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सफलता के रहस्य 8 Mins Read

तीन चीजे जो कभी नहीं मरती

Mahesh YadavBy Mahesh YadavNo Comments8 Mins Read
Cheeje jo kabhi nahi marti
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यह संसार नश्वर हैं, जो जन्म लेता हैं उसकी मृत्यु निश्चित हैं इसलिए यह कहना बिल्कुल ही निरर्थक है कि ब्रह्माण्ड में सब जीवित रहते हैं क्योंकि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कौन सा जीव हैं जो नही मरता, जो भी पैदा हुआ है उसे एक न एक दिन तो नष्ट(मरना) होना ही पड़ेगा, इस पर कबीर दास जी का एक दोहा भी है-

चलती चाकी देखकर, कबीरा दिया रोय ।
दुइ पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय ।।

लेकिन आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि कुछ ऐसी चीजें भी है जो व्यक्ति के जाने के बाद भी कभी मरती नही हैं
जैसे- आत्मा, जागरूकता और प्रेम।

ये चीजें व्यक्ति के साथ पैदा(आत्मा नहीं) तो होती हैं लेकिन कभी मरती नही हैं, वो व्यक्ति के जीवन के साथ तो रहती ही हैं और उसके जीवन के पश्चात भी ब्रह्माण्ड में जीवित रहती हैं।

व्यक्ति दुनिया मे आता है मेहनत करता है, पैसे कमाता है, अपने शरीर का ख्याल रखता है लेकिन जब वक़्त आता है तब ये शरीर ही, जिसके लिए कभी उस व्यक्ति ने अपना सब कुछ छोड़ा था, वो शरीर ही व्यक्ति का साथ छोड़कर चला जाता है।

सबसे पहले हम जानते है आत्मा को – आत्मा जो सर्वस्व है, जो जीवित है, जो प्रकाश है वो आत्मा है और आत्मा कभी नही मरती क्योंकि वो अदृश्य है, वो एक विचार है जिसे बस जी सकते हैं लेकिन पकड़कर नही रख सकते, जिसे हम महसूस तो कर सकते हैं लेकिन छू नही सकते।

श्रीमदभगवद्गीता के अध्याय दो में, श्रीकृष्ण भगवान के अनेको उदहारण से इसको स्पष्ट भी किया था

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।2.23।।

आपने विज्ञान में ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत (law of conservation of energy) तो पढा ही होगा जिसमें बताया गया है कि –

“ऊर्जा को न ही उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्त्तित किया जा सकता है”

ऐसा ही नियम है आत्मा का हैं, न तो कोई व्यक्ति आत्मा को पैदा कर सकता है और न ही मार सकता है पैदा या मृत्यु तो शरीर की होती है और आत्मा जो इन सबसे दूर कहीं कुछ और ही है।

उर्जा की भांति, आत्मा को भी बस एक शरीर से दूसरे शरीर मे भेजा जा सकता है(परन्तु यह केवल ईश्वर द्वारा ही संभव हैं), अथार्त इसका केवल रूप बदल जाता हैं, क्योंकि आत्मा तो हमने पैदा होते देखी ही नही, आत्मा प्रकृति का ही एक रूप है जो जीव बनके हमारे शरीर मे प्रवेश करता है जो हम पर अपनी हुकूमत तो नही चलाता लेकिन सबसे मुख्य चीज जरुर बन जाता है, जिसके बिना रहना तो हम सोच भी नही सकते।

जब आपका शरीर आपका साथ छोड़ भी देता है तब भी आपकी आत्मा जीवित रहती है कुछ दिनों तक बिना किसी शरीर के और कुछ दिनों बाद एक नए शरीर मे, फर्क सिर्फ इतना रहता है कि तब तक तुम्हारा अस्तित्व ही खत्म हो जाता है इसलिए वो किसी नए शरीर को धारण करती है और किसी और शरीर की हो जाती है लेकिन सिर्फ तब तक जब तक वो शरीर है उसके बाद फिर नए शरीर मे ये क्रिया चलती रहती है हमेशा क्योंकि आत्मा हमेशा जिंदा रहती है।

अब दूसरे नंबर पर बात आती है जागरूकता की जो एक तरीके से सामाजिक व्यवहार हैं, अपनी प्रतिभाएं और दुनियादारी की समझ के अंतर्गत आती है। जागरूकता पर ऊर्जा संरक्षण के नियम का कोई प्रभाव नही पड़ता है बल्कि इसके रूप अलग-अलग हो जाते हैं जैसे- आपका व्यवहार, आपकी बात-चीत का तारीका, लोगो के प्रति आपका नजरिया, आपके विचार, आपकी सोच, आपका अनुभव ये सब आपकी जागरूकता के ही अंतर्गत आते हैं।

आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
– Mahatma Gandhi

किसी भी कार्य या विषम में जागरूकता बेहद जरुरी हिस्सा है क्योंकि जब तक हम उस चीज के बारे में जानेंगे नही, तब तक हम उस चीज को गलत या सही नही कह सकते और न ही हम उसके बारें में उचित व्यवहार करते हैं हमारे जीवन का सर्वश्रेष्ठ धन हमारा व्यवहार ही होता है जो हमे लोगो की भीड़ मे अलग रखता है जो हमारी पहचान बनाता है जिसकी शुरुआत जागरूकता ही है।

यही नही हम जीवन में कितने सफल हुए या होंगे इस बात का अंदाजा भी हमारी इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि हम चीजो के प्रति कितने जागरूक हैं, हम कितना लोगों को जानते हैं और कितना अपने आप को, क्या हमें पता है कि हम क्या चाहते हैं, अगर हमें यही नही पता होगा कि आखिर हम क्या चाहते है? तो किस तरफ चलेंगे हम जब किसी दिशा का ही ज्ञान नही होगा हमें।

जब व्यक्ति का शरीर आत्मा का त्याग करता है तब लोग उसे सिर्फ उसके किये गए कर्मो के आधार पर याद रखते है कि उसने अपने जीवन मे क्या हासिल किया और लोगो के प्रति उनका रबैया कैसा रहा, लोग उसे ही पसन्द करते है जो लोगों में रुचि लेता है उनकी समस्याओं को खुद की परेशानी समझता है।

हर रोज न जाने कितने लोग इस देह का त्याग करते हैं लेकिन हम 1 या 2 को भी याद नही रखते हैं हमारे पूर्वज, हमारे क्रांतिकारी जिन्होंने अपनी जान की परवाह किये बगैर हमारे लिए जो लड़ाई लड़ी ये उनके व्यवहार, उनकी सोच, उनके नजरिये और उनकी जागरूकता की ताकत है जो उन्हें आज भी हम लोगों के बीच जिंदा रखे हुए है और हमेशा रखेगी।

इसी व्यवहार को (अच्छे व्यवहार व नीतियां) धर्म भी कहा गया हैं, गरुड़ पुराण में भी इसके बारें में स्पष्ट कहा गया हैं कि केवल धर्म ही व्यक्ति के साथ जाता हैं, बाकी इसके अलावा बाकी सब व्यक्ति की देह के साथ नष्ट हो जाते हैं।

शास्त्र में भी कहा गया हैं कि –

मृतं शरीरमुत्सृज्य काष्टलोष्टसमं जना:।
मुहूर्तमिव रोदित्वा ततोयान्ति पराङ्मुखा:।।
तैस्तच्छरीमुत्सृष्टं धर्म एकोनुगच्छति।
तस्माद्धर्म: सहायश्च सेवितव्य: सदा नृभि:।।

अब हम बात करते हैं तीसरी और सबसे अंतिम चीज की जो है प्रेम, प्रेम कोई वक़्त नही जो बीत जाएगा, ये कोई रस्सी नही जो टूट जाएगी, ये कोई आग भी नही कि बुझ जाएगी, यह कोई पानी भी नही जो सूख जाएगा, प्रेम आत्मा के समान ही एक अदृश्य भाव है जो आपकी आत्मा में एक स्थान पर जीवित रहता है जो हमेशा रहता है वक़्त के साथ कम या ज्यादा नही होता।

प्रेम या तो होता है या फिर नही होता हैं साथ मे जो अटैचमेंट होते हैं वो कम और ज्यादा होते रहते हैं लेकिन प्रेम वो सबसे अलग, सबसे पवित्र है जिसमे कोई छल नही है, जो कोई दिखावा भी नही है, प्रेम प्रकृति है जो है दिखता है।

प्रेम का अर्थ ही है बिना चाह का भाव, यहां हम जिससे प्रेम करते है उससे यह अभिलाषा नही रखते कि वो हमें इसके बदले कुछ दे या कुछ फायदा हो बल्कि प्रेम तो एक अग्नि का हवन है जहां तुम्हें सिर्फ देना ही देना है।

प्रेम एक सच्चाई है वो जब होता है तब दुनिया की किसी चीज में मन नही लगता, रस महसूस नहीं होता, तब व्यक्ति के लिए महंगा सोना भी किसी मिट्टी के समान हो जाता है।एक बार होने के बाद ऐसे मिटाया या खत्म किया नही जा सकता। प्रेम एक ऐसा वृक्ष है जिसका बीज उग आने के बाद वो कभी नही मरता, सदा खड़ा रहता है चाहे व्यक्ति रहे या न रहे पर प्रेम वो हमेशा ही रहता है फिर चाहे वो किसी व्यक्ति से हो, किसी चीज से हो, किसी स्थान से हो किसी से भी।

यहां भी ऊर्जा का नियम कार्य नही करता क्योंकि प्रेम को किसी अन्य में परिवर्तित भी नही किया जा सकता है, प्रेम सदा प्रेम ही रहता है न वो नफरत में बदलता है न वो गुस्से में हो सकता है कि प्रेम के ऊपर एक गुस्से की परत चढ़ जाएं लेकिन हाँ कुछ समय पश्चात वो परत स्वत: हट जाती है और प्रेम वो पहले से ही अंदर स्थान बनाए रखता है।

आपके जाने के बाद आपकी जागरूकता, आपका व्यवहार, आपका प्रेम भाव की आपके नाम की पहचान बनता है जो आपको हमेशा इज़्ज़त और प्रेम दिलाता है, इसलिए इन तीन चीजो को हमेशा सम्भालकर और अच्छा बनाएं रखें क्योंकि आपका जाने बाद आपकी पहचान, आपका व्यक्तित्व, आपका चरित्र आपकी इन्ही बातों से निर्धारित किया जाता है कि आप क्या थे और कितनी इज़्ज़त के लायक थे।

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