• Business Ideas
  • Success Stories
  • व्यक्तित्व विकास
  • सफलता के रहस्य
  • Book Summary
  • Health Tips
Facebook Twitter Instagram LinkedIn Reddit RSS
Most Liked Posts
  • तेरे मेरे इर्द गिर्द : पुस्तक समीक्षा
  • Share Market में नुकसान होने के बावजूद भी लोग पैसा क्यों लगाते हैं?
  • Share market से पैसे कैसे कमाए? Profit बुक करें, मुश्किल नहीं हैं
  • Probo Earning App से पैसे कैसे कमाएं
  • Gyan Kamao का इस्तेमाल करके Gyankamao से पैसे कैसे कमाएं?
  • Freelancing से पैसे कमाने के आसान तरीकें
  • Facebook Ads (FB Advertisements) से कैसे करें कमाई?
  • मोटरसाइकिल (Bike) से पैसे कैसे कमाएं जा सकते हैं ?
Facebook Twitter Instagram Pinterest LinkedIn Reddit RSS
AchhiBaatein.Com
  • Business Ideas
  • Success Stories
  • व्यक्तित्व विकास
  • सफलता के रहस्य
  • Book Summary
  • Health Tips
AchhiBaatein.Com
जीवनी 9 Mins Read

महान क्रांतिकारी बिपिनचंद्र पाल की जीवनी

Mahesh YadavBy Mahesh YadavUpdated:Oct 3, 2021No Comments9 Mins Read
Indian nationalist, writer, orator, social reformer and Indian independence movement freedom fighter
साझा करें
Twitter LinkedIn Pinterest Tumblr Reddit WhatsApp

बिपिन चंद्र पाल हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। बिपिन चंद्र पाल का नाम “लाल बाल पाल” में तीसरे नंबर पर आता है। बिपिन चंद्र पाल ना सिर्फ एक राष्ट्रवादी नेता थे बल्कि एक बहुत ही अच्छे लेखक और वक्ता भी थे इतना ही नहीं बिपिन चंद्र पाल एक बहुत बड़े समाज सुधारक थे इन्होंने समाज के हित के लिए कई सारे कार्य किए हैं।

स्वदेशी आंदोलन के समय पाल ने ही श्री अरविंदो के साथ मिलकर आंदोलन का नेतृत्व किया था और एक महान व्यक्तित्व के रूप में ऊभर कर सामने आए थे। बंगाल में पुनर्जागरण लाने में इनका बहुत बड़ा हाथ था। चलिए “लाल बाल पाल” के पाल यानी बिपिन चंद्र पाल के जीवनी पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

पूरा नामबिपिन चन्द्र पाल
जन्म7 नवंबर, 1858, हबीबगंज ज़िला, (वर्तमान बांग्लादेश)
विवाहदो बार, पहली पत्नी की मौत होने के बाद विधवा के साथ पुनर्विवाह
मृत्यु20 मई 1932
पितारामचंद्र
मातानारायनी-देवी
शिक्षामैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद समाज सुधार के तरफ आगे बढे

बिपिन चंद्र पाल का व्यक्तिगत परिचय

साल 1858 में 7 नवंबर को जन्मे बिपिन चंद्र पाल भारत के महान क्रांतिकारियों की सूची में स्थान रखते हैं। यह कास्ट सिस्टम के बहुत ही ज्यादा विरोधी थे। इन्होंने अपनी जिंदगी में किसी के साथ भी जातिगत भेदभाव नहीं किया था।

बिपिन चंद्र पाल के प्रमुख दोस्त के तौर पर लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक जाने जाते थे और इन तीनों की तिकड़ी को लाल बाल और पाल कहा जाता था। बिपिन चंद्र पाल ने हीं स्वराज्य पत्रिका की स्थापना की थी और वह इसके संपादन का काम भी करते थे।

बिपिन चंद्र पाल का प्रारंभिक जीवन

बिपिन चंद्र पाल का जन्म साल 1858 में अविभाजित इंडिया के हबीबगंज जिले के सिलहट नाम की जगह पर पोइल गांव में 7 नवंबर को हुआ था। वर्तमान में यह स्थान बांग्लादेश में शामिल हो गया है।

बिपिन चंद्र पाल के पिताजी का नाम रामचंद्र पाल था, जो कि फारसी लैंग्वेज के बहुत ही अच्छे जानकार और विद्वान थे। इनके पिता जी ढाका में क्लर्क के तौर पर एक उप न्यायाधीश के ऑफिस में काम करते थे और आगे चलकर इसी ऑफिस में उन्होंने बैंच क्लर्क का भी वर्क किया था।

साल 1866 के आसपास जब इस पद को पूर्ण रूप से हटा दिया गया तो पद के हट जाने के कारण बिपिन चंद्र पाल के पिताजी की नौकरी भी चली गई, जिसके कारण उनके परिवार की आर्थिक हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी, जिसके कारण वह अपनी पूरी फैमिली के साथ अपने गांव सिलहट चले आएं और गांव आने के बाद उन्होंने वकालत का काम स्टार्ट कर दिया।

क्रांतिकारी बिपिन चंद्र पाल की शिक्षा

बंगाल में स्थित प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपनी एजुकेशन पूरी की। हालांकि वह अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्लीट नहीं कर पाए और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया, जिसके पीछे यह कारण सामने निकल कर आया कि बिपिन चंद्र पाल को पढ़ाई लिखाई में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं था और उनका मन पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल ही नहीं लगता था।

इसलिए वह पढ़ाई लिखाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। हालांकि उन्हें किताबें पढ़ने का बहुत ही ज्यादा शौक था़ इसीलिए उन्होंने अलग-अलग प्रकार की किताबों को पढ़ने में अपना काफी समय बिताया। इन्होंने जितनी भी पढ़ाई कंप्लीट की थी, उसी पढ़ाई के आधार पर इन्होंने अपने कैरियर की स्टार्टिंग एक हेड मास्टर के तौर पर की।

इसके बाद कोलकाता में ही स्थित एक पब्लिक लाइब्रेरी में बिपिन चंद्र पाल ने जाकर नौकरी के लिए आवेदन दिया है, जिसके बाद उन्होंने पब्लिक लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन का काम किया और यहीं पर काम करते-करते बिपिन चंद्र पाल की मुलाकात उस टाइम के पॉलिटिकल नेता जैसे कि शिवनाथ शास्त्री, बीके गोस्वामी और एसएन बनर्जी से हुई‌।

इन नेताओं के संपर्क में आने के बाद धीरे-धीरे बिपिन चंद्र पाल के स्वभाव में काफी ज्यादा परिवर्तन होने लगा और इन्होंने पॉलिटिक्स में आने का विचार बनाया, जिसके बाद इस फील्ड में आगे बढ़ने पर इनकी मुलाकात स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय से हुई और यह इन दोनों की विचारधारा से काफी ज्यादा प्रभावित हुए।

बिपिन चंद्र पाल की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

बिपिन चंद्र पाल के प्रमुख साथी के तौर पर लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक थे और इन तीनों की दोस्ती को लोग लाल-बाल और पाल की दोस्ती कहकर बुलाते थे। इन तीनों ने एक साथ मिलकर अंग्रेज हुकूमत की जड़े हिलाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी और यह तीनों अंग्रेजों की आंखों के कांटे बन गए थे।

बिपिन चंद्र पाल ने वंदे मातरम पत्रिका के संस्थापक के तौर पर भी काम किया था। साल 1907 में जब ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा बाल गंगाधर को गिरफ्तार कर लिया गया, तो उसी समय बिपिन चंद्र पाल किसी प्रकार इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए और इंग्लैंड पहुंचने के बाद उन्होंने वहां पर स्वराज्य पत्रिका को स्टार्ट किया।

हालांकि साल 1909 में जब मदन लाल धींगरा ने अंग्रेजी अधिकारी कर्जन वायली का खून कर दिया, तो बिपिन चंद्र पाल की पत्रिका का पब्लिकेशन रुक गया। जिसके कारण उन्हें लंदन में काफी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था और इसके बाद ऐसा कहा जाता है कि वह उग्र विचारधारा से बिल्कुल अलग हो गए थे।

विपिन चंद्र पाल ने किया जातिगत भेदभाव का विरोध

वंदे मातरम राजद्रोह के मामले में बिपिन चंद्र पाल ने क्रांतिकारी अरविंद घोष के खिलाफ अदालत में गवाही देने से मना कर दिया था, जिसके कारण अंग्रेजी सरकार ने बिपिन चंद्र पाल को टोटल 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी।

बिपिन चंद्र पाल एक अच्छे लेखक भी थे। इसीलिए उन्होंने “स्वराज” और “द सोल ऑफ इंडिया” नाम की दो बहुत ही फेमस किताबें भी लिखी थी। उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह जल्दी किसी भी परिस्थिति से निराश या हताश नहीं होते थे, साथ ही वह ऐसे व्यक्तित्व वाले थे़, जो जल्दी हार मानने वाले नहीं थे।

बिपिन चंद्र पाल हिंदू धर्म में फैली हुई जातिगत व्यवस्था का भी काफी पुरजोर तरीके से विरोध करते थे क्योंकि उनके हिसाब से जात पात नाम की कोई भी चीज नहीं होती थी। वह सभी व्यक्ति को सामान्य नजरों से ही देखते थे। अपने जीवन के आखिरी साल में बिपिन चंद्र पाल ने अपने आप को कांग्रेस से अलग कर लिया था।

बिपिन चंद्र पाल की रचनाएं

क्रांतिकारी होने के साथ-साथ बिपिन चंद्र पाल एक बहुत ही अच्छे लेखक और संपादक भी थे और उन्होंने अपने जीवित रहते हुए विभिन्न प्रकार की रचनाएं की थी, जिनके नाम निम्नानुसार है।

  • इंडियन नेस्नलिज्म
  • द न्यू स्पिरिट
  • स्टडीज इन हिन्दुइस्म
  • नैस्नल्टी एंड एम्पायर
  • स्वराज एंड द प्रेजेंट सिचुएशन
  • द बेसिस ऑफ़ रिफार्म
  • द सोल ऑफ़ इंडिया
  • क्वीन विक्टोरिया – बायोग्राफी

बिपिन चंद्र पाल के संपादन

अच्छा लेखक और क्रांतिकारी होने के साथ-साथ यह काफी अच्छे संपादक भी थे और उन्होंने अपने जीवित रहते हुए कई पत्रिकाओं में काम किया था,जिनके नाम निम्नानुसार है।

  • परिदर्शक (1880)
  • बंगाल पब्लिक ओपिनियन (1882)
  • लाहौर ट्रिब्यून (1887)
  • द न्यू इंडिया (1892)
  • द इंडिपेंडेंट, इंडिया (1901)
  • बन्देमातरम (1906, 1907)
  • स्वराज (1908 -1911)
  • द हिन्दू रिव्यु (1913)
  • द डैमोक्रैट (1919, 1920)
  • बंगाली (1924, 1925)

बिपिन चन्द्र पाल जी के उग्रवादी विचार

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दो दल हमेशा चर्चा में रहते थे, जिसमें पहला दल था नरम दल जिसके अंदर महात्मा गांधी और ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति आते थे, जो अहिंसा के रास्ते से भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने का काम करते थे, वही दूसरा दल था गरम दल, जिसके अंतर्गत ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति आते थे, जो भारत की आजादी की लड़ाई के लिए सशस्त्र विद्रोह का समर्थन करते हैं।

बिपिन चंद्र पाल गरम दल वाले क्रांतिकारियों की लिस्ट में शामिल थे। इनके अंदर अंग्रेजों के प्रति काफी ज्यादा नफरत और देश प्रेम की भावना भरी हुई थी। इसीलिए जब साल 1907 में अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा अरविंद घोष पर राजद्रोह का केस चलाया गया तो उसमें गवाही के तौर पर बिपिन चंद्र पाल को पेश किया गया।

हालांकि बिपिन चंद्र पाल ने अरविंद घोष के खिलाफ गवाही देने से साफ तौर पर अदालत में इंकार कर दिया जिसके कारण अंग्रेजी गवर्नमेंट ने कुल 6 महीने के जेल की सजा विपिन चंद्र पाल को गवाही न देने के कारण सुनाई। हालांकि उन्होंने 6 महीने की जेल की सजा काटना ठीक समझा बजाय इसके कि वह अरविंद घोष के खिलाफ गवाही दे।

बिपिन चंद्र पाल जी का यह सोचना था कि

”दासता मानवीय आत्मा के विरुद्ध है, ईश्वर ने सभी प्राणियों को स्वतन्त्र बनाया है।”

हमेशा देश का भला सोचने वाले बिपिन चंद्र पाल ने एक दिन यह महसूस किया कि विदेशों से भारत में जो भी सामान इस्तेमाल होने के लिए आता है, उसके कारण देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत ही खराब दिन-ब-दिन होती जा रही है।

और जिसके कारण भारत देश में बेरोजगारी भी काफी ज्यादा बढ़ रही है और उनके इसी विचार ने उन्हें स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करने पर जोर देने के लिए विवश किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर किया।

आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि बिपिन चंद्र पाल ब्रह्म समाज के विचारों से भी बहुत ही ज्यादा प्रभावित है और वह विधवा का फिर से विवाह करने का भी समर्थन करते थे।

यहां तक कि बिपिन चंद्र पाल ने खुद भी एक विधवा लड़की से शादी की थी और समाज में विधवा विवाह को मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। विपिन चंद्र पाल किसी भी प्रकार के कास्ट सिस्टम के बहुत ही ज्यादा विरोधी थे, वह सभी लोगों को एक समान मानते थे। उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी किसी भी व्यक्ति के साथ जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया।

बिपिनचंद्र पाल की मृत्यु

अपनी जिंदगी के आखिरी साल में बिपिन चंद्र पाल ने सभी प्रकार की पार्टी को छोड़ दिया था और वे अकेला जीवन जीते थे।

इस प्रकार भारत की आजादी का सपना पाले हुए साल 1932 में 20 मई को बिपिन चंद्र पाल ने अपनी आखरी सांसे ली और इस प्रकार भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एक महान क्रांतिकारी को भारत माता ने खो दिया।

Previous ArticleKylie Jenner सबसे कम उम्र की अरबपति का जीवन परिचय
Next Article People’s leader जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय
Mahesh Yadav
  • Website
  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn

Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

यह भी पढ़े

12 Mins Read

पल्लवी जोशी जीवनी ~ Pallavi Joshi Biography in Hindi

पूरा पढ़े
11 Mins Read

CDS Bipin Rawat Biography चीनी सेनाओं को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था

पूरा पढ़े
8 Mins Read

दुनिया के सबसे जुगाडू इन्सान बिजनेस मैग्नेट Richard Branson जीवनी

पूरा पढ़े

Leave A Reply Cancel Reply

Popular Posts
5 Mins ReadJul 25, 2020

छोटे Business Man के लिए Financial Planning के कुछ Tips

9 Mins ReadMar 9, 2025

भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री

7 Mins ReadAug 16, 2020

विश्व के प्रमुख देश उनकी राजधानी एवं मुद्राएँ | Country, Capital & Currency

6 Mins ReadDec 31, 2022

Blog, Blogging क्या हैं? क्या मुझे ब्लॉगिंग करनी चाहिए?

8 Mins ReadAug 15, 2020

जानिए पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क के बारें में About Trademark, Copyright & Patent

Latest Posts
5 Mins ReadOct 13, 2024
तेरे मेरे इर्द गिर्द : पुस्तक समीक्षा
9 Mins ReadAug 6, 2023
Share Market में नुकसान होने के बावजूद भी लोग पैसा क्यों लगाते हैं?
9 Mins ReadAug 6, 2023
Share market से पैसे कैसे कमाए? Profit बुक करें, मुश्किल नहीं हैं
15 Mins ReadJul 17, 2023
Probo Earning App से पैसे कैसे कमाएं
1 2 3 … 184 Next
Categories
  • Blogging Tips (8)
  • Book Summary (35)
  • Business Ideas & Earn Money (31)
  • General (13)
  • General Knowledge (55)
  • Health Tips (53)
  • Hindi Essay (2)
  • Hindi Quotes (59)
  • Hindi Thoughts (39)
  • Let's Laugh (8)
  • Motivational Hindi Songs (47)
  • Motivational Hindi Stories (25)
  • Personality Development (50)
  • Success Stories (17)
  • अमर कहानियाँ (7)
  • चाणक्य नीति (19)
  • चुटकुले (9)
  • जीवनी (63)
  • धार्मिक परंपरा व आस्था (12)
  • प्रेरक प्रसंग (10)
  • महत्वपूर्ण जानकारियां (9)
  • रोचक घटनाये (3)
  • रोचक तथ्य (8)
  • लोक व्यवहार (33)
  • श्रीमदभागवत गीता अंश (9)
  • सफलता के मंत्र (73)
  • सफलता के रहस्य (54)
  • हिंदी कहानियाँ (93)
  • हिंदी दोहे और उक्तिया (1)
  • हिंदी शेर और शायरी (6)
  • हिन्दी कविताएं (40)
About Us

अच्छी बातें डॉट कॉम

AchhiBaatein is a famous Hindi blog for Famous Quotes and Thoughts, Motivational & Inspirational Hindi Stories and Personality Development Tips

DMCA.com Protection Status

Recent Comment
  • Sahil Solanki on आसान तरीकों से रोज 200 रूपए कैसे कमाए?
  • Rohini on खुद को सोने के सिक्के जैसा बनाइए अगर नाली में भी गिर जाए तो भी कीमत कम नहीं होती
  • Manisha mer on भीड़ हौंसला तो देती है, लेकिन पहचान छीन लेती है | Never follow the crowd
  • Umang pasaya on Free Fire Game खेलकर पैसे कैसे कमाएं?
Subscribe to Updates
सभी नए Posts अपने E-Mail पर तुरंत पाने के लिए यहाँ अपनी E-mail ID लिखकर Subscribe करें।

कृपया यहाँ Subscribe करने के बाद अपनी E-mail ID खोलें तथा भेजे गये Verification लिंक पर Click करके Verify करें

Powered by ® Google Feedburner

Copyright © achhibaatein.com 2013 - 2025 . All Rights Reserved
  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • Guest Column
  • Privacy Policy
  • Sitemap

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.