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Health Tips 9 Mins Read

जाने बवासीर(Piles) के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार

Vishal PorwalBy Vishal PorwalUpdated:Dec 23, 20231 Comment9 Mins Read
Piles Symptoms In Hindi
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बवासीर(Piles) क्या है, कारण, लक्षण एवम उपचार?
बवासीर एवं अर्श रोग को अन्य भाषा में piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है।

बवासीर एक ऐसी समस्या है, जिसे अक्सर लोग गंभीरता से नहीं लेते या फिर यह समस्या होने पर किसी से कहने में भी हिचकिचाते हैं। सही समय पर उपचार न होने से समस्या काफी बढ़ जाती है। एक स्टडी के अनुसार, 50 की उम्र पार करने के बाद 50 फीसदी लोगों को ये शिकायत हो जाती है।

बवासीर गुदा (Anus) एवं मलाशय (Rectum) में होने वाली सूजन एवं तनाव होता है, अक्सर यह गुदा एवं मलाशय में मौजूद नसों का Varicose Veins रोग होता है। जो कि बवासीर मलाशय के अंदर के हिस्से एवं गुदा के बाहर के हिस्से में हो जाता है।

कैसे होता है बवासीर (how does piles happen)?

बवासीर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं परंतु अभी तक भी इसका मुख्य कारण का पता नहीं चल पाया है। यह मल करते समय ज्यादा जोर लगाने के कारण भी हो जाता है, एवं गर्भावस्था के दौरान गुदो की नसों में जो दबाव पड़ता है उसके कारण भी बवासीर हो जाता है।

  • कब्ज (constipation) होने पर आपको मल (stools) करते वक़्त ज़ोर लगाना पड़ता है, जिसकी वजह से गुदा में दबाव पड़ता है| लम्बे समय तक कब्ज होने पर वहाँ बवासीर बन सकतें हैं
  • यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है।
  • कई बार पाचन क्रिया के सही नहीं होने पर, बहुत भारी चीजें उठाने पर, गैस की समस्या होने पर, तनाव लेने पर, मोटापा होने की वजह से भी ये बीमारी हो जाती है

बवासीर के लक्षण कई प्रकार के होते हैं (Piles or Hemorrhoids Symptoms)

जिसमे कि थोड़ी खुजली एवं तकलीफ को लेकर गुदा में खून आना या गुदा का हिस्सा बाहर की तरफ निकल जाना आदि हो सकता है। बवासीर के मुख्यतः लक्षण इसकी होने की गंभीरता पर करते हैं।

वैसे तो यह बहुत ज्यादा गंभीर नहीं होता है परंतु यदि तकलीफ ज्यादा बढ़ रही है, तभी इसकी इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ती है। अक्सर देखा जाता है, कि गर्भावस्था में होने वाला बवासीर आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है। एवं कब्ज के कारण होने वाले बवासीर का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से आहार एवं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बदलाव करना जरूरी होता है। इन सबके बावजूद अगर आपको आराम नहीं आता है तो इसके अलावा आप ऑपरेशन करवा सकते हैं।

बवासीर के लक्षण(Symptom)

हर किसी बीमारी की कोई ना कोई मुख्य लक्षण अवश्य होते हैं। आइए जानते हैं कि बवासीर के कौन से लक्षण होते हैं।

  • मल त्याग करते समय आपको बहुत ही अत्यधिक दर्द होता है जो कि आप को चोट पहुंचा सकता है।
  • मल त्याग करते समय आपको ब्लीडिंग हो सकती है।
  • गुदा के पास से एक बलगम जैसा स्राव निकलता है।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।
  • गुदा के पास सूजन एवं गांठ या मस्से आधी हो जाते हैं। जो कि बहुत ही दर्द के कारण होते हैं।
  • गुदा वाली जगह में खुजली होती है, जो कि कभी कभी लगातार या फिर कभी-कभी रुक कर होती है।

बवासीर के कारण(Causes)

बवासीर के वैसे तो बहुत से कारण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। नसों में दबाव एवं उस में खिंचाव आ जाना जिससे उनमें सूजन आ जाती है, और पर उभर जाती है। तो आइए जानते हैं कि बवासीर के कौन से कारण एवं स्थितियां होती हैं।

  • वह उत्तक जो कि शरीर को बवासीर से बचाकर रखते हैं, उम्र के साथ-साथ वह कमजोर हो जाते हैं जिसके कारण बवासीर उभर जाता है एवं तकलीफ बढ़ जाती है।
  • गर्भावस्था में जब पेट के अंदर दबाव पड़ता है तो गर्भाशय का आकार बढ़ने के साथ-साथ गुदो की नसों में भी खिंचाव आ जाता है, और उसमें सूजन हो जाती है।
  • जब किसी को कब्ज होती है तो वह मल त्याग करते समय जोर लगाता है जिस कारण उसकी गुदो की नसों में एवं उसके आसपास दबाव पड़ता है और बवासीर होने की स्थिति पैदा हो जाती है, इसलिए कब्ज होने पर जल्द से जल्द इसका इलाज करना चाहिए।
  • गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में परिवर्तन होने के कारण भी बवासीर की समस्या हो जाती है।
  • पाइल्स होने का एक कारण अनुवांशिकता भी होता है। यह अनुवांशिक कारणों में बवासीर गुदा क्षेत्र में नस की कमजोरी के कारण होती है।
  • जब हम अधिक वजन उठा लेते हैं तो हमें सांस लेने में तकलीफ होती है। एवं शरीर पर तनाव पड़ता है लंबे समय तक ऐसा करने से नसों में सूजन ज्यादा बढ़ जाती है। जिससे पाइल्स की धीरे-धीरे शुरुआत हो जाती है। इसके अलावा यदि लंबे समय तक खड़े रहे और ज्यादा लंबे समय तक बैठे रहनेसे भी बवासीर हो जाता है।
  • अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।

बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)

Piles Types In Hindi
Image Source: pristyncare.com

खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं फिर बाद में बाहर आने लगता है। मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में (आखिरी स्टेज में) यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते।

बादी बवासीर
बादी बवासीर में पेट की समस्या, कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन, दर्द, होता है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में मलद्वार के पास से एक छेद हो जाता है जो मलद्वार की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से मल भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

बवासीर से बचाव एवं उपचार(Piles treatment in Hindi)

बीमारी चाहे कोई भी हो उसका कोई ना कोई इलाज करके बचाव किया जा सकता है एवं बीमारी को खत्म किया जा सकता है। बवासीर एक लाइलाज बीमारी नहीं है बशर्ते इसका इलाज अच्छे से और सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए जिससे की बवासीर का रोगी पूर्णतः सही हो सके और एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। बवासीर से बचाव करने के लिए भी हम आपको इसके उपाय बताने जा रहे हैं जो कि निम्नलिखित हैं।

  • टॉयलेट सीट पर बहुत अत्यधिक देर बैठने से मल त्याग करने में परेशानी की संभावना मुख्यतः बढ़ जाते हैं इसके साथ ही सीट पर बैठने के तरीके से आपके गुर्दे के आसपास की खून की नसों पर दबाव पड़ता है एवं टॉयलेट पर कभी भी मोबाइल या मैगजीन नहीं ले जाना चाहिए। जितना जरूरी हो उतना ही समय टॉयलेट में बैठना चाहिए।
  • बवासीर से बचने के लिए शरीर के अनुसार पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इससे आपका मल मुलायम हो जाता है, एवं बाहर निकलने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती, अधिक फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें, जैसे- रेशेदार फल एवं सब्जियाँ।
  • जब भी आपको मल त्याग करने की इच्छा होती है उसी समय आपको मल त्याग कर देना चाहिए नहीं तो यह आदत आपके मल को सख्त बना देती है और सख्त होने के बाद यह बाहर आने में मुश्किल पैदा करता है जो कि गुर्दो की नसों पर दबाव डालता है और साथ ही साथ यदि आपको मल त्याग करना हो तो उस पर ज्यादा जोर ना लगाएं।
  • इसके लिए आपको ज्यादा से ज्यादा फाइबर से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जी साबुत, अनाज आदि। इसके लिए आप ईसबगोल को भी अपनी डाइट में ले सकते हैं, परंतु इसका उपयोग आप धीरे-धीरे चालू करें क्योंकि फाइबर ज्यादा मात्रा में लेने से आपका पेट फूल सकता है। आप अगर चाहे तो कायम चूर्ण का इस्तेमाल भी कर सकते है जिससे पेट सम्बन्धी समस्याओ में आराम मिलता है।
  • बवासीर से बचाव करने के लिए आपको नियमित व्यायाम करना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं तभी आप मल त्याग भी आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक्सरसाइज प्रारंभ कर सकते हैं परंतु पहले यदि आपने कभी कोई एक्सरसाइज नहीं करी है तो अचानक से भारी एक्सरसाइज ना करें धीरे-धीरे इसकी शुरुआत करें।
  • यदि आपकी जॉब बैठने वाली है, तो लगातार बैठे नहीं रहना चाहिए। कम से कम 2 से 3 घंटे में आपको ब्रेक लेना चाहिए एवं लिफ्ट की जगह ज्यादा से ज्यादा सीढ़ियों का उपयोग करना चाहिए। हो सके तो ज्यादा से ज्यादा चलने की आदत रखे एवं एक्टिव बने रहिए यह बवासीर को कम करने के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
  • अगर किसी व्यक्ति को बवासीर है तो उससे एक गर्म पानी के एक तब में बैठना चाहिए और पानी उतना ही लेना चाहिए जो पैरों को ढंकने के लिए पर्याप्त होता है, और उस हलके गरम में बैठना चाहिए जोकि सूजन को कम करने और बवासीर के कारण होने वाली जलन को कम करने में भी मदद कर सकता है।
  • एलोवेरा का उपयोग कई प्रकार की बीमारी के इलाज करने के लिए किया गया है। एलोवेरा के लगाने पर बवासीर से होने वाली जलन, खुजली और सूजन से राहत मिल सकती है।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में गंभीर स्थिति में सर्जरी ही इसका एकमात्र समाधान है और सर्जरी के बाद भी यह रोग दोबारा हो सकता है। इसलिए घरेलू उपचार और बेहतर जीवनशैली अपनाना ही सबसे बेहतर उपाय हैं और इससे बवासीर के दोबारा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

याद रहे, समय पर किए गए उपचार एवं बेहतर जीवनशैली से इस रोग को बिना सर्जरी भी ठीक (Bavasir ka upchar) किया जा सकता है।

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1 Comment

  1. health mantra on Dec 15, 2019 11:07 pm

    very nice sir

    Reply

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