Site icon AchhiBaatein.com

People’s leader जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय

Indian independence activist and Political leader Jai Prakash Narayan JP

जयप्रकाश नारायण जिन्हें लोग JP और लोक नायक के नाम से पुकारते हैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक सैद्धांतिक, समाजवादी और राजनीतिक नेता है। भारत छोड़ो आंदोलन के समय जयप्रकाश नारायण अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए एक नायक के रूप में उभरकर सामने आए थे।

लोग उन्हें सिर्फ भारत छोड़ो आंदोलन के लिए ही याद नहीं करते बल्कि 1970 के दशक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए भी उन्हें स्मरण किया जाता हैं क्योंकि इस विरोध के बाद ही जयप्रकाश नारायण ने “कुल क्रांति” का आवाहन किया था।

स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण जी के बारे में जानने के लिए इस जीवनी को पूरा जरूर पढ़िए और जानिए कि किस तरह उन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

Jaiprakash Narayan Biography in Hindi

बिहार राज्य में पैदा हुए जय प्रकाश नारायण को साल 1999 में इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा भारत के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न को दिया गया था। जयप्रकाश नारायण ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था।

इसके अलावा इंदिरा गांधी के खिलाफ उन्होंने कई लोगों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया था और इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ें गए चुनाव में जनता पार्टी की विजय हुई थी। इस प्रकार जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंडिया में पहली ऐसी गवर्नमेंट बनी, जो गैर कांग्रेसी थी।

साल 1965 में जयप्रकाश नारायण को रमन मैग्सेसे अवार्ड भी प्राप्त हुआ था। किडनी खराब होने के कारण इनकी मृत्यु साल 1979 में 8 अक्टूबर को पटना में हुई।

जयप्रकाश नारायण व्यक्तिगत परिचय

पूरा नाम लोकनायक जयप्रकाश नारायण
पेशा राजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टी पहले कांग्रेस,बाद में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर पटना
धर्म हिन्दू
मृत्यु 8 अक्टूबर 1979
मृत्यु स्थान पटना
माता फूलरानी देवी
पिता हरसू दयाल श्रीवास्तव
पत्नी प्रभावती
ससुर ब्रिज किशोरप्रसाद
जाति कायस्थ
वैवाहिक स्थिति विवाहित
राशि तुला

जयप्रकाश नारायण का प्रारंभिक जीवन

एक कायस्थ परिवार में देश की स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जयप्रकाश नारायण का जन्म साल 1903 में बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में 11 अक्टूबर के दिन हुआ।

उस समय इनके पिता जी हरसू दयाल श्रीवास्तव स्टेट गवर्नमेंट में कैनल डिपार्टमेंट में जॉब करते थे।

जयप्रकाश नारायण की शिक्षा

अपनी प्रारंभिक शिक्षा जयप्रकाश नारायण ने बिहार राज्य के पटना शहर से हासिल की। जयप्रकाश नारायण जी को शुरुआत से ही किताबें पढ़ने का और मैगजीन पढ़ने का बहुत ही ज्यादा शौक था, क्योंकि उन्हें किताबें पढ़ना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता था।

अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान जयप्रकाश नारायण ने अलग-अलग प्रकार के लेखकों के द्वारा लिखी हुई कई बड़ी-बड़ी किताबों का अध्यन्न किया।

इसके अलावा उन्होंने हिंदू धर्म के महान ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता की भी स्टडी की। लगातार किताबें पढ़ने के कारण जयप्रकाश नारायण की सोचने और समझने की क्षमता में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई, जिसके कारण इनके पास ज्ञान का भंडार हो चुका था।

अपनी स्कूल की पढ़ाई करने के दौरान ही जयप्रकाश नारायण ने अंग्रेजो के द्वारा जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया गया, जिसमें निर्दोष भारतीय लोगों पर अंग्रेज गवर्नमेंट के सैनिकों के द्वारा गोलीबारी की गई जिसमें कई क्रांतिकारी लोगों की मौत हुई।

इस घटना के कारण जयप्रकाश नारायण काफी ज्यादा क्रोधित हुए और उन्होंने इस घटना कांड के विरोध में अंग्रेज गवर्नमेंट के द्वारा संचालित स्कूल का बहिष्कार करके बिहार के विद्यापीठ से अपनी उच्च शिक्षा को पूरा किया।

बिहार के विद्यापीठ से अपनी हायर एजुकेशन को पूरा करने के बाद जयप्रकाश नारायण ने अमेरिका का रुख किया और अमेरिका पहुंचने के बाद उन्होंने अमेरिका की बर्कली यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्राप्त किया और बर्कली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करके उन्होंने मास्टर ऑफ आर्ट की डिग्री को समाजशास्त्र के सब्जेक्ट के साथ कंप्लीट किया।

जयप्रकाश नारायण के पास अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए पैसे नहीं थे, इसीलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए और अपनी पढ़ाई की फीस भरने के लिए अमेरिका की कंपनी और होटलों में भी काम किया और अपनी पढ़ाई पूरी की।

जब जयप्रकाश नारायण अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्हें एक बार महान दार्शनिक Carl Marks की रचना “दास कैपिटल” को पढ़ने का मौका मिला, जिसके बाद वह मार्क वादी विचारधारा से बहुत ही प्रभावित हुए।

जयप्रकाश नारायण जी की शादी, बच्चे

साल 1920 में जब जयप्रकाश नारायण पटना में काम कर रहे थे, तो उसी साल में ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती के साथ उनकी शादी तय हो गई और साल 1920 में ही बृज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती के साथ जयप्रकाश नारायण ने सात फेरे लिए।

जयप्रकाश नारायण की पत्नी का महात्मा गांधी जी के साथ काफी अच्छा संबंध था, इसलिए जयप्रकाश नारायण जी की पत्नी ने एक सेविका के तौर पर महात्मा गांधी के आश्रम में काम करना स्टार्ट कर दिया।

जयप्रकाश नारायण जी की भारत के स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सेदारी

अमेरिका की बर्कली यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद जयप्रकाश नारायण वापस इंडिया लौट आए। जब जयप्रकाश नारायण इंडिया आए, तो उस समय देश में स्वतंत्रता की लड़ाई काफी जोर-शोर से चल रही थी और स्वतंत्रता के आंदोलन में कई क्रांतिकारी शहीद भी हो चुके थे।

ऐसी अवस्था में जयप्रकाश नारायण ने भी अंग्रेजों का विरोध करने के लिए भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया और गांधी जी के द्वारा जब साल 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया गया, तब जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन में पूरे जोश के साथ भाग लिया।

इस आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण साल 1932 में सितंबर के महीने में अंग्रेजी गवर्नमेंट के आदेश पर ब्रिटिश पुलिस के द्वारा जयप्रकाश नारायण को अरेस्ट कर लिया गया और अरेस्ट करने के बाद जयप्रकाश नारायण को अंग्रेज गवर्नमेंट ने महाराष्ट्र के नासिक जेल में कैद कर दिया गया।

नासिक जेल में जाने के बाद राम मनोहर लोहिया, मीनू मस्तानी, सीके नारायण स्वामी और अशोक मेहता जैसे बड़े पॉलिटिकल नेताओं से जयप्रकाश नारायण की मुलाकात हुई। इन नेताओं के विचारों का जयप्रकाश नारायण पर बहुत ही बढ़िया प्रभाव पड़ा और इन्हीं नेताओं के विचारों से प्रभावित होकर जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनाई और इस पार्टी के महासचिव के पद पर जयप्रकाश नारायण पोस्टेड हुए।

इसके बाद जब गांधी जी द्वारा साल 1942 में अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया, तो जयप्रकाश नारायण ने देश के लोगों को इस आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए मोटिवेशन दिया और इस प्रकार एक बार फिर से आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण अंग्रेज गवर्नमेंट के आदेश पर ब्रिटिश अधिकारियों के द्वारा जयप्रकाश नारायण को अरेस्ट कर लिया गया।

और इन्हें गिरफ्तार करने के बाद इन्हे झारखंड के हजारीबाग जेल में ले जाकर कैद कर दिया गया। यहां पर जयप्रकाश नारायण की मुलाकात गुलाब चंद गुप्ता, योगेंद्र शुक्ला, शालिग्राम सिंह, सूरज नारायण सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ हुई और जयप्रकाश नारायण ने इन सभी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर एक योजना तैयार की और उसी योजना पर काम करते हुए जेल के पहरे को चकमा देते हुए जेल से फरार हो गए।

जयप्रकाश नारायण द्वारा बिहार आंदोलन की शुरुआत

साल 1974 में जब देश की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, तो ऐसे समय में जयप्रकाश नारायण को यह महसूस हुआ कि भारत देश को एक नई क्रांति की जरूरत है,जिसके बाद जयप्रकाश नारायण ने इसी साल में नवनिर्माण आंदोलन की बागडोर गुजरात राज्य में संभाली।

इसके बाद उन्होंने साल 1974 में 8 अप्रैल को बिहार राज्य के पटना में एक मौन रैली का आयोजन किया, जिसमें गवर्नमेंट के द्वारा लाठीचार्ज करवाया गया। इसके बाद जयप्रकाश नारायण ने बिहार के पटना में स्थित गांधी मैदान में भी एक काफी बड़ी सभा अरेंजमेंट की, जिसमें उन्होंने भुखमरी़, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसे मुद्दे को काफी जोर-शोर से उठाया।

इसके बाद साल 1974 में ही जयप्रकाश नारायण ने छात्र वर्ग के साथ मिलकर एक छात्र आंदोलन की स्टार्टिंग की, जिसके बाद यह आंदोलन लगातार गति पकड़ता गया और इसमें लाखों विद्यार्थी शामिल होते गए और आगे चलकर सामान्य जनता भी इस आंदोलन में शामिल हो गई और भविष्य में इसी आंदोलन को बिहार आंदोलन कहा गया।

देश में आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण की भूमिका

जब इंदिरा गांधी के द्वारा साल 1975 में 25 जून के दिन भारत देश में आपातकाल की घोषणा की गई, तो आपातकाल की घोषणा करने के बाद से ही पुलिस के द्वारा जयप्रकाश नारायण समेत विपक्ष के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया।

इसके बाद साल 1977 में इलेक्शन में जयप्रकाश नारायण के द्वारा जनता पार्टी का गठन किया गया और जनता पार्टी ने काफी मजबूती के साथ इंदिरा गांधी के खिलाफ इलेक्शन लड़ा, जिसमें जनता पार्टी विजेता घोषित हुई।

इस प्रकार जयप्रकाश नारायण की कोशिशों के कारण भारत में पहली बार ऐसी सरकार बनी, जो गैर कांग्रेसी थी।

जयप्रकाश नारायण को मिले सम्मान/उपलब्धियां

जयप्रकाश नारायण जी को साल 1965 में रमन मैग्सेसे अवार्ड मिला था।

इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा भारत के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से भी साल 1999 में जयप्रकाश नारायण को सम्मानित किया गया था।

जयप्रकाश नारायण जी को राष्ट्रभूषण अवार्ड, FIE फाउंडेशन की तरफ से दिया गया था।

जयप्रकाश नारायण जी का निधन

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी के आदेश पर जयप्रकाश नारायण को जेल में डाल दिया गया था, जिसके कारण उनकी हेल्थ काफी ज्यादा खराब रहने लगी थी और इसी के कारण उन्हें जेल से आजादी दे दी गई थी।

इसके बाद यह खबर सामने आई थी कि जयप्रकाश नारायण जी को किडनी खराबी की समस्या हो गई थी, जिसके बाद कई दिनों तक उनका डायलिसिस चला और साल 1979 में बिहार राज्य के पटना शहर में जयप्रकाश नारायण जी ने 8 अक्टूबर को आखिरी सांसे ली।

Exit mobile version