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चाणक्य नीति Chapter 14 In Hindi

Chanakya Niti in Hindi  Chapter 14, Chanakya Success Tips 

चाणक्य नीति एक नागरिक के लिए आदर्श Guide है। इसमें उन्होंने सामान्य व्यक्ति के अपने हित के लिए क्या लाभदायक है तथा क्या हानिकारक व अनैतिक है, इन सबका वर्णन सूत्रों के रूप में किया है और जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, उनके वो सूत्र अथवा नीतिया और अधिक सामाजिक व सार्थक होते जा रहे हैं।

Chanakya Niti : Fourteen Chapter

जो सच्चो अर्थो में रत्न अथार्त मूल्यवान पदार्थ हैं, वे हैं जल, अन्न और मधुर तथा हितकारी वचन। आचार्य कहते हैं कि समझदार व्यक्ति इन तीनो की परख रखता हैं, केवल मुर्ख लोग ही पत्थर को रत्न कहते हैं। मानव को इन तीनो चीजों को ही सबसे अधिक मूल्यवान समझना चाहिए, क्योकि इनसे ही जीवन-नैया चलती हैं।

मनुष्य जैसे कर्म करता हैं, उसको वैसा ही फल प्राप्त होता हैं। मनुष्य द्वारा किये गए पाप-कर्मो के ही फल हैं-दरिद्रता, दुःख, रोग, बन्धन (जेल, हथकड़ी) तथा आपत्ति (स्त्री-पुत्रादि की मृत्यु, धन का नाश, मुकदमा अथवा सार्वजनिक रूप में अपमान आदि)।
Poverty, disease, sorrow, imprisonment and other evils are the fruits borne by the tree of one’s own sins.

मनुष्य को उसका खोया हुआ धन, छूटे हुए मित्र, नयी स्त्री और धरती तो पुन: प्राप्त हो जाते हैं, परन्तु यदि मानव शरीर एक बार नष्ट हो जाए तो वह पुन: प्राप्त नहीं होता। अत: मानव को चाहिए कि वह अपने शरीर की उपेक्षा न करें।
Wealth, a friend, a wife, and a kingdom may be regained; but this body when lost may never be acquired again.

संगठित होने पर क्षुद्र प्राणियों का एक छोटा समूह भी बड़े-बड़े शत्रुओ को पराजीत कर देता हैं। इसके विपरीत बलशाली होने पर भी अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
The enemy can be overcome by the union of large numbers, just as grass through its collectiveness wards off erosion caused by heavy rainfall.

जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेश, रूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं।
Oil on water, a secret communicated to a baseman, a gift given to a worthy receiver, and scriptural instruction given to an intelligent man spread out by virtue of their nature.

मन्दिर आदि धर्मस्थल में धर्म-विषयक कथा को सुनने पर, श्मशान में शवदाह को देखकर और रोगियों की छटपटाहट को देख कर मानव-हृदय में परिवर्तन होता हैं अथार्त वह उस समय संसार को और सांसारिक माया-मोह और निरर्थक मानने लगता हैं, परन्तु वहां से हटने पर उसकी निर्मल बुद्धि फिर से उसी माया-मोह के जाल में ग्रस्त हो जाती हैं।
If men should always retain the state of mind they experience when hearing religious instruction, when present at a crematorium ground, and when in sickness then that could not attain liberation.

किसी निन्दनीय कुकर्म के करने के उपरान्त पछताने वाले मनुष्य की जैसी निर्मल बुद्धि होती हैं, यदि वह निर्मल बुद्धि कुकर्म करने से पहले रहती तो मनुष्य का कल्याण कैसे न हो जाता? फिर उसको पश्चाताप करने की आवश्कता न पड़ती।
If a man should feel before, as he feels after, repentance — then who would not attain perfection?

मानव को दान का, तप का, शूरता का, विद्धता का, सुशीलता का और नीतिपुणता का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योकि इस धरती पर एक से बढ़कर एक दानी, तपस्वी, शूरवीर और विद्वान आदि हैं।
We should not feel pride in our charity, austerity, valour, scriptural knowledge, modesty, and morality for the world is full of the rarest gems.

जिसका जिसके प्रति सच्चा प्रेम हैं, वह दूर रहकर भी समीप हैं, इसके विपरीत जिसका जिसके प्रति किसी प्रकार का मानसिक लगाव नहीं हैं, वह पास-पड़ोस में रहते हुए भी दूर हैं। मन का लगाव न होने पर किसी से किसी प्रकार का सम्बन्ध जुड़ ही नहीं पाता।
He who lives in our mind is near though he may actually be far away; but he who is not in our heart is far though he may really be nearby.

जब किसी को किसी अन्य व्यक्ति का अमंगल करना हो तो उस व्यक्ति को सर्वदा मधुर और प्रिय व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के लिए मृग को मारने को मारने की इच्छा रखने वाल शिकारी उसे मोहित करने के लिए मधुर स्वर में बीन बजता हैं अथार्त मानव की वाणी में रस होना चाहिए, तभी वह अपनी इच्छा को पूर्ण कर सकता हैं और लाभ उठा सकता हैं।
We should always speak what would please the man of whom we expect favour, like the hunter who sings sweetly when he desires to shoot a deer.

राजा, अग्नि, गुरु और स्त्रियों की अत्यधिक समीपता अथार्त इनके बहुत अधिक नजदीक रहना विनाश का कारण बन सकता हैं और इनसे दूर रहने में भी कोई लाभ नहीं होता। अत: विनाश से बचने के लिए और लाभ उठाने के लिए मानव को बीच का रास्ता अपनाना चाहिए अथार्त न तो इनके अधिक नजदीक रहना चाहिए और न ही बहुत दूर- यही मध्यममार्ग हैं और यही वांछनीय भी हैं।
It is ruinous to be familiar with the king, fire, the religious preceptor, and a woman. To be altogether indifferent to them is to be deprived of the opportunity to benefit ourselves; hence our association with them must be from a safe distance.

इन छ: चीजों से सावधानी बरतनी चाहिए ये हैं आग, जल, स्त्री, मुर्ख पुरुष, सर्प और राजकुल से व्यवहार। क्योकि जहा ये अनुकूल होने पर अभीष्ट फल देती हैं, वहीँ थोड़ी सी असावधानी होने पर तक्षण प्राण भी हर लेती हैं।
We should always deal cautiously with fire, water, women, foolish people, serpents, and members of a royal family; for they may, when the occasion presents itself, at once bring about our death.

जिसके पास गुण हैं अथार्त जिसने दया, परोपकार और लोक-सेवा में अपना जीवन बिताया हैं तथा जिसने वर्णाश्रम के कर्तव्य-कर्मो का पालन किया हैं, उसी का जीवन सफल हैं इसके विपरीत गुणहीन और धर्मरहित व्यक्ति का जीवन तो सर्वथा निरर्थक और निष्फल हैं।
He should be considered to be living that is virtuous and pious, but the life of a man who is destitute of religion and virtues is void of any blessing.

यदि व्यक्ति संसार के सभी प्राणियों के वशीकरण का मंत्र सचमुच में ही जानना चाहता हैं तो एक बड़ा ही सरल और सर्वथा अव्यर्थ जाने वाला उपाय यह हैं कि व्यक्ति को अपनी वाणी को परनिंदा से बचाना चाहिए। दूसरों को अपने वश में करने के इच्छुक व्यक्ति को कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।

वही व्यक्ति बुद्धिमान हैं जो अवसर के अनुकूल बात करें, अपनी सामर्थ्य के अनुरूप साहस करें और अपनी शक्ति के अनुरूप क्रोध करें। इसके विपरीत अवसर को बिना पहचाने उल-जुलूल बातें करने वाला, अपनी शक्ति से बढ़कर दुस्साहस करने वाला निश्चित रूप से ही संकट में पड़ जाता हैं और दुखी होता हैं।
He is a pandit (man of knowledge) who speaks what is suitable to the occasion, who renders loving service according to his ability, and who knows the limits of his anger.

एक ही पदार्थ को देखने वाले प्राणी उसे विभिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं स्त्री का शरीर योगियों के लिए शवरूप हैं तो कामियो के लिए सौदर्य का भंडार और कुत्तो के लिए मांसपिंड।
One single object (a woman) appears in three different ways: to the man who practices austerity, it appears as a corpse, to the sensual it appears as a woman, and to the dogs as a lump of flesh.

अनेक बातें गुप्त रखने की होती हैं बुद्दिमान व्यक्ति को निमंलिखित छ: बातें कभी किसी से नहीं कहनी चाहिए इन्हें अपने तक ही सीमित रखना चाहिए और दूसरों से यथासम्भव छिपाने की चेष्टा करनी चाहिए –
1) सिद्ध (कभी व्यर्थ न जाने वाली) औषधि का ज्ञान
2) धर्माचरण
3) अपने घर के दोष
4) मैथुन
5) कुभोजन
6) निन्दित वचन।
A wise man should not divulge the formula of a medicine which he has well prepared; an act of charity which he has performed; domestic conflicts; private affairs with his wife; poorly prepared food he may have been offered; or slang he may have heard.

व्यक्ति को उचित समय पर ही बोलना चाहिए। वसन्त में फैलने वाली आम्र्मंज़री के स्वाद से प्राणिमात्र को आनन्दित करने वाली कोयल की वाणी जब तक सुमधुर और कर्णप्रिय नहीं हो जाती, तब तक कोयल मौन रहकर ही अपने दिन बिताती हैं।
मनुष्य बोले तो मधुर वाणी बोले अन्यथा मौन ही रहे।
The cuckoos remain silent for a long time (for several seasons) until they are able to sing sweetly (in the spring) so as to give joy to all.

वैसे तो मनुष्य को प्रत्येक कार्य में ही सावधानी बरतनी चाहिए परन्तु विशेष रूप से इन पांच तत्वों (यज्ञ-क्रिया, तंत्र-अनुष्ठान), धन (उपयोग), धान्य (अन्न, चावल आदि), गुरु का आदेश और औषध का प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए इनके गलत प्रयोग से प्राण-हानि तक हो सकती हैं, अत: इस विषय में विशेष सावधानी अपेक्षित होती हैं।
We should secure and keep the following: the blessings of meritorious deeds, wealth, grain, the words of the spiritual master, and rare medicines. Otherwise, life becomes impossible.

दुर्जन व्यक्ति के संग का परिणाम बुरा ही होता हैं इससे आदमी पाप-कर्म की ओर प्रवृत होता हैं आत्मकल्याण के इच्छुक व्यक्ति को दुर्जनों की संगति छोड़ देनी चाहिए और साधु पुरुषों का संग करना चाहिए।
Eschew wicked company and associate with saintly persons. Acquire virtue day and night, and always meditate on that which is eternal forgetting that which is temporary.

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Friends, चाणक्य नीति के उसी क्रम में “Chanakya quotes in Hindi and English: fourteen chapter” share कर रहा हूं। आशा है आपको बहुत सी बातें सीखने को मिलेगी।

Note: Friends, सावधानी बरतने के बावजूद यदि ऊपर दिए गए किसी भी Quote (Hindi or English) में आपको कोई त्रुटि मिले तो कृपया क्षमा करें और comments के माध्यम से अवगत कराएं।

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