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प्रकृति के सबसे बड़े नियम (आदत) का विश्लेषण

प्रकृति के सबसे बड़े नियम का विश्लेषण (The Power of Habit & Nature’s Universal Truth)

नियम यह हैं कि प्रकृति सभी आदतों (Habits) को स्थायी बना देती हैं ताकि एक बार आदत पड़ जाने पर वे अपने आप चलती रहे। यह ब्रह्माण्ड के बारें में भी उतना ही सच हैं जितना की इंसान की आदतों के बारें में।

आदत रस्सी की तरह होती हैं, हम हर दिन इसका एक धागा बुनते हैं और अंत में यह इतनी मज़बूत हो जाती हैं कि हम स्वयं ही इसको नहीं तोड़ सकते और अगर तोड़ने भी चाहे तो बहुत अधिक श्रम की आवश्यता होती हैं।
– होरेस मान

हमारे Ideas हमें कार्य की तरफ ले जाते हैं और फिर हम वह कार्य जब बार-बार करते हैं तो इससे आदतें बनती हैं, आदतों से हमारा चरित्र बनता है और चरित्र से हमारा भविष्य। चरित्र हमारी आदतों का ही मिला जुला रूप होता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अच्छी आदतों वाला व्यक्ति अच्छे चरित्र का माना जाता है और बुरी आदतों वाला व्यक्ति बुरे चरित्र का माना जाता है।

आदतन किया गया कार्य बहुत आसानी से किया जा सकता हैं, क्योकि इसमें ब्रह्माण्ड की शक्ति भी इसमें कार्य करती हैं, जैसा कि पहले बताया हैं कि हर कोई आदत के बंधन से बंधा हैं, पशु, पक्षी, जीव और प्रकृति हर एक पदार्थ चाहे वह निर्जीव हो या सजीव।

हमारा नजरिया या हमारे सोचने का तरीका ही हमारी आदतें बनाता है और फिर हम  उसी के अनुसार व्यवहार करते हैं, इसलिए किसी के व्यवहार मात्र से उसकी आदतों का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता हैं।

इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि व्यक्ति चाहे कहीं भी हो और कुछ भी हो, अपने विचारो और काम करने की आदतों के कारण होता हैं, इसलिए व्यक्ति को ऐसी आदते डालनी चाहिए जिससे वह अपनी वर्तमान स्थिति से आगे बढ़ कर मनचाही स्थिति के निकट पहुच सके, जैसा कि वह चाहता हैं जैसा कि वह बनना चाहता हैं।

अगर हम किसी सफल व्यक्ति का विश्लेषण भी करें तो हम यह पाते हैं कि ऐसे लोग अपने जीवन में अधिकतर सही फैसले करते हैं इसके विपरीत एक असफल व्यक्ति हमेशा गलत फैसले करता है, यह सब उसकी आदतों और परिणामो के प्रति नज़रिए के कारण होता हैं।

यह एक परमसत्य हैं कि प्रकृति पुरे ब्रह्माण्ड में पदार्थ(Matter) और उर्जा(Energy) के सभी तत्वों के बीच आदर्श संतुलन बनायें रखती हैं भगवदगीता के अनुसार इसे भगवान की परा और अपरा प्रकृति से भी समझा जा सकता हैं। पूरा ब्रह्माण्ड अटूट नियमो पर चलता हैं या कहे कि ब्रह्माण्ड की आदते कभी नहीं बदलती और इंसान उन्हें किसी भी तरह से नहीं बदल सकता, जैसे पृथ्वी सूर्य के चारो को एक निश्चित अंतराल में भी चक्कर लगाती हैं, हर एक ग्रह की चाल, उसकी गति निश्चित हैं।

ब्रह्माण्ड की पांच वास्तविकता हैं।
समय, आकाश, उर्जा, पदार्थ और बुद्धि

ये पांचो बाकी तत्वों को एक निश्चित और व्यवस्थित आकार देती हैं।

आदत की ब्रह्मांडीय शक्ति के द्वारा ही प्रकृति, परमाणुओं, सितारों और ग्रहों को आपस में बांधे रखती हैं और इसी के द्वारा निरंतर कार्य करती हैं, चाहे ठण्ड हो या गर्मी दिन हो या रात, चाहे सेहत ख़राब हो या अच्छी, जिन्दगी हो या मौत।

हम यह जानते हैं कि सितारे और ग्रह इतनी सटीकता से चलते हैं कि खगोलशास्त्री उनकी भाविक सटीक स्थित्ति और इनके आपसी सम्बन्ध की भविष्यवाणी तक कर सकते हैं।

आम के बीज से कभी गलती नहीं होती और इससे कभी ताड़ का पेड़ नहीं उगता और न ही ताड़ के बीज से कभी आम का पेड़ उगता हैं, आग से धुँआ निकलना निश्चित हैं, उतनी ही निश्चितता से प्रकृति और व्यक्ति के विचारो के लक्ष्य से उन्हीं की तरह से फल उत्पन्न होते हैं।

आदत की ब्रह्माण्डीय शक्ति के कारण ही हर प्राणी अपने परिवेश के अनुरूप ढल जाता हैं इससे यह स्पष्ट हो जाता हैं कि सफलता अधिक सफलता को आकर्षित क्यों करती हैं और असफलता अधिक असफलता को आकर्षित क्यों करती हैं यह सच्चाई इंसान जानता हैं परन्तु इसे स्वीकार नहीं कर पाता।

आदत की शक्ति का अर्थ साफ़ हैं, यह ऐसी शक्ति हैं, जो स्थापित आदतों की माध्यम से काम करती हैं इन्सान से कम बुद्धि वाले प्राणी प्राक्रतिक शक्ति से संचालित शक्ति से ही अपना कार्य करते हैं।

सफलता आदतों पर निर्भर करती हैं

केवल मनुष्य को ही भगवान द्वारा अपनी आदते चुनने का अधिकार दिया गया हैं, सिर्फ इंसान ही अपनी आदतों को अपने विचारो के अनुरूप ढाल सकता हैं और बदल सकता हैं यह एक बहुत ही अद्भुद और महतवपूर्ण बात हैं, क्योकि पूरी पृथ्वी पर केवल इंसान को ही विचारो पर ही पूरा नियंत्रण और अधिकार मिला हैं।

अगर व्यक्ति डर, आशंका, इर्ष्या, लोभ और गरीबी की सीमाओं के बारें में सोचेगा, तो आदत उसके विचारो को  भौतिक रूप में बदल देगी और फिर उसका व्यवहार भी वैसा ही हो जाएगा।

और दूसरी ओर अगर व्यक्ति सम्पन्नता और प्रचुरता में बारें में सोचेगा और अपने विचारो को कर्म के माध्यम से आकार देता हैं तो वह अपनी किस्मत बदल सकता है और फिर वह आदते स्थायी बन जाती हैं और तब तक बनी रहती हैं जब तक और प्रबल विचारो से उन्हें बदला न जाएँ।

निष्कर्ष यह निकलता हैं

व्यक्ति जो भी कुछ हैं वह अपने आदतों की कारण ही हैं, विचार के पार्टी द्रढ़ता और सदकर्म करने की इच्छा से अच्छी आदतों का निर्माण होता और फिर व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर हो जाता हैं और भाग्य का निर्माता हो जाता हैं, इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अच्छी आदतों को अपनाएं, क्योकि जैसा कि ऊपर बताया हैं कि पूरी पृथ्वी पर केवल इन्सान को ही इस पर नियंत्रण का अधिकार दिया गया हैं इसलिए अच्छी आदते अपनाइए।

Motivation is what gets you started. Habit is what keeps you going.
~ Jim Ryuh

अच्छी आदते (Good Habits) आपको सफलता (Successful Life) की और अग्रसर करेगी, क्योकि आदत पड़ जाने पर काम में केवल शीघ्रता ही नहीं होती बल्कि कुशलता भी आ जाती है और आप एक सफलता के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी प्राप्त करते चले जाते हैं अत: अब यह आप पर निर्भर करता हैं कि आप क्या बनना चाहते है और चरित्र (Character) कैसा बनाना चाहते हैं।

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