावा मार्शल टीटो अवार्ड, वर्ल्ड ट्रॉफी समेत एशिया की ग्रेटेस्ट वुमैन एथलीट का पुरस्कार भी प्राप्त है।

पीटी उषा ने अपने हुनर और अपनी काबिलियत के आधार पर अनेक मेडल अपने कैरियर में हासिल किए और भारत देश का मान सम्मान बढ़ाने का काम किया।

पीटी उषा ऐसी लड़कियों के लिए भी एक मिसाल बन कर उभरी हैं, जो एथलेटिक्स बनना चाहती हैं या फिर जिंदगी में कुछ बड़ा मुकाम हासिल करना चाहती हैं

पीटी उषा से रिलेटेड फैक्ट

  • कन्नूर के स्पोर्ट्स स्कूल में सिर्फ 12 साल की उम्र में ही पीटी उषा ने एडमिशन ले लिया था, जहां पर उन्हें उनके गुरु श्री ओपी नब्बियारका मिले।
  • पीटी उषा ने वर्ष 1978 में केरल स्टेट में 3 गोल्ड मेडल अंडर स्टेट कंपटीशन में जीते थे।
  • पीटी उषा ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में साल 1982 में आयोजित हुए एशियन गेम्स गोल्ड मेडल जितने में सफलता हासिल की थी।
  • इसके बाद कुवैत में भी एक इवेंट में पीटी उषा ने दो गोल्ड मेडल जीते थे।
  • पीटी उषा पहली ऐसी भारतीय और केरल की महिला खिलाड़ी थी जो ओलंपिक स्पोर्ट के फाइनल तक पहुंची थी।
  • मॉस्को ओलंपिक में पार्टिसिपेट करने वाली सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी पीटी उषा थी। इन्होंने मॉस्को ओलंपिक में 16 साल की उम्र में पार्टिसिपेट किया था।
  • पीटी उषा ने साल 1996 में सियोल में एशियाई स्पोर्ट्स में 4 गोल्ड मेडल जीते और गोल्ड मेडल जीतकर एशियन स्प्रिंट क्वीन के अवार्ड को अपने नाम किया।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 102 पदक पीटी उषा ने जीते हैं।
  • राष्ट्रीय और अंडर स्टेट टेबल पर 1000 से भी ज्यादा पुरस्कार और ट्रॉफी पीटी उषा ने जीतने में कामयाबी हासिल की है।
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Mahesh Yadav
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Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

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1 Comment

  1. Ravi P Chhokar on Apr 21, 2022 2:46 pm

    पी टी उषा जी ने जो करके दिखाया है वह दुनिया भर के उदाहरणों में से एक है।उन लोगों के अंहकार पर करारा तमाचा है जो महिलाओं को लाचार,अबला, कमजोर और भी ना जाने कितने हीन भावना वाले शब्दों से परिभाषित करते हैं। ऐसे कीर्तिमान स्थापित करने वालों की राहें मुश्किलों से भरी होती हैं। अपने अथक परिश्रम से सफलता प्राप्त करने का जज्बा ही उन्हें मंज़िल पर ले जाता है। सभी भारतवासियों की तरफ़ से ऐसे सभी संघर्षशील महिलाओं और पुरुषों को शुभकामनाएं।

    जय भीम जय भारत

    Reply

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