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इंसान को सबसे बड़ा धोखा उसके विचारों से मिलता हैं

इंसान को सबसे बड़ा धोखा उसके विचारों (thoughts) से मिलता हैं

संसार में इंसान ही वह एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसे ईश्वर ने सोचने और समझने की शक्ति प्रदान की है। इसलिए हर इंसान की अपनी सोच है, अपनी समझ है और अपने विचार हैं जिन्हें व्यक्त करके, वह अपने मन की बात कह सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि, मनुष्य ही वह प्राणी है जो, अपनी विचार करने की क्षमता और अपनी कल्पना शक्ति से संपूर्ण दुनियां बदलने की ताकत रखता है।

अपनी रचनात्मकता से वह चाहे तो दुनियां को रंगों से भर सकता है या रंगहीन भी कर सकता हैं। यह उसके सोच विचार करने के तरीके पर निर्भर करता है।

यह भी सच है कि इंसान को सबसे बड़ा खतरा, उसके अपने ही विचारों से होता है और उसके जीवन का सबसे बड़ा धोखा भी उसके विचार ही उसे देते हैं।

इसलिए इतिहास गवाह है कि विचार वह चीज है, जो अच्छे से अच्छे लोगों को भी धूल चटाने का माद्दा रखते हैं। इतिहास में भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे, जिनमें बड़े बड़े लोगों ने भी अपने विचारों से ही नाम कमाया है, या फिर अपना नाम मिट्टी में मिला दिया है।

विचार, जिनमें हमारा संपूर्ण जीवन बदलने की क्षमता होती है, कई तरह के होते हैं। अच्छे विचार, बुरे विचार, सकारात्मक विचार और नकारात्मक विचार, इस तरह के कई विचार हर समय हमारे मन और मस्तिष्क पर कब्जा किए रहते हैं। क्योंकि एक स्वस्थ मनुष्य का मस्तिष्क, एक ऐसी मशीन की तरह  है जो कभी भी नहीं रुकती हैं और सतत कार्यशील रहती है, वह कभी भी और किसी भी परिस्थिति में विचार करना बंद नहीं कर सकता है।

सकारात्मक और अच्छे विचार, जहां हमें जीवन में सदैव आगे बढ़ने और मुसीबतों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं, वहीं पर बुरे और नकारात्मक विचार, हमारे क़दमों को पीछे खींचते है और केवल निराशा ही प्रदान करते हैं। अतः इंसान के अच्छे या बुरे भविष्य के लिए और कोई नहीं बल्कि सर्वथा उसकी अपनी सोच और उसके अपने विचार ही उत्तरदायी होते हैं। उसके विचार ही हमेशा उसे अच्छी या बुरी राह दिखाते हैं।

The Importance of Thinking

आपने भी कभी यह देखा या अनुभव किया होगा कि, किसी एक ही, घटना या वस्तुस्थिति को देखने का इंसान का नजरिया या सोच भी भिन्न भिन्न होती है, जैसे कि, एक पानी से आधे भरे हुए गिलास को हर इंसान अपनी ही दृष्टि से देखता है, किसी को गिलास आधा भरा हुआ दिखता है, तो कोई उसे आधा खाली कहता है यह सिर्फ हमारी सोच, समझ और हमारे विचारों पर निर्भर करता है कि हम उस गिलास को किस तरह से देखते हैं। साथ ही साथ यह भी निश्चित हो जाता है कि हम उस एक छोटे से गिलास में भी कितनी संभावनाएं देखते हैं।

हमारे विचारों की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि, हमारे संपूर्ण जीवन की दशा और दिशा इन्ही से तय हो जाती है। हम किस तरह के जीवन को अपनाते हैं, यह हमारे विचार ही हमारे लिए तय करते हैं।

इसलिए हमें अक्सर यह कहा जाता है कि, कोई भी निर्णय लेते समय, हमेशा अपने विचारों को सकारात्मक रखकर ही किसी चीज को देखें और तभी किसी निर्णय पर पहुंचें। जल्दबाजी में, गुस्से में और बिना सोच विचार करके लिए गए फैसले अक्सर ही गलत साबित होते हैं और हमारे एक गलत फैसले से हमारा जीवन ही गलत दिशा में चला जाता है। अतः विचार करना और सकारात्मक विचार करना जीवन में आगे बढ़ने के लिए बेहद जरूरी है।

कभी-कभी हम अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात पर भी फैसला नहीं ले पाते हैं। ऐसे समय पर भी कई तरह के किंतु परंतु, हमारे दिमाग में चलते रहते हैं

और हमें, अपने ही जीवन के महत्वपूर्ण फैसले को लेने के लिए दुसरों की सहायता लेनी पड़ जाती है। ऐसा हमारे मन मस्तिष्क में चल रहे नकारात्मक विचारों की वजह से होता है। हम उस फैसले के सकारात्मक दृष्टिकोण को देख ही नहीं पाते हैं और नकारात्मक बातों पर अपना ध्यान केंद्रित कर लेते हैं।

इस तरह हमारी सोच और विचारों का द्वंद होता है, जिसमें हम किसी भी फैसले पर पहुंचने में असमर्थ हो जाते हैं और दुसरों पर निर्भर होकर रह जाते हैं।

आप चाहें इस बात को माने या ना माने, पर कभी कभी कोई सोच या विचार हम पर इतना हावी हो जाता है कि हम अपना अस्तित्व ही भूल जाते हैं। अर्थात हम उसी तरह के बन जाते हैं,जिस तरह से हम विचार करते हैं। अतः हमारे विचारों से ही हमारा व्यक्तित्व झलकता है, या यूं कहें कि हमारे विचार ही हमारे व्यक्तित्व का आईना होते हैं।

यदि हम सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर सोचते हैं तो हमारे विचारों की गुणवत्ता भी वैसी ही होगी। और हमारे व्यक्तित्व से भी सकारात्मकता झलकेगी, जो किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होती है। इसके विपरीत नकारात्मक सोच और विचार करने वाले व्यक्ति से भी नकारात्मक ऊर्जा निकलती हैं, जिससे हर कोई दूर ही रहना चाहता है।

आज के इस युग में जहां हर कोई अपनी किसी ना किसी समस्या से ग्रस्त हैं, चाहे वह मानसिक समस्या हो या शारीरिक समस्या हो, ऐसे में वह एक ऐसे सहारे की तलाश में रहता है, जो उसे सकारात्मकता की ओर लेकर जाएं और एक सही दिशा दिखाएं ना कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आना चाहेगा, जिसके विचार पहले से ही नकारात्मक हो। इससे तो उसकी निराशा, आशा में बदलने के बजाय और भी बढ़ जाएगी।

अतः कोई भी व्यक्ति ऐसे किसी भी व्यक्ति से कोसों दूर रहने का प्रयास करेगा, जो नकारात्मक सोच और विचार रखता हो और हमेशा ही दुसरों के दुःख दर्द को सुनने के बजाय खुद का ही रोना लेकर बैठ जाता हो।

इसलिए ही कुछ लोग हमेशा यह सोचते हैं कि कोई भी उनके पास क्यों नहीं आता है, या कोई भी उनका दुःख दर्द क्यों नहीं समझता है, पर वे लोग कभी भी आत्मनिरिक्षण नहीं करते हैं कि  गलती कहीं उनकी ही तो नहीं है। कहीं उनका व्यक्तित्व या सोच ही तो इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं,कि लोग उनसे दूर हो रहें हैं या उन्हें अपने से दूर कर रहे हैं?

कहीं आपकी नकारात्मक सोच या आपके नकारात्मक विचार ही तो आपको दुसरों से दूर नहीं कर रहे हैं? कहीं आपके विचारों की नकारात्मकता, आपके विचारों की सकारात्मकता के उपर हावी तो नहीं हो रही है, या आपके अच्छे विचार, आपके बुरे विचारों के पीछे छुप तो नहीं गए हैं? आप अपने जीवन में दुःखी है, निराश हैं या असफल है तो, इसके पीछे कहीं आपके विचार ही तो उत्तरदाई नहीं है?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर केवल हां है। हां आपकी हर समस्या का कारण और निवारण आपके अपने विचार ही है। आपके विचार ही आपकी हार और जीत तय करते हैं। आपके विचार ही यह निश्चित करते हैं कि लोग आपके पास, आपके साथ या आपके लिए खड़े रहे या आपसे दूर हो जाएं। आपके विचार ही आपके व्यक्तित्व का सबसे मजबूत पक्ष है, जो लाखों लोगों में भी आपको सबसे अलग दिखाता है।

हम अपने जीवन में, बाहर से कितने भी मजबूत दिखाई दे, पर हम अकसर ही अपने विचारों से हार जाते हैं। हम शरीर से चाहे जितने भी बलशाली क्यों ना हो, पर यदि हमारे विचारों में बल नहीं है, तो जीवन की किसी भी लड़ाई में हमारी हार तो सुनिश्चित ही है।

इसलिए ही हमें सबसे पहले अपने विचारों की गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और सकारात्मक सोच रखना चाहिए। अपनी बुरी से बुरी परिस्थिति को भी अपने विचारों की सकारात्मकता से निश्चित ही बदला जा सकता है।और यदि हम अपने विचारों से हार मान लेते हैं, तो हमारी हार भी तय है।

इसलिए ही मनुष्य का सबसे बड़ा संबल और मित्र उसके अपने विचार हैं तो उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी उसके विचार ही है। अतः विचारों से धोखा खाने के बजाय उन्हें अपना मित्र बनाने की कोशिश करें।

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