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लोक व्यवहार हिंदी कहानियाँ 8 Mins Read

क्या मरने के बाद कुछ साथ जाता है?

Jyoti YadavBy Jyoti YadavNo Comments8 Mins Read
Best Hindi Kahani on Moral Values
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क्या मरने के बाद कुछ साथ जाता है? नैतिक मूल्यों (Moral Values) को समझाती Hindi Kahani, After Death Story in Hindi

अगर किसी से भी पूछा जाए कि तुम मरने के बाद कुछ अपने साथ ले जाओगे, तो हर किसी का जवाब होगा “नहीं” और हकीकत भी यही है क्योंकि इंसान के पास रहने के लिए महल ही क्यों न हो, पर मर्त्यु के पश्चात वह अपने साथ सुई तक नहीं ले जा सकता।

क्योंकि वह खुद अपने उस शरीर को छोड़ जाता है जो उम्र भर उसका साथ निभाता है और उसके मनचाहे कार्यों को करता है।
इंसान मरने के बाद चाहे किसी को भी अपने साथ ले जाने की सोचता हो, परंतु वह उसे नहीं ले जा सकता, इंसान के संसार को अलविदा कहते ही वह एक आत्मा बन जाता है, अतः वह न तो किसी को नजर आता और न ही कुछ कर पाता है।

जब हर कोई यह जानता है कि मरने के बाद उसे अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाना है। तो फिर वह अपने जीवन में लोभ- लालच से या परिश्रम करके किसके लिए इतनी धन-दौलत इकट्ठा करता है?

और क्यों इंसान अपनी धन दौलत पर इतना घमंड करता है, उसे यह सब करने से क्या मिलता है,

उत्तर- कुछ भी नहीं।

पर संभव है एक इंसान यह प्रदर्शित करने के लिए कि वह जीवन में दूसरों से कितना अधिक धन कमा सकता है? और उसके पास कितनी दौलत है? इत्यादि कारणों से मनुष्य धन दौलत इकट्ठा करता होगा।

जीते जी यह अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता, कि हम कब मरेंगे, यदि यह अनुमान लगाया जाता तो शायद हम उतना ही धन कमाते जितनी हमें जरूरत पड़ती है ।

उससे ज्यादा फिर कोई कमाता ही नहीं, अतः सिर्फ एक अनुमान न लगा पाने के कारण हम सारी उम्र भर इतनी धन-दौलत इकट्ठा कर लेते हैं जो कि मरने के बाद वैसी की वैसी रह जाती है।

अधिकतर लोग आज भी यही सोच कर उठते है कि उन्हें आज भी खाना -खाने के लिए कुछ कमाना है जिससे वह अपना पेट भर सके, क्योंकि हर किसी की उम्मीद यही होती है कि उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना ही होगा!

चाहे भले ही वे अपनी मंजिल के सफर में ही दम तोड़ दे परंतु मंजिल की तरफ निकलना ही है, यह सफर उनका आखिरी सफर क्यों ना हो।

लेकिन किसी को भी अपनी मौत का भय नहीं होता मौत का भय सिर्फ तब होता है जब किसी दूसरे की मौत हमारे सामने हो जाए उस समय कुछ क्षणों के लिए हर कोई गंभीर सोच में पड़ जाता है, और सोचने लगता है कि वह बेचारा अपने लिए कमा रहा था, उसने इतने पैसे कमा रखे थे, परंतु वह अब मर गया उसके कमाए हुए पैसों का क्या होगा।

इंसान ऐसा सोचता है परंतु वह अपने जीवन के बारे में कभी भी नहीं सोचता, वह हर वक्त पैसा कमाना चाहता है, एक से बढ़कर एक सामान जोड़ना चाहता है। उसे अपनी मृत्यु का ख्याल कभी आता ही नहीं और वह खुद को अमर समझता है, मस्त होकर हर वक्त पैसे कमाना जानता है।

पर देखा जाये तो जीवन में यह सब चीजों का होना भी अनिवार्य है? क्योंकि बिना इसके जीवन भी अधूरा रह जाता है जो कर्म करता है वही एक सच्चा जीवन जी पाता है उसे ही जीवन में ज्ञान और अनुभव प्राप्त होते है।

लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि तुम अपने जीवन में दूसरे लोगों पर अत्याचार करके बहुत सारी धन दौलत कमाओ और अंत में अपनी सांसे छोड़ने के बाद उसे यही छोड़ जाओ, यह भी बहुत गलत बात है।

क्योंकि यह तो निश्चित ही है कि मृत्यु के बाद मरने वाले की सारी धन दौलत यही रह जाती है ।

कहा जाता है कि मानव जीवन में जो भी व्यक्ति अच्छे कर्म करता है वह सात जन्मों में कुछ ना कुछ अच्छा ही बनता है। अर्थात उसे मनुष्य योनि में सर्वश्रेष्ठ जीवन मिलता है।

पर अफसोस, फिर भी लोग मानव जीवन को जानवरों की तरह जी जाते हैं लोगों के मन में कुछ अच्छे कार्यों को करने की बात आती ही नहीं, बस सदैव अपने स्वार्थ के लिए सोचने वाला मनुष्य शायद अगले जन्म के बारे में सोचता तक नहीं?

हम आज आपको एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण देंगे जो अपने जीवन में बहुत सारे निर्दोष लोगों के पैसों को अपना बनाकर अपने लिए धन दौलत तो जोड़ लेता है।

परंतु मरते मरते उस धन दौलत को यहीं छोड़ जाता है और उसके मरने के बाद उसके बच्चे उस धन दौलत के चक्कर में चैन से अपना जीवन भी नहीं जी पाते, और नहीं अपने जीवन का महत्व समझ पाते।

यह कहानी भारतीय राजनीति के एक भ्रष्ट नेता की है, एक गांव में एक नेता रहता था जिसका जिले के बड़े बड़े अधिकारियों के साथ उठना बैठना लगा रहता।

परिणामस्वरूप उस गांव में आने वाली प्रत्येक योजना उस नेता को ही सौंप दी जाती थी ।

उस गांव के विकास हेतु सरकार द्वारा हर वर्ष विभिन्न योजनाएं जारी की जाती थी, और उन योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी उसी नेता को सौंपी जाती।

और राजनीति में शामिल अनेक बेईमान नेताओं की तरह ही यह नेता भी बेहद स्वार्थी था। जो हर बार की योजना का अधूरा ही काम करवाता, और शेष पैसा खुद अपने लिए बचा लिया करता।

नेता एक योजना में से लगभग 1 से 2 करोड़ अपने लिए रख लिया करता।

गांव में प्रतिवर्ष प्रति योजना से नेता ने यूं ही पैसे बचाना शुरू किया और कुछ ही सालों में उसने खुद के रहने के लिए अपने क्षेत्र का सबसे बड़ा घर बनवा दिया।

हालांकि लोगों को भी भली-भांति नेता के पैसे की हकीकत पता थी, पर साहस की कमी के चलते कोई भी नेता के खिलाफ कार्रवाई करने से बचता।

अभी उस नेता के बच्चे छोटे ही थे जो स्कूल पढ़ते थे परंतु नेता को इस बात का जरा भी ख्याल नहीं था कि वह 1 दिन मर जाएगा। और उसकी सारी धन-दौलत यहीं रह जाएगी।

न ही उसे इस बात का ख्याल था कि वह सारे गांव वालों की नजरों में एक बुरा इंसान बन चुका है।

समय बीता, अब उस नेता के बच्चे भी बड़े हो चुके थे, वह खुद भी बुड्ढा हो चुका था।

पर अब गांव में उसकी इज्जत कोई भी नहीं करता क्योंकि हर कोई जानता था वह नेता स्वार्थी है उसने लाखों लोगों का रोजगार छीन रखा है।

अब उस नेता के पास सिर्फ धन दौलत थी, गांव में उसकी इज्जत कोई करना भी नहीं चाहता था क्योंकि उस नेता के कर्म ही कुछ ऐसे थे जिससे चाहते हुए भी गांव वाले उससे सीधे मुंह बात करना पसंद करते।

धीरे-धीरे वक्त गुजर रहा था कि उस नेता के बेटे अपने पिता की जमीन जायदाद के हिस्से को आपस में बांटने के लिए कहते हैं और इसी वजह से वे अक्सर एक दूसरे से लड़ते, जिससे उनके पिता के लिए भी चैन की सांस लेना दूभर हो गया।

पिता की दौलत पर घमंड के चलते नेता के बेटे कोई काम-धंधा, नौकरी न करते थे। क्योंकि वह भली भांति इस बात से वाकिफ थे उनके पिताजी ने जो इतनी सारी धन दौलत उम्र भर में जोड़ी है वह हमारे काम आएगी?

जब नेता अपने दोनों बेटों को आपस में झगड़ते हुए देखता है और सोचने लगता है कि शायद आज मैंने उन गरीब लोगों के पैसे खा कर यह जमीन जायदाद नहीं जोड़ी होती तो, आज मेरे बच्चे ऐसे आपस में नहीं लड़ते, न ही बैठे-बैठे खाते, वे आज कुछ परिश्रम करके पैसे कमाते और सुखमय जीवन बिताते।

आज उस नेता को अपनी गलती पर बहुत दुख होता है। वह हर वक्त यह सोचकर ज्यादा परेशान हो जाता है कि अगर वह मर जाएगा तो फिर उसके बच्चे आगे क्या करेंगे और वह अपनी गलती को सुधारे तो सुधारे कैसे क्योंकि उसके पास अब कोई भी मौका ही नहीं रहा।

यह सब सोचते सोचते ही एक दिन नेता मर जाता है, उसके बच्चे उसके मरने के बाद आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं सिर्फ उस जमीन जायदाद के लिए जिसे उनके पिता ने गरीबों का पैसा खाकर इकट्ठा किया था।

पिता की संपत्ति का बंटवारा करने के बाद, नेता के पुत्र उसका सही उपयोग नहीं कर पाते और उसे गंवा बैठते हैं। कुछ सालों बाद उन्हें दरिद्रता की स्तिथि में अपना जीवन गुजारना पड़ता है, अतः इस प्रकार वे अपनी अच्छी खासी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं।

सीख-

यह कहानी हमें संदेश देती है कि अगर वह व्यक्ति अपने जीवन में गरीब लोगों के पैसे खा कर इतनी धन-दौलत इकट्ठा नहीं करता तो उसके बच्चे अपना जीवन चैन से जी पाते।

कहानी बताती है की हमें सिर्फ उतना ही कमाना चाहिए जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो सके, जीवन में सिर्फ ज्यादा धन कमाने से परेशानियां खत्म नहीं होती बल्कि कई बार यह बढ़ जाती हैं।

अतः धन हो या कोई भी चीज इंसान को हद से ज्यादा होने पर, उसका उपयोग दूसरों की खुशियों में करना चाहिए। क्योंकि जरूरतमंद लोग चीजें पाकर दुआ देते हैं और यह दुआ हर वक्त मुश्किल घड़ी में काम आती है।

हमें कभी भी अपनी दौलत पर घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारे मरने के बाद वह सारी दौलत किसी और की हो जाती है।अतः मरने के बाद अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकते।

हर वक्त यही सोच के साथ हमें अपना जीवन यापन करना चाहिए और अपने अच्छे कर्मों से इस समाज दुनिया को बेहतर करने का प्रयत्न करना चाहिए।

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