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Book Summary 11 Mins Read

“The Hard Thing about Hard Thing” Book Summary पुस्तक सारांश

Mahesh YadavBy Mahesh YadavUpdated:Jan 7, 2023No Comments11 Mins Read
the hard thing about hard things summary in hindi
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लोग बिज़नेस मैन बनना चाहते हैं, अपना कोई बिज़नेस Build करना चाहते हैं लेकिन पता नहीं चलता कि कैसे सफल बिज़नेसमैन बने, अपना कोई काम शुरू करना चाहते हैं तो Doubt रहता है कि काम में कामयाबी कैसे मिले।

एक सफल बिज़नेसमैन के आईडियास, स्टेपस, टिप्स जाना चाहते हैं, एक Successful CEO, एक सफल Entrepreneur बनना चाहते हैं, उनके राज़ जानना चाहते हैं कि वो ऐसा क्या करते हैं जिससे अपनाया जा सकता हैं जो Helpful हो, तो ये बुक समरी ज़रूर पढ़े।

“The hard thing about hard things” किताब के लेखक “Ben Horowitz” जो Andreessen Horowitz के Co-founder हैं, Silicon Valley के अनुभवी और सम्मानीय Entrepreneur भी हैं, एक सक्सेसफुल पर्सनालिटी हैं। लेखक लिखते हैं कि बिज़नेस स्थापित करना आसान नहीं होता बहुत Efforts करने पड़ते हैं।

लेकिन इस बुक में उन्होंने अपनी सफलता की कहानी लिखी हैं कि वे बिज़नेसमैन कैसे बने, कैसे अपनी टेक्निकल कंपनी को Found किया, कैसे और किस तरह चलाया, कैसे Products sell और Buy किए, कैसे मैनेज किया, कैसे और किस तरह इन्वेस्ट किया जिसको करने में कितनी परेशानियाँ आई, उससे जुड़ी लाइव और प्रैक्टिकल बातें लिखी हैं जो किसी बिज़नेस स्कूल में पढ़ाया नहीं जाता।

उनके द्वारा बिज़नेस से जुड़े Ideas, Points, Tips बताए हैं जो बिज़नेस को सफल बनाने में Helpful हैं। इन्हीं सब बातों को इस बुक समरी में Summarize करके अच्छे से समझाया गया हैं।

लेखक लिखते हैंं कि बिज़नेस आसानी से Build नहीं होता कई Efforts लगाने पड़ते हैंं। बिज़नेस करना हार्ड नहीं हैं, बल्कि हार्ड तो यह हैं जब कोई बड़ा लक्ष्य छूट जाता हैं उसे एक्सेप्ट करना या फिर बिज़नेस में अच्छे लोगों के बिना मतलब के Demands को हैंडल करना, अच्छे लोगों को बिज़नेस से जोड़ना इत्यादि।

बिज़नेस के बारे में बात करना तो आसान हैं लेकिन मुश्किल होती हैं शुरुवात में जब उस समय प्रॉपर Communication नहीं बन पाता क्योंकि स्टार्टिंग Procedure होता हैं। सपने देखना कि बिज़नेस करेंगे, कामयाबी मिलेगी आसान हैं लेकिन हार्ड होता हैं ये एक्सेप्ट करना की हमारा सुनहरा सपना बुरे सपने में बदल गया। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर कैसे बिज़नेस चलाया जाए और सफल बनाया जाये आदि जुड़ी इंपॉर्टेंट बातें बताई गई हैं।

मुश्किल स्थिति में अपना बिज़नेस कैसे build करें जब कोई आसान तरीका ना मिले, कठिन सवालों के आसान जवाब ना मिले। इन सब का सॉल्यूशन हैं यह ये बुक जिसे इस बुक समरी में क्लियर रूप से बताया गया हैं। इस बुक के सभी Chapters में बिज़नेस से जुड़ी Important बातों को Describe किया गया हैं।

Chapter-1
Communist to venture capitalist

जब तक हम Efforts नहीं करते कुछ भी पाना या जानना मुश्किल होता हैं। अपनी Venture की शुरुवात लेखक ने अलग-अलग रूपों से की वे दुनिया की भीड़ में कभी नहीं चले, जिसकी शुरुवात उन्होंने एक कम्युनिस्ट परिवार से जुड़कर की थी।

लेखक ने एक रूप में न बंँधकर अलग-अलग दृष्टिकोण को अपनाया हैं, जहां उन्होंने लोगों के मत और तथ्यों को अलग करना सीखा जिससे वह अपोजिट मतों को हैंडल कर पाएँ। किसी भी चीज़ को जानने के लिए सही जानकारी की जरूरत होती हैं जिसके लिए प्रयास करना जरूरी हैं।

ऑथर कहते हैं की सफलता या नॉलेज प्राप्त करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता अधिकतर ज्ञान हमें खुद के अनुभव से ही प्राप्त होते हैं। सही और प्रॉपर ज्ञान का होना जरूरी हैं, शॉर्टकट के गलत संदर्भ हमें असफलता की ओर ले जाते हैं जो कि घातक सिद्ध होते हैं।

Chapter-2
I will survive

इस चैप्टर में लेखक ने बिज़नेस से जुड़े मनी इन्वेस्टमेंट, स्टार्टअप के लिए जरूरी बातें और किन दोस्तों से जुड़ना चाहिए आदि बातों को बताया हैं।

लेखक लिखते हैं अगर आपको इन्वेस्ट करना हैं तो मार्केट में रिसर्च करना ज़रूरी हैं कि बिज़नेस की मार्केट में क्या वैल्यू हैं, Investor मिलेंगे या नहीं। अगर आपको लगता हैं कि बिजनेस में इन्वेस्ट के लिए इन्वेस्टर नहीं हैं तो घबराने के बजाय यह सोचे कि अगर मार्केट में 20 इन्वेस्टर से ज्यादा भी हैं और सब ने मना कर दिया तो भी एक इन्वेस्टर कि हांँ तो मिल सकती हैं, एक पॉजिटिव Perspective के साथ आगे बढ़े कोई ना कोई ज़रुर मिल जाएगा बस तलाश हमें एक ही करनी होती हैं।

लेखक लिखते हैं कि स्टार्टअप शुरू करने के दौरान हम दो तरह के इमोशंस से गुजरते हैं एक तरफ उत्साह तो दूसरी तरफ भय होता हैं जो Situation पर निर्भर करते हैं। ऐसे में हमें हेल्प की जरूरत पड़ सकती हैं और ऐसी सिचुएशन में जिन दोस्तों से हम कनेक्ट हो सकते हैं उनको लेखक ने दो भागों में बांँटा हैं

  1. एक प्रकार के दोस्त वो होते हैं जब कुछ अच्छा होता हैं तो हम उन्हें कॉल करते हैं तो ऐसे दोस्त हमारी खुशी से Excited होते हैं।
  2. दूसरे प्रकार के दोस्त वो होते हैं जब हम डिफिकल्ट सिचुएशन में फँस जाते हैं या हमारे साथ कुछ गलत होता हैं तो हम उन्हें कॉल करते हैं।

लेखक लिखते हैं अगर आप इन दोस्तों का साथ चाहते हैं तो उनके साथ अच्छा व्यवहार करें अगर वह आपको छोड़ भी जाते हैं तो फिर भी उनके साथ अच्छा व्यवहार करें वर्ना आप दुबारा विश्वास नहीं कर पाते।

Chapter-3
This time with feeling

(Learning by failing)

इस चैप्टर में लेखक लिखते हैं कि कुछ करने के लिए Search ज़रूरी हैं जैसे Survive करने के लिए बाहर जाना, बाहरी दुनिया से Interact करना और जो जो स्थितियाँ रास्ते में आती हैं उनसे सीखना सफलता की ओर ले जाते हैं।

ऐसे ही अपने एंप्लॉय को फ्रीडम दें क्योंकि कोई भी बड़े प्रोजेक्ट देर से क्यों पूरे होते हैं इसके पीछे कोई एक व्यक्ति भी कारण हो सकता हैं इसलिए पूरी टीम को एक ही अप्रोच के साथ अपने प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहिए और समान रूप से कार्य करना चाहिए।

Customer Needs
(Make it easy or create it)

लेखक लिखते हैं कि बिज़नेस में कस्टमर इंपॉर्टेंट होते हैं उनकी ज़रूरत को ध्यान में रखना चाहिए। Customer की जरूरत के हिसाब से चीज़ें उपलब्ध कराना ताकि उन्हें Satisfaction मिले।

प्रोडक्ट की नॉलेज कस्टमर को एक लिमिट तक होती हैं वह उनके करंट एक्सपीरियंस पर डिपेंड करता हैं वह जो भी डिमांड करते हैं उनकी रिक्वायरमेंट को जानकर समझकर अच्छे प्रोडक्ट Offer करना चाहिए।

कस्टमर पर खुद चॉइस छोड़ने की बजाय प्रोडक्ट ऐसे इनोवेट करें और Available करायें की कस्टमर उसके लिए राज़ी हो जाएँ। कभी कभी हम वह नहीं करते जिस पर हमें एक्चुअल में ध्यान देने की जरूरत हैं, उन बातों पर फोकस करना चाहिए।

Chapter-4
When Things fall apart

लेखक इस चैप्टर में लिखते हैं कि कई बार ऑर्गेनाइजेशन को अपने कार्य के प्रति क्लेरिटी चाहिए होती हैं ताकि चीज़े प्रॉपर अंडरस्टैंड हो सके।

लेखक अपना उदाहरण बताते हुए कहते हैं कि कैसे उन्होंने अपने Firm Loud cloud’s को संभाला जब उनका बिज़नेस कठिन परिस्थिति से गुज़र रहा था, बोर्ड Members उन्हें Bankruptcy की सलाह दे रहे थे लेकिन लेखक ने अपने दिल की आवाज़ सुनी की अगर प्रॉब्लम हैं तो कहीं ना कहीं प्रॉब्लम के सॉल्यूशन के आंसर्स भी होंगे क्योंकि विपरीत परिस्थितियों को हैंडल करने के लिए कोई परफेक्ट आइडिया या फार्मूला नहीं होता, हमें उन Challenges को Face करना पड़ता हैं। उनका मानना था सीईओ पॉजिटिव रहते हैं।

एक सीईओ के सामने जब चैलेंजिंग सिचुएशन सामने आती हैं तो किस प्रकार फोकस करके अपना बेस्ट देना चाहिए। कुछ इंपॉर्टेंट बातें इस प्रकार हैं

  1. सारे organization की परेशानी एक साथ अपने ऊपर नहीं लेनी चाहिए जितना हो सके सब मिलकर समस्या का समाधान ढूँढ़े, सबको शामिल करें।
  2. सीईओ को अपने ऑर्गेनाइजेशन में क्लियर कॉन्सेप्ट रखने चाहिए, किसी भी बात को Freely कहना चाहिए।
  3. एक सीईओ के रूप में ऑर्गेनाइजेशन के सामने Past से ज्यादा कंपनी Future के बारे में बताएँ, बिना देर किए कोई भी आइडियास Leak होने से पहले निर्णय लें वरना नए Issues आ जाते हैं। Employees के सामने बातों को क्लियर करें, कंपनी Success या Failure जो भी फेस करती हैं बताएँ। जो आर्गेनाईजेशन के साथ रहेंगें उनका कॉन्फिडेंस पाएँ ताकि हर तरह की सिचुएशन के साथ मिलकर काम हो सकें।
  4. सीईओ के दो Phases होते हैं Peacetime (positive approach) और Wartime (negative approach) बिज़नेस में किस एप्रोच को कब और कैसे फॉलो करें ध्यान रखना चाहिए।

Chapter-5
Take Care of the people, the products and the profits

इस चैप्टर में लेखक बिज़नेस से जुड़े Employees, प्रोडक्ट, Profits की महत्ता बताते हैं और कंपनी के अप एंड डाउनस में क्या Strategy हो उस ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। कंपनी के साथ Employees काफी समय बिताते हैं तो उनको एक पॉज़िटिव Environment देना चाहिए।

लेखक लिखते हैं कि कंपनी की पहचान सिर्फ अच्छे समय में नहीं होती बल्कि बुरे समय में भी देखी जाती हैं जब Employees company छोड़ने लगते हैं। Good times में एम्पलॉइज को जॉब, फैमिली, फ्रेंडस की खुशी मिलती हैं, अमीर होने की Opportunity मिलती हैं।

वहीं Bad times में वो सब नहीं मिलता, उस समय सब बातें Clear करनी चाहिए। बुरे समय में एम्पलॉइज की Weakness नहीं Strength देखनी चाहिए। उन्हें कंपनी के Actual situation बताने चाहिए। राय सबकी लेनी चाहिए लेकिन डिसीज़न अलग से सोच समझ कर खुद लेना चाहिए।

Chapter-6
Conserving the going concern

इस चैप्टर में बिज़नेस की तरक्की के साथ जो पॉलिटिक्स Term कंपनी में इंवॉल्व हो जाते हैं उनको कैसे डील करें उसके बारे में बताया गया हैं।

जो इस प्रकार हैं

  • कंपनी में ऐसे लोग लें जो कंपनी से संबंधित Ambition रखते हों, जिससे कंपनी की सफलता में हेल्प मिलती हैं।
  • ऑर्गेनाइजेशन के डिज़ाइन, परफॉर्मेंस, इवोल्यूशन, प्रमोशन और कंपनसेशन में स्ट्रिक्ट Policies को प्रोसेस में लाना चाहिए।
  • अनुभवी एंप्लॉयस को उनके मैनेजमेंट Skills, Innovation और Ability और सबके साथ व्यवहार को देखकर Promote करना चाहिए।
  • मैनेजर और एम्पलॉइज के बीच मीटिंग होनी चाहिए ताकि सबके आईडियास, Issues, Problems पता चलें और कंपनी Growth में मदद मिले।

Chapter-7
How to lead even when you don’t know where you are

इस चैप्टर में सीईओ और एम्पलॉइज के मध्य हार्ड टाइम्स में कैसे सिचुएशन हैंडल की जाए उस बारे में बताया गया हैं।

जब कंपनी बुरे वक्त से गुज़र रही होती हैं रॉन्ग की जगह राइट Things पर फोकस करना चाहिए, अपना कंट्रोल खोने कि जगह Mind को Calm रखना चाहिए। जो आपको समझते हैं उनसे बात करनी चाहिए। एक पेपर पर जिस स्थिति से गुज़र रहे हैं वो बातें, आइडियास, चैलेंजेस, अपना डर लिखें। जब कंपनी संघर्ष के दौर से गुज़र रही होती हैं तो एम्पलॉइज़ से बातें क्लियर करें, सच्चाई बताएँं, टीम के साथ ट्रस्ट बनाकर काम करें और आपस में Honest Conversation करें।

Chapter-8
First rule of entrepreneurship
There are no rules

इस चैप्टर में लेखक लिखते हैं कि बिज़नेस के लिए कोई Exact rules नहीं होते जब स्थिति बदलती हैं तो Rules नहीं चलते बल्कि कंपनी की Productivity, Accountability, क्रिएटिविटी देखी जाती हैं। जब स्थितियांँ बदलती हैं तो सिचुएशन ऑटोमेटेकली चेंज होते हैं इसका कोई यूनिक आंसर नहीं हैं जो Situation पर डिपेंड करता हैं, उसके हिसाब से बिजनेस हैंडल किया जाता हैं।

Chapter-9
The End of the Beginning

इस चैप्टर में लेखक ने अपने अनुभव बताएंँ हैं, वे लिखते हैं कि उनके करियर की शुरुवात इंजीनियरिंग से हुई थी। वो अपने व्यक्तिगत जीवन के एक्सपीरियंस बताते हैं कि कैसे उन्होंने Softwares सेल किए थे, Hewlett Packard के लिए काम किया था जिसके अनुभव से उन्होंने जाना कि उन्हें कुछ और करना चाहिए।

उन्होंने अपनी खुद की Firm स्टार्ट की जो टेक्निकल फाउंडर को कंपनी चलाने में हेल्पफुल हो क्योंकि टेक्निकल फाउंडर्स टेक्नोलॉजी Based companies को चलाने में सक्षम होते हैं जैसे- Amazon, Google, Intel, Facebook, Apple आदि।

लेखक अपनी कंपनी में ऐसे फाउंडर्स को ट्रेन करना चाहते थे जो कठिन परिस्थिति को हैंडल कर सकें क्योंकि Hard things के Easy answer नहीं होते, यह हार्ड होते हैं क्योंकि ये इमोशंस से जुड़े होते हैं, हमें Answer नहीं पता होते हैं।

उनकी कंपनी अनुभव और ज्ञान के तौर पर Mentorship provide करती हैं। यह कंपनी लीडर्स को हार्ड Thing के लिए हार्ड Things teach करती हैं। Success का कोई शॉर्टकट नहीं होता। कठिन परिस्थिति से गुज़र कर ही सफलता पाई जा सकती हैं।

इस बुक समरी में बिज़नेस में कैसे सफलता पाएंँ, बिज़नेस के Hardship को हैंडल करना, अपने बिज़नेस को Build करना, एक सफल सीईओ के बारे में महत्वपूर्ण बातें आदि अनेक बातें बताई गई हैं बस आप फॉलो करें और पॉजिटिव परिणाम पाएंँ।

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