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Hindi kahani – यह तो मुझे भी आता हैं

Inspirational Hindi Kahani यह तो मुझे भी आता हैं- प्रेरणादायक हिन्दी कहानी (Hindi Story)

अर्धज्ञानी हमेशा अज्ञानी से अधिक खतरनाक तथा नुकसान करने वाला होता हैं। किसी के बारें में पूर्ण ज्ञान का न होना परेशानी वाली बात नहीं हैं, किन्तु इस बात छिपाने का प्रयास करना घातक हैं।
मित्रो यह कहावत तो सुनी ही होगी “नीम हकीम, खतरे जान” अथार्थ जिसे आधा ज्ञान हो उससे खतरा अधिक होता है

(A little knowledge is a dangerous thing)

किसी चीज के बारें में जानकारी नहीं हैं, इस बात को बताते हुए ज्ञान अर्जित करना अच्छी बात हैं, किन्तु ज्ञान न होते हुए भी यह ढोंग करना कि सब कुछ आता हैं, गलत बात हैं इससे किसी को कभी भी लाभ नहीं मिलता हैं।

पड़ोस की महिलायें पापड बनने लगी थी, कमला को पापड बनाना नहीं आता था किन्तु वह इस बात को बताना नहीं चाहती थी। उसे लग रहा था कि यदि मोहल्ले में उसने किसी महिला से यह कहा कि वह पापड़ बनाना नहीं जानती तो सब उसका मजाक बनायेंगे। इन सबके बावजूद वह पापड़ बनाना चाहती थी मगर कैसे? इसका उसने हल निकाल लिया।

वह पड़ोस की सरला के पास गई और बोली बहन, बात यह हैं कि मुझे पापड़ बनायें काफी समय हो गया हैं, इसलिए मैंने सोचा कि तुमसे जानकारी ले लू कि जैसे मैं पापड़ बनाती हूँ वैसे ही तुम भी बनाती हो। इसलिए तुम मुझे बताओ कि पापड़ कैसे बनायें जाते हैं।

सरला ने कहा कि पहले पापड़ बनाने की सामग्री लो, स्वाद के अनुसार मसाले डाल लो तभी कमला बोल पड़ी, “यह तो मुझे भी आता हैं“, आगे बताओ। सरला ने फिर बताया पापड़ के आटे में मसाला मिलाकर गूँथ ले तभी कमला बोल पड़ी, “यह तो मुझे भी आता हैं” आगे बताओ। कमला कि इस बाते से सरला चिड गई फिर भी बोली लोइयो को पहले बेलन से बेल-बेल कर पतला पापड बना लो कमला ने फिर अपनी वही बात दोहराईं।

सरला ने उसे सबक सिखाने की ठान ली बोली जब पापड बेल लो तो सबको इकठ्ठा करके एक हांड़ी या भिगोने में डाल कर आधा पानी से भर लो और आंच पर चढ़ा दो, एक उबाल आने पर उतार लो। फिर उसमें से एक एक पापड निकल कर सुखा दो थोडा सुख जाएँ तो समेट लो। कमला बोली, “ये तो मुझे भी आता हैं” दरअसल हम इसी तरह से पापड़ बनाते हैं फिर भी मैंने सोचा कि एक बार तुमसे भी पूछ लूं, अब लगता हैं कि बेकार ही तकलीफ दी।

वह अपने घर आ गई मन ही मन वह बड़ी खुश थी कि न जानते हुए भी कैसे चालाकी से पापड़ बनाने की विधि पूछ कर आ गई। उसने पापड बनाने का आटा गूँथ कर पापड़ बेल लिए भगोने में सारे पापड़ डाल कर आधा पानी से भर कर आंच पर चढ़ा दिया। जब पानी खौलने लगा तो उसने ढक्कन हटा कर देखा अन्दर पापड़ तो नहीं थे किन्तु उसका अज्ञान अवश्य उबल रहा था।

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दोस्तों, आशा हैं आपको ये कहानी काफी पसंद आई होगी।

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